This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
प्रेषक : जय
मैं अन्तर्वासना को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उसने हम सभी लोगों के साथ जोड़ा।
अब मैं अपनी कहानी बताता हूँ इसलिये अपने अपने हथियार थाम कर बैठ जायें और चूत में उंगलियाँ डालना अभी से शुरु मत कीजिए।
मैं जय अहमदाबाद का एक नौजवान लड़का मस्त बदन का मालिक हूँ, मस्त लण्ड का भी मालिक हूँ। ज्यादातर लड़कियाँ मेरी मुस्कान पर मर मिटती हैं।
यह घटना दो साल पुरानी है जब मैं कोलेज के प्रथम वर्ष में था, तब मैं सुबह सुबह उठ कर जोगिंग के लिये निकलता था।
एक दिन जब मैं निकला, तब एक लड़की को मैंने देखा कि उसने टाईट टॉप पहना है और जींस पहना था और वो भी जोगिंग के लिये आई है, मैं उसको देखता ही रह गया। वो एक परी जैसी लग रही थी। उसके नाग जैसे काले बाल और गुलाब जैसे उसके होंठ थे। सब से अच्छे तो उसके चूचे थे जो उसे देखे तो उसे दबाने के लिए दौड़े। उसकी कूल्हे देख कर तो अच्छे अच्छे भी हिल जायें।
उसकी फ़िगर 34′ 28″ 36′ लग रही थी।
मैं घर पहुँचा, फ़िर जल्दी जल्दी कोलेज जाने के लिये निकला, तब मुझे मेरे घर के बस स्टॉप कालूपुर के स्टॉप से लाल दरवाजा जाना पड़ता था। मैं जब कालूपुर के स्टॉप पर पहुँचा तो देखा कि वो सुबह वाली लड़की भी उस स्टॉप पर खड़ी है अपनी कुछ सहेलियों के साथ। थोड़ी देर में मेरी बस आई, मैं उसमें चढ़ा तो वो भी सहेलियों के साथ उस ही बस में चढ़ी।
मैं उसके थोड़े ही आगे खड़ा था। जब हम लाल दरवाजा पहुँचे, तब वो मुझसे टकरा कर चली तो उसकी चूची मुझे छू गई। मुझे एक अजीब सा करन्ट लगा।
तभी मैंने सुना कि वो अपनी सहेली को 11 बजे बस स्टॉप पर आने को बोल कर निकली। मैं भी अब 11 बजने का इन्तजार करने लगा।
11:15 को वो बस स्टॉप पर आई तब तक मैं उसके इन्तजार में वहीं खड़ा रहा, लेकिन मैंने देखा कि वो किसी लड़के के साथ हस कर बात कर रही है। जब वो लड़का पलटा तो देखा कि वो तो मेरी बुआ का लड़का वीर है, तभी उसने मुझे आवाज देकर बुलाया।
मैं वहाँ गया तो उसने परीचय करवाया- यह मेरी गर्लफ़्रेन्ड कल्पना है।
तब उसने मुझसे हाथ मिलाया, मैं जन्न्त में पहुँच चुका था, क्या कोमल हाथ था उसका ! फ़िर से उसको छूने से मुझे एक करन्ट लगा।
फ़िर तो हम लोग साथ आने जाने लगे रोज !
एक दिन मैंने देखा कि वो कुछ उदास सी लग रही थी। वीर ने मुझे बताया कि उसको कोई कमरा चाहिए। मैं सबकुछ समझ गया कि वो उदास क्यों थी।
मेरे पास कोई कमरा नहीं था तो मैंने मना कर दिया।
शाम को मैं अपनी बुआ के घर पर गया तो देखा कि वीर छत पर खड़ा सामने वाली लड़की से बात कर रहा था।
दूसरे दिन जब मैं फ़िर से वहाँ गया तो देखा कि वो लड़की वीर की छत पर ही है और वीर उसे चूम रहा था। मैंने अपने मोबाइल से उनकी वैसी तस्वीर ले ली।
उस लड़की ने मुझे देखा तो वहाँ से भाग गई। तब मैंने वीर से बात की- तू तो कल्पना से प्यार करते हो?
तो उसने कहा कि वो सिर्फ़ उसे चोदना चाहता है बस !
तो मैंने कहा कि अगर वो तेरी तरह किसी दूसरे को बुलाये तो तुम्हें चलेगा?
तो उसको कुछ शक हुआ तो उसने कहा- क्यों? तुझे चाहिए?
तो मेरे मुँह से हाँ निकल गया तो उसने कहा- अगर वो खुद तेरे पास आ जाती है तो मुझे एतराज नहीं ! लेकिन मैं उसे चोदे बिना नहीं छोड़ूँगा।
तब मुझे लगा कि मेरा भी मौका आ सकता है।
उसी दिन से मैं उसके पास ही रहने लगा, उसकी छोटी से छोटी खुशी का ध्यान रखने लगा था। तब उसके और वीर के बीच में दूरी आ रही थी जिससे वीर दो-तीन बार मुझ पर गुस्सा हुआ, लेकिन देखा कि उसके ऐसे स्वभाव से कल्पना मेरे नजदीक आती जा रही थी।
एक दिन हम सब फ़्रेन्ड पार्क में घूमने गये तो तब सब अलग अलग बैठे थे, तब वीर नहीं था तो कल्पना मेरे पास ही बैठी थी।
मैं अपने एक फ़्रेन्ड को बता रहा था कि अगर वो मेरी मुट्ठी खोल देगा तो आज मैं पार्टी दूँगा।
उसने कोशिश की लेकिन नहीं खुली।
तब कल्पना ने कहा- मैं खोल दूँ तो मुझे क्या मिलेगा?
तो मैंने कहा- तुम तीन बार में खोल दोगी तो कोई भी तीन चीजें तुम्हें चाहिए वो मैं तुम्हें दूंगा, और नहीं खोल पाई तो जो मैं कहूँगा वो करना पड़ेगा।
वो मान गई।
पहले तो मैंने जानबूझ कर उसे खोलने नहीं दिया, फ़िर दूसरे राउन्ड में मैंने खोल ली, तीसरे में मैंने उसको फ़िर से हरा दिया, तब उसने कहा- एक बार मुझे और करना है।
तब मैं फ़िर से जानबूझ कर हार गया।
वो बोली- पहले तुम बताओ कि तुम क्या चाहते हो?
तब मैंने मजाक में कहा- तुम्हें !
तो वो थोड़ी सी हंसी और बोली- दूसरी?
तो मैंने कहा- पहले का तो बताओ?
तो बोली- उसका उत्तर मैं शाम को दूँगी।
मैंने पूछा- तुम तो बाताओ कि तुम्हें क्या चाहिए?
वो बोली- वो भी शाम को ही बताऊँगी।
शाम को उसका फ़ोन आया, फ़िर वो दूसरी दूसरी बात करने लगी।
मैंने बोला- मेरा जवाब तो दो?
तो वो बोली- मुझे तुम बहुत पसन्द हो लेकिन वीर?
मैं- तुम उसकी चिन्ता मत करो, जो भी हो बताओ।
कल्पना- वीर कुछ दिनों से दूसरी लड़की को बुला रहा है क्योंकि मैंने उसकी एक बात नहीं मानी थी इसलिये !
तब मैं समझ गया कि कौन सी बात।
फ़िर उसने कहा- जय मैं नहीं जानती कि मैं कब से तुम्हें चाहने लगी हूँ लेकिन वीर के डर से मैं कुछ नहीं कर पाती।
मैंने कहा- तुम मत डरो और तुम अपनी दो इच्छाएँ बताओ जो तुमने शर्त में जीती हैं !
तो उसने कहा- अभी एक, दूसरी फ़िर कभी।
उसने बताया कि वो मेरे साथ कहीं लोन्ग टूअर पर जाना चाहती है।
दूसरे ही दिन मैंने अपने दोस्त की बाइक ले ली और उसे लेकर गान्धीनगर के एक पार्क चला गया। वहाँ पर हम दोनो एक कोने में झाड़ी की ओट में बैठ गए, वो मेरी बाहों में थी, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वो जिस को देख कर मैं पागल हो गया था, वो आज मेरे बाहों में है।
तब उसने कहा- जय, मैं मेरी दूसरी वाली इच्छा अभी मांगना चाहती हूँ।
मैंने कहा- हाँ मांगो !
तो उसने धीरे से उसके फ़ूल जैसे गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे पता ही नहीं चला कि यह सब कैसे हो गया, हम दोनो एक दूसरे में खोते जा रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
प्रकाशित : 13 फरवरी, 2013
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000