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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार ! आप लोगों के इतने मेल आते हैं कि मैं सबका जवाब भी नहीं दे पाता, इससे पता चलता है कि आप लोगो को मेरी कहानियाँ अच्छी लगती हैं। आज मैं अपनी अगली कहानी पेश करता हूँ। नए पाठकों को बता दूँ कि मेरा नाम अमित अग्रवाल है और मैं अब वसंत कुञ्ज (दिल्ली ) में रहता हूँ जो कि दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में माना जाता है।
यह बात आज से 2 साल पहले की है, मेरी पत्नी तान्या की चचेरी बहन सीमा जिसको सभी उसको प्यार से सिमी बुलाते हैं, का जन्मदिन था। सीमा तान्या के दूर के चाचा की लड़की है जो चंडीगढ़ में रहते थे। अपने जन्मदिन के मौके पर चाचा ने सभी रिश्तेदारों को न्यौता भेजा। मैं भी अपनी पत्नी तान्या के साथ चंडीगढ़ पहुँच गया। मेरे ससुर श्यामलाल भी वहां पहले से ही मौजूद थे, वहाँ पहुँच कर मेरा स्वागत बड़े ही भव्य रूप में किया गया जैसा हमारे यहाँ दामाद का स्वागत किया जाता है। तान्या के चाचा ने 2-3 लोग मेरी खातिर के लिए लगा दिए और वो अपने बाकी के जरूरी काम निबटाने में लग गए।
मैंने सोचा भी नहीं था कि एक जन्मदिन की पार्टी इतनी आलिशान होगी, मैं तो वहाँ की साज-सज्जा को देखकर हैरान था।
कुछ देर में मेहमान आने भी शुरू हो गए, पंजाब की लड़कियाँ कितनी सेक्सी होती हैं, यह मुझे उस दिन पता चला। चूँकि सभी लड़कियाँ चंडीगढ़ की ही थी तो उनका फेशनेबल होना स्वाभाविक था। मुझे भीड़-भाड़ ज्यादा पसंद नहीं है इसलिए मैंने तान्या के चाचा परविंदर से अनुरोध किया कि मुझे भीड़-भाड ज्यादा पसंद नहीं है इसलिए मुझे कोई जगह बता दें जहाँ भीड़ थोड़ी कम हो।
चाचा के कहने पर तान्या मुझे ऊपर वाले एक कमरे में ले गई, मैंने तान्या से रुकने के लिए कहा मगर तान्या मेहमानों का कहकर वहाँ से चली गई जो मुझे कुछ अजीब लगा।
कुछ देर तक मैं उसी कमरे में बैठकर टी.वी. देखता रहा, कुछ देर के बाद मुझे कुछ बराबर वाले कमरे से लड़कियों के हंसने की आवाज सुनाई दी। दोनों कमरों के बीच एक खिड़की थी पर वो भी बंद थी इसलिए मैं नहीं देख पाया कि अंदर क्या चल रहा है। मगर मेरी जिज्ञासा ने मुझे आराम करने की इजाजत नहीं दी इसलिए मैं बराबर वाले कमरे के दरवाजे की ओर बढ़ा, मगर दरवाजे के अंदर
से बंद होने कि वजह से मैं अंदर नहीं घुस पाया और मैंने दरवाजा बजाना भी उचित नहीं समझा इसलिए मैं बाहर ही टहलने लगा और दरवाजा खुलने का इन्तजार करने लगा क्योंकि मैं यह जानने को उत्सुक था कि अंदर क्या चल रहा है।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला और 4-5 लड़कियाँ बाहर निकली, तान्या भी उनमें ही थी।
निकलते ही तान्या ने पूछा- आप बाहर क्या कर रहे हैं?
मैंने उसकी बात को टाल दिया, उसके बाद तान्या बाकी सभी लड़कियों से मेरा परिचय करवाने लगी, तभी चाचाजी ने तान्या को आवाज लगाई तो तान्या को जाना पड़ा और मैं तान्या की सहेलियों और अपनी सालियों से बातें करने लगा।
तान्या की सहेलियाँ मुझे अंदर उसी कमरे में ले गई जहाँ से हंसने की आवाजें आ रही थी और मुझसे बातें करने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
तभी मेरी नजर ड्रेसिंग टेबल पर रखे सिगरेट के पैकेट ओर उसके पास रखी रिफ्रेशिंग स्वीट्स पर गई, मुझे समझते देर नहीं लगी कि यहाँ क्या हो रहा था मगर मैंने अपने मन की बात अपनी सालियों से नहीं बांटी।
चारों सालियों ने मुझे अपना परिचय दिया, मगर मैं तो उनकी ख़ूबसूरती निहारने में व्यस्त था। उनमें से तीन लड़कियाँ सौम्या, गुरविंदर, जसप्रीत तो सिख थी मगर एक सुमना मुस्लिम थी। चारों मेक-अप के कारण बहुत ही लुभावनी लग रही थी मगर मेरा ध्यान सुमना की तरफ ज्यादा था क्योंकि उसके बूब्स इतने बड़े थे कि वो टी-शर्ट फाड़ कर बाहर निकल रहे थे।
वो चारों मुझे अपने बारे में बताने लगी। बातों ही बातों में पता चला कि उनमे से गुरविंदर और जसविंदर तो शादीशुदा थी मगर सौम्या
और सुमना की अभी शादी नहीं हुई थी। हम पाँचों अभी बात कर ही रहे थे कि तभी एक बहुत सुन्दर सी लड़की ने कमरे में प्रवेश किया, उसने स्लीवलेस टी-शर्ट और में कसी हुई जींस पहन रखी थी, उसके बूब्स गोल नहीं बल्कि वी शेप में थे जो आगे की तरफ निकले हुए थे जो बहुत ही रसीले प्रतीत हो रहे थे और कसी हुई जींस उसके चूतड़ों का माप साफ़-साफ़ दर्शा रही थी।
चूँकि मैं लड़कियों के बीच में बैठा हुआ था तो शायद मैं उस लड़की को नहीं दिखा ओर उसने आते ही गाली देनी शुरू कर दी, बोली- “साली कुत्तियो, सारी सिगरेट फूंक डाली या मेरे लिए भी कुछ बची हुई है?
मगर जैसे ही उसने मुझे देखा उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और इधर-उधर देखने लगी फिर गुरविन्दर ने उस लड़की से मेरा परिचय करवाया, तब जाकर मुझे पता चला कि वो ही सीमा है जिसके जन्मदिन की पार्टी में मैं दिल्ली से चंडीगढ़ आया हूँ।
फिर सीमा ने सौम्या के कान में कुछ बोला, उसके बाद सीमा को छोड़ कर बाकी सारी लड़कियाँ वहाँ से उठ कर चली गई, मैंने उन्हें रोकना चाहा मगर वो किसी न किसी काम का बहाना बनाकर चली गई।
उन चारों के जाने के बाद सीमा मुझे अपनी भाषा के लिए माफ़ी मांगने लगी, मैं उठा और उठकर कमरे का दरवाजा बंद किया और दरवाजा बंद करने के बाद ड्रेसिंग पर रखे सिगरेट का पैकेट उठाया ओर सीमा को एक सिगरेट ऑफर की, जिसे सीमा ठुकराने लगी
मगर मेरे जोर देने पर वो मान गई।
हम दोनों सिगरेट पीते हुए एक-दूसरे से बात करने लगे, सीमा के फ्रेंडली स्वभाव के कारण मुझे लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं, बात करते-करते सीमा मेरे पैरों पर सर रख कर लेट गई जिसके कारण मेरा पूरा ध्यान उसके चूचों पर चला गया और मैं उसके चूचों को निहारने लगा।
सीमा को इस बात का आभास हो गया था कि मैं उसके चूचों पर नजर गड़ाए देख रहा हूँ। उसने मुझे मजाक में टोक दिया और बोली- जीजाजी, तान्या दीदी को तो शादी से पहले ही रगड़ दिया था, अब मुझे भी रगड़ने का इरादा है क्या?
मैं उसकी बातों से हैरान था क्योंकि तान्या ने मुझसे वायदा किया था कि वो यह बात किसी को नहीं बतायगी। सीमा की बात सुनकर मैं इधर-उधर देखने लगा तान्या मेरी गोद से उठी और मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
सीमा का इरादा देख मुझे जोश आ गया और मेरी सारी शर्म, डर समाप्त हो गया, मैं भी पूरी तलब के साथ सीमा के होंठो का रसपान करने लगा।
सीमा और मैं 15 मिनट तक एक-दूसरे के होंठों को चूमते रहे फ़िर मैंने अपना हाथ उसके वक्ष की तरफ बढ़ाया और टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा, उसके चूचे काफी मुलायम थे, ऐसा लगता था जैसे उन चूचों को रोजाना दबाया जाता है।
सीमा भी मेरा लंड टटोलने लगी, उसने मेरी पैंट की जिप खोल दी और झुक कर मेरा लंड चूसने लगी।
करीब 10-15 मिनट तक सीमा मेरा लंड चूसती रही। इससे पहले कि हम आगे बढ़ते, सीमा के पापा यानि तान्या के चाचा ने आवाज लगाई।
सीमा और मैंने अपने कपड़े ठीक किये और हम दोनों जन्मदिन की पार्टी में शामिल हो गए।
केक काटने के बाद सीमा ने केक का पहला हिस्सा मुझको खिलाया जिसे देख तान्या का चेहरा मुरझा गया। खाने के बाद सारे मेहमान चले गए, सीमा और तान्या की सहेलियाँ गुरविंदर और जसप्रीत जो अपने पतियों के साथ आई हुई थी, वो भी चली गई।
सुमना और सौम्या रात को रुक गए, चाचाजी ने मुझे ओर तान्या को सीमा के बराबर वाला कमरा दे दिया, मगर तान्या ने रात को सीमा के कमरे में रुकने का फैसला किया क्योंकि हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और तान्या सीमा से कुछ बातें करना चाहती थी इसलिए मैंने ऐतराज नहीं जताया मगर मुझे अपनी किस्मत पर दुःख हो रहा था कि सीमा मेरे ऊपर मर चुकी है मगर मैं कुछ कर नहीं सका।
मैं मन मार कर अपने बिस्तर पर लेट गया और मुझे लेटते ही नींद आ गई।
रात को करीब 1 बजे कुछ आवाज के कारण मेरी नींद खुल गई, उठने पर मैंने पाया कि आवाज बराबर वाले सीमा के कमरे में से आ रही थी। देर रात होने के कारण मैंने दरवाजा बजाना उचित नहीं समझा इसलिए मैंने खिड़की खोलने की कोशिश की, अभी खिड़की खुली ही थी कि मैं अंदर का नजारा देखकर हैरान रह गया।
अंदर सौम्या और तान्या नंगी लेटी हुई थी और एक एक-दूसरे के होंठों का रसपान कर रही थी। वो दोनों एक-दूसरे से ऐसी लिपटी हुई थी कि उनके चूचे एक दूसरे के चूचों को मसल रहे थे।
तभी सीमा सामने आई, उसके हाथ में दो डिल्डो (रबर का लंड) थे। सीमा ने उनमें से एक डिल्डो सौम्या की चूत के मुखद्वार पर रखा और एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा दिया। उस डिल्डो की लम्बाई थोड़ी कम थी शायद इसलिए पूरा एक ही बार में अंदर चला गया। तान्या भी अपने लिए लंड का इन्तजार कर रही थी मगर सीमा ने तान्या को डिल्डो नहीं दिया बल्कि दूसरा बड़ा डिल्डो भी सौम्या को पकड़ा दिया और खुद तान्या की चूत चाटने लगी जिसके कारण तान्या की चूत ने कुछ ही देर में पानी छोड़ दिया और सीमा तान्या की चूत के पानी को चाटने लगी।
जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि तान्या की चूत का पानी नमकीन होने की बजाए कुछ मीठा-मीठा सा लगता है शायद इसके कारण सीमा काफी देर तान्या की चूत चाटती रही। सौम्या भी बड़े लंड के कारण हल्की-हल्की आहें भर रही थी।
अंदर का ऐसा नजारा देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया, मैं अंदर जाकर इस चुदाई प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहता था मगर मैं नहीं गया और वहीं खड़े-खड़े मुठ मारने लगा। मैंने सोचा कि तान्या मेरी पत्नी है, मैं कभी भी उसको चोद सकता हूँ और सीमा भी पट चुकी है इसलिए मैंने अंदर जाना ठीक नहीं समझा।
सौम्या की आहों को सुनकर सीमा और तान्या का ध्यान सौम्या की तरफ गया और तान्या ने अपना मुंह सौम्या की चूत की तरफ बढ़ा दिया, सीमा सौम्या के नुकीले चूचों को चूसने लगी। सौम्या विदेश में रहने वाली भारतीय लड़की थी, उसका बदन एकदम दूध के समान गोरा और उजला था। तान्या और सीमा काफी देर तक सौम्या के बदन को चूसते रहे। इसके बाद शायद नंबर सीमा का था इसलिए अबकी बार सीमा लेट गई और फिर तान्या ने बड़ा वाला डिल्डो लिया और सीमा की चूत में अंदर-बाहर करने लगी मगर सीमा को ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ रहा था। शायद उसको ज्यादा मोटे लंड लेने की आदत थी और वैसे भी उस डिल्डो की लम्बाई ज्यादा नहीं थी।
मैं उनकी लेस्बियन सेक्स देखने में इतना खो गया कि मुझे कुछ याद ही नहीं रहा। पर एकाएक मुझे याद आया कि सुमना भी तो घर पर रुकी थी तो वो कहाँ है। एक बार तो मुझे लगा शायद सुमना को यह सब पसंद नहीं हो इसलिए वो यहाँ नहीं है, मगर वो भी इन सबकी सहेली है तो फिर?
सुमना को ढूंढने के लिए मैं अपने कमरे से बाहर निकला और हर कमरे में जाकर देखने लगा जो भी खुले हुए थे मगर मुझे सुमना कहीं भी नजर नहीं आई इसलिए मैं अपने कमरे में वापिस आ गया।
जब मैं अपने कमरे में वापिस आया तो अंदर से दरवाजा बंद था, मैंने दरवाजा खटकाया तो तान्या ने दरवाजा खोला। तान्या उस वक्त लाल रंग की नाइटी में थी, उसको देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया इसलिए मैंने तान्या को पकड़ लिया मगर वो बोली कि सीमा के जन्मदिन के जश्न के कारण वो काफी थकी हुई है इसलिए हम बाद में करेंगे।
मगर उसे नहीं पता था कि मैं जानता हूँ वो किस तरह का जश्न मना कर आ रही है। मैं खुश भी था और दुखी भी, दुखी इसलिए क्योंकि मेरी बीवी लेस्बियन भी थी और खुश इसलिए क्योंकि मैं जानता था मेरी बीवी का चक्कर और किसी मर्द के साथ नहीं हुआ होगा।
आप लोगो को मेरी कहानी कैसी लगी?
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