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हेलो दोस्तो, हैरी का नमस्कार ! कैसे हैं आप? सबके बहुत मेल मिलते हैं उसका बहुत बहुत शुक्रिया।
आज आपको एक कहानी बताने जा रहा हूँ, यह कहानी दो सहेलियों की है एक का नाम शिवाली जिसकी उम्र 32 और चूचियाँ 36 की कमर 34 की और दूसरी का नाम मनोरमा उम्र 44 चूचियाँ 40 कमर 38, जिस्म भरा भरा और सुडौल देखने में आकर्षक।
कई दिनों से मुझे शिवाली के मेल आ रहे थे, मैं उसका जवाब देता फिर उधर से वो मेल करती। यह सिलसिला करीब एक महीना चला, फिर बाद में उसे जब यकीन हो गया कि मैं ठीक आदमी हूँ जिस पर विश्वास किया जा सकता है तो उसने बताया कि मैं कानपुर की रहने वाली हूँ और मेरे पति विदेश रहते हैं, मैं सास-ससुर के साथ रहती हूँ, क्या आप मुझे मिल सकते हो, आ सकते हो मेरे घर?
मैंने कहा- ठीक है, अगले हफ़्ते तक आ पाऊँगा।
उसने कहा- ठीक है।
मैंने कहा- अपना फ़ोन नंबर दे दो।
वो मुझे अपना फ़ोन नंबर नहीं दे रही थी। फिर मुझे लगा कि मेरे साथ धोखा करेगी तो मैंने उसके मेल का जवाब देना बंद कर दिया।
कुछ दिनों बाद फिर उसका मेल आया, उसने लिखा था- सॉरी, मैं अपना नंबर नहीं दे सकती।
फिर मैंने जवाब दिया- आप नंबर नहीं दे सकती तो मैं आ नहीं सकता।
उसने कहा- आप समझो मेरी मज़बूरी आप आ जाओ !
मैंने कहा- नहीं, मैं वहां आकर क्या करूँगा और मुझे क्या मालूम कि तुम आओगी लेने, मुझे जो औरत अपना नंबर नहीं दे सकती, मैं कैसे विश्वास करूं।
फिर मैंने उससे कहा- चलो तुम मेरे ट्रेन का टिकट और 50% अडवांस मेरे अकाउंट में जमा करवा दो, फिर आ जाऊँगा।
उसने कहा- ठीक है।
फिर अगले दिन उसने ट्रेन टिकट मेल कर दिया मुझे पर पैसे 20% ही डाले बैंक में।
फिर मैं जिस दिन का टिकट था उस दिन रवाना हो गया। अगली सुबह मैं कानपुर में था। जाने से पहले मैंने उसे मेल कर दिया कि मैं सफ़ेद रंग की टीशर्ट और नीले रंग की जीन्स पहनी है और खास बात यह कि मेरे टीशर्ट पर जेब वाली साइड पर एच लिखा हुआ है, मैं उतर कर स्टेशन मास्टर के केबिन के पास खड़ा रहूँगा।
मैं ट्रेन में बैठ गया, करीब दो घंटे बाद मेल आया- ठीक है, मैं सुबग गाड़ी से पहले आ जाऊँगी।
मैंने उसे एक कोडवर्ड भी बता दिया था कि वो जब मुझसे मिले तो वो कोड बताये।
मैं सुबह साढ़े चार के करीब कानपुर स्टेशन पर उतर गया। किसी से पूछा कि स्टेशन मास्टर का केबिन कहाँ है तो पता लगा कि थोड़े दूर है।
मैं वहाँ जाकर खड़ा हो गया। करीब 30 मिनट हो गए, कोई नहीं आया। फिर काफ़ी देर बाद एक महिला आई जिसकी उम्र करीब 45 की थी, उसने मेरे पास आकर कहा- हैरी हो न?
मैंने कहा- आप कौन?
उसने फिर वो कोड बताया जो मैंने बताया था और अपना नाम मनोरमा बताया।
मैंने कहा- आप को अपनी उम्र 32 बता रही थी?
उसने कहा- दरअसल शिवाली के घर में सास-ससुर हैं, वो आ नहीं सकती तो मैं आई हूँ आप को लेने।
फिर हम स्टेशन से बाहर निकले, उसने एक टैक्सी रोकी और हम चल दिए घर !
15 मिनट में हम घर पहुँच गए। मनोरमा के घर में मनोरमा के अलावा और कोई नहीं था तो मैंने पूछा- आप अकेली रहती हैं?
उसने कहा- नहीं मेरे पति का बिज़नस है। वे हॉन्गकाँग गए हैं एक महीने के लिए और अक्सर बाहर ही रहते हैं।
थोड़ी देर बातचीत हुई फिर नाश्तापानी किया।
मैंने कहा- मनोरमा जी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, मुझे आपने बुलाया है या शिवाली ने?
मनोरमा ने कहा- आप चिंता मत कीजिये, आराम कीजिये, शिवाली दोपहर को आएगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं लेट गया मुझे नींद आ गई।
मनोरमा ने खाना बना लिया और फ्रेश होकर मेरे पास आ कर लेट गई। मैं गहरी नींद में था, मनोरमा मेरे पैंट की चैन खोल कर मेरे लण्ड को दबाने लगी और चूसने लगी।
अब भला कोई लण्ड चूसेगा तो नींद खुल ही जाएगी, मेरी नींद खुल गई, मैंने कहा- यह क्या? आप तो कह रही थी कि शिवाली आएगी।
फिर मनोरमा ने मेरे मुँह पर हाथ रख कर कहा- चुप रहो, जो कर रही हूँ, करने दो, तुम्हें जो चाहिए, मिल जाएगा।
मुझे कोई ऐतराज़ नहीं था, मैंने कहा- चलो, मुझे तो काम से मतलब है, शिवाली हो या मनोरमा ! क्या फर्क पड़ता है।मनोरमा ने धीरे धीरे मेरे सारे कपरे उतार दिए और वो तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी। एक भी कपड़ा नहीं था उसके शरीर पर। उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ देख कर तो मैं भी एक बार दंग रह गया। उसकी चूचियां इस उम्र में भी सुडौल और कसी थी। मनोरमा मेरे लण्ड को चूस रही थी, अचानक दरवाजे की घण्टी बजी तो मैं डर गया कि कौन हो सकता है? कहीं यह मुझे फंसा न दे।
खैर मनोरमा ऐसे ही दरवाजे के पास चली गई बिल्कुल नंगी, अन्दर से झांक कर देखा और दरवाजा खोल दिया। मैं अन्दर बेडरूम में था, ऐसे ही तौलिया लपेट कर पड़ा हुआ था, बेडरूम में मनोरमा में साथ आई, वो औरत शिवाली थी, मुझे समझने में देर न लगी। वो लम्बी, पतली, कमर बाल खुले करके आई थी, गजब की सुन्दर लग रही थी।
अपने उम्र से कहीं कम ऐसा लग रही थी 22-24 की !
शिवाली मेरे पास आकर बैठ गई, मुझे हेलो कहा और मनोरमा से कहा- क्या बात है? मेरा इंतजार भी नहीं किया और शुरु हो गई?
मनोरमा ने कहा- यार कब से तेरी इन्तज़ार कर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने सोचा कि तू किसी काम में फंस गई इसलिए ! अभी तो बस शुरु ही किया था कि तू आ गई। शिवाली ने अपना पर्स पास ही मेज पर रख दिया। मनोरमा फिर से मेरे लण्ड को टटोलने लगी उसके छूने से फिर से लण्ड खड़ा हो गया।
शिवाली भी अपने कपड़े धीरे धीरे उतारने लगी। आखिर में उसके शरीर पर एक मखमली सी पैंटी रह गई, वो भी पैंटी क्या थी पैंटी के नाम पर धब्बा था, उससे सिर्फ उसकी चूत ही ढकी थी, गाण्ड पूरी खुली थी और पैंटी की रस्सी उसके गाण्ड में घुस रही थी।
शिवाली मेरे पास आई और मेरे होठों को चूसने लगी जैसे इंग्लिश फिल्मों में करते हैं।
ऐसा उसने 5 मिनट तक किया। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था, मसल रहा था, नीचे मनोरमा मेरे लण्ड को चूस रही थी और अपने हाथों से अपने स्तन भी दबा रही थी। कभी कभी मैं भी उसके वक्ष दबा देता। मुझे दुगना मजा मिल रहा था।
फिर शिवाली ने अपने चूची मेरे मुँह में रख दी और कहने लगी- जी भर के चूसो इसे !मैंने चूसने लगा, वो बहुत कामुक हो गई, आअ हाआअ आह आः आह करने लगी। और सिसकारियाँ लेना लगी।
मनोरमा लण्ड चूसती रही। फिर मनोरमा ने शिवाली को परे किया और कहने लगी अब मेरे भी दूध पीओ, निकाल दो सारा दूध इनमें से !
मैं मनोरमा की चूचियाँ चूसने लगा और शिवाली अब मेरा लण्ड चूसने लगी। मैं शिवाली के चूचे भी अपने हाथों से दबा देता। लण्ड चूसते चूसते कभी कभी शिवाली मेरे दोनों अंडकोष को भी मुँह में ले लेती जिससे मेरे मुँह से आह निकल जाती।
मनोरमा भी गर्म होकर सिसकारियाँ लेने लगी- आअहाअ हाआअ उफ्फ्फ हईईए करने लगी।
अब अपनी टाँगे चौड़ी करके बैठ गई और मुझे इशारा किया, मैं समझ गया। शिवाली की चूत पर एक भी बाल नहीं था और नर्म चूत गुलाबी रंग की थी।
मैंने उसकी चूत में जैसे ही जीभ डाली, उसके मुँह से फिर से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने जीभ से चूत को चाटना शुरु कर दिया, शिवाली आःह्ह्ह आःह्ह्ह आःह्ह्ह उईए उईए करने लगी और चूत के ऊपर मेरे मुँह को दबा लेती, बगल में ही मनोरमा भी टाँगें चौड़ी कर के लेटी थी। मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था और उसके दाने को मसल देता था जिससे वो भी आअई आईईए उफ्फ्फ कर रही थी।
थोड़ी देर बाद शिवाली कहने लगी- कम हैरी, फक्क मी। फक्क मी !
शिवाली ने टाँगे ऊपर की हुई थी, मैंने अपना लण्ड शिवाली के चूत में पेल दिया। शिवाली ने सांस रोक ली और कहने लगी- आज कितने दिनों बाद मिला है लण्ड ! उसके चेहरे से खुशी झलक रही थी।
मैंने शिवाली को चोदना शुरु कर दिया !
उधर मनोरमा भी पूरी गर्म हो चुकी थी, मनोरमा भी अपनी टाँगे ऊपर कर कहने लगी- मनोरमा भी कहने लगी- हैरी मुझे भी चोदो अब ! अब रहा नहीं जाता !
शिवाली की चूत से अपने भीगा हुआ लण्ड निकाल कर मैंने मनोरमा की चूत में पेल दिया।शिवाली लेटी हुए थी, मैं मनोरमा को चोद रहा था।
15 मिनट की जबरदस्त चुदाई करने के बाद मनोरमा भी झड़ने के कगार पर थी और फिर नीचे से धक्के दे कर आह्ह आह्हअह उई उईए सीई आई करती हुए मुझे अपने बाहों में जकड़ कर झर गई।
काफी देर हो गई थी अब मेरे भी निकलने को हो रहा था। मैं मनोरमा की पानी टपकती चूत में जोर से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
मनोरमा कहने लगी- दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- बस दो मिनट और !
10-12 धक्के जोर जोर से मारे और मेरे भी पानी झर गया।
हम तीनों बिल्कुल नंगे लेटे हुए थे, मनोरमा की चुदाई देख कर शिवाली गर्म हो चुकी थी। जैसे ही मैं उसके साथ में लेटा, शिवाली लण्ड को पकड़ कर दबाने लगी और मुठ मारने लगी। मनोरमा भी पड़ी पड़ी सब देख रही थी।
कुछ देर बाद शिवाली और मैं सोफे पर चले गए शिवाली मेरे गोद में आ गई और मेरे लण्ड पर बैठ गई, ऊपर नीचे होने लगी। उधर से मनोरमा अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर करके बैठ गई। मैं मनोरमा की चूत चाट रहा था, इधर शिवाली अपनी कमर ऊपर-नीचे कर कर के लगी हुई थी।
शिवाली का काम अब करीब था वो जोर जोर से ऊपर-नीचे होने लगी और उसका बदन अकड़ने लगा, वो जोर जोर से धक्के लगाते हुए झर गई, मेरे सीने पर लुढ़क गई।
मनोरमा और शिवाली दोनों संतुष्ट दिख रही थी चुदाई से !
मैं वहाँ तीन दिन रुका और तीनों दिन मनोरमा और शिवाली की चूत मारी।
चौथे दिन मनोरमा मुझे स्टेशन पर छोड़ने आई।
यह थी शिवाली और मनोरमा की कहानी !
कैसी लगी, अपना प्यार भरा मेल जरूर करियेगा। फिर मिलूँगा किसी हसीन किस्से के साथ। [email protected]
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