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नेहा वर्मा यह कहानी तीन प्रेमियों की है। इस कहानी के पात्र फ़िल्म संगम के पात्रों से मिलते-जुलते हैं और कहानी में वही त्रिकोण है। गोपाल और सुन्दर बचपन के मित्र थे। एक साथ पढ़े-लिखे, खेले-कूदे और खाते पीते थे।
जब वे छठी कक्षा में आये तो उसी स्कूल में एक लड़की राधा ने प्रवेश लिया। राधा गोपाल के घर के समीप ही रहती थी। एक ही कक्षा में पढ़ने के कारण तीनों की दोस्ती हो गई थी। अब वे दो से तीन हो गये थे। सीनियर सेकेण्डरी पास करते करते वे जवानी की दहलीज में कदम रख चुके थे। तीनो में अब दोस्ती के मतलब भी बदलते जा रहे थे। राधा के सीने के छोटे छोटे सुन्दर उभार दोनों दोस्तों को विचलित कर देते थे। इधर राधा की नजर भी उमर के लिहाज से बदलने लगी थी। वो तो दोनों से खूब इतरा इतरा कर बातें करती थी, आँखें मटका कर उन्हें रिझाती भी थी।
ऐसा नहीं था कि वो दोनों में से किसी एक को प्यार नहीं करती थी। वो तो दोनों पर अपनी अपनी नजर जमाए हुये थी। उसे भी अब सुन्दर और गोपाल का उसे छूना मादक लगने लगा था। यों अगर एक को चुनने को कहा जाये तो वो हमेशा चिकने, सुन्दर सलोने, दुबले पतले गोपाल को ही प्रथम स्थान देती थी, पर सुन्दर भी कम नहीं था, वो भी अपने नाम के अनुरूप सुन्दर था पर साथ में वो बलिष्ठ भी था, ताकतवर था और भोला भी, किन्तु अधिक बतियाने वाला लड़का था।
22 वर्ष के होते होते सभी ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी।
राधा की माँ प्रिया विधवा थी। आज प्रिया कोई 42 या 43 वर्ष की रही होगी। उसने अपने आप को बहुत संवार कर रखा था। वो एक दुबले बदन वाली पर आकर्षक फ़िगर वाली युवती थी। सुन्दर थी गोरी थी, उनके बाल रेशमी और लम्बे थे। चलने में उसकी एक अदा थी। उसके चलने पर उसके दोनों चूतड़ मस्त गति से ऊपर नीचे चलते थे। सुन्दर और गोपाल को भी उसकी मां की तरफ़ झुकाव था। प्रिया भी दोनों से कभी कभी अश्लील मजाक कर देती थी, जिससे गोपाल और सुन्दर के दिल में सांप लोट जाते थे।
वो शाम एक हसीन शाम थी। काली घटायें झूम कर धरती को चूमना चाहती थी। मन्द-मन्द सुहानी मन को झूमने पर मजबूर करने वाली हवायें शरीर को गुदगुदा रही थी। सुन्दर और प्रिया बगीचे में बैठे बतिया रहे थे। हसीन मौसम के चलते उनके दिल भी गुदगुदा रहे थे। प्रिया का दिल भी आज चुदने के लिये बैचेन हो रहा था। वो एक दूसरे को नशीली निगाहों से देख रहे थे। जाने अनजाने में उनकी तिरछी निगाहें कुछ कुछ पैगाम दिये जा रही थी।
ऐसे में प्रिया का आंचल उसकी छाती से सरक कर उसकी गोदी में आ गिरा। उसके उन्नत सुडौल उरोज सुन्दर के सामने इठलाने लगे। सुन्दर प्रिया को इस रूप में देख कर रोमांचित हो उठा। वो एकटक देखते हुये उसके सीने के उभार को अपनी आँखों में समाने लगा।
प्रिया ने सुन्दर की आँखों की भाषा पढ़ ली थी। प्रिया की आँखें गुलाबी हो उठी। सुन्दर का लण्ड भी जोर मारने लगा। उसमें कड़कपन आने लगा था। प्रिया के गहरे गले का ब्लाऊज उसकी छाती की गहरी दरार और आधे बाहर को नजारा दिखाते हुये उरोज सुन्दर को बहकाने लगे। सुन्दर ने अनजाने में ही अपने अपने सख्त हुये लण्ड को दबा लिया। प्रिया की मुस्कान गहरी हो गई, वो समझ गई कि सुन्दर उस पर फ़िसल चुका है।
शाम ढलते ढलते एक मदमस्त करने वाली वो एक तूफ़ानी रात में बदलने लगी थी। हल्की बून्दा बांदी होने लगी थी। प्रिया ने सुन्दर का हाथ पकड़ा और उसे उठने का इशारा किया। सुन्दर के खड़े होते ही उसका लण्ड पैन्ट में से उभर कर प्रिया को रिझाने लगा। प्रिया का दिल लण्ड का उभार देख कर एक बार तो जोर से धड़क उठा।
अन्दर चलो, वर्ना भीग जाओगे।
तो क्या हुआ आण्टी, भीगने में बहुत मजा आ रहा है। ठण्डक सी मिल रही है !!
तो ठीक है चलो आज भीगने का मजा लेते हैं।
प्रिया भी मुस्करा उठी। उसे पता था कि उसकी साड़ी शरीर से चिपक कर सुन्दर को अपने शरीर का नक्शा दिखायेगी।
बरसात तेज होने लगी थी। प्रिया की साड़ी उसके बदन से भीग कर चिपक गई थी। यही हाल सुन्दर का था। उसकी पैंट भीग कर लण्ड का आकार तक स्पष्ट बता रहा था। प्रिया सुन्दर का हाथ पकड़े पकड़े उसके और नजदीक आ गई और उसकी आंखों में झांकने लगी। सुन्दर भी नशे में खोता जा रहा था। सुन्दर का चेहरा अपने आप ही झुकता चला गया गया। प्रिया की आंखें स्वतः ही बन्द होने लगी। सुन्दर ने अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रखा और सहलाने लगा। उसकी एक अंगुली उसकी चूतड़ों के बीच गहराई में घुसने लगी। प्रिया ने मुस्करा कर अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखा और अपने नाजुक होंठ काट लिये।
फिर सुन्दर ने उसकी गाण्ड के छेद को कुरेद दिया। प्रिया ने उसके हाथ को धीरे से हटा दिया। पर सुन्दर तो बहक चुका था। उसने अपना हाथ प्रिया की चूत पर रख कर उसे दबा दिया।
उफ़्फ़्फ़, बस करो, क्या करते हो?
सुन्दर ने उसे अपने से लिपटा लिया। प्रिया एक लता की तरह से उसकी बाहों में झूल सी गई। बारिश की बूंदें दोनों के दिल की आग को भड़का रहे थे। सुन्दर प्रिया के चेहरे पर झुक गया। प्रिया के नाजुक होंठ अपने आप खुलने लगे।
… और फिर दोनों के अधरों का एक मस्ती भरा टकराव हो गया। वे आनन्द में लिप्त होकर एक दूसरे के होंठो को पीने लगे। प्रिया ने अपनी जांघें सुन्दर की जांघों से चिपका दी, यहाँ तक कि उसके लण्ड का उभार उसकी चूत की छोटी सी दरार पर रगड़ तक खा गया।
प्रिया की चूत में एक मीठी सी खुजली शुरू हो गई। सुन्दर ने अपने हाथ नीचे ले जाते हुये उसके नरम नरम चूतड़ो को थाम लिया और उसे भोंपू की तरह दबाने लगा। इस तरह दबाने से उसके लण्ड का दबाव प्रिया की चूत पर बढ़ गया और प्रति-उत्तर में प्रिया अपनी चूत का उभार उसके लण्ड पर रगड़े जा रही थी।
तभी एक तेज बिजली चमकी और जोर से बादल गरजे जैसे कि आसमान फ़ट गया हो। दोनों चौंक से गये। प्रिया सुन्दर का हाथ पकड़े घर के अन्दर की ओर खींचने लगी।
सुन्दर प्रिया की ओर बड़े प्यार से देख रहा था। प्रिया ने शरमा कर अपनी नजरें झुका ली और मुस्करा कर नीचे देखते हुए ही बोली- पूरे भीग गये हो !
‘और आप ! साड़ी कैसी चिपक गई है… सेक्सी लग रही हो !’
‘सेक्सी-वेक्सी छोड़ो, कहीं सर्दी लग गई तो बीमार हो जाओगे !’
सुन्दर ने अपनी गीली शर्ट और बनियान उतार दी फिर तौलिया ले लिया। तौलिया लपेट कर उसने अपनी भीगी हुई पैंट और चड्डी उतार दी।
‘बड़े सेक्सी लग रहे हो।’
‘प्रिया आण्टी, सेक्सी-वेक्सी छोड़ो, जल्दी से कपड़े उतार दो, वरना आपको भी सर्दी लग जायेगी।’
‘क्या कहा? कपड़े उतार दूँ? बेशर्म कहीं के, चलो उधर देखो…’ वो हंस पड़ी।
प्रिया ने अपने कपड़े उतार दिये और एक ढाला सा गाऊन पहन लिया। तभी सुन्दर ने पलट कर देखा। प्रिया गाऊन पहनने में तल्लीन थी। उसकी एक नजर ने उसके शरीर की नग्नता को अपने मन में कैद कर लिया। तभी प्रिया चौंक पड़ी।
‘तुम नहीं मानोगे… बहुत शरारती हो…’
प्रिया की नजरें चंचल हो उठी। वो धीरे से सुन्दर के पास आ गई। उसकी नंगी, चिकनी छाती पर अपना हाथ फ़ेरने लगी।
‘क्या मसल्स हैं…!’ प्रिया की आंखें चमक उठी। ‘मैं भी आपके मसल्स देखना चाहता हूँ… देखूँ तो कैसी है?’
प्रिया ने बेशर्मी से अपना सीना उभार कर कहा- लो देख लो ! जरा ठीक से देखना !!! फिर वो हंस दी।
सुन्दर ने अपना हाथ प्रिया के गाऊन के भीतर डाल दिया और ऊपर से गाऊन हटा दिया।
‘क्या मस्त उभार हैं? क्या कट्स है… हाय आण्टी ! मैं तो मर गया।’
तभी प्रिया ने उसका तौलिया खींच कर उतार दिया। उसका दिल तो धक से रह गया। इतना मोटा ! इतना लम्बा ! सीधा कड़कता हुआ लण्ड !! बाबा रे, ये तो मेरी भोस फ़ाड़ देगा। फिर प्रिया की आँखें गुलाबी होने लगी। ‘आण्टी, ऐसे मत कहो…’ ‘अह्ह्ह, सुन्दर आओ यहाँ पलंग पर बैठो ! तो तुम्हारा लण्ड तो बहुत मस्त है !!’ ‘आण्टी, बस आपके लिये बचा कर रखा है। बस सिर्फ़ मुठ्ठ ही मारा है इसके ऊपर ।’
प्रिया हंसने लगी। अब मेरी भोस मारना…
प्रिया ने सुन्दर को अपने बिस्तर पर बैठा दिया और ध्यान से उसे देखने लगी। फिर हाथ से उसका लण्ड हिलाने लगी।
हिलाती क्या ! वो तो इधर उधर झूमने लगा था। उफ़्फ़्फ़ राम जी ! इतना कठोर… अधखुला सुपाड़े में से उसके पेशाब की दरार लाल सुर्ख सी गजब ढा रही थी। उसने धीरे से उसे जोर लगा कर चमड़ी को सुपाड़े के ऊपर चढ़ा दिया। ऐसा लगा कि उस फूले हुये सुपाड़े पर चमड़ी चढ़ाते चढ़ाते फ़ट ही जायेगी, उफ़्फ़्फ़ ! कितनी कसी हुई ऊपर गई थी।
‘लेट जाओ सुन्दर ! इतना सुन्दर और तगड़ा लण्ड तो मेरे पति का भी नहीं था।’
वो उत्तेजना से भरा हुआ था। वो धीरे से बिस्तर पर वैसे ही लेट गया। अब तो उसका लण्ड जैसे 120 डिग़्री पर तना हुआ था और प्रिया अपने हल्के हाथों से उसे ऊपर-नीचे करके सहला रही थी। सुन्दर के मुख से रह रह कर उफ़्फ़, आह्ह्ह की किलकारियाँ सुनाई दे रही थी।
तब प्रिया ने धीरे से उसे अपने मुख में ले लिया। वो उसका लण्ड अब चूस रही थी। सुन्दर भी कभी कभी अपनी कमर उछल कर लण्ड को ऊपर झटका दे देता था। तभी प्रिया ने जोश में आकर उसे जोर से दबा दिया और जोर से उसके सुपाड़े पर चुसके का सुट्टा मारा। उसी मार से सुन्दर तड़प उठा और जोर से उसका वीर्य छलक उठा। सुन्दर ने अपने दोनों हाथों से प्रिया का सर अपने लण्ड पर दबा दिया और अपना वीर्य प्रिया के मुख में उगलने लगा।
प्रिया से कुछ नहीं बना तो उसने सारा वीर्य गटक लिया। तभी बाहर जोर से बिजली कड़की। बरसात तेज हो गई थी। प्रिया ने अब धीरे से अपना सर उठाया और सुन्दर की तरफ़ देखा। सुन्दर तो अपनी आंखें बन्द किये जोर जोर से सांसें ले रहा था।
‘अब आराम से लेट जाओ सुन्दर। बहुत हो गया।’
सुन्दर ने एक दो लम्बी लम्बी सांसें ली और पूरे बिस्तर पर अपने पांव पसार कर लेट गया। प्रिया ने अपना गाऊन उतार दिया और खुद भी नंगी होकर उसके समीप लेट गई। दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे। प्रिया के दिल में आग पहले से ही भड़क रही थी। उसने अपना एक पैर उसकी कमर में डाला और लिपट कर लेट गई। कुछ ही समय बाद उसे महसूस हुआ कि सुन्दर का लण्ड फिर से कड़क होने लगा है। प्रिया का दिल खुशी के मारे उछलने लगा। वो धीरे धीरे सुन्दर के शरीर पर कब्जा करने लगी। प्रिया उसके ऊपर छा गई। सुन्दर नीचे दब गया था।
‘अब कहाँ जाओगे?’ ‘मुझे कहीं नहीं जाना है आण्टी ! बस अब आपकी चूत मारनी है !’ ‘जरूर मारना मेरे जानू, पर शुरूआत मेरी गाण्ड से करो, मेरी गाण्ड पति के अलावा किसी ने नहीं मारी है। बहुत प्यासी है राजा !’ ‘ओह मेरी जान, वो तो बड़ी मस्त है, आपकी गाण्ड देख कर मेरा तो हमेशा उसमे अपना लण्ड फ़ंसाने का मन करता था।’
सुन्दर ने आवेश में उसे अपनी बाहों में दबा लिया। प्रिया को उसने अब अपनी बगल में लेटा लिया और उसकी पीठ से चिपक गया।
प्रिया ने अपने दोनों टांगें अपनी छाती से चिपका ली और अपनी गाण्ड पूरी तरह से खोल दी। प्रिया ने अपनी गाण्ड उभार कर सुन्दर के लण्ड से चिपका दी। प्रिया के चूतड़ों के बीच फ़ूल सा छेद खिल उठा। लण्ड के स्पर्श से वो अन्दर-बाहर होने लगा था। प्रिया को अपनी गाण्ड में एक अन्जानी सी गुदगुदी सी होने लगी। लण्ड बार बार उसके फ़ूल को दबा कर उत्तेजित कर रहा था। तभी सुन्दर के लण्ड का सुपाड़ा उसके छेद पर दबाव डालता हुआ आराम से भीतर प्रवेश कर गया।
प्रिया के मुख से एक मस्ती भरी आह सी निकली। सुन्दर के सुपाड़े से निकला हुआ प्री-कम की चिकनाई से प्रिया को बहुत आराम मिला। लण्ड के भीतर घुसते ही प्रिया ने अपनी गर्दन घुमा कर बड़ी आसक्ति से सुन्दर को निहारा। सुन्दर ने उसे चूम लिया और फिर अपने लण्ड का एक दबाव फिर डाला।
लण्ड प्रिया के शरीर में तरन्नुम छेड़ता हुआ, गुदगुदाता हुआ भीतर उतरने लगा। सुन्दर ने लण्ड घुसाने के साथ ही प्रिया के दोनों मम्मे थाम लिये। उसे बोबे मसलना उसे बहुत भा रहा था। सख्त घुण्डियों को अंगुलियों से वो मचक मचक करके मसल रहा था।
प्रिया की सांस तेज हो उठी थी। चेहरा लाल हो गया था। अब एक अन्तिम दबाव लण्ड का और बाकी था… आह्ह्ह्ह… सुन्दर… मार डाला रे… पूरा लण्ड प्रिया की गाण्ड में समा गया था।
कहानी के कई भाग हैं। 2251
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