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लेखिका : कमला भट्टी
कम्बल में घुसते ही जीजाजी ने बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया, मैं भी उनकी बाँहों में समां गई और उनके चौड़े चकले सीने में अपना मुँह छुपा लिया !
पर जल्दी ही उन्होंने मुझे ऊपर खींच कर मेरा चेहरा अपने चेहरे के बराबर कर लिया, मेरे गालों पर चुम्बन देने लगे और मुझसे पहले उनके गंवारूपन सेक्स से हुए दर्द के बारे में माफ़ी मांगने लगे।
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है !
फिर उन्होंने अपने हाथों से मेरी चूत को टटोल कर थपथपा दिया और मुझे चूमते रहे। मैं कितना ही अपना मुँह इधर उधर करूँ, फिर भी मेरे गाल, मेरी ठोड़ी, मेरा ललाट, मेरी गर्दन मेरे कानो की लटकन और कभी कभी होंट चूम ही लेते !
फिर मुझे जो नाक का लोन्ग दिया उसके बारे में पूछा- मुँह दिखाई का तोहफा पसंद आया?
मैंने कहा- मुझे तोहफों की कोई जरूरत नहीं है, न ही इस बात का कोई लालच है, बस आपका प्रेम देख कर मैं आप पर फ़िदा हूँ, वर्ना आपको तो पता है कि मेरे कितने आशिक तैयार बैठे हैं मेरे कदमों पर तोहफों का अम्बार लगाने के लिए !
जीजाजी ने कहा- अब तुम्हें किसी आशिक की जरूरत नहीं पड़ेगी, जो तुम चाहोगी वो मिलेगा, मेरी जान भी ! और कोई तुम्हारे नज़दीक आया तो मुझे सहन नहीं होगा, सिर्फ तुम्हारे पति के अलावा, क्या करूँ मेरा नम्बर दूसरा है ना !
मैंने कहा- जवानी में ही किसी आशिक को नजदीक नहीं आने दिया, अब तो बुढ़ापा आने लगा है, अब तो वैसे भी कोई नहीं आएगा !
और मैं हंस पड़ी !
जीजाजी ने कहा- तुम बुढ्ढी नहीं हो, जवान हो मेरी जान ! और बिस्तर पर तो नई लड़कियाँ भी तुमसे पीछे हैं !
मैंने कहा- मुझे चढ़ाओ मत !
जीजाजी बोले- अब तुम्हें कोई मुझे पटाना तो है नहीं जो झूठ बोलूँगा ! तुम वास्तव में चीज हो, मैंने ज़िन्दगी में 25-30 चूतें तो देखी ही होंगी, तुम्हारी चूत सबसे अच्छी है !
मेरी और मेरी चूत की तारीफ सुन कर मेरे गालों पर गुलाब बिखर गए !
मैं और जीजाजी एक दूसरे से बहुत सारी बातें करते हैं जो मैं कभी अपने पति से भी नहीं कह पाती और जीजाजी मुझे वो बातें भी बता देते हैं जो शायद वो मेरी दीदी को भी नहीं बताते हैं। यानि अपनी प्रेमिकाओ के बारे में उन्होंने सारी घटनाएँ मुझे बताई जो मुझे काफी रोचक लगी।
कभी वे एकदम खुली किताब की तरह हो जाते हैं मेरे सामने ! उनकी यही बात मुझे अच्छी लगती है। अगर वे मुझसे नाराज़ होंगे तो छिपाएँगे नहीं, कह देंगे, और खुश होंगे तो भी कह देंगे।
उन्होंने मुझसे से भी सारी बातें पूछी कि किस किस ने तुम पर ट्राई मारी है? और तुम्हें कौन कौन पसंद आया था?
मैं भी मजाक में कहती हूँ- आपके अलावा मुझे सब पसंद आये थे, आप ही नहीं आए क्यूंकि आप ही मेरे पहले आशिक हैं जो मुझ पर चढ़ कर मुझे परेशान करते हैं।
और मैं हंस पड़ती, जीजाजी भी मुस्कुरा जाते। मैंने अपनी ज़िन्दगी की सारी बातें उन्हें बता दी, मेरे जेठुते(जेठ के बेटे) से लेकर जब मैं पढ़ती थी तब एक जने ने प्रेमपत्र दिया था और वो मैंने अपनी माँ को बता दिया था, और मेरी माँ ने उस लड़के को काफी गालियाँ निकाली थी।
ऐसी सारी बातें !
मुझे उन्होंने पूछा- तुम किस पर मरती थी?
तो मैंने कहा- मुझे वैसे किसी से चुदाने की मन में नहीं आई थी पर एक आदमी मुझे कुछ अच्छा लगा था जो मेरे ससुराल का था, मुझे अक्सर फोन करता था, कहता था कि प्लीज आप मुझसे बात कर लें, मैं खुश हो जाऊँगा !
मैंने उसको कहा था कि जब भी तुमने कोई गलत बात निकाली तो मैं बात करना बंद कर दूंगी। तो वो सहमत हो गया था और वास्तव में मुझसे वो अच्छी बातें ही करता था। मैंने यह भी कह दिया था उसको कि मेरा मूड होगा तो ही बात करुँगी वर्ना नहीं, और जब मेरा मूड होता तभी उससे बात करती, वो मुझे प्यार की देवी और न जाने क्या क्या कहता। वो बहुत सुन्दर था और मेरे गाँव में सबसे ज्यादा पैसे वाला था, कभी बात करते करते वो रोने लग जाता था और रोजाना मेरे घर के पास शिव मंदिर में जल चढ़ाने आता था, मुझे कहता था- आप एक बार चेहरा दिखा दें, मेरा दिन अच्छा गुजर जायेगा। और मेरा वहाँ ससुराल होने के कारण मैं घूँघट में रहती पर कभी कभी उसे चेहरा दिखा देती और वो बहुत खुश हो जाता।
एक बार उसने कहा था कि मैं आपसे आपके घर आकर मिलना चाहता हूँ तो मैंने सख्ती से मना कर दिया ! उस रात एक चोर मेरे घर के पास आया और मेरी सास जो उस वक़्त मेरे साथ रहती थी, उसकी नींद खुल गई और वो चोर अपनी चप्पल छोड़ कर भाग गया। एक दिन पहले से मेरी माहवारी आई हुई थी और मेरा पेट दर्द के मारे बुरा हाल था पर कुछ जो मुझसे जलते थे उन्होंने कहा कि पति तो रहता नहीं है और यह आशिक को बुलाती है। पर शुक्र था कि सास ने मेरा पक्ष लिया और कहा कि मैं इसके साथ सोती हूँ और इसको तब माहवारी आई हुई थी तो यह कैसे बुला सकती है। मुझे उस आशिक पर गुस्सा आ रहा था, मैंने सोचा कि हो ना हो वही आया होगा मना करने के बाद भी। हालाँकि बाद में हमें उस चोर का पता चल गया था पर उस वक़्त नहीं पता चला था।
मैंने सुबह उस आशिक को फोन कर रोते रोते इतनी गालियाँ निकाली कि पूछो मत ! वो बेचारा अपनी सफाई पेश करता रहा पर मैं नहीं रुकी, अगर वो सामने होता तो मैं उसको चप्पल की मार देती, खूब गालियाँ निकाल कर मैंने उसे फोन न करने का कह दिया। फिर जब उस चोर का पता चला तो मुझे बहुत अफ़सोस हुआ कि मैंने उस बेचारे के ऐसे ही बारह बजा दिए ! पर उस दिन के बाद न तो उसका फोन आया न ही कभी वो जल चढ़ाने आया। आज उस बात को साल भर हो गया है।
मेरी बात सुनकर जीजाजी ने मजाक में कहा- सच बताना, जब तुम्हें पता चला कि तुमने उसे गलत गालियाँ निकाली हैं तो तुम्हारे मन में क्या आया?
मैंने कहा- दया आई थी !
उन्होंने फिर कहा- तो पछतावे के रूप में तुम्हें नहीं लगा कि उससे चुदवा लेना चाहिए? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कहा- ऐसा तो कभी नहीं होगा ! आपका दाव लग गया, यही बहुत है, मेरे पास तो उसके नंबर भी थे, मैंने उसे फोन भी नहीं किया, चुदाना तो बहुत दूर की बात है !
मेरी यह बात सुनकर जीजाजी ने मुझे ख़ुशी में बुरी तरह जकड़ कर चूम लिया और बोले- इसी बात पे तो मरता हूँ मेरी जान ! मुझसे भी तू 10-15 सालों की मेहनत के बाद पटी हो ! वो भी शायद उस दिन मेरे पर किस्मत मेहरबान थी, वरना आज तक मैं तुम्हे सपने में ही चोदता !
मैं भी हंस पड़ी !
जीजाजी फिर सात बजे तक कम्बल ओढ़े बातें ही करते रहे जैसे वास्तव में हमने सुहागरात ही मनाई हो और जैसे वे मुझे अपनी पहली चुदाई के बाद आराम दे रहे हों !
हाँ, उनके हाथ यहाँ-वहाँ घूम रहे थे और मैं उन्हें और वे मुझे अपनी बातें सुना रहे थे जैसे मैंने अपनी असफल इश्क की दास्तान सुनाई और मैं उनके चेहरे पर हज़ार रंग देख रही थी उनमें ईर्ष्या, जलन, दुःख, ख़ुशी, हंसी, मजाक आदि सब शामिल थे।
बाद में उन्होंने मुझे कहा भी कि अब कोई किसी का फोन आ जाये तो उसके नंबर तू मुझे दे देना, मैं बात कर लूँगा।
मैंने कहा- कई फोन आते हैं, मुझे ही नहीं पता वे किसके हैं। साले बोलते ही नहीं हैं या कोई म्यूजिक बजता रहता है, मैं भी उन्हें खूब माँ-बहन की गालियाँ निकाल देती हूँ ! आप चिंता ना करें, मेरी फोन वाली आशिकी भी आपसे ही है।
यह सुनकर जीजाजी ने मेरा मुँह ख़ुशी से चूम लिया !
सात बज चुके थे, मैंने कहा- आप भी कपड़े पहन लीजिये, मैं भी पहन लेती हूँ, नीचे खाना खाने चलते हैं !
जीजाजी तैयार हो गए और मेरे गाल पर उठते उठते ही जोरदार चुम्बन जड़ दिया।
मैंने कहा- मैं भी यही हूँ और रात भी बाकी है फ़िर इतना उतावलापन क्यूँ?
फिर वे अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गए, मैंने अलमारी से कपड़े निकाले और फटाफट पहन लिए ! जीजाजी बाथरूम से कपड़े पहन कर निकले तो मैं बाथरूम में घुस गई !हम दोनों लिफ्ट से नीचे आ गए और खाना खाने लगे !
कहानी जारी रहेगी।
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