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राज शर्मा दोस्तो, मैंने अन्तर्वासना पर काफी कहानियां पढ़ी हैं। कुछ सच्ची होती हैं और कुछ काल्पनिक !
आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, यह शत प्रतिशत सच्ची है।
पहले मैं अपना परिचय करा देता हूँ। मेरा नाम है राज, मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और चार साल से दिल्ली में रह रहा हूँ। मेरा कद है 5’10’
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात उस समय की है जब मैं दिल्ली में 2 साल बिता चुका था और मैं दक्षिणी दिल्ली में एक किराये के कमरे में रहने लगा था।
मेरा कमरा मकान मालिक के फ्लैट में ही था बस बीच में एक दरवाजा था। मकान मालिक स्वर्ग सिधार चुके थे। तो घर में एक 34-36 साल की आंटी थी। उनकी एक लड़की जिसका नाम सोनी (काल्पनिक) उम्र करीब 18 थी और एक 12 साल का लड़का था।
मैं आंटी की सभी काम में काफी मदद किया करता था तो मेरी आंटी से अच्छी पटती थी और लड़की क्या माल थी यार ! बस यह समझ लो कि उसे देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने लगता था, होंठ तो प्रियंका चोपड़ा से भी ज्यादा सेक्सी थे, बहुत ही ज्यादा स्मार्ट थी वो, हमेशा टीशर्ट और शोर्ट्स पहनती थी जिसमें उसकी खूबसूरत टाँगें कहर ढाती थी। मेरा तो बुरा हाल हो जाता था। टीशर्ट से उसकी वक्ष-रेखा काफ़ी गहरी दिखती थी, बस समझ लो किसी भी नियत डोल जाए।
मेरा तो बुरा हाल था जब भी उसे देखता, मुठ मारनी पड़ती थी।
हम लोग अक्सर छत पर टहलते थे। वहाँ उससे यहाँ-वहाँ की बातें भी होती रहती थी। मैं तो उसे किसी भी तरह चोदना चाहता था। बस कोई तरीका मिल नहीं रहा था।
एक दिन मैं गर्मी की वजह से रात को छत पर ही सो गया। सुबह जब नींद खुली तो वो छत पर ही टहल रही थी। मैंने लोअर पहन रखा था।
तब मेरे दिमाग में एक ख्याल आया। मैंने सोते सोते ही अपना लण्ड जोकी से बाहर निकाल दिया। इस वजह से मेरा लोअर तम्बू बन गया और मैं ऐसे ही सोने का नाटक करता रहा और देखता रहा कि वो नोटिस कर रही है या नहीं।
सीधा लेटे होने के कारण मेरा लण्ड साफ़ दिख रहा था, वो भी उसे देख रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने इधर उधर करवट लेना शुरु किया तो वो बोली- नींद नहीं आ रही है क्या?
बस यह सुनते ही मैं उठ बैठा और तना हुआ लण्ड लेकर दीवार के किनारे उसके साथ खड़ा हो गया और उससे बातें करने लगा पर मेरी नजर तो उसकी जांघों पर थी।
तभी मैंने देखा कि उसकी जांघ पर एक निशान है। मैं तो ऐसे ही मौके की तलाश मैं था, मैंने तुरन्त ही उसकी जांघ पर हाथ रख कर पूछा- यह कैसा निशान है?
वो तो निशान के बारे में बता रही थी पर मैं तो हाथ फिराने में लगा था। फ़िर मेरा ध्यान गया तो मैंने तुरंत ही हाथ हटाया। मेरा लण्ड और भी बुरी तरह से तन गया। वो उसे ही देख रही थी।
तभी उसकी मम्मी ने आवाज लगाई और वो चली गई। अब मेरे अन्दर कमीनापन जाग गया था। मैंने जाकर मुठ मारी और सोचने लगा कि अब क्या करूँ। फिर मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया। रात को नींद नहीं आ रही थी सो मैं छत पर चला गया। ठंडी हवा चल रही थी। तभी मैंने देखा कि आंटी रात के एक बजे किसी से फ़ोन पर बात कर रही हैं।
मैं साथ जाकर खड़ा हो गया, वो बात करती रही और वो फ़ोन पर बार कह रही थी- लगता है, तुमे पी रखी है।
मैं समझ गया कि आंटी का भी किसी से चक्कर है।
फिर मैं जाकर सो गया।
अगले दिन शाम को जब मैं ऑफिस से लौट कर फ्रेश होकर छत पर गया। करीब 8 बज रहे थे और सोनी छत पर बैठी थी। छत और दूसरी छत के बीच में एक छोटी दीवार थी जिस पर वो अक्सर बैठ जाती थी। वो दीवार पर बैठी थी और मैं उसके नीचे बैठ गया। मैंने उससे कोई बात नहीं की और अपने मोबाइल निकाल कर ब्लू फिल्म चला दी जो उसे साफ़ दिख रही थी। हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। फिर मैं अपने लण्ड निकाल कर हिलाने लगा वो यह सब देखती रही।
उस दिन उसने शर्ट पहन रखी थी जिसका ऊपर वाला एक बटन खुला था और मैं उसकी पिंक ब्रा देख चुका था। मैं उसे ही सोच कर मुठ मारने लगा पर कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। वो ये सब देख रही थी और फिर पिचकारी छुट गई और वो भी वहाँ से चली गई।
अगले दिन मैने तय किया कि आज ऑफिस नहीं जाऊँगा और किसी भी तरह उसे चोदूँगा। पूरे दिन मैं योजनाएँ बनाता रहा और शाम होते ही छत पर पहुँच गया।
इन्तज़ार करते करते 8:30 हो गए तब मैंने सोचा कि शायद वो नहीं आएगी तो मैं जाने लगा कि तभी वो मेरे सामने आकर बोली- कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- कहीं नहीं।
और मैं एक तरफ चला गया, मैं उससे बात नहीं करना चाहता था। फिर वो दीवार पर जाकर बैठ गई। उसने उस दिन लो कट टॉप और मिनी स्किर्ट पहना था। चाँद की रोशनी में उसके टॉप में से दिख रहे चूचे चाँद ही लग रहे थे और उसकी जांघें तो संगमरमर सी लग रही थी, मैं बस इन्हें ही देख रहा था।
अब मुझसे रहा नहीं गया, मैं दीवार के उस पार दूसरी छत पर चला गया जिधर उसकी पीठ थी। और मैं जाकर उसके पीछे खड़ा हो गया। फिर मैंने उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रख दिए।
वो कुछ नहीं बोली और मैं उसके चूचे दबाने लगा, क्या चूचे थे ! नरम और गरम दोनों एहसास हो रहे थे। वो तो अनजान बनी बैठी थी। फिर मैंने चूचों को जोर से दबाया तो उसके मुँह से आह निकल गई। यह आवाज मुझे बहुत सेक्सी लगी।
उसने अपने बाल आगे कर लिए तो मैंने पीठ को चूमना शुरु किया और टॉप के पीछे लगी चैन को खोल दी और पीछे से ही अन्दर हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। अब वो बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने उसका टॉप निकाल दिया और मैं उसके सामने की तरफ आ गया। तो उसकी छोटी सी गुलाबी ब्रा मेरे सामने थी जिससे बड़े बड़े चुचे बाहर आ रहे थे।
मैं तो पागल हो रहा था। पर मैंने सोचा कि आराम से मजे लूटता हूँ और मैं उसके सामने घुटने के बल बैठ कर ब्रा के ऊपर से ही एक एक करके दोनों चूचियों को चुसने लगा। उसने उत्तेजना के कारण अपनी आँखे बंद कर ली और जोर से दीवार को पकड़ कर चुसवाने के मजे लेती रही।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने स्कर्ट में अपने मुँह घुसा दिया तो देखा कि उसने पैंटी नहीं पहनी है और उसकी चूत गीली हो रही थी और बहुत ही नर्म थी।
मैंने स्कर्ट ऊपर की तो चाँद की रोशनी में उसकी चूत साफ़ दिख रही थी, एक भी बाल नहीं था।
मैं तो पागल हो रहा था। मैं चाटना नहीं चाहता था फिर भी मैं अपने आपको उसकी चूत चाटने से रोक नहीं पाया और उसके चूत में अपनी जीभ घुसा दी।
जीभ लगते ही वो भी पागल हो गई और मेरे बाल पकड़ कर जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था।
मैंने सोचा कि इससे पहले कोई आ जाए, काम ख़त्म कर लेना चाहिए।
मैंने उसे नीचे खींच कर खड़ा किया और उसकी ब्रा उतार कर चूचे चूसने लगा, उसके चूचे शायद पहली बार कोई चूस रहा था, निप्प्ल गुलाबी और छोटे छोटे थे। मैं वैसे ही दूध पीने मैं माहिर था और बहुत से चूचे चूस चूका था। बस चुदाई नहीं की थी।
मैं एक निप्पल को चूसता तो दूसरी को घुमाता था। जैसे ही मैं अपनी जीभ निप्पल पर घुमाता, वो चीखने लगती। मैं उसका मुँह बंद करके चुप रहने का इशारा कर रहा था। पर वो लगातार सेक्सी आवाजें निकाल रही थी। फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए, मैं सिर्फ़ जॉकी में रह गया और चटाई पर लेट गया। यह वही चटाई थी जिस पर मैं कभी कभी सोया करता था।
मैंने जैसे ही उसे अपने लण्ड को बैठाने की कोशिश की तो वो हट गई और बोली- मुझे भी मजे लेने दो।
वो मुझे चूमने लगी तब मुझे याद आया कि मैंने जल्दबाजी मैंने चुम्बन ही नहीं किया। चूमते-चूमते वो मेरी छाटी तक आ गई और मेरे निप्पल चूसने लगी। अब मैं मरने लगा, बहुत मजा आ रहा था। मुझे नहीं पता था कि वो इतनी एक्सपर्ट है।
फिर मैंने उसका मुँह अपने सीने से हटा दिया क्योंकि मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। फिर उसने मेरा लण्ड चड्डी के बगल से निकाला, हिलाया, चूमा और अपनी जीभ से चाटने लगी।
मैं चौंक गया क्योंकि कोई लड़की मुश्किल से ही लण्ड मुँह में लेती है।
मैं तो बस चुदाई के मजे लेना चाह रहा था और जब वो मेरे लण्ड पर बैठने लगी तो लण्ड अंदर गया ही नहीं।
मैं समझ गया कि वो सील बंद है और मेहनत करनी पड़ेगी।
मैंने इससे पहले कभी किसी को चोदा नहीं था। सिर्फ मूवी में देखा था। मैंने उसे नीचे किया और उसकी टांगों के बीच में बैठ गया, उसे लेटा दिया। अब मेरा लण्ड उसकी चूत को चूम रहा था।
मैंने लण्ड को निशाने पर लगाया और थोड़ा सा जोर लगाया, मुझे पता था कि आराम से डालना होगा, जैसे ही थोड़ा सा अन्दर गया, वो तड़प उठी, मैंने अपने को रोक लिया और और वैसे ही उसे चूमने लगा, उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। जैसे ही वो चुम्बन में मस्त हुई, मैंने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए एक जोर का झटका दिया। अब वो तड़प उठी और हाथ पटकने लगी।
लगभग आधा लण्ड अन्दर जा चुका था। मैं उसे जोर से पकड़े रहा और वो छुड़ाने की कोशिश करती रही। मैं उसकी चूची चूसने लगा तो वो थोड़ा शांत हुई और तब मैंने उतना लण्ड आगे पीछे करना शुरु किया। अब उसे मजा आने लगा पर आधा लण्ड तो अभी भी बाहर था।
फिर मैंने मौका देख कर एक और जोर का झटका दिया, उसकी आँखों से आँसू निकल आये ओर वो अपने को छुड़ा ही नहीं पाई। और मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिया। फ़िर वो उछल-उछल कर मेरे साथ देने लगी और उसके मुँह से अ हू हहू हहु हू हू ह उ हू की सेक्सी आवाजें आने लगी। फिर मैंने जोरदार धक्के लगाये और हम दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों ही बुरी तरह से थक गए थे। वो मेरे सामने लेट गई और मैंने उसके चूचे चूसे।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हें लण्ड चूसना किसने सिखाया?
तो उसने बताया कि उसने अपनी मम्मी को कई बार चुदवाते देखा है।
फिर वो कपड़े पहन कर चली गई और जाते जाते बोली कि रात को मम्मी के सोने के बाद आऊँगी।
मैं वहीं सो गया। फिर उसे रात को कई बार चोदा और जब तक रहा, चोदता रहा।
मैंने उसकी माँ को भी मौका देख कर चोद दिया, वो घटना मैं अगली बार बताऊँगा। 2512
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