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लेखिका : शालिनी
मैं और पूजा क्रिसमस के दिन घर पर ही थे। पूजा ने एक छोटी सी पार्टी का इंतज़ाम किया था इसलिए शाम को हम दोनों कुछ खरीदारी करने बाजार गए। उसने पाँच दोस्तों को बुलाया था जिनमें दो लड़कियाँ और तीन लड़के थे। हम सब लोग खाने पीने के साथ लगभग हर विषय पर बातें कर रहे थे जिसमें सैक्स भी शामिल था।
बातें करते हुए मैंने जब एक लड़के और लड़की को आपस में छेड़खानी करते हुए देखा तो मुझे लगा कि वातावरण काफी गर्म हो चुका है। मुझे भी अपनी टांगों के बीच में गरमी लगने लगी।
पूजा मेरी हालत समझ गई और उसने मुझे बाहर बरामदे में चलने को कहा। उसने मुझे चूमते हुए मेरे कूल्हों को सहलाया और कहा,”शालिनी, बस कुछ देर और प्रतीक्षा कर ले यार ! असली पार्टी तो अभी बाकी है।”
कुछ देर के बाद जब सब लोग चले गए तो पूजा दरवाज़ा बंद करके मेरी कमर में अपनी बाहें डाल कर मुझे बेडरूम की ओर खींचने लगी। मैं तो पहले से ही बहुत गर्म थी, बस मैंने पूजा को जोर से गले लगाया और उसके होठों को चूसने लगी। पूजा मुझे पलंग पर धक्का देकर मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे दोनो मम्मे जोर जोर से दबाते हुए मेरे होठों को चूसने लगी और अपनी चूत को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
थोड़ी देर के बाद हमने पलटी खाई और अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसको धक्के मारने लगी।
तभी पूजा ने कहा कि उसने अपने एक सहकर्मी लड़के को आमंत्रित किया है और वो रात भर हमारे ही साथ रहेगा।
हमने जल्दी से घर की कुछ साफ़ सफाई की और सुगंधित स्प्रे कर दी। रात को साढ़े गयारह बजे पूजा के मोबाईल की घण्टी बजी। उसने नाम देखा और दरवाज़ा खोलने गई, तब समीर अंदर आया।
पूजा ने मुझसे उसका परिचय करवाया, वह लगभग 30 साल का एक गबरू जवान था। उसके हाथ में खाने के कुछ पैकेट थे जो मैंने उससे लेकर रसोईघर में रख दिए। हम तीनों बैठक में बैठ कर बातें करने लगे। तभी पूजा उठ कर अंदर गई और वोदका की एक बोतल निकाल कर लाई। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि पहले की पार्टी में जब सबका और पीने का दिल था तो उसने इस बोतल को क्यूँ नहीं निकाला।
खैर पूजा ने हम सबके लिये पैग बनाये और कहने लगी- हम तीनों रात भर मज़ा करेंगे इसलिए कोई भी किसी प्रकार की कैसी भी जल्दी ना करे।
फिर उसने सिर्फ एक छोटी लाइट जलती छोड़ कर बाकी सब लाइटें बंद कर दीं। थोड़ी देर के बाद पूजा समीर की गोद में बैठ कर उसको चूमने लगी। समीर भी उसको चूमने चाटने में लगा रहा फिर उसने मेरी ओर देखा तब पूजा के हटने के बाद मैं भी उठ कर उसकी गोद में जा बैठी ओर उसको चूमने लगी। चूँकि मैं तो पहले से ही बहुत गर्म थी और चुदना चाहती थी इसलिए समीर को चाटते हुए मैंने अपनी गांड को जोर से दबाया ताकि वो समझ जाए और जब समीर ने मेरी गांड सहलाई तो मैं समझ गई कि उसको पता चल गया है। अब चूँकि समीर को पूजा ने बुलाया था इसलिए उसके लंड पर पहला हक़ पूजा का था।
कुछ देर बाद पूजा ने मुझसे खड़े होने को कहा और मेरी जींस उतारने लगी। उसको ऐसा करते देखकर समीर ने पूछा कि क्या वह मेरे कपड़े उतार सकता है और हँसते हुए मैंने कहा, “बिल्कुल क्यों नहीं !”
फिर समीर ने बारी बारी हम दोनों की जींस उतारी ओर फिर हमें चूमते चाटते हुए हमारी टी-शर्ट भी उतार दी।
पूजा ने समीर की पैंट और अंडरवीयर उतार दिए तो मैंने देखा उसका लंड पूरी तरह तना हुआ था। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतारी और उसकी बनियान उतारते हुए उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी।
समीर ने पूजा को हीटर चला देने को कहा क्योंकि सर्दी भी काफी थी। हम तीनों अपना अपना पैग पी रहे थे और एक दूसरे को चूमा-चाटी करते हुए छेड़खानी कर रहे थे। समीर ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे मम्मों को चूमने और चूसने लगा। समीर के कहने पर पूजा ने मेरी पैंटी उतार दी और मेरी पीठ को चाटने लगी। थोड़ी देर के बाद उसने पूजा की ब्रा उतारी और अब उसके मम्मों से खेलने लगा।
तब मैंने भी पूजा की पैंटी उतार दी और उसकी गाण्ड को सहलाते हुए उसकी पीठ चाटने लगी। वातावरण बहुत गरम हो चुका था। फिर समीर ने पूजा को अपनी बाँहों में उठा कर उसको नीचे कालीन पर लिटाया और उसके ऊपर लेट कर उसके होठों को चूसने लगा। तब मैंने भी समीर की गर्दन और पीठ को चाटना चूमना शुरू कर दिया।
तभी समीर हल्का सा उठा और इससे पहले मैं कुछ समझती पूजा की जोर से चीख निकली और मैंने देखा कि समीर का लंड एक ही झटके में जड़ तक पूजा की चूत में घुस चुका था।
कुछ पल तक समीर ऐसे ही लेटा रहा, फिर उसने धीरे धीरे पूजा को चोदना शुरू कर दिया। पाँच मिनट भी नहीं हुए थे, मैंने देखा कि समीर ने एक जोरदार झटका दिया और पूजा के ऊपर निढाल हो कर गिर पड़ा।
मैं समझ गई कि वो झड़ चुका है। थोड़ी देर का बाद उसने अपना ढीला होता हुआ लंड पूजा की चूत से बाहर निकाला और बाथरूम में चला गया।मैंने पूजा को कहा- तेरी चूत ने तो समीर के लंड का स्वाद चख लिया परंतु मेरी चूत प्यासी रह गई।
इस पर पूजा ने कहा- चिंता मत कर। अभी समीर तेरी चूत की प्यास भी बुझा देगा। रात भर हमने चुदाई ही तो करनी है।
फिर हम लोग दोबारा खाने-पीने लगे। थोड़ी देर के बाद समीर ने मुझे अपनी ओर खींचा और हम दोनों चूमा चाटी करने लगे।
पूजा ने समीर के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। तभी मैंने समीर का लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने और चाटने लगी। उसका लंड मेरे मुंह में ही खड़ा होने लगा। मैं बहुत देर तक उसके लंड को चूसती रही और बीच बीच में अपनी जीभ उसके लंड के सिरे पर घुमाती रही। अब उसका लंड मेरी थूक और उसके वीर्य की बूँद से चमक रहा था।
फिर समीर ने मुझे भी नीचे कालीन पर लिटाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत के आसपास चाटने लगा।
मैं बहुत जोर जोर से कराह कर रही थी,”ओह्ह्ह समीर!!!! ओह्ह्ह समीर!!!! छोड़ दो मुझे!!!!”
परंतु समीर ने मेरी टांगें अपने पूरे जोर से खोली हुईं थीं और अब वो मेरी चूत को भी चाट रहा था। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ, तभी मैं जोर से चिल्लाई, “चोदो मुझे!!!! अपना लंड मेरी चूत में डाल दो!!!! चोदो मुझे समीर!!!! जोर से चोदो मुझे!!!!”
तब उसने अपने लंड के सिरे को मेरी चूत पर रगड़ रगड़ कर मुझे छेड़ना शुरू कर दिया। फिर उसने अपना लंड का सिरा मेरी गीली चूत में डाला और कुछ सेकंड में दूसरे धक्के में पूरा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैंने अपनी टांगें उसके ऊपर लपेट लीं और उसको जोर से चोदने को कहा। समीर ने मुझे चोदना शुरू किया और मैं उसके चेहरे और होठों को चूम और चाट रही थी। हम दोनों बहुत जोर जोर से हुंकार रहे थे।
कुछ देर के बाद मैंने समीर को नीचे आने को कहा और अब मैं उसके लंड पर सवार थी। पूजा जो कि हम दोनों को चुदाई करते हुए देख रही थी, अब हमारे साथ आ गई और मेरी पीठ से लेकर मेरी गांड तक मुझे चाटने लगी।
कुछ देर तक समीर के लंड पर उछलने के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाली हूँ तभी मैंने पूजा को अपनी ओर खींचा और उसके होठों को अपने होठों में दबा कर जोर जोर से चूसने लगी और अपने उछलने की गति बढ़ाते हुए झड़ने लगी।
कुछ ही सेकंड के बाद समीर भी झड़ गया और उसके गरम गरम वीर्य का फव्वारा मेरी चूत को ठंडक दे रहा था। जब मुझे लगा कि उसका सिकुड़ा हुआ लंड मेरी चूत से बाहर आ गया है तो मैं भी उसके ऊपर से उतर गई और उसके साथ ही लेट गई। पूजा भी मेरे साथ ही लेटी हुई थी और तब उसने मेरे गाल को चाटते हुए पूछा,”मज़ा आया क्या?”
मैंने कहा,”हाँ, एक बार तो झड़ ही गई हूँ !” यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
कोई एक घंटा ऐसे ही लेटे रहने के बाद हम लोग उठे और फ्रेश होने के बाद अपने अपने अंतवस्त्र पहन कर सोफे पर बैठ गए। समीर ने सब के लिए पैग बनाया और हम लोग बातें करते हुए फिर से खाने-पीने लगे।
थोड़ी देर बाद पूजा ने मुझे बेडरूम में बुलाया और पूछा,”और चुदाई का मूड है क्या?”
मैंने कहा,”नहीं अभी तो नहीं है पर बाद में मूड बन भी सकता है।”
तब पूजा बोली,”तो चल तू बहाने से उसके हाथ पकड़ना और मैं उसका अंडरवीयर उतारती हूँ फिर उसके लंड से खेलते हैं।”
फिर बाहर आकर मैं समीर के पीछे खड़े होकर उसको चूमने लगी और उसकी बाँहों को पीछे मोड़ कर अपने मोम्मों पर रख कर दबाने लगी। तभी पूजा ने उसके सामने खड़े होकर उसका अंडरवीयर उतारना शुरू कर दिया।
समीर ने बहुत कहा कि थोड़ी देर ठहर जाएं परंतु हम दोनों ने उसकी एक ना सुनी और उसको कालीन पर लिटा लिया और उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया। कभी मैं अपने मोम्मे उसके लंड पर रगड़ती तो कभी पूजा। अगर पूजा के मुँह में समीर का लंड होता तो उसके टट्टे मेरे मुँह में होते।
कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो कर तन गया और हम दोनों ने उसके लंड को चूस चूस कर ही उसका वीर्य निकाल दिया। जैसे ही उसके वीर्य का फव्वारा निकला, पूजा ने उसके लंड का रूख हम दोनों के मोम्मों की ओर कर दिया और तब तक उसके लंड को हिलाती रही जब तक समीर के लंड से वीर्य की आखिरी बूँद नहीं निकल गई। कुछ देर बाद हम सब बारी बारी नहाए और अपने कपड़े पहन कर सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि सुबह के चार बज रहे थे।
जब मैं बिस्तर ठीक कर रही थी तो समीर ने मुझे कहा कि उसका दिल एक बार फिर चुदाई का कर रहा है।
मैं तो हैरान हो गई कि तीन बार झड़ने के बाद फिर से उसका लंड तैयार था।
मैंने पूजा से पूछा तो वो पहले से ही तैयार थी। तब समीर हम दोनों को बारी बारी बैडरूम में लेकर आया। उसने ही हम दोनों के भी कपड़े उतारे और हम दोनों को बिस्तर पर लिटा कर हमारे ऊपर लेट गया। बहुत देर तक हम तीनों आपस में चूमते चाटते रहे तब समीर ने हम दोनों को बैड के एक तरफ झुक कर खड़े होने को कहा। अब हम दोनों ने अपनी अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया जैसे समीर को गांड मारने का न्योता दे रहीं हों।
फिर समीर पूजा के पीछे आया और उसने उसकी टांगों को खोल कर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और दनादन उसको चोदने लगा। साथ ही साथ हम दोनों की गांड पर चपत मारने लगा। थोड़ी देर में उसने मुझे पूजा के नीचे आकर उसके होठों को चूसने को कहा। मुझे ऐसा लगा कि अब समीर पूजा की गांड मारेगा और उसकी चीखने की आवाज़ ना आये इसलिए मुझे ऐसा करने को कह रहा है।
पूजा ने भी अपनी टांग उठाकर मुझे अपने नीचे आने दिया और अब मैं उसके होठों को अपने होठों में दबा कर जोर जोर से चूस रही थी। तभी समीर के हाथ मेरे मोम्मों पर आ गए और वह उन्हें बहुत जोर जोर से दबाने लगा। कुछ देर के बाद अब मैं घोड़ी बनी हुई समीर से चुद रही थी और पूजा मेरे नीचे लेट कर मेरे होंठ चूसते हुए मेरे मोम्मे दबा रही थी। चोदते चोदते समीर ने मेरी गांड को सहलाते हुए धीरे से मेरे कान में कहा कि अब वह मेरी गांड मारने वाला है।
मैंने अपना सिर जोर से नहीं में हिलाया और कहा कि फिर किसी दिन मेरी गांड मार ले क्योंकि आज बहुत ज्यादा थकान हो गई है। इस बार चुदाई के दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी और मेरी टांगें कांप रहीं थीं। समीर ने हम दोनों को बारी बारी से चालीस मिनट तक चोदा और फिर एक जोरदार हुंकार के साथ ही उसने अपने वीर्य की पिचकारी मेरी गांड पर छोड़ दी। अपना पूरा वीर्य हम दोनों की गांड पर डालने के बाद समीर हमारे ऊपर ही गिर पड़ा।
कुछ देर बाद हम सभी ने अपने आप को साफ़ किया और सो गए। दोपहर को तीन बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि पूजा और समीर दोनों नदारद थे। मैं बाहर के कमरे में आई तो देखा कि तेल की बोतल खाली पड़ी थी और समीर पूजा की गांड मार रहा था।
पूजा ने मुझे देखा तो बोली,”आ जा शालू ! तू भी गांड मरवाने का मज़ा ले ले !”
मैंने उसे मना कर दिया और मुझे शर्म सी आ गई कि रात भर हम तीनों ने सिर्फ और सिर्फ चुदाई की।
जब समीर ने उसकी गांड मार ली तो वह नहा कर तैयार होकर चला गया। जैसे ही समीर गया पूजा मुझ को चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने की कोशिश करने लगी। तब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में लेकर रजाई में घुस गईं।
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