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प्रेषक : दीपक चौधरी
आप सभी लोगों को खड़े लण्ड से प्रणाम।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी यौन-क्रीड़ा के बारे में आपको बताना चाहिए, जिसे पढ़ते हुए लड़के मुठ मारने लगेंगे और लड़कियों, भाभियों और आन्टियों को लण्ड की प्यास लग जाएगी।
पहले मैं अपना परिचय देना चाहूँगा मैं इन्जीनियरिंग कॉलेज के दूसरे साल का छात्र हूँ।
कहते हैं चूत और भूत कहीं भी मिल सकते हैं ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ।
मेरी कक्षा में एक लड़की है स्वाति ! उसके बारे में क्या कहूँ, वो बहुत मस्त थी, उस समय उसका फिगर 32-28-34 था। और सबसे कमाल तो उसकी गांड थी जिसे देखकर एक बार इन्द्र का भी मन डोल जाए। मैं हॉस्टल में था। शुरू में स्वाति मेरे दोस्त शुभम से बात करती थी, वो दोनों अकसर फ़ेसबुक पर चैट करते रहते थे। इस बहाने कभी कभी मैं भी उससे चैट कर लिया करता था। उससे चैट करते समय मुझे ऐसा लगता था कि वो मुझसे चुद सकती है क्योंकि शुभम एक दुबला पतला सा लड़का था और अकसर नशे में ही रहता था उसने उसे एक साल में कभी भी नहीं चोदा था, और स्वाति ! वो तो एक नंबर की चुदक्कड रांड थी।
अब हमारा दूसरा साल चालू हो गया था, मैंने और शुभम ने एक ही कमरा ले रखा था, वो अकसर कमरे पर आया जाया करती थी। एक दिन जब में नहा रहा था, तब उसने मेरा लौड़ा देख लिया था।
सर्दियों के दिन थे, शुभम घर पर गया हुआ था, स्वाति का मेरे पास फोन आया- तुम मुझे शॉपिंग करवा सकते हो क्या/
और मैंने हाँ कह दिया।
मैं उसे लेने उसके कमरे पर गया। बाईक पर बैठते ही जब उसने अपना हाथ मेरे छुआ, तो मेरा लण्ड सलामी दे उठा, मैं मन ही मन में उसे चोदना चाहता था। जब पूरी शॉपिंग खत्म हो गई तो मैं उसे अपने कमरे पर ले गया।
कुछ देर बाद मेरा फिल्म देखने का मन हुआ तो मैं स्वाति को भी जबरदस्ती ले गया।
9 से 12 वाला रात का शो था, फिल्म थी haunted 3D फिल्म देख कर स्वाति सहम गई, वो थोड़ी डरी-डरी सी थी और ऊपर से जबरदस्त बरसात हो रही थी। तो मैं उसे अपने कमरे पर ले गया, बरसात में उसके कपड़े बिल्कुल भीग गया था। उसके निप्पल साफ उभरे हुए नजर आ रहे थे।
उसने कपड़े बदले और हम ऐसे ही बातें करते करते सो गए।
पर नींद तो मेरी आँखो से कोसों दूर थी, मुझे तो बस उसकी गांड ही नजर आ रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी गांड पर हाथ फेरना चालू किया पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। मैं धीरे धीरे अपना हाथ आगे ले गया और
उसकी चूत को सहलाना चालू कर दिया। एक हाथ से मैं उसके बोबे भी मसलता जा रहा था। उसने भी मेरे हाथ को अपनी दोनों टांगों में भींच लिया और एक हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया।
मुझे भी अब लग गया था कि वो नींद में होने का सिर्फ़ बहाना कर रही है। मैंने बेफिकर होकर उसके कपड़े खोलने शुरू कर दिये, 2 मिनट में ही मैंने उसे नंगा कर दिया, वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
मैंने उसे चूमना चालू कर दिया, वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैंने उसकी चूत, जो पहले से ही थोड़ी गीली हो गई थी, में अपना लौड़ा डाल दिया।
करीब आधे घंटे तक मैंने उसे चोदा। सुबह मैं उसे उसके कमरे पर छोड़ कर आ गया।
कैसे मैंने उसकी गांड मारी, यह अगली कहानी में !
तो दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी आपबीती?
अपने सुझाव जरूर भेजें।
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