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मेरा नाम अंकुर वर्मा (बदला हुआ) है। मैं कुछ समय पहले से ही अन्तर्वासना का पाठक बना हूँ। मैंने काफी सारी कहानियाँ पढ़ी पर कुछ सही लगी कुछ काल्पनिक।
मैंने कई कहानियां पढ़ी जिनमें पहली बार सम्भोग की कहानी बताई गई है। ज्यादातर कहानियों में मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ कि पहली बार का सम्भोग भी कितना परिपक्व था। जबकि जो मैंने अनुभव किया था वह काफी अलग था। तो मैंने यह आप सबके सामने रखने की सोची।
फ़िलहाल मैं 26 वर्ष का हूँ और काफी अनुभवी भी हूँ। बात उस समय की है जब यह शुरू हुआ था। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मेरे शरीर में परिवर्तन आना शुरू हुआ था और मैं बिल्कुल अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। मेरा लिंग बढ़ने लगा था, कई बार स्वप्नदोष से परेशान रहता था, सम्भोग के बारे में पता था पर उसका कुछ भी वास्तविक ज्ञान नहीं था और न ही कुछ वीडियो देखे थे। काफी शर्मीला था और दोस्तों से भी इस बारे में बात नहीं करता था।
उस समय मेरी उम्र 18 साल थी और यह सब करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा। फिर मुझे मिला एक दोस्त जो डॉक्टर का बेटा था और उसने मुझसे लड़कियों और सेक्स के बारे में खुल कर बात करना चालू कर दिया।
फिर भी मैंने काफी महीनों तक उससे कुछ नहीं कहा और उसकी बातें सुनता रहा। और एक दिन उसने खुद इस बारे में चर्चा की और मुझे मुठ मारने के बारे में बताया। मैं हक्का-बक्का रह गया और मैंने उससे कहा- यह सब फालतू है।
तो उसने मुझे बताया- यह सब जरूरी है, इसमें कुछ बुरा नहीं है।
वो मेरा पहला दिन था जब मैंने पहली बार मुठ मारी और काफी देर तक हाथ धोता रहा। फिर मुझे आदत पड़ चुकी थी और मजा आने लगा। उसने मुझे औरतों के गुप्त अंगों के बारे में बताना चालू किया। फिर मैं इंग्लिश मूवीज़ देखने लगा जिसमे लड़कियाँ बिकिनी में होती और कुछ सेक्स होता था। मुझे मजा आने लगा और मन करने लगा कि किसी असली लड़की को ऐसे देखूँ।
मेरी बारहवीं की बोर्ड परीक्षा आने वाली थी और मैंने गणित की कोचिंग चालू की। मेरे जो अध्यापक थे वो हमें घर पर ही पढ़ाते थे और चौथे माले पर रहते थे। जब भी मैं वहाँ जाता था तो दूसरे माले पर एक आँटी रहती थी जिनका दरवाजा कई बार खुला मिलता था और वो सफाई करती रहती थी। मुझे उसे देख कर बहुत उतेजना होती थी। उसके स्तन बहुत बड़े थे और पिछवाड़ा भी, वो साड़ी पहनकर रखती थी पर ब्लाऊज़ के ऊपर से स्तन कुछ कुछ दीखते थे और कई बार झाड़ू लगाते हुए वो थोड़े और दिख जाते थे।
मैं खुद पर काबू नहीं कर पता था और उत्तेजना से सराबोर हो जाता था और कई बार उस बारे में सोच सोच कर वीर्य निकल जाता था।
हँसना मत यारों।
कई बार मैंने आँटी के बारे में सोचकर मुठ मारी। लेकिन एक दिन सोचते सोचते सोच अपने परिवार की औरतों के ऊपर आई तो मैं सिहर उठा। मैंने खुद को कोसा कि मैं क्या सोच रहा हूँ, मैं कितन गन्दा सोचने लगा हूँ।
फिर मैंने पढ़ने जाते वक़्त उस तरफ देखना बंद कर दिया और बहुत तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ जाता।
पर एक दिन जब मैं ऊपर जा रहा था तो आँटी ने मुझे बुलाया, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था और मेरा अपने दिमाग पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था, फिर भी मैं बिना उनकी तरफ देखे अन्दर गया और पूछा- जी आँटी?
तो उन्होंने कहा- क्या तुम यह सोफा सरकाने में मदद कर सकते हो? थोड़ी सफाई करनी है।
मैंने कहा- क्यूँ नहीं !
और एक तरफ से सोफा उठाया और एक तरफ से आँटी ने। फिर क्या था, वो मेरे इतने सामने झुकी हुई थी और मैं स्तनों के बीच की रेखा को बहुत अच्छी तरह देख पा रहा था। मैं खुद की सोच को काबू करने की कोशिश कर रहा था पर कुछ नहीं हुआ और मेरा लिंग एकदम कड़क हो चुका था जो पैंट के ऊपर से साफ़ दिख रहा था। आप तो जानते ही हैं कि दस साल पहले पैंट कितनी तंग हुआ करती थी।
मैंने सोफा सरकाया और कुछ देर सोफे के पीछे खुद को छुपाने की कोशिश की और देख रहा था कि कब आँटी नज़र इधर उधर हो और मैं खिसक जाऊँ।
मुझे वहाँ खड़ा देख आँटी ने कहा – थैंकयू, अब तुम जा सकते हो।
मैंने कहा- कोई बात नहींम मैं वापिस जगह पर रखवा देता हूँ।
क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि उन्हें यह पता चले।
इतने में मेरा एक दोस्त वहाँ से ऊपर जा रहा था, मैंने उसे आवाज लगाई और कहा- थोड़ी मदद कर सोफा सरकाने में।
वो आया और हमने सोफा जगह से रह दिया और जाने लगे। मेरा दोस्त आगे निकल गया और आँटी ने मुझे आवाज दी। अब मैं फिर से दुविधा में था, मैं नीचे उतरा और गर्दन झुकाते हुए आँटी के पास पहुंचा और कहा- जी आँटी?
उन्होंने कहा- तुमने इतनी मदद की तो मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं जाने दे सकती, मैंने शरबत बनाया है, पीकर जाओ, और तुम्हारा दोस्त कहाँ गया?
मैंने कहा- आँटी, वो ऊपर गया और मुझे भी जाना है, क्लास चालू होने वाली होगी।
तो उन्होंने कहा- ऊपर देखकर बात करो, यह जमीन में क्या देख रहे हो।
जैसे ही मैंने ऊपर देखा, मेरा लिंक फिर से हरकत में आने लगा जो आँटी को दिखने लगा। मैं बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ।
तो आँटी ने मुझे बैठने के लिए कहा और कहा- तुम शर्बत पियो।
मैं कांपे जा रहा था और शर्बत पीने लगा तो आँटी ने मुझसे ऐसी बात कही कि मैं सकते में आ गया। उन्होंने कहा- कांपो मत, रेलक्स हो जाओ, देखना मर्दों की फिदरत है और तुम मर्द बन रहे हो, जितना रेलक्स रहोगे और इस सबको सामान्य तरीके से सोचोगे तो उत्तेजना को काबू करने में मदद मिलेगी।
मेरा चेहरा सफ़ेद हो चुका था।
तो उन्होंने कहा- डरो नहीं, मुझसे दोस्ती करोगे? मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूँ। मैंने कहा- कैसी हेल्प? तो आँटी ने कहा- तुम उत्तेजना को काबू करना चाह रहे हो और तुम से हो नहीं रही। तुम्हारी कोशिश के कारण वो और भी ज्यादा नज़र आ रही है। मैंने कहा- मेरी क्लास शुरू हो गई होगी, मुझे जाना चाहिए। तो आँटी ने कहा- अगर तुम्हें सचमुच मदद चाहिए तो सन्डे को थोड़ा टाइम निकल कर आ जाना।
मैं वहाँ से चला गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं क्या करूँ, जाऊँ या नहीं, जाऊँ तो घर वालों से क्या कहूँ। फिर मैंने हिम्मत जुटाई और फैसला किया कि मैं जाऊँगा। मैंने घरवालों से क्रिकेट मैच का बहाना किया और चल दिया। मैंने उन्हें बताया कि ये मेरे नए दोस्त हैं जिनके साथ मैं खेलने जा रहा हूँ।
मैं वहाँ पहुँचा तो आँटी ने मुझसे कहा- मुझे यकीन था कि तुम जरूर आओगे। तो मैंने उनसे कहा- मैं मैच का बहाना बना कर आया हूँ। मेरे पास 3-4 घंटों का वक़्त है। उन्होंने मुझसे पूछा- तुम क्या जानते हो, तुमने कभी वीडियो देखे हैं? असली में स्तन और स्त्री के अंग देखे हैं? तो मैंने उन्हें बताया- मैंने कुछ कम सेक्स वाली मूवी देखी है जिसमे कुछ भी ओपन नहीं होता, लड़कियाँ बिकिनी में रहती हैं और किस्सिंग सीन रहते हैं। मैंने असली में कुछ नहीं देखा है और मुझे कुछ ज्ञान है जो मेरे दोस्त ने जो डॉक्टर का बेटा है उसने बताया है। तो आँटी कहा- बिल्कुल नए हो। मैंने कहा – हाँ।
आँटी- मुठ मारते हो? मैं- हाँ। आँटी- तुम इसे कण्ट्रोल करना चाहते हो? मैं- हाँ। आँटी- तुम्हे इसे कण्ट्रोल करने के लिए इसे नोर्मल करना होगा। मैं- कैसे? आँटी- मर्दों को देखना पसंद है। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर आँटी ने अपने ब्लाऊज़ के ऊपर के कुछ बटन खोले और ब्लाऊज़ के साइड के हिस्सों को अन्दर की तरफ दबा दिया। मुझे अब जो दिख रहा था वो जन्नत से कम नहीं था। निप्पल को छोड़ कर मैं उनके पूरे स्तनों को देख पा रहा था ठीक जो इंग्लिश मूवी देखी थी उस तरह।
मैंने कहा- आँटी यह सही नहीं। आप शादीशुदा है और आपके पति?
आँटी- वो सेलमैन है और कंपनी के काम से बाहर ही ज्यादा रहते हैं। और कुछ गलत नहीं है, जहाँ तक तुम्हारा सवाल है तुम्हारी यह जरूरत है और आज कल कोई बड़ी बात नहीं, रहा मेरा सवाल तो मेरे पति जब बाहर होते हैं तो दूसरी लड़कियों के साथ मजे करते हैं तो मैं तो सिर्फ तुम्हें कुछ दिखा रही हूँ।
मेरा दिमाग अब भी यह मान रहा था कि यह सही नहीं पर अपनी अन्तर्वासना पर काबू नहीं था, मैं किसी भूखे भेड़िये की तरह उन्हें देख रहा था। फिर जो हुआ वो और भी गजब था देने वाला था।
आँटी ने अपनी साड़ी हटाई और अपना पेटीकोट खोल दिया। मेरा लिंग पैंट फाड़ने को तैयार था। वो काले रंग की झालर वाली पेंटी और ऊपर लगभग पूरे स्तन दिखाता ब्लाऊज़।
मैंने आँटी से कहा- मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा और मैं गीला हो चुका हूँ।
आँटी- बस इन्हें देखते रहो और इस तरह से देखो जैसे यह तुम रोज़ देखते हो, उन्हें अपने दिमाग में इस तरह बिठाओ जैसे यह रोज़ का काम हो।
मैं- आँटी कैसे करूँ मेरा मेरा लिंग कूद रहा है। आँटी ने मुझसे आगे बढ़ने को कहा और सब खोलने को कहा, और स्तन दबाने और चूसने को कहा।
मैंने ब्लाऊज़ खोला और पेंटी भी, वो गीली थी, तो मैंने कहा- आपका भी वीर्य निकलता है क्या? आँटी- हाँ।
मैंने स्तनों को दबाया और चूसा। मैं क्या बयान करूँ कि मैं कहाँ था और उसके साथ आँटी की वोह सेक्सी आहें। वाह !
फिर मैंने उसका पिछवाड़ा दबाया और फिर चूत की तरफ बढ़ा। काफी बाल थे जिसमें कुछ स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने कहा- मुझे वो भी अच्छी तरह देखनी है। तो आँटी कहा- दो मिनट बैठो।
मैं लगभग 15 मिनट बैठा रहा और आँटी आई। वो पहली बार था जब मैंने चूत देखी थी, वो दिन मेरी जिन्दगी को झकझोर देने वाला था। जब मैंने चूत को देखा तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया। मुझे उलटी सी आने वाली थी, मुझे घृणा होने लगी थी, मैंने आँटी से कहा- प्लीज़ कपड़े पहन लो, मुझे जाना है।
आँटी समझ गई और उन्होंने पेंटी पहन ली और मेरे पास आकर बैठ गई, कहने लगी- कभी न कभी तो तुम्हें इससे रूबरू होना था। मैंने कहा- मुझे कुछ समय चाहिए। उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, तुम पहले यह वीडियो देखो। और उन्होंने एक वीडियो केसेट निकली और वीसीआर में लगा दी। वो उस दिन दूसरा भयानक सच था जिससे मैं रूबरू हुआ, और वो था ओरल सेक्स। मुझे सब बहुत ही भद्दा लग रहा था और मैंने उलटी कर दी। हंसो मत दोस्तो।
फिर आँटी भी समझ गई, उन्होंने मुझे कहा- जब तुम मुठ मारते हो तो कैसा फील करते हो? मैंने कहा- बहुत मज़ा आता है। तो उन्होंने कहा- तुम मेरे स्तन देखो और कहीं मत देखना और महसूस करो। उन्होंने मेरा लिंग निकाला और मानो पूरे बदन में आग दौड़ गई हो जब उन्होंने उसे छुआ और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। मैं उनके बड़े बड़े स्तनों को देख रहा था और इस बार मैं जन्नत का सफ़र कर रहा था, फिर उन्होंने मुझे आँखें बंद करने को कहा। मैंने कर ली।
आंटी ने कहा- जब तक मैं नहीं कहूँ, आंखें न खोलना। मैंने वैसा ही किया। फिर मुझे अपने लिंग में कुछ अजीब सा महसूस हुआ जो अलग था और हवाएं भी।
मैं समझ रहा था कि यह क्या है पर मैंने आँखें नहीं खोली क्योंकि मैं नहीं जानता था कि देखने के पश्चात कैसा महसूस होगा। मुझे बन्द आँखों में बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा वीर्य दुबारा निकल चुका था।
फिर उन्होंने मुझे कहीं लेटाया और मुझे यह महसूस हुआ कि कोई मेरे ऊपर बैठ रहा है और लिंग पर कुछ गीला-गीला महसूस हुआ। फिर मुझे अपनी छाती पर कुछ नरम सा महसूस हुआ, वह तकिया था।
मुझे पता है आपने कुछ और ही सोचा होगा। फिर उन्होंने मुझे आँखें खोलने के लिए कहा।
मैंने देखा कि आँटी मेरे ऊपर है तकिये से उसने मेरे और अपने लिंग छुपा लिए थे और उनके स्तन दिखाई दे रहे थे।
उसने एक कंडोम लिया और धीरे धीरे मेरे लिंग पर चढ़ाने लगी। अब मुझे अच्छा लग रहा था, फिर उन्होंने धीरे धीरे मेरा लिंग अपने अंग में ले लिया, मुझे कुछ दर्द हो रहा था पर उससे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने मुझे अपने स्तनों को जोर जोर दबाने के लिए कहा और मैंने वही किया।
आँटी ऊपर-नीचे होने लगी, मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी और लिंग कूद रहा था, इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ?
अभी सब कुछ शुरू ही हुआ था एक तेज़ झटके से मेरा वीर्य निकल पड़ा। अब मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था और मैंने आँटी से हट जाने के लिए कहा, पर आँटी ने कहा- मैंने तुम्हारी इतनी मदद की, अब तुम्हारी बारी है।
वो कुछ और रूप में दिख रही थी, प्यासी, तड़पती हुई, और जोर जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरा लिंग बहुत बुरी तरह दुखने लगा था, मुझे पसीना आ रहा था।
मैंने आँटी से कहा- प्लीज़ आँटी, बर्दाश्त नहीं हो रहा।
फिर उसने स्पीड धीरे की और थोड़ी देर बाद हट गई। वो मुझे बाथरूम ले गई मेरा कंडोम उतारा और लिंग साफ किया। मैंने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और आँटी सिर्फ़ पेंटी में मेरे पास आकर बैठ गई और कहा- तुम्हें यह और करना होगा, तुम्हें खुलना होगा, तभी तुम्हें मज़ा भी आएगा और लड़कियों देखते ही वीर्य नहीं निकलेगा।
मैंने हाँ में हाँ मिलाई और कहा- फ़िलहाल इतना ही, इससे ज्यादा के लिए मैं तैयार नहीं हूँ। तो उसने कहा- अगले सन्डे?
फिर मैं हर सन्डे मैच के बहाने से आँटी के घर जाने लगा और उसने अपने अनुभव से मुझे भी धीरे धीरे अनुभवी बना दिया और हमने खूब मजे लूटे।
अब मैं अनुभवी हूँ और कई लड़कियों के साथ मजे लूटे हैं और उन्हें पूरा आनंद दिया। लेकिन आज भी मुझसे चूत नहीं चूसी जाती।
और वो आँटी तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं और कई बार हम मजे लूटते हैं।
बाकी लड़कियों के साथ की कहानी फिर कभी।
मुझे जरूर बतायें कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी और कुछ कमी लगी तो माफ़ कीजियेगा क्योंकि यह मेरी पहली कहानी है। आपका दोस्त अंकुर वर्मा [email protected]
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