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अर्जुन ने मुझे कुतिया बनने को बोला. मैं उसके लंड को लेने के लिए झट से कुतिया बन गई. मैंने अपनी गांड हिलाते हुए उसके लंड को अपनी चूत में आने का इशारा किया।
उसने अपना मस्त लौड़ा एक बार में ही मेरी गीली चूत में घुसा दिया.
“आह्ह्ह्ह मेरे राजा … क्या लंड है तुम्हारा!” मेरे मुँह से निकलने लगा. मेरी ऐसी बातें अर्जुन को और गर्म कर रही थी- आह्ह्ह चोदो … अपनी चाहत की चूत को फाड़ दो! मेरे राजा … उम्म्म याह्ह्ह … चोदो आह्ह … और जोर से चोदो!
उसने अपनी चुदाई की रफ़्तार काफी बढ़ा दी मेरी चूचियाँ जोर जोर से हिलने लगी. इतने तेज़ झटके मुझे कभी नहीं मिले थे. मैं सातवें आसमान पे थी.
“आःह्ह माँआआआ …” मेरी मादक सिसकारियाँ सुन कर कोई बुड्ढा भी चोदना न छोड़े … ये तो एक मस्त पहलवान था जिसका लंड मेरी चूत को तार तार करने में लगा था.
“अह्ह्ह अर्जुन … मैं झड़ने वाली हूँ. अह्ह्ह्ह!” उसकी इतनी जबरदस्त चुदाई से मैं अपने चूत के लावा को संभाल नहीं पाई और पूरा चूत रस उसके मस्त लौड़े पे गिरा दिया.
वो मुझे अब भी चोदे जा रहा था. मैं संभल नहीं पाई व निढाल होकर गिर गयी।
अर्जुन पक्का खिलाड़ी था, उसे मेरी हालत का पूरा अंदाजा था. वो मेरे पीछे से स्पूनिंग पोजीशन में आ गया, उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे चूमने लगा.
धीरे धीरे उसके लंड की रगड़ से मेरी चूत तैयार होने लगी. मैं अर्जुन को अपनी गांड हिला कर इशारा करने लगी कि तुम्हारी चाहत की चूत तैयार है तुम्हारे लौड़े को मजा देने के लिए!
अर्जुन बेड से नीचे उतर गया और मुझे खींच कर मेरे पैरों को अपने कंधे पे रख लिया. बेड की हाईट इतनी मस्त थी कि उसका लंड पूरी सही जगह पे मेरे चूत को स्पर्श कर रहा था।
मैंने अपनी चूचियों को खींच कर अपने मुँह के पास लाकर चूसते हुए इशारा किया- चोदो मेरे राजा! अर्जुन ऊपर अपनी कातिल हंसी के साथ मेरी चूत को फाड़ देने वाले लंड को मेरी चूत के पूरी गहराई में उतार दिया.
‘उम्मह अह्ह्ह’ मेरी चूचियों ने झटका मारा. अब वो जैसे जैसे चुदाई की रफ़्तार बढ़ाता, मेरी चूचियाँ अपनी हिलने की रफ़्तार बढ़ा देती. ‘अह्ह्ह उम्म … आह्ह्ह’ मुझे बहुत मजा आ रहा था.
वो मेरी जांघों को पकड़ कर पूरा जोरदार झटका मेरी चूत में मार रहा था. हर झटका मेरी बच्चेदानी को छूकर जा रहा था. “आह्ह्ह अर्जुन … उह्ह माँ … आआआ हाआआ” मेरी गोल मस्त रसदार चूचियां हिल हिल कर उसके जोश को बढ़ावा दे रही थी.
“उम्म आह्ह्ह्ह … अर्जुन, मैं आने वाली हूँ. फिर से … आह्ह चोदो मुझे … और जोर से!” “अह्ह्ह्ह चाहत … मैं भी झड़ने वाला हूँ. आह्ह … एक जोरदार मादक चीख के साथ हम दोनों झड़ गए. अर्जुन ने अपना पूरा लंड रस मेरे चूत में डाल दिया. दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बगल में गिर गए.
अर्जुन ने लंड अभी भी बाहर नहीं निकला था. हम प्यार से एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे.
मैंने उससे पूछा- अर्जुन, कैसा लगा अपनी चाहत को चोद कर? अर्जुन ने अपने शांत होते लंड से एक झटका मारते हुए मुझे किस किया. मुझे जवाब मिल गया था कि वो मुझे ऐसे ही चोदता रहना चाहता है. मैंने मुस्कुरा कर उसके लबों को चूम लिया।
“तुम्हें कैसा लगा चाहत? क्या तुम्हारी चूत शांत हो गई?” अर्जुन ने मेरे चूचे सहलाते हुए पूछा. मैंने हंसकर कहा- मेरा यहाँ आना सफल हो गया. ऐसी चुदाई बहुत कम मिलती है. मुआह्ह! हम दोनों एक दूसरे को फिर से चूमने लगे।
रात के करीब दो बज चुके थे.
“अर्जुन, क्या ये तुम्हारा मस्त लंड अब मेरी चूत से बाहर रह सकता है?” मैंने कातिल मुस्कान के साथ कहा. “क्यूँ?” अर्जुन ने पूछा. “कल मेरा पेपर है और अगर ऐसे ही रात भर मुझे चोदते रहोगे तो कल एग्जाम में सोती रहूंगी.” और दोनों हंस पड़े।
फिर उसने अपना लंड निकाला, मैं बाथरूम जाने को मुड़ी ही थी कि उसने मुझे बांहों में उठा लिया. “आह्ह अर्जुन … क्या कर रहे हो?” “चाहत, कल का क्या प्रोग्राम है?” मैंने बताया- एग्जाम से आने के बाद मैं तुम्हारी! सारी रात मेरी ऐसी चुदाई करना कि मैं हमेशा याद रखूं. परसों भी रात 8 बजे तक मेरी चूत तुम्हारी गुलाम है. बस तुम्हारा लंड न थक जाये.
और दोनों हंस पड़े.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को साफ़ किया और रूम में बेड पे आ गए. उस रात सोने से पहले अर्जुन ने मेरी एक और बार दमदार चुदाई की. मैं थकान के मारे पूरी नींद में उसके बाद सो गयी।
“चाहत चाहत!” “हुम्म?” मैं नींद में थी. मेरे गांड की दरार में कुछ रगड़ खा रहा था.
फिर आवाज़ तेज़ होने लगी- चाहत चाहत उठो! “हाँ?” मैं अचानक से उठी- क्या हुआ अर्जुन? “कुछ नहीं मेरी जान … उठना नहीं है? तुम्हें जाना नहीं एग्जाम देने?”
“व्हाट … कितना टाइम हो गया?” मैं हड़बड़ा के पूछने लगी. अर्जुन ने प्यार से कहा- घबराओ नहीं, अभी टाइम है.
मैं फिर कुछ रिलैक्स हुई. मगर तभी मुझे याद आया कि कुछ रॉड सा मेरे गांड की दरार में था. मैंने नीचे देखा- हे भगवान अर्जुन … तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? उसके लंड को पकड़ के मैंने हिलाया- कितना कड़क है अर्जुन! और वो हंसने लगा- अब जहाँ तुम्हारी जैसी चूत की मल्लिका हो, वहाँ लंड कैसे शांत बैठ सकता है? “ह्म्म्म” मैंने बोला- लेकिन मेरे राजा, अभी मुझे एग्जाम के लिए जाना है. तो इसे तो तुम मेरे लौटने तक संभाल कर रखो. मैंने उसको तड़पाने के लिए उसके लंड के टोपे को चूस लिया- ह्म्म्म मुआह्ह।
चूत तो मेरी भी गीली होने लगी थी लेकिन एग्जाम भी जरूरी था। अर्जुन- बिलकुल चाहत, तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. मैं तुम्हें अभी ड्राप कर देता हूँ. मैंने हम्म में सर हिलाया.
फिर मैंने अपने काम रस से सने जिस्म को साफ़ किया और एग्जाम के लिए तैयार हो गयी।
तब तक अर्जुन भी तैयार होकर आ चुका था. वह मेरे लिए जूस और कुछ ब्रेकफास्ट लाया था. उसके रात भर की दमदार चुदाई के बाद मुझे इसकी पूरी जरूरत थी क्यूंकि उसकी चुदाई से मेरी जिस्म में दर्द आ गया था. हालांकि मैं पहली बार नहीं चुद रही थी लेकिन हां इतनी दमदार चुदाई पहली बार हो रही थी।
मैंने झट से ब्रेकफास्ट किया और अर्जुन ने मुझे सेण्टर तक ड्राप कर दिया. “शाम में मैं आऊँ लेने चाहत?” “नहीं अर्जुन, तुम्हारा जिम भी है. तुमसे मैं आकर मिलती हूँ. मैं आ जाऊँगी. शुक्रिया!” एक स्माइल के साथ मैंने उसे लिप किस दिया और एग्जाम के लिए चली गयी।
शाम को मैं करीब 6 बजे फ्री हुई. लेकिन अभी तक मेरे आँखों के सामने सिर्फ अर्जुन का लंड ही नजर आ रहा था. आलम तो ये था कि मेरा पेपर भी उतना अच्छा नहीं हुआ जितना होना चाहिए था. सिर्फ मुझे अर्जुन का लंड चाहिए था, ऐसा मुझपे उसके चुदाई का खुमार छाया था.
मैं जल्दी जल्दी वापस होटल को आने लगी. सोचा कि जल्दी जाकर फ्रेश होते ही अर्जुन के लंड को अपने चूत में ले लूंगी. उसकी गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
करीब 8 बजे मैं होटल पहुंची. ट्रैफिक के वजह से काफी टाइम लगा. मैंने रास्ते में ही सब स्नाक्स एंड लाइट डिनर कर लिया था ताकि चुदाई के वक्त मुझे भूख की तलब न लगे. मैं दिमाग से कम और अब चूत से ज्यादा सोच रही थी।
मैंने रिसेप्शन से चाभी ली और रूम का गेट खोलते ही थोड़ा शॉक हो गयी. एकदम ताजे गुलाब की खुशबू पूरे कमरे में फैली थी, पूरा रूम सजा हुआ था साफ़ सुथरा … और बेड पर एक योगा पैंट जो ज्यादा मोटा नहीं था, झीना कह सकते हैं लेकिन काला होने के चलते सायद सिर्फ मेरे उभार ज्यादा दीखते. और एक स्पोर्ट्स ब्रा भी बगल में ही पड़ी थी.
साथ में ऊपर एक चिठ्ठी रखी हुई थी. मैंने उसे तुरंत खोला. आखिर मैं भी देखना चाहती थी कि अर्जुन ने क्या प्लान किया है।
“मैम, मैं समीर … अर्जुन सर ने ये आपके कमरे में रखने को कहा है. आपकी स्पोर्ट्स ब्रा में एक और चिठ्ठी है. आप उसे देख लीजियेगा।”
मैंने उत्सुकता से झट से ब्रा को झाड़ा. उसमें से एक और चिट निकली. “चाहत तुमको ये मिला … इसका मतलब तुम रूम पे आ गयी हो. मेरी चूत की रानी, मेरे लंड का हाल बेहाल है, तुम जल्दी से ये ब्रा और योगा पैंट पहन कर ऊपर जिम में आ जाओ और नीचे कुछ नहीं पहनना, कोई पैंटी नहीं, कोई और सपोर्ट ब्रा नहीं! थोड़ी एक्सरसाइज हो जाये!”
और नीचे एक लंड की छोटी पिक बनी थी। मेरी चूत ने अब अपना बहाव तेज़ कर दिया. मैं झट से नहायी और उसके कहे अनुसार सिर्फ योगा पैंट और बिना ब्रा की स्पोर्ट्स ब्रा को पहना. ये स्पोर्ट्स ब्रा बाकी स्पोर्ट्स ब्रा की तरह नहीं थी, ये कुछ ज्यादा ही स्ट्रेचेबल था जिससे मेरी चूचियाँ चलने पे हिल रही थी. अर्जुन की इस खुराफाती दिमाग का सोच कर मैं काफी रोमांचित हो रही थी।
रात के करीब 10.30 हो चुके थे मुझे नहा धोकर अपने चूत की चुदाई के लिए तैयार होने में!
जिम लास्ट फ्लोर पे थी मेरे फ्लोर से 5 फ्लोर ऊपर! मैंने लिफ्ट का गेट खोला और उसमे बैठे स्टाफ से जिम के फ्लोर पे ले जाने को बोला. “ओके मैम!” उसने कहा- मैम मैं समीर! “हाय समीर!” मैंने उसको स्माइल दी. “मैम, आप बहुत अच्छी लग रही हो. अर्जुन सर इज टू लकी!” मैंने उसका इशारा अच्छे समझा, मैंने थैंक्स कहा और जिम वाले फ्लोर पे निकल गयी।
मेरे जिम में घुसते ही जैसे, मानो जिम का माहौल थोड़ा अलग हो गया हो. कितनों का ध्यान मेरे सख्त होते मम्मों पे आ टिका था. और ऐसा हो भी क्यों न … मुझे भी जिम के आइने में खुद को देख कर अपने आप पर गर्व महसूस होने लगा कि ‘उफ़ … मैं ऐसी हुस्न की मलिका हूँ!’
मेरी नजरें अब अर्जुन को खोज रही थी. ‘अर्जुन हाय’ मैं चिल्लाई. क्यूंकि जिम का म्यूजिक लाउड था. मैं जिम के बारे में आपको बता दूँ. जिम काफी बड़ा था और चारों तरफ ग्लास लगी थी और सामने की तरफ एक बड़ी बालकनी थी जहाँ से पूरा शहर दीखता था. ये तो हुई जिम की बात!
अर्जुन मेरे पास आया. वो मुझे इस ड्रेस में देख कर काफी उत्तेजित लग रहा था. लेकिन सिर्फ लंड से … चेहरे के भाव उसके काबू में थे. मैं समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों? मुझे लगा था वो मुझपे चढ़ बैठेगा।
“हाय चाहत … क्या लग रही हो! थोड़ा वार्मअप हो जाये!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा- चुदाई की वार्मअप? वो हंसा- हम्म … नहीं लेट्स डू दिस मूवमेंट!
सबकी नजर हमारी तरफ थी.
उसने एक मूव बताया और चिल्लाया- गाइज डू योर वर्कआउट! मैं पुसअप्स की पोजीशन में आ गयी लेकिन ये कुछ और था.
अर्जुन ने मेरी कमर को पकड़ा और गांड को उठाने को कहा. मेरी गांड की शेप देखकर उसके चेहरे के भाव गायब हो रहे थे. वो जानबूझ कर मुझे बताने का दिखा कर मेरे गांड से अपना लंड सटा देता। उसका मोटा लम्बा लंड काफी हार्ड लग रहा था. मेरी गांड की दरार से होते हुए उसकी आग मेरी चूत में जाने को बेताब हो रही थी।
अर्जुन मेरे जिस्म के उतार चढ़ाव से असहज हो रहा था. उसने मुझे लेट पुल मशीन पे चूचियों की कसरत के लिए कहा. मैं करने के लिए उस मशीन पे चली गयी।
अर्जुन मुझे छूने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहता था. वो मुझे बताने के बहाने मेरे चूचों को साइड से हल्का प्रेस करके बोलने लगा- अगर आप ये करोगी तो आपके साइड बूब्स फैट फ्री होंगे. मेरी चूत की हालत उसके छूने से ख़राब हो रही थी. मेरी चूत का पानी मेरे योगा पैंट से होकर मशीन के सीट पे गिरने लगा. सीट गीली हो गयी थी.
अर्जुन मेरे जिस्म की गर्मी को समझ रहा था. एसी में पसीना तो आयेगा नहीं! मेरा अब किसी भी हाल में लंड लेने का इरादा था. मैंने अर्जुन को बताया- अर्जुन, मैं बहुत गर्म हूँ, कुछ करो!
कहानी जारी रहेगी. [email protected] [email protected]
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