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हाय दोस्तो, मैं राज कौशिक अपनी कहानी सुहागरात भी तुम्हारे साथ मनाऊँगी जो चार भागों में प्रकाशित हुई थी, के आगे का भाग भेज रहा हूँ।
लक्ष्मी की सगाई हो चुकी थी, 20 दिन बाद लक्ष्मी की शादी थी, उससे पहले मैंने उसे 10-11 बार चोदा और वो अपनी सहेली मुझे उपहार में देकर गई। वो मेरे पास आई और बोली- मैं तुम्हारे लिए तोहफ़ा लाई हूँ। मैं बोला- क्यूँ और क्या? जानू मैं तुम्हें अकेला छोड़ कर कैसे जा सकती हूँ! मतलब? मैं बोला।
उसने आवाज लगाई- मनीषा! मनीषा मेरे साथ पढ़ी थी। मनीषा आ गई।
लक्ष्मी बोली- राज! यह तुमसे बहुत प्यार करती है तो मैंने सोचा कि मेरी तो शादी हो रही है, क्यों न इसे इसका प्यार दिला दूँ। मैं चुप बैठा उसकी बात सुन रहा था। लक्ष्मी बोली- बोलो न? तुम्हें मनीषा पसन्द है? मैं बोला- मैंने तुमसे प्यार किया है! बोली- तुम्हें मेरे प्यार की कसम! तुमने मना किया तो! मैं चुप बैठ गया। लक्ष्मी बोली- मैं जा रही हूँ, तुम दोनों बातें करो! और लक्ष्मी चली गई।
मनीषा मेरे पास बैठ गई, बोली- राज आई लव यू! मैंने तुमसे क्लास में भी कहना चाहा, पर तुम बात ही नहीं करते थे। मैं बोला- तुम्हें पता है कि मैं लक्ष्मी से प्यार करता हूँ। मनीषा बोली- मुझे उससे कोई परेशानी नहीं है। वैसे भी उसकी तो कल शादी है। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- राज, मना मत करना! नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने सोचा ‘यार जब यह खुद चुदना चाहती है तो मैं क्यूँ पीछे हटूँ।’ दिखने में भी सुन्दर थी, रंग थोड़ा सांवला था पर सुन्दर लगती थी। उसकी चूचियाँ और गांड लक्ष्मी से मोटी थी। उसने आसमानी रंग का सूट पहना था और डेनिम की जैकेट पहनी थी, उसके बटन खुले थे, कमीज़ का गला बड़ा होने से ऊपर से उसकी चूचियाँ दिख रही थी। मैंने उसके चहरे को पकड़ा और होंटों पर चूम लिया।
वो खुशी से पागल हो गई और मुझसे लिपट गई, बोली- आई लव यू! लव यू वैरी मच! और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उसे चूमने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखकर दबाने लगा। उसकी चूचियाँ लक्ष्मी से मुलायम थी मैं उन्हें मसलने लगा। उसको खड़ा कर लिया और होंट, गाल, गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
उसने भी मुझे बाहों में कसा हुआ था और चुम्बन कर रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ मसलते हुए होंट मुँह में ले लिए और चुम्बन करने लगा। मेरा लण्ड उसके पेट में घुसा जा रहा था। उसकी साँसें तेज हो गई और वो पागलों की तरह मुझे चूम रही थी।
वो पूरी तरह गर्म हो गई। मुझसे भी अब रुका नहीं जा रहा था, लण्ड पैन्ट से बाहर निकलने को बेताब था। मैंने उसे बाँहो में उठाया और थोड़ी आड़ में लाकर खड़ा कर दिया ताकि हमें कोई देखे ना। मैंने उसकी जैकेट उतार दी और कमीज़ उतारने लगा।
वो बोली- जानू, क्या सलाह है? मैंने खुला बोल दिया- तुम्हें चोदने की। तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं? मैं तुम्हारी हूँ, तुम कुछ भी कर सकते हो।
मैंने उसका कमीज़ और अपनी जैकेट उतार दी। वो ब्रा और सलवार में थी। उसकी चूचियाँ ब्रा से काफी बाहर निकली हुई थी, मैं उन पर चूमने लगा। फिर ब्रा के एक कप को नीचे कर दिया और चूची को मुँह में ले लिया।
मनीषा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं एक हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था और दूसरी को मुँह में लेकर चूस रहा था, फिर उसकी ब्रा अलग कर दी। चूचियाँ बिल्कुल सीधी थी और अगला भाग छोटा था पर बिल्कुल कसा था।
मैंने उन्हें पकड़ कर मसल दिया। वो सिसिया उठी- ओहो राज आ अह मैंने एक एक करके दोनों चूचियों को खूब चूसा। वो बिल्कुल पागल सी हो गई। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी कमीज उतार दी।
जिम जाने से मेरी छाती बिल्कुल सख्त थी, वो बोली- बहुत सख्त है! और चूमने लगी।
मेरे हाथ उसकी कमर और गांड पर घूम रहे थे। मुझ से रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसका नाड़ा खोल दिया, सलवार खुद नीचे गिर गई। मैं बोला- मनीषा, मेरा लण्ड तुम्हारे हाथों में आने को बेताब है! वो थोड़ी शर्माई और बोली- बस हाथ में? पहले हाथ में तो लो। ठीक है! बेचैन क्यूँ होते हो! कहकर पैन्ट खोलने लगी।
मेरा लण्ड अण्डरवीयर में बिल्कुल सीधा खड़ा था। मैंने खुद अण्डरवीयर उतार दिया। वो लण्ड देखकर बोली- लक्ष्मी ठीक कह रही थी बिल्कुल मोटे डन्डे जैसा है! और हाथ में लेकर सहलाने लगी।
मैं पेन्टी के ऊपर से चूत सहला रहा था। मुझसे रुका नहीं गया और उसको लिटाकर पेन्टी उतार दी। मैंने उसकी टांगें फैलाई और चूत पर हाथ रखा तो मनीषा के मुँह से सिसकारी निकल गई। मैं उंगली उसकी चूत में डालकर आगे-पीछे करने लगा। वो आह भरने लगी- आ सी ई ई.
थोड़ी देर बाद बोली- राज, अब नहीं रूका जा रहा! फाड़ दो मेरी चूत को। मैं बोला- इतनी जल्दी क्या है ? और उसे बिठा दिया। फिर लण्ड उसके होंटों पर लगा दिया। बिना कुछ बोले वह लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं बोला- तुम्हें तो पूरा तजुर्बा है! वो बोली- नहीं, फिल्मों में देखा था और लक्ष्मी ने भी बताया था।
फिर वो मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे मजा आ रहा था, मैं उसके बाल पकड़ कर तेज तेज आगे पीछे करने लगा। फिर उसके मुँह में ही सारा वीर्य छोड़ दिया। वो बोली- राज, अब नहीं रुका जा रहा। मैंने उसे खेत की मेढ़ पर लिटाया जिससे उसकी चूत ऊपर को हो गई और मुँह और चूचियाँ नीचे। मैंने उसके पैरों के बीच में बैठकर मुँह उसकी चूत पर रख दिया। चूत से अजीब सी खुशबू आ रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने जीभ उसकी चूत पर फिराना शुरु कर दिया और उसके छेद में डालने लगा।
मनीषा तड़प उठी, उसने मेरा सिर अपनी जांघों के बीच हाथों से पकड़ लिया। मेरा लण्ड फिर खडा हो गया। फिर हम 69 की पोजिशन में आ गये। अब रुका नहीं जा रहा था तो मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और लण्ड उसकी चूत पर रख दिया।
मनीषा बोली- राज, जल्दी डालो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी। मैंने उसके कन्धे पकड़े और जोर का झटका मारा। चूत और लण्ड गीला होने से एक ही झटके में लण्ड चूत फाड़ता हुआ आधा घुस गया। वो चिल्लाई- मर गई! और पीछे को हटने लगी।
मुझे पता था लण्ड घुसते ही इसका चुदने का नशा उतर जायेगा इसलिए मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था। वो हिल भी नहीं पाई, दर्द से सिर इधर-उधर कर रही थी और बोल रही थी- राज निकालो इसे! आए मर गई आ अ. .
तभी लक्ष्मी आ गई, वो शायद हमें छिप कर देख रही थी, उसने कपड़े उतार रखे थे। लक्ष्मी बोली- बड़ा बोल रही थी! राज फाड़ दो! फाड़ दो! और फाड दी तो चिल्ला रही है? कहते हुये मनीषा के मुँह पर बैठ गई, बोली- राज ने तो नहीं चाटी, ले तू चाट! और अपनी चूत मनीषा के मुँह पर रगड़ने लगी।
मैंने मनीषा की चूचियाँ दबाई और एक झटका और मारा। मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। मनीषा की चूत से खून निकल रहा था। मैं उसकी चूचियाँ सहलाता हुआ धीरे धीरे धक्के मार रहा था। थोड़ी देर बाद मनीषा चूतड़ उछाल कर साथ देने लगी। लक्ष्मी चूत रगड़ते हुए आहें भर रही थी- आह ले चूस और चाट! हाँ हाँ बस हो गया! कहती हुई मनीषा का मुँह अपनी जांघों से भींच लिया और थोड़ी देर बाद खड़ी हो गई।
मनीषा का मुँह लक्ष्मी की चूत के पानी से भिगा हुआ था जिसे मनीषा अपनी जीभ से चाट रही थी। मैं उसकी चूचियाँ पकड़ कर तेज तेज झटके मार रहा था। मनीषा बोली- मेरा निकलने वाला है!
तो मैंने झटकों की गति बढ़ा दी। मनीषा भी गांड उठा कर धक्कों का जबाब दे रही थी और बड़बड़ा रही थी- हाँ राज! और तेज! और और तेज! फाड़ डाल मेरी चूत! बना दे इसे भोसडा! हाँ आहँ सी ई इ. . आहँ मैं गई ई कहते हुए शान्त हो गई। उसकी चूत से पानी निकलने लगा। मैं तेज झटके मार रहा था। मनीषा बोली- बस राज, अब नहीं सहा जा रहा। लक्ष्मी बोली- उसे छोड़ो, अब मेरी प्यास बुझा दो! मैं तड़प रही हूँ। मैं रुका और बोला- लक्ष्मी, तुम थोड़ा रुको! मुझे मनीषा की गांड बहुत पसन्द है! लक्ष्मी और मनीषा समझ गई कि मैं उसकी गांड मारना चाहता हूँ। मनीषा बोली- नहीं, मैं गांड में नहीं डलवाऊँगी! बहुत दर्द होगा।
मैंने लक्ष्मी की तरफ इशारा किया और मनीषा को उल्टा कर दिया। लक्ष्मी ने उसका हाथ पकड़ लिए और मुँह अपनी जांघों के बीच दबा लिया। मनीषा मना कर रही थी मैं टांगों के बीच बैठ गया, गांड पर थूका और लण्ड टिका दिया और झटका मारा तो मेरा तीन इन्च लण्ड गांड में घुस गया।
मनीषा फिर चिल्लाई- मर गई! मर गई! लक्ष्मी छोड़ मुझे! बहुत दर्द हो रहा है! छोड़ राज! लण्ड बाहर निकालो! मैं मर जाऊंगी। हमने उसकी एक न सुनी। मैं लण्ड उसकी गांड में ठोकता गया। मनीषा रोने लगी। थोड़ी देर बाद वो भी साथ देने लगी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसकी गांड वीर्य से भर दी। मैं उसके ऊपर पड़ा रहा। लक्ष्मी उठी और मुझे चूमने लगी। थोड़ी देर बाद हम फिर गर्म हो गये। फिर मैंने लक्ष्मी की चूत और दोनों की गांड मारी। फिर हमने कपड़े पहने। वो मुझे चूम कर चल दी। मनीषा से चला नहीं जा रहा था। लक्ष्मी उसे ले गई।
दूसरे दिन मैंने दोनों की गांड और चूत मारी। मनीषा को भी कई बार उसके घर में भी चोदा। फिर लक्ष्मी की कुंवारी ननद को चोदा। कैसे चोदा, अगली कहानी में बताऊँगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे जरूर बताना।
आपका प्यारा दोस्त राज कौशिक [email protected]
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