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सभी को इस निधि राण्ड की तरफ से दिल से, दिमाग से हर अंग से प्रणाम। मेरा नाम निधि (बदला हुआ) है, मैं बारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ मुझे सुर्खियों में रहने का काफी शौक है चाहे स्कूल हो या घर! मैं पढ़ाई में औसत ही हूँ लेकिन ख़ूबसूरती में लड़कों को रिझाने में टॉप पर हूँ।
जब मैंने बारहवीं में कदम रखा तो हमारे स्कूल में साल की नई हेड-गर्ल को चुना जाना था। हमारी क्लास की दो लड़कियाँ काफी प्रतिभावान थी, दौड़ में सबसे आगे थी, मेरा ध्यान तो लड़कों में ज्यादा रहता था, मेरा गोरा रंग बड़ी बड़ी चूचियाँ, भरी हुई गाण्ड थी, उभरे हुए चूतड़ जिन्हें देख लड़कों के क्या मास्टरों के लण्ड खड़े होने लगते हैं।
स्कूल में एक कार्यक्रम था उसमें जब मैंने शीला की जवानी गीत पर नृत्य किया तो स्कूल में हर लड़का मेरा दीवाना हो गया। जिस तरह मैंने कमर को लचकाया था, अपनी छातियों का जिस तरह से इस्तेमाल किया था, सभी को कील कर रख दिया था। वहाँ उस दिन के बाद जब मैंने पूनम और सोयल से कहा कि इस बार तो हेड-गर्ल तुम दोनों में से होगी।
वो बोली- इसके लिए पढ़ाई-लिखाई में आगे होना पड़ता है ना कि शीला की जवानी पर नाच करके।
उनकी बात दिल में बैठ सी गई, मैंने तय कर लिया कि मैं भी हेड-गर्ल के लिए अपना नाम लिखवाऊँगी।
मैं बहुत बड़े घर से हूँ, ज़िद्दी हूँ, छोटी सी उम्र में ही मैंने मर्द का स्वाद चख लिया था, लड़कों के हाथों की ही मेहरबानी हैं कि मेरे वक्ष इतने आकर्षक हैं। हेड-गर्ल बनने के लिए मैं डी.पी सर के पास गई, बहुत नशीली सी नज़र से उनकी ओर देखा, मुस्कुराते हुए कहा- सर, मुझे भी हेड-गर्ल के लिए नाम लिखवाना है।
सर बोले- क्या रखा है उसमें! तुम तो वैसे ही हेड-गर्ल हो। वैसे तुमने उस दिन शीला की जवानी पर आग तो ज़बरदस्त दिखाई थी।
‘क्या आपने मेरी लगाई आग को सेंका था?’
वो मुस्कुराने लगे- कहाँ सेंकने देती तुम?
दोस्तो, हेड गर्ल कैसे बनी यह बात बताने से पहले मैं अपनी जवानी के शुरुआती दिनों के ख़ास यादगार लम्हें आपके सामने रखूँगी। मेरा नाता बहुत बड़े अमीर घर से है, हमारी ट्रांसपोर्ट काफी फैली हुई है, हमारा कोई भाई नहीं है दोनों बहने ही हैं, मेरे ही नाम से ट्रांसपोर्ट का नाम है, बड़ी बहन मुझसे तीन साल बड़ी है, वो भी बहुत हसीन है, कातिल है, उसने भी कई लण्ड यार बना रखे थे।
मुझ पर जवानी भी तेजी से आई थी, छोटी ही थी मैं जब लड़के मुझे देख आहें भरने लगे थे। एक लड़के अमित से मेरा पहला चक्कर चला, बात चुम्मा-चाटी तक ही रही। हर अंग की चुम्मा चाटी तक। उसके पापा की बदली हो गई, इसलिए हमारा नाता टूट गया।
चिंगारी वो लगा कर गया था, फ़िर मैंने तीन लड़कों से एक साथ चक्कर चलाया लेकिन सेक्स तक बात नहीं जाने दी, ऊपरी मजे खूब लिए।
तब तक मेरे अंग पूरे विकसित हो गए थे, पापा बिज़नस में लगे रहते, माँ घूमने फिरने में लगी रहती।
जवानी में उबाल उस वक़्त ज्यादा आने लगा जब एक रात को मैंने अजीब आवाजें सुनी। उस रात मैं और माँ ही घर में थी, दीदी नानी के पास थी, पापा शहर से बाहर!
मैं उठी, पता चला कि आवाज गेस्ट रूम से थी। जब मैंने झाँका, देखा तो मेरे होश उड़ने लगे।
माँ के जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था। उसके अलावा अंदर हमारे तीन ड्राईवर थे जो हमारी बसें चलाते थे।
एक माँ की चूत को चाट रहा था, दूसरा लण्ड चुसवा रहा था, एक माँ के मम्मों को चूस रहा था। तीनों के लण्ड ज़बरदस्त थे। सब देख मुझे अपने आशिकों की याद आने लगी, सोचा-
हाय मैंने इतने यार बदल भी लिए लेकिन यह सुख नहीं लिया।
अपने कमरे में लौट कर मैंने सबसे पहले चूत रगड़ कर खुद को शांत किया।
पापा ने नई बसें खरीद कर बिज़नस और आगे बढ़ाया था, इसी सिलसिले में पापा ने एक शानदार पार्टी फाईव स्टार होटल में रखी।
सभी मस्त थे, शराब, वोडका, बीयर सब चल रहा था।
मैंने भी ठण्डी बियर का एक मग चुपके से खींच लिया था।
वहाँ एक बहुत आकर्षक लड़का था, जिसका नाम रविंद्र था, वो बार बार मुझे देख रहा था। मैंने भी नज़रें मिलानी शुरु कर दी।
न पापा को ना मॉम को मेरा ध्यान था। डांस फ्लोर पर जब गई तो रविंद्र भी आ गया उसने मेरा साथ माँगा तो मैंने मना नहीं किया।
आँखों में झांकता हुआ वो बोला- बहुत खूबसूरत दिख रही हो इस काली स्कर्ट में!
कुछ देर नाचने के बाद मैं पीछे चली गई, उसने वेटर के ज़रिये मुझको एक कागज़ दिया, उस पर उसका नंबर था। मैं वाशरूम गई, उसको मोबाइल लगाया।
रवीन्द्र बोला- मैं आपको चाहता हूँ। मैंने फ़ोन बंद किया, मैसेज लिखा- मैं भी उसको चाहने लगी हूँ। उसने लिखा- कहाँ हो इस वक्त? मैंने लिखा- वाशरूम में! उसने लिखा- आता हूँ!
वो वहाँ आया, मुझे खींच कर सीने से लगाया, मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं भी मस्त होने लगी।
पता नहीं उसका हाथ कब मेरे टॉप में घुस गया और एक हाथ मेरी स्कर्ट में!
होश तब आई जब पेंटी के ऊपर उसकी ऊँगलियों को महसूस किया। जैसे ही उसने पेंटी में हाथ घुसाया, मैं बेकाबू होने लगी। न वो कुछ बोला ना मेरे होंठ खुले!
दोनों एक दूसरे में मस्त हो गए।
उसने चूत को जब रगड़ा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने झट से उसके लण्ड को पकड़ लिया। उसने जिप खोल दी, लण्ड निकाल लिया। उसके लण्ड को पकड़ मेरी हालत खराब होने लगी।
‘यहाँ कोई आ जायेगा! यह बेडरूम नहीं है।’ बोला ठीक है चलो
वो उसी होटल में रुका था, मुझे बोला- इस नंबर के कमरे में जल्दी से आ जा!
मैं उससे मिलने चली गई। कमरा बंद करके उसने मुझे बाँहों में कस लिया और मेरे होंठ चूसने लगा वो। उसने अपनी शर्ट उतारी, अपनी पैंट को उतारा और फिर मेरा टॉप उतार दिया, नीचे लाल रंग की आकर्षक ब्रा को देख वो पागल हो गया। जब उसने मेरी स्कर्ट खोली, लाल रंग की जाली वाली, स्ट्रिप वाली पेंटी देखी तो उसका कच्छा तम्बू का रूप ले चुका था। वो मुझे उठाकर बिस्तर में ले गया। उसने मेरी ब्रा खोली, मेरे तने हुए मम्मों को, जो कठोर हो चुके थे, मानो उनमें बच्चा होने के बाद दूध उतरा हो, मेरे कठोर हुए मम्मों को उसने मसल मसल कर कोमल कर दिया।
मुझे उठा वरिंद्र बिस्तर में ले गया, मेरे कठोर हुए मम्मों को उसने मसल-मसल कर कोमल कर दिया, मेरे होंठ चूस कर लाल कर दिए।
मैं बिस्तर में किसी लड़के के संग पहली बार थी।
उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे होंठों पर फेरता हुआ बोला- खोल दो जान!
मैंने उसके लण्ड को जम कर चूसा, फिर दोनों ने एक साथ एक दूसरे के अंग चूसे। भरपूर मजा आ रहा था।
फिर उसने कहा- जान तैयार हो क्या देह से देह के मिलन के लिए?
उसने मुझे सीधी लिटाया और बीच में बैठ सुपारे को दाने से रगड़ा तो मस्ती के मारे मेरी आँखें बंद हो गई और उसने मेरे होंठ अपने होंठों में लेते हुए झटका दिया।
दर्द से मेरी जान निकल गई लेकिन उसने रहम नहीं खाया पूरा लण्ड घुसा कर ही रुका।
जब तक मैं खुद अपने चूतड़ उठाने नहीं लगी, वो मेरे होंठ चूसता रहा। ‘बहुत दर्द दिया तुमने मुझे!’ ‘औरत को ऐसे दर्द समय समय पर झेलने पड़ते हैं!’
उसने गति पकड़ी, जोर-जोर से झटके लगाने लगा, बोला- चल घोड़ी बन जा! मैं घोड़ी बन गई, उसने फिर मेरी चूत में घुसाया और चोदने लगा। नीचे से मेरे दोनों मम्मों को पकड़ रखा था उसने।
फिर उसने मुझे दीवार से हाथ लगा खड़ा किया और लण्ड डालने लगा। पहले मिलन में उसने मुझे कई तरीकों से चोदा और आखिर मैं झड़ने लगी, कुछ समय बाद वो भी झड़ने लगा और हम एक दूसरे को चूमते हुए पसर गए।
काफी देर हो गई थी, मैंने कहा- नीचे चलना चाहिए!
कहानी ज़ारी रहेगी। [email protected]
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