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अपने कहे अनुसार अब पूजा की कहानी पर आता हूँ।
हुआ यूँ कि मैं तो यह बात जान ही गया था कि पूजा चुदाई का मजा तो पूरा नहीं ले पाई है किन्तु लण्ड की हल्की तपिश तो पा ही चुकी थी और रेणुका आदतानुसार पूजा को मेरे साथ चुदाई की बात शायद बता ही चुकी हो।
एक दिन रेणुका चुदा कर जैसे ही गई पूजा इंगलिश के एक निबन्ध पर मुझसे विचार करने आ गई, पूजा जो कि एकदम से दुबली लड़की जैसे शरीर में उसके मांस हो ही नहीं, सिर्फ हड्डियों पर चमड़ा चढ़ गया हो, और चूची का तो कपड़े के ऊपर से पता ही नहीं चल रहा था कि हैं भी, चूतड़ न के बराबर दिख रहे थे, कोई फ़िगर का पता ही नहीं चल पा रहा था।
बस एकाएक मैंने उससे पूछ ही लिया- पूजा, तुम इतनी दुबली हो, क्या कारण है? उसने कहा- पता नहीं। तब मैंने कहा- बताऊँ यदि बुरा न मानो तो और जो पूछूँ सच बताना? वो बोली- पूछिए? मैंने कहा- अच्छा तुम यह जानती हो कि रेणुका मेरे पास इतनी रात रात तक क्या करती है? उसने शरमा कर मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।
मैंने पूछा- क्या तुम्हें रेणुका ने बताया? वो बोली- नहीं, पर मैंने अन्दाजा लगा लिया है।
‘अच्छा सच बताना पूजा, क्या तुम अपना स्वास्थ्य सुधारना चाहती हो? जो पढ़ाई में मन नहीं लगता, मन शांत नहीं रहता, हमेशा गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन यह सब दूर करना चाहती हो?’ उसने कहा- हाँ। ‘सबसे पहले तुम यह जान लो कि रेणुका से मैं सब जान चुका हूँ तुम्हारे बारे में और मेरे समझ में एक ही कारण आया है कि तुम किसी न किसी प्रकार से असन्तुष्ट हो, चूंकि सेक्स के बारे में भी तुम काफी कुछ जान चुकी हो, हो सकता है वही कमी तुम्हारे हार्मोंन्स को कम कर रही हो। अच्छा सच बताना, क्या सेक्स करने का मन करता है? और यदि हाँ तो तुम क्या करती हो जब मन करता है, खुल कर बताना, मैं पराया नहीं हूँ।’
पूजा ने कहा- हाँ, मेरा मन करता है पर मैं दबा जाती हूँ और मन में बहुत सारी बातें सोच कर समाज के डर से कभी किसी से कुछ करने की सोचती भी नहीं हूँ।
‘क्या तुम जानती हो कि इस तरह मन को सेक्स से परे हटाने से जबकि तुम्हें 50 फिसदी से ज्यादा भी सेक्स के बारे में पता हो तो हटाना कई बिमारियाँ पैदा करता है? हाँ, यदि सेक्स के बारे में जानती पर लण्ड की गर्मी खुद की बुर पर महसूस नहीं करती तो शायद तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होती पर अब मेरे हिसाब से एक ही इलाज है चुदवाना। क्या तुम मुझसे चुदवाना चाहोगी?’
उसने कहा- कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, थोड़ी दिक्कत हो सकती है, थोड़ा सा दर्द होगा थोड़ा सा खून भी गिरेगा पर बाद में मजे लेकर खुद चूतड़ उछाल उछाल कर तुम्हारी बुर लण्ड गटक जाएगी, बस तुम्हें एक बार हिम्मत दिखानी है, बोलो तैयार हो?
बहुत देर सोचने के बाद पूजा ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाया और तब मैं आगे बढ़ने लगा।
सबसे पहले मैंने पूजा से पूछा- चुदाई को लेकर उसके मन में क्या है, कैसे वो चुदवाना चाहती है।
और कहा- लण्ड और बुर का नाम बिना शर्माए ले, और अपने मन की भावनाएँ खुल कर बिना हिचके चुदाई के दौरान या चुदाई के पहले और बाद बताए। वो तैयार थी।
अब मैं एक एक कर उसको पूरा नंगा कर प्रकाश में उसके अंग देखने लगा। वो काफी शरमा रही थी।
मैंने कहा- पहले अपनी शर्म एकदम खत्म कर दो, तभी अच्छी चुदाई का मजा पाओगी, नहीं तो चुदवाओगी भी और मजा भी न पा सकोगी।
वो वाकई में समझदार थी। शर्म छोड़ कर अब पूरी तरह तैयार थी। मैं समझ गया कि सच यह अपना सारा दुख मिटाना चाहती है।
उसकी चूची छोटे अमरूद जैसी थी जो कि काफी सख्त थी और निप्पल तो आम की ढेपनी जैसे छोटे से थे, पूरा शरीर दुबला पतला, सफेद सी सुन्दर बुर पर काले किन्तु हल्के से बाल थे, बुर सुखी हुई सी एकदम चिपटी 1/2 इन्च छोटी, और उसके बुर में छेद जैसे था ही नहीं, पर बुर के ऊपर का लहसुन लाल, बुर के होंठ हल्के साँवले।
मैंने जैसे ही उसकी चूची मसलनी चाही, उसने मुझे मना कर दिया कहा- चोद भले लीजिए पर मैं अपनी चूची मसलवा कर बड़ी नहीं करना चाहती।
मैं तुरन्त उसकी बात मान गया और फिर उसकी चूची को मुँह में भर लिया और उसे समझा भी दिया कि इससे तुम्हें मजा भी मिलेगा और चूची भी नहीं बढ़ेगी।
बहुत देर तक चुभलाने के बाद मैंने उसे कहा- एक काम कर पूजा, जा बाथरूम में और अपनी बुर को डिटाल साबुन से धो ले। हाँ, बुर के छेद में जहाँ तक तुम्हारी अँगुली घुस जाए साबुन लगा कर खूब बढ़िया से साफ कर ले।
उसने वैसा ही किया, फिर मैं भी जाकर अपना लण्ड अच्छे से साफ कर आया।
अब मैंने अपना लण्ड पूजा के हाथ में देकर कहा- लो इसे अपने मुख में डाल लो और इसका स्वाद चखो!
वो पहली बार लण्ड को मुख में ले रही थी इस लिए उसे खराब लग रहा था, पहले सिर्फ जीभ से थोड़ा चाटा और उकलाने लगी, मैंने कहा- मन पक्का कर ले पूजा और समझ ले कि कोई टाफी या आइस क्रीम चूस रही हूँ।
वो बोली- यह जरूरी है क्या?
मैंने कहा- हाँ, यदि निखार लाना है तो इसमें से निकलने वाला नमकीन पानी पी लेना चाहिए तुम्हें।
अब सच वो एक समझदार की तरह काम कर रही थी, मुझे बहुत खुशी हो रही थी, वो पहले तो मेरा लण्ड देखकर घबरा गई थी किन्तु समझाने के बाद उसका डर दूर हो गया था थोड़ी देर उकलाती, उबटाती, हल्का स्वाद लेती अब वो मजे से मेरा लाल सुपाड़ा मुख में रखकर चुभला चुभला कर पीने लगी थी और उसमें से निकलने वाला गरम पानी गटक जाती थी।
अब नम्बर मेरा था कि उसकी सुखी बुर को रस युक्त बनाऊँ, मैं भी अपना लण्ड उसके मुख में पीता छोड़ उसकी चूची पीते हुए उसकी बुर के ऊपर उसकी झाँटों को दाँतों से किटकिटाते हुए अपनी जीभ से उसके बुर के लाल लहसुन को चाटने लगा और बीच बीच में बुर के दोनों होंठों को भी मुख में भर कर पी लेता था। धीरे धीरे पूजा की बुर जवान हो रही थी और कुछ फूल रही थी। मेरा भी 8 इन्ची लण्ड और उसका लाल सुपाड़ा पूजा के मुख में हल्का हल्का अन्दर बाहर होकर अपना नमकीन लस्सेदार थोड़ा अलग स्वाद का पानी पूजा को मस्त कर रहा था, वो पानी जो कि लसलसा था, पूजा पूरा गटक जा रही थी।
मैं पूजा के बुर की छेद को अपने होठों से दबाकर चुभक चुभक कर पीने लगा और अब पूजा की सुखी बुर सूखी न रही, उसमें से भी हल्का नमकीन और हल्का सा खट्टा पानी का स्वाद मैं भी पा रहा था। कुछ देर ऐसे ही पीने के बाद मैं अपनी जीभ पूजा के बुर के छेद में डाल कर अन्दर का स्वाद चखने लगा और पूजा अनायास ही अपना कमर हिला कर अपनी बुर मुझे मस्ती में पिलाने लगी। मेरी जीभ पूजा के बुर में अन्दर बाहर हो रही थी और मैं अपनी जीभ पूजा की बुर में घुमा घुमा कर चाट रहा था और हाथ पूजा के मुलायम झाँटों से खेल रहे थे।
बहुत देर तक यूं ही चलता रहा और फिर हम अलग हुए मैंने देखा पूजा की बुर नशे के कारण फूल कर कुप्पा हो रही थी, मेरा लण्ड भी फुंफकार मार रहा था और अब मैं पूजा के पूरे शरीर पर चुम्बन ले रहा था कभी कमर चूम रहा था, कभी चूची पी लेता, कभी उसकी झांटें चूम लेता और कभी उसका लाल लहसुन जीभ से मसल देता। ऐसा करने से पूजा सिसकारियाँ भर रही थी और वो भी मेरा लण्ड अपने मुख से निकाल कर कभी लाल सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट लेती, कभी अपनी जीभ से पूरे लण्ड को जड़ तक चाटती कभी कभी मेरी भी झाँटों को अपने दाँतों से किटकिटा देती और कभी कभी मेरे दोनों अण्डों को चाटने लगती, और फिर सुपाड़े के छेद से वो निकलने वाला लसलसा पानी चाट कर निगल जाती।
पहली बार किसी लड़की ने मुझे इतना मजा दिया था, मैंने कहा- पूजा मजा मिल रहा है।
वो बोली- बता नहीं सकती, इतना मजा आ रहा है।
मैंने कहा- पूजा एक बात कहूं, बड़ी नसीब वाली हो, मैं सबकी बुर नहीं पीता, अब सोच लो तुम कैसी हो।
वो हंसी और बोली- तब तो मैं आज धन्य हुई और आपने पहली ही बार मेरी बुर ऐसा चूसा कि अब आपके बगैर मैं रह ही नहीं सकती। और फिर मेरे एक अण्डे पर जीभ चलाने लगी।
मैं फिर से पूजा की बुर पीने लगा। वाकई गजब का स्वाद था पूजा की अनचुदी बुर का। बुर और लण्ड दोनों एकदम गीले हो चुके थे, अब मैं पूजा की बुर में अपनी एक अँगुली भी थोड़ा थोड़ा करके डालने लगा था, फिर मैं ढेर सारा वैसलीन पूजा की बुर के आसपास और उसकी बुर के छेद के अन्दर भर दिया और अपने लण्ड और सुपाड़े पर खूब सारा लगा डाला और पूजा को सीधा लिटा कर अपना सुपाड़ा उसके छेद पर लगा कर देखने लगा पर मेरे सुपाड़े के सामने 1/2 इन्च का छेद समझ में नहीं आ रहा था कैसे घुसाऊँ?
पर पूजा ने मेरी मुश्किल खत्म कर दी, कहा- चिन्ता मत करिए, आप सोच रहे हैं मुझे दर्द होगा और चिल्लाऊँगी, मैं वादा करती हूँ जब तक जान है, चूं भी न करूँगी।
मुझे हिम्मत मिली और मैं अन्दाज बस उसके छेद पर रख कर हल्के से दबाव देने लगा। पूजा अकड़ने लगी और सुपाड़ा धीरे धीरे पूजा के बुर में आगे बढ़ चला, किसी तरह से सुपाड़ा बुर के अन्दर चला गया, पूजा पसीने से लथपथ हो गई पर वादे के मुताबिक आवाज नहीं निकाली, आँख से आँसू छ्लक गये।
मैं पूजा की तकलीफ भी नहीं देख पा रहा था, बोला- पूजा, निकाल लूँ? उसने कहा- नहीं, यह दर्द एक न एक दिन तो झेलना ही है, तो आज ही सही। मैंने सोचा- वाह री लड़की! सिर्फ मेरे लिए, मेरी खुशी के लिए इतना बलिदान!
मैं उसी पोजीशन में सिर्फ सुपाड़े को ही आगे पीछे करीब 5 मिनट तक करता रहा। अब पूजा कि बुर थोड़ी ढीली हो चुकी थी और मैंने थोड़ा सा और दबाव लण्ड पर बनाया और लण्ड 1/2 इन्च और आगे बुर में खिसक गया।
पूजा छ्टपटा उठी, पर इस बार भी मुख से आवाज न आने दी। मैं फिर उसी तरह कुछ देर रुक कर उतना ही घुसा लण्ड आगे पीछे कर जगह बनाने लगा। जब फिर बुर थोड़ी ढीली हुई तो और थोड़ा सा धक्का दिया और अबकी बार एकाएक लण्ड से बुर के अन्दर चुभ्भ से कुछ फूटा और पूजा के मुख से हल्की सी चीख निकल ही गई और बुर से लाल गन्दा पानी आ गया.
मैं समझ गया कि पूजा की झिल्ली थी जो फट गई और लन्ड भी 4 इन्च अन्दर हो चुका था, मैं उसी पर आगे-पीछे करने लगा और कपड़ा लेकर पूजा की बुर भी साफ करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा ने कहा- मेरी बुर में चुनचुनाहट सी हो रही है।
मैं जान गया कि पूजाअब मजा पायेगी, और मैंने लण्ड पर फिर दबाव बढ़ा दिया, अब लण्ड 2 इन्च और अन्दर गया। ऐसा लग रहा था जैसे साँप बिल्ली निगल रहा हो, पूजा काफी बहादुरी के साथ पीड़ा सह रही थी। थोड़ी देर बाद पूजा ने हल्के से चूतड़ उठाए, मैंने उसी समय लण्ड पर और दबाव बना दिया और बचा हुआ लण्ड घच्च से उसकी बुर में समा गया। अब उसकी दबी दबी चीख निकल ही पड़ी, और कहने लगी- निकाल लीजिए ऐसे लग रहा है जैसे चाकू से किसी ने अन्दर छील दिया हो, बहुत जलन सी हो रही है।
मैंने कहा- अब चिन्ता मत करो पूजा, अब तो पूरा लण्ड तुम्हारी बुर में जा चुका है। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो चौंक सी गई और बोली- सच? मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि इतना मोटा और लम्बा लण्ड मैं निगल गई, मुझे देखना है।
मैंने भी उसे अपने हाथों से उठा कर अपने लण्ड पर बैठा लिया और उसने नीचे झाँक कर देखा तो काफी खुश हुई और बोली- आखिर मैं अपनी खुशी पा ही गई।
फिर मैंने कहा- पूजा, अब दो तीन दिन तक जब मैं तुम्हें चोदूँगा तो तुम्हें जलन सी होगी पर फिर गजब का मजा आएगा।
वो बोली- अरे, अब चाहे जो हो चोदिए!
वो काफी खुश थी और मैंने धीरे से लण्ड ऊपर खींचा और फिर धीरे धीरे ही अन्दर ले गय। ऐसा कई बार किया कुछ देर बाद ही पूजा की बुर ढीली होने लगी और जैसे जैसे पूजा की बुर ढीली हो रही थी, मेरे झटके भी तेज हो रहे थे पर जब भी लण्ड अपनी स्पीड में अन्दर जाता, पूजा सिकुड़ जाती। कुछ देर बाद ही पूजा चूतड़ हिला हिला कर लण्ड निगलने लगी और बड़बड़ाने लगी- आह जान! चोदो! कितना मजा है चुदाई में आज पता चला। मेरी छोटी सी बुर कितना मोटा लौड़ा निगल गई, चोदो आह…स…स…स… स…मजा आ र…अ… आ…ह मजा आ… र…हा है।
और मैंने अब झटके तेज कर दिए और बुर फक फक पुक सक सक फक फक की आवाज के साथ चुद रही थी और मैं भी काफी उत्तेजित होकर कह रहा था- आह पूजा ऊँ…ऊँ…आज चोदने का जो तुमने मुझे मजा दिया है कभी नहीं पाया था। स… सी… सी… आह्ह… आह… पूजा गजब!
और लण्ड बुर की चारों तरफ की दीवारों पर रगड़ करते हुए सुक सुक गच गच सुक सुक हच ह्च करते हुए मस्ती में नई बुर का आनन्द ले रहा था। और पूजा की बुर भी इतने अच्छे लन्ड का स्वाद ले रही थी, पूजा अपने पूरे जोश में थी और खुद ही अपना चुतड़ झकझोड़ रही थी।
अब मैं जल्दी से पूजा की बुर में लण्ड डाले ही डाले उलट कर नीचे हो गया और पूजा ऊपर और अब पूजा मुझे चोद रही थी और इतनी तेजी से लन्ड पर कूद रही थी मानो लन्ड के साथ साथ मेरे गोलों को भी बुर में घुसा लेगी और काफी हलचल मुख से मचा रही थी। आह…स…स… स…स…मअम… अ…म…म… म्म्म्म…म्म… की आवाज भी निकाल रही थी, और मैं उसकी चूची चुभला चुभला कर पी रहा था.
पूजा अब इतनी ज्यादा स्पीड बढ़ा चुकी थी मानों मेरा लण्ड ही तोड़ कर रख देगी और फिर बोली- अरे… ऽआह यह क्या हो रहा है… मैं स्स्स्स… जब तक वो समझ पाती तब तक झड़ गई और मैं भी रूक नहीं पा रहा था। तुरन्त ही लन्ड बुर से बाहर खींचा और बारी बारी पूजा की दोनों चूचियों पर अपना सफेद पानी उलट दिया।
उसके बाद रेणुका और पूजा को रोज चोदता रहा, लेकिन सच मेरा जीवन धन्य हो गया जो पूजा को चोदने का अवसर मिला।
और पूजा कहती है- मैं भी धन्य हुई जो आपने मुझे जीवन का असली सुख दिया। उसके बाद पूजा की खूबसूरती में और निखार आ गया और वो तन्दरूस्त भी हो गई।
और एक दिन चिन्ता युक्त होकर पूजा ने कहा- मेरी बुर की झिल्ली फट जाने से कहीं शादी के बाद पति से नजरतो नहीं चुरानी पड़ेगी? मैंने उसे समझाया- पूजा, मैं सेक्सोलाजी का ज्ञाता हूँ, आज कल झिल्ली साइकिल चलाने से, खेलने से, दौड़ने से, कई तरह से फट ही जाती है और हाँ ऐसा कभी मत करना कि मान लो मैं न रहूँ या तुम कहीं और चली जाओ तो किसी से भी चुदवा लो, मैं बहुत सम्भाल कर चोदता हूँ तुम्हारी बुर, सब ऐसा नहीं करते। मजा लिया एक तरफ़ हुए। कितना भी मन करे, हाथ से काम भले ही चला लेना पर और किसी से रिश्ता मत बनाना। इससे दो फ़ायदे होंगे, तुम्हें कभी कोई तुम्हें गलत नहीं समझेगा और बदनाम भी नहीं होगी। और रही बात पति कि तो शादी के पहले करीब 3-4 महीने पहले से ही सेक्स मत करना, फिर बुर टाइट हो जाएगी।
पूजा मेरी बात से सन्तुष्ट थी क्योंकि वो भी यही सब किसी पत्रिका में पढ़ चुकी थी। [email protected]
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