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प्रिंसिपल सर बोले- बेटी, सलवार का नाड़ा लटक रहा है। शायद जल्दी में लटका ही रह गया है। शर्म से मेरी गालें लाल हो गई। ‘क्या हुआ? चेहरा झुक क्यूँ गया? सुखदेव सिंह जी, बच्ची है, जरा ध्यान रखा करो।’
‘सर, अब क्या होगा?’ ‘कुछ नहीं होगा, यह कौन सा दूध का धुला है? किसी से कुछ नहीं कहेगा। हम दोनों के कारनामे को सोच कर मुठ ज़रूर मारेगा तेरे नाम की!’ मैं हंसने लगी। ‘चल अब तो वो भी चला गया! और कोई नहीं आने वाला! मेरा मुँह में लेकर चुप्पे मार!’ ‘सर आप अभी भी मूड में हो?’ ‘मर्द और शेर थकते नहीं!’
मैंने उनके लण्ड को मुँह में डाल लिया, चूसने लगी। उन्होंने मेरा नाड़ा दोबारा खोल लिया। ‘सर, ये सब कपड़े मत उतारो!’ उन्होंने जल्दी से लण्ड घुसाया और झटके देने लगे। ‘हाय सर जी, बहुत चोदू हो आप!’ ‘साली, तू भी बड़ी रण्डी है!’ झटके देते हुए सर बोले- अब तक कितनों के साथ सोई है? मुझे चुदाई का नशा था, मैंने कहा- मैं आपके अलावा इससे पहले तीन लड़कों के संग चल चुकी हूँ। ‘वाह! वाह! छोटी सी जान और हकदार कई?’
मैंने चूतड़ उठाने चालू कर दिए। समझ गए कि मैं झड़ने वाली हूँ कुछ देर में सर भी झड़ने लगे। अहआह! वाह! मजा आ गया, तेरी यहाँ चोरी छुपे लेने का अलग ही नज़ारा आया। यह कहानी यौन कथाओं की असली साईट अन्तर्वासना डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई है। ‘सर, हेड गर्ल भी चुनी जाने वाली है, अपनी इस मतवाली को स्कूल की हेड गर्ल तो बनवा सकते हैं?’ ‘उसमें प्रिंसीपल का फैसला आखिरी होगा, फिर भी कोशिश पूरी करूँगा मेरी जान तेरे सर पर ताज अटकाने की!’
‘सर, मुझे यह बताओ कि प्रिंसीपल सर किस तरह के मर्द हैं?’ ‘क्यूँ? उससे भी चुदवाना है?’ ‘मुझे जो काम है, मुझे हेड गर्ल बनना है मेरे राजा!’ ‘बहुत चोदू किस्म का है, आजकल घर में अकेला रहता है। ठरकी की बीवी बेटों के पास बंगलौर गई है। हेड गर्ल उसके हाथ में ही है जान!’ ‘तो कैसे पटाऊँ उनको? आप कुछ हिंट दे दो।’ ‘शाम होते ही उसके घर चली जा बन-फब कर! उस वक़्त वो दारु पी रहा होता है, मूड बनाने में तुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।’ पंजाबी वाले सर से मेरे शारीरिक सम्बन्ध बनते रहे, मैंने अपना नाम भी हेड गर्ल की दौड़ में लिखवा दिया। इसके लिए पूरी सूचि को प्रिंसीपल ऑफिस में भिजवा दिया गया।
हम पाँच लड़कियाँ थी, उन्होंने एक एक करके सभी की अकेले में लेनी थी! हा हा हा! मेरा मतलब इंटरव्यू लेनी थी! लेकिन मैं चाहती थी कि मैं उनसे एक बार मिल लूँ, वैसे मुझे हेड गर्ल का शौक नहीं था, मैं एक आज़ाद कबूतरी की तरह उड़ना चाहती थी लेकिन कबूतर की तरह मैं भी मर्द नाम के बिल्ली को सामने देख आँखें बंद कर लेती थी।
सुखदेव सर से मुझे मालूम चल ही गया था कि सर कुछ दिनों के लिए अकेले रह रहे थे, उनकी पत्नी उनके बेटे के पास बैंगलोर गई थी। मैंने शाम को लाल रंग का एक सेक्सी सा टॉप छोटा सा था और उसके साथ काली मिन्नी स्कर्ट, ऊँची ऐड़ी वाले सेंडल पहने थे, मैं प्रिन्सीपल के घर गई, मैंने घण्टी बजाई, सर ने मुझे गौर से देखा- तुम यहाँ?
‘क्यूँ आ नहीं सकती क्या? निकल रही थी, सोचा सर अकेले होंगे, मिलती हुई जाती हूँ!’ हम आमने-सामने सोफे पर बैठ गए। ‘क्या लोगी?’ ‘नो थैंक्स! सर, मुझे हेड गर्ल के बारे बात करनी है।’ मैंने अपनी टाँगें खोल दी, स्कर्ट के बीच से लाल पेंटी सर के लण्ड को खड़ा करवाने के लिए दिखा दी। ‘हाँ है तेरा नाम लिस्ट में! तो क्यों तुमने हेड गर्ल के लिए अपना नाम भेजा है? लड़कों और सुखदेव सिंह से तो तुझे समय नहीं मिलता! हेड गर्ल बन कर कैसे सब संभाल लोगी?’
मैंने गहरी सांस ली जिससे मेरी छाती उभर कर आई- सब संभाल लूँगी सर! आप मौका दो, फिर देखना, मैं हर चीज़ को उसकी जगह रख कर आगे बढ़ने वालों में से हूँ। ‘ओये होए! बहुत बेबाक हो! बहुत विश्वास है खुद पर?’ ‘मुझ पर मेहरबान होकर प्लीज़ मुझे चुन लीजिए!’ ‘रहती तो तुम सुखदेव सिंह के आसपास हो और मदद मेरी मांग रही हो? देखो तुम नई हो, वो इसी स्कूल से चली आ रही हैं, स्कूल की क्रीम कह सकते हैं, उन्हें कैसे नज़रंदाज़ कर दूँ?’ ‘सुखदेव सर की छोड़ो, वो मुझे दूर नहीं जाने देते, ना कि मैं उनके करीब जाती हूँ। आपने ही कभी मौका नहीं लिया, वरना मैं आपसे बागी थोड़े ही हूँ।’ ‘इतने अमीर बाप की संतान हो फिर भी?’ सर मैं कौन सा पैसे लेकर धंधा करती हूँ? क्या करूँ, जवानी जीने नहीं देती! मुझे शौक नहीं है हेड गर्ल बन्ने का, यह तो उस हरलीन ने चुनौती दी।’
मैंने टांगें और खोल दी, स्कर्ट भी ऊपर उठ सी गई, वो बार बार मेरी टांगों के बीच में झांक रहे थे। मैं उठी, उनके सामने गई, खड़ी हुई, अपना टॉप उतार दिया, ब्रा की स्ट्रिप खोल दी। दोनों मम्मों को नीचे से पकड़ते हुए बोली- वो क्रीम हैं, यह देखो, फ्रेश क्रीम है! ‘उह! तुम क्या कर रही हो?’ ‘आपने अभी कहा कि रहती सुखदेव सर के आसपास और मदद आपकी!’ मैं उनकी गोदी में बैठ गई और मम्मे उनके होंठों पर घिसने लगी। ‘अह, बहुत मस्त क्रीम लग रही है।’
उन्होंने मेरे दोनों मम्मों को थाम लिया, चुचूक को चूसते हुए बोले- सही में फ्रेश क्रीम तेरे पास है। ‘अमूल का दूध समझ कर पी लो सर! दारु से ज्यादा नशा मुझ में है, आपने पहल की होती तो मैं आपके आसपास रहती!’ मेरी नाभि को चूमते हुए बोले- बहुत चिकना पेट है तेरा! ‘मैं ही चिकनी हूँ मेरे राजा! बस तुमने हाथ फेरने में देर लगा दी।’
उन्होंने अपने हाथ मेरी स्कर्ट में घुसा मेरे दोनों चूतड़ों को उठाया- वाह, क्या शानदार चूतड़ हैं तेरे! ऐसे थोड़े ही सुखदेव सिंह तुझ से पेपर सेट करवाता है? मैं हंसने लगी- आप अकेले ऑफिस में होते हुए भी मुझे नहीं बुलाते तो मेरा क्या कसूर??? मुझे आप हेड गर्ल बना दो, जो जी चाहे, जहाँ चाहे उसको वहीं सेट कर लेना। ‘अब क्या रह गया? बन गई हेड गर्ल जानेमन!’ मेरे मम्मे पीते हुए बोला- बहुत स्वादिष्ट रस है तेरे मम्मों का! ‘रसीले हैं न सर, मैडम से ज्यादा?’ ‘कौन सी मैडम?’ ‘हिंदी वाली मैडम! और कौन सी?’ ‘तुझे कैसे पता? सब जानती हूँ मेरे राजा!’ ‘उसके तो उमर के साथ झड़ चुके हैं, तेरे तो अमूल की तरह फ्रेश बटर वाले हैं!’
मैंने महसूस किया कि उनका लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं गोदी से उतरी, गलीचे पर बैठ गई, उनकी टांगें खोल कर मैंने उनका पजामा खोल दिया, अंडरवीयर खिसका कर उतार दिया। भयंकर लण्ड था सर का! कोबरा सा बहुत मोटा! बहुत बड़ा! मैं देखती रह गई। ‘क्या हुआ? कैसा लगा?’ ‘ऐसा लण्ड किस लड़की को अच्छा नहीं लगेगा? असली घी तो ऐसे लण्ड से ही निकलता है।’
मैंने मुँह में लिया तो वो देखते रह गए- मेरी रानी, कैसे तुझे हेड गर्ल बनने से रोक सकता हूँ? तेरे पास तो हर तीर है तर्कश में! उस दिन जब आप सुखदेव सर के कमरे में आये थे, तब उनका लण्ड मेरे मुँह में खेल रहा था। हाय मेरी जान! तुझ पर कुर्बान!’ ‘सर, सिर्फ हेड गर्ल ही नहीं, आगे चलकर भी ख्याल रखना। जवान हूँ ना! इसलिए हाजरी कभी कम पड़ सकती हैं।’ ‘तू चाहे रोज़ न आया कर बिल्लो रानी!’
चुप्पे मार जोर जोर से मैंने पागलों की तरह थूक थूक कर उनका लण्ड चूसना चालू कर दिया। वो इतने जोश में हो गए कि उन्होंने मेरे बालों को पकड़ा और जोर से लण्ड धकेला। मेरा मुँह उनकी क्रीम से भर गया। पी ले! पी ले! मेरी रानी, असली घी है।’ मैंने भी एक बूँद इधर उधर जाने नहीं दी, पूरा लण्ड चाट कर साफ़ कर डाला मैंने। ‘क्या मस्त माल हो तुम! कैसा लगा मेरा देसी घी? बाकी अगले भाग में ज़ारी रहेगा। [email protected]
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