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लेखिका : कमला भट्टी
जीजाजी बाथरूम में लण्ड धोने चले गए थे। वापिस आकर मुझे उठाया बाथरूम में जाने के लिए और मैं भी बाथरूम में घुस गई अपनी मुनिया को धोने और पेशाब करने के लिए जो दर्द के कारण मुश्किल से उतर रहा था !
फिर हम साथ में लेट कर बाते करने लगे ! मैं भी बहुत बातूनी हूँ और जीजाजी तो अच्छे वक्ता हैं ही ! मैं तो बकवास ज्यादा करती हूँ, जितना बोलती हूँ उससे ज्यादा हंसती हूँ पर जीजाजी का सामान्य ज्ञान बहुत अच्छा है, वे किसी भी विषय पर बोल सकते हैं ! पर मेरे साथ उनका पसंदीदा विषय सेक्स ही होता है !
वे मुझसे पूरी तरह खुले हुए हैं, उन्होंने मुझे सारी बातें बताई हैं, उनका पहला सेक्स, सुहागरात, कोई असफल सेक्स या किसी आदमी की गाण्ड मारी हो या अपना लण्ड चुसाया हो।
करीब 8-10 महीने हो गए थे उनसे सेक्स सम्बंध बने तो वे सारी बातें बता चुके थे और मैं भी उनसे कुछ नहीं छिपाती हूँ !
वे मुझसे बात भी करते जा रहे थे पर उनके हाथ अपना काम करते रहते हैं यानि मुझे सहलाना !
मैंने बातों बातों में कहा- अब किसकी चुदाई करोगे पटा कर?
तो वे बोले- तू मिल गई है, अब मुझे किसी को नहीं पटाना है !
मैंने हंस कर कहा- लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे हैं, अब आप जैसे बुढ्ढे के कोई पटेगी भी नहीं !
वे बोले- तुझे मैं बिस्तर पर बुड्ढा लगता हूँ?
मैंने कहा- बिस्तर तक आएगी तो जानेगी न ! वो तो आपको पहले ही नापसंद कर देगी !
तो वे बोले- तू पटी है ना मुझसे?
मैंने कहा- मैं तो आपके घर की हूँ इसलिए पट गई, और वो भी पटाना क्या आपने तो एक तरह से मेरा बलत्कार ही किया था !
वे बोले- यह बात तो है पर तुम्हें मुझ पर गुस्सा नहीं आया था !
मैंने कहा- आया तो था पर जब आनन्द आया तो उसके साथ चला गया !
फिर उन्होंने पूछा- अगर मैं किसी दूसरी को चोदूँ तो तुझे गुस्सा नहीं आएगा?
मैं बोली- बिल्कुल नहीं आएगा ! अरे यह तो मर्दानगी की निशानी है, आप तो देखो मौका और मारो चौक्का !
वे बोले- सही बता, तुझे जलन नहीं होती है?
मैंने कहा- वास्तव में मुझे जलन नहीं होती है, मैं तो किसी दूसरी को आपको चोदते देखना चाहती हूँ ! एक औरत रोज़ मेरा माथा खाने आ जाती है कि मेरी भी कही नौकरी लगवा दो। आप एक बार उसको पकड़ कर चोद दो ताकि वो फिर मेरे कमरे पर नहीं आये और मेरा पीछा छूटे !
जीजाजी बोले- फिर उसको मज़ा आ गया तो फिर वो ना तो तेरा कमरा छोड़ेगी और न ही मुझे !
मैंने हंस कर कहा- हाँ, यह बात तो है ! पर आप उसे चोदना मत, उसकी गाण्ड मार देना फिर तो उसे दर्द ही होगा ना ! मैंने आपको कई बार फोन पर उसके बारे में बताया था और आपने कहा था कि साली की गाण्ड में झाड़ू डाल दे, आना भूल जाएगी, तो आप अपना लण्ड ही डाल दो ना ताकि उसका इलाज़ हो जाये !
जीजाजी ने कहा- मुझे किसी की गाण्ड नहीं मारनी है, मुझे तो सिर्फ तुम्हें ही चोदना है, तेरी चूत भी किसी गाण्ड से कम कसी नहीं है। और अब उनकी अंगुलियाँ मेरी चूत के दाने पर घूम रही थी !
मैंने उनका हाथ वहाँ से झटक दिया और कहा- मैं तो आपसे चुदना नहीं चाहती हूँ इसलिए आपको ऑफर दे रही हूँ और आप घूम फिर कर वहीं पहुँच गए !
फिर उन्होंने पूछा- जब तेरी भाभी आई थी तब भी तुमने पूछा था कि वो कहाँ सोई और आप कहाँ सोये और देख के मौका मारा चोक्का की नहीं !
जीजाजी बोले- मुझे तो ख़ुशी हुई जब तुमने यह पूछा। तब मैंने यह सोचा था कि तुझे उससे जलन हो रही है, तू मुझ पर हक जता रही है। पर फिर सारा मूड इसलिए ख़राब हो गया कि तुमने यह कह दिया कि आप तो मौका लगे तो किसी को चोद दो !मैंने कहा- वास्तव में तो अपने पति को भी कहती हूँ ! एक बार उन्होंने कहा था कि गाँव में एक औरत कई बार कहती है घर आने को, उसके पति से वह संतुष्ट नहीं है। तो मैं कहती हूँ कि जाओ, उस बेचारी को चोद आओ। तो वे भी कहते हैं कि यार तुझे छोड़ कर उसे कौन चोदे? तुम इतनी प्यारी और सुन्दर हो ! तो मैं अपना सर पीट लेती हूँ, वास्तव में चुदाई से परेशान हो जाती हूँ, मैं सोचती हूँ कि एक दिन तो मेरा पीछा छुटेगा। आप भी मेरी भाभी को पटा कर चोद दो, वो मुझ से छोटी भी है और सुन्दर भी ! ताकि कहीं हम दोनों हों तो कभी मेरा पीछा तो छूटे चुदाई से !
जीजाजी ने कहा- वो भले ही तुमसे छोटी हो या सुन्दर हो, मुझे तो तू ही अच्छी लगती है, मैं तो सिर्फ तुम्हें ही चोदूँगा !
मैंने कहा- धत्त यार ! इतनी देर आपको समझाया पर ढाक के वही तीन पात !
जीजाजी बोले- वही बात है, जो गाँव में किसी पंचायती में कही जाती है कि पंचों का हुकुम सर माथे पर ! पर यह नाला तो यहीं गिरेगा !
मैं खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- यानि यह बोझ तो मुझे अपने सीने पर झेलना ही पड़ेगा।
तो जीजाजी बोले- बिल्कुल यही बात है !
और फिर से मेरी चूत सहलाने लगे। इस बार उन्होंने अपनी अंगुली थूक से गीली कर दी, जिसे वे आसानी से अन्दर-बाहर कर रहे थे !
मैंने कहा- अपनी अंगुली हटाओ ! इतनी देर बातें करने के बाद मेरा टैंक फ़ुल हो गया है, मुझे पेशाब कर आने दो, वर्ना कभी भी मेरी पिचकारी छूट जाएगी, मैं पहले कह देती हूँ ! जीजाजी मुस्कुरा कर बोले- चलो छोड़ो पिचकारी ! मैं भी देखता हूँ कि कितनी ऊँची जाती है !
मैंने हंस कर उनका हाथ उठाया और बाथरूम की तरफ चल दी। जीजाजी भी मेरे नंगे मटकते कूल्हे देखते हुए मेरे पीछे बाथरूम में आ गए, वे भी पूरे नंगे ही थे !
मैंने कहा- आपको मूतना है तो आप पहले कर लो ! मैं बाहर जाती हूँ, मैं बाद में कर लूँगी।
पर जीजाजी बोले- नहीं, मैं तुम्हें पेशाब करते हुए देखूँगा और उसका संगीत सुनूँगा।
मैंने कहा- अजीब पागल हो? लो देखो और सुनो।
और मैं उनके सामने कमोड पर पैर लटका कर बैठ गई और वेग से पिचकारी छोड़ दी। जो शर्र्रर्र्र की आवाज़ के साथ बह निकली।
जीजाजी बड़ी गौर से देख रहे थे और मैं उनका चेहरा देख कर मुस्कुरा रही थी !
फिर उन्होंने कहा- वाल्व खोल लो ! ताकि तुम्हारे अंग भी धुल जाए!
मैंने कहा- नहीं, उसकी तेज़ धार मुझे लगती है, मैं तो गर्म पानी से धोऊँगी, अभी मेरे को फिर से चुदाई भी करवानी है।
जीजाजी ने कहा- ठीक है !
मैंने गीजर वाली टोंटी खोली और गर्म पानी बाल्टी में भरने लगी !
फिर जीजाजी ने अपने अर्ध उत्तेजित लण्ड को हाथ में पकड़ा उसका सुपारे का चमड़ा थोड़ा पीछे किया और कमोड में धार छोड़ दी। मैं भी तिरछी नजरों से उन्हें पेशाब करती देख रही थी, तो वे बोले- आराम से देख लो !
मैं चौंक कर दूसरी तरफ देखने लगी तो वे बोले- तेरे-मेरे बीच तो बिल्कुल शर्म और पर्दा रखना ही नहीं है। आज तक तेरी दीदी से शादी हुए 22 साल हो गए पर ऐसे नंगे तो तो हम कभी नहीं रहे।
मैंने कहा- आपने ही मुझे इतनी बेशर्म बना दिया है, मैं क्या करूँ।
वे बोले- नहीं जान, तुम मेरी सबसे प्यारी-न्यारी मेरी जान हो ! जिसे मैं बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ।
मैं तब तक अपनी चूत को धोती रही, उन्होंने भी अपने लण्ड को धोया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर वापिस पलंग पर आ गए। दोनों बिल्कुल नंगे अजीब लग रहे थे। मेरी आँखें अधमूंदी क्या करीब करीब बंद ही थी, मैं सिर्फ जीजाजी के सहारे ही पलंग पर पहुँची थी और फटाफट कम्बल में घुस गई। मुझे पता था कि यह कम्बल भी मेरा साथ जल्द ही छोड़ देगा।
और वही हुआ, जीजाजी बड़ी जल्दी मेरी धुली हुई चूत पर टूट पड़े, वे तो सीधा मेरी टांगों के बीच ही घुस गए और अपना चेहरा मेरी टांगों के बीच छिपा लिया !
जीजाजी का मुँह मेरी चूत से लगा हुआ था और वे उसे ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे, उनकी जीभ मेरे चूत के दाने से ऊपर से नीचे चूत के किनारे तक घूम रही थी। अभी तक उन्होंने मेरी चूत की फाड़ियाँ खोल कर अभी तक अन्दर नहीं डाली थी, बस ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की तरफ फिरा रहे थे।
और जब उनकी जीभ ऊपर फिरती, और अन्दर नहीं घुसती तो मेरी चूत अन्दर से कचमचाने लगी और जब उनकी जीभ मेरे छेद से फिसलती ऊपर या नीचे जाती तो न चाहते हुए भी मेरी गाण्ड उठ जाती। जीजाजी को पता चल गया और उन्होंने आराम से मेरी फाड़ें अलग अलग की और अपनी जीभ को थोड़ा गोल कर कड़क किया और मेरे चूत के दाने जिसको वे चना कहते हैं, उसे रगड़ने लगे। मैं उत्तेजना से पागल सी होने लगी और उनके बाल पकड़ कर उनका मुँह में अपनी चूत में दबाने लगी !
वे भी अब मेरी चूत को पूरी तरह से अपने मुँह में भरने लगे। ये उनकी एक और जानलेवा अदा थी सेक्स में !
मेरी हालत ख़राब होने लगी और मैं बेशर्म होकर धीरे धीरे बड़बड़ाने लगी- अबे घाल दो नि म्हारे मन में हांची आयोडी है अबे जीभ सु काम कोणी चले अब तो काम डंडा सु ही चली ऐ मार का भुत है बाता सु कोणी माने ! और मेरी आआआआआअ….ऊऊऊऊ…ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अरीईईईए …कई करो म्हारे घाल दो नि ओ…….. !
पर जीजाजी के कानों पर जूँ ही नहीं रेंग रही थी, हाँ, उन्होंने चाटने की गति बढ़ा दी थी साथ ही हल्का हल्का काट भी रहे थे जो मुझे अच्छा भी लग रहा था। मैंने उनके जो थोड़े बहुत बाल हैं उन्हें बिखेर दिया था !
उनके बाल बिखर गए थे और कम होने वजह से खड़े भी हो गए थे और कुछ अजीब से लग रहे थे जैसे कोई तूफान से आया हो पर वे तो मेरे चूत के तूफान में फंसे हुए थे और मुझे आनन्द दे रहे थे।
अब मुझे भी पता चल गया कि अबकी बार तो ये चाट चाट कर ही पानी निकालेंगे तो मैं भी अब अपनी कमर नीचे से उठा उठा कर मज़े ले रही थी और वे भी बहुत गति से अपनी जीभ नुकीली कर उसे मेरे चूत की गहराइयों तक पहुँचा रहे थे, साथ ही मेरे चूत के दाने को अपनी गीली अंगुली से हल्के हल्के सहला रहे थे !
और मेरा बांध फट पड़ा, मैं झटके खाती-खाती झड़ने लगी। मैंने जीजाजी का चेहरा पूरी तरह से अपनी चूत पर चिपका दिया था और उन्हें हिलने ही नहीं दे रही थी। वे हिल नहीं रहे थे पर उनकी जीभ और होंट चलायमान थे जो मेरे पानी अंतिम बूंद तक निचोड़ रहे थे और मेरे झड़ने के बाद तक अपनी जीभ को अन्दर तक घुसा कर साफ कर रहे थे।
मैंने कहा- अब रुक जाओ, अब मेरा पानी निकल गया है।
वे बोले- मैंने चख भी लिया है, थोड़ा नमकीन सा लगा है।
मैंने कहा- धत्त ! अपना मुँह धोकर आओ और कुल्ले भी करके आना। आपको गन्दा नहीं लगता?
जीजाजी बोले- नहीं, यही तो अमृत है जो मुझे पीना है, पर यार तुम्हारे आता बहुत कम है, हमारा चाहिए तो आधा कप भर लो !
मैंने कहा- कम है, तभी तो मांग है।
और मैं खिलखिला उठी, मेरी स्वछंद हंसी को सुनकर वे भी मुस्कुराते हुए बाथरूम में कुल्ला करने चले गए अपने पप्पू को सीधा खड़ा हुआ और तना हुआ लेकर !
मैं उनके आने तक मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार होने लगी, मुझे पता था कि अब मेरे चूत की धज्जियाँ उड़ने की बारी है।
थोड़ी देर में वे अपना मुँह धोकर और कुल्ले करके वापिस आ गए और मेरे बराबर में आकर लेट गए, वे शायद पेशाब कर और अपने लण्ड को धोकर आये थे इसलिए कुछ मुरझा गया था और अर्ध- उत्थित अवस्था में था। पर मुझे पता था इसका जहर अभी निकला नहीं है, इसलिए यह थोड़ी देर में ही अपना फन उठा लेगा !
उन्होंने आते ही मेरे चेहरे की तरफ होंट बढ़ाये ! चूँकि अभी अभी उन्होंने मुझे स्वर्गिक सुख दिया था इसलिए मैं भी उन्हें कुछ इनाम देना चाहती थी जो मैं उनकी तरह उनका तो नहीं चूस सकती थी पर मुझे पता था उन्हें होंट चूसना और चुसाना बहुत पसंद है इसलिए मैंने उनका नीचे वाला होंट अपने होंटों की गिरफ्त में ले लिया और जम कर चूसने लगी ! मैं वैसे कभी होंट ना तो चूसती हूँ और ना ही चुसवाती हूँ इसलिए मेरी इस अदा पर मैंने जीजाजी की आँखों में आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी आ गई थी !
मैंने वास्तव में इतनी बुरी तरह से उनके होंट चूसे कि उनके होंट में सूजन सी आ गई पर उन्हें तो मज़ा आया और बोले- तू सूजन की चिंता मत कर, मुझे कल जाना है तेरी दीदी के पास, तब तक सूजन उतर जाएगी !
मैं भी थक कर ठंडी साँस ले रही थी कि उन्होंने अपने होंटों से मेरे होंटो को जम कर चूसा, उनका हाथ मेरे सर के पीछे था क्यूंकि कई बार मैं अपना मुँह हटाने की कोशिश कर रही थी पर वे बलपूर्वक मेरे सर को अपने मुँह की तरफ दबा कर रख रहे थे !
फिर उन्होंने मेरा मुँह छोड़ा तो मैंने अपनी अटकी हुई साँस ली पर मेरी साँस पूरी नहीं होने के बीच में ही फिर अटक गई थी क्यूंकि इतनी देर में जीजाजी ने उठ कर मेरे पांव अपने कंधों पर ले कर अपना लण्ड मेरी चूत में सरका दिया था !
और दूसरे झटके में तो जड़ तक अन्दर था।
मेरे मुँह से अह की आवाज़ निकली और फिर मैं शांत हो गई और दम साध कर धक्कों का इंतजार करने लगी !
और जीजाजी ने भी मुझे इंतजार नहीं करवाया दनादन धक्के मारने शुरू कर दिए !
उनका लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था, वे जब ऊपर की तरफ होकर धक्के मारते तो उनके लण्ड की रगड़ मेरे चूत के दाने से लगती और मेरे दिमाग में उत्तेजना की चिन्गारियाँ सी फूटती ! और थोड़ी देर में मुझे लण्ड का स्पर्श अपनी चूत में भला लगने लगा !
ईश्वर ने हम औरतों को वरदान दिया है कि हम चाहे जितनी बार चुदा सकती हैं भले ही हमें मज़ा आये या नहीं हमें कोई उठाना तो है नहीं, टांगें खोल कर लेटना ही तो है, मर्द को लण्ड उठाना पड़ता है जो उसकी सिमित शक्ति होती है !
पर जीजाजी मुझे फिर से उत्तेजित कर देते, मैं सोचती बस अभी इनका निकल जाये तो बहुत है, मेरा इतनी बार आ गया है कि अब शायद ही आएगा, पर मैं उत्तेजित हो जाती हूँ !
मैंने जीजाजी को कहा- आप मेरे स्तन भी दबाओ, मुझे इन्हें आज दबवाना अच्छा लग रहा है ! और आप मेरी टांगों को अपने कंधे पर ही रखो और इनके नीचे से हाथ डाल कर मेरे स्तन पकड़ लो, मै और ज्यादा धनुषाकार हो जाऊँगी !
जीजाजी बोले- मैं ज्यादा लंबा हूँ इसलिए ऐसे नहीं पकड़ सकता, मेरा सारा बोझ तुम पर आ जायेगा और अभी तुम्हें साँस भी नहीं आएगा। मैं एक हाथ की कोहनी बल रहूँगा और एक हाथ से बारी बारी से तेरे दोनों वक्ष मसल दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है !
और वे बारी बारी से मेरे उत्थित वक्षों का मर्दन करने लगे जो आज ज्यादा ही उछल रहे थे !
अब उन्होंने वक्ष मसल कर उन्हें कोमल कर दिया था और फिर उन्हें तनहा छोड़ कर अपने हाथों से मेरा सर पकड़ लिया था और बहुत तेज़ धक्के लगाने लगे। मैं भी उन्हें अपनी कमर उचका कर पूरा साथ दे रही थी और वे पूरे लण्ड को बाहर निकाल कर एक झटके में जड़ तक घुसा रहे थे और अब मेरी चूत रवां हो गई थी इसलिए पूरे लण्ड को गप-गप खा रही थी। मेरी चूत से पूर्व रस निकल कर लण्ड को चिकना बना रहा था और वातावरण में चुदाई का मधुर संगीत बरस रहा था- चप चप, खप खप, सट सट, पुच पुच, पच पच की आवाजों ने मुझे जल्दी ही झड़ने पर मजबूर कर दिया और फिर जीजाजी ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
मैंने कहा- क्या हुआ? कंडोम पहन कर अपना पानी भी निकाल लो !जीजाजी बोले- बुड्ढा आदमी हूँ मैडम, अभी तो कई बार चुदाई करनी है और अन्दर सामान थोड़ा है, अभी निकाल लूँगा तो फिर मुश्किल से उठेगा !
मैंने कहा- तो अब क्या करना है? आप निकाल लो, फिर सो जायेंगे, बहुत हो गई चुदाई !
वे बोले- नहीं मैडम, आप जब यहाँ से जाओ तो आपको चुदाई का अहसास होना चाहिए और 2-3 तीन दिन तक तो आपकी चूत भी आपको बोलनी चाहिए कि ऐसे आदमी के पास फिर नहीं जाना है। और मैं जो होटल का खर्चा करता हूँ उसका मज़ा तो पूरा लूँगा न !
मैंने कहा- आप जो चाहे करो, मैं तो अब पेशाब करके सोऊँगी, नंगी ही हूँ, जब चाहे मार लेना, जब चाहे अपना लण्ड फंसा देना, मेरे क्या फर्क पड़ेगा !
और ऐसा कह कर में पेशाब करके आकर के सो गई। जीजाजी पीठ पर चिपक कर सो गए !
कहानी जारी रहेगी।
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