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सभी हसीनाओं और उनके आशिकों को चुदाई हाल में भेज दिया गया। उमा ने बाहर जाने वाले दरवाजे पर बची हुई आठ लड़कियों को पतली पारदर्शी पेंटी पहना कर खुली चुचियों के साथ फूल लेकर खड़ा कर दिया। ये सब साधारण सी दिखने वाली रण्डियाँ थीं। ये रण्डियाँ अब दो हज़ार रुपए में सुबह के लिए मौजूद थीं। बाहर जाने वाले 5 लोगों को पटाने में ये सफल हो गईं, बाकी बचे लोग बाहर चले गए।
शाकाल और मैं नशे में धुत्त थे, वो अपनी खास 3-4 रण्डियों के साथ हाथ हिलाते हुए अपने कमरे में चला गया। रात के दो बज़ रहे थे।
उमा मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- दस मिनट में सब हसीनाएं चुदने लगें,गी उसके बाद मैं और तुम चलते हैं।
मैं और उमा एक एक पेग पीने लगे।
उमा ने बताया- शीतल एक शरीफ औरत है और उसके पति निजी बैंक मैं काम करते हैं। शीतल को जुआ खेलने की आदत है। अक्सर वो 10-15 हज़ार अपने जेवर रखकर मुझसे उधार लेती रहती थी। मैं शरीफ औरतों को बिना ब्याज के सोना गिरवी रखकर उधार देती हूँ। इसी कारण से मेरी कई घरेलू औरतों से दोस्ती है। एक बार शीतल ने पति के एक लाख रुपए किट्टी पार्टी में जुए में उड़ा दिए। शीतल को तुरंत वो पैसे चाहिए थे नहीं तो वो पति की नज़रों में भी गिर जाती। उसने 40000 रुपए के जेवर पहले ही मेरे पास उधार रखे हुए थे। शीतल ने मुझे अपनी परेशानी बताई लेकिन मैंने उसे पैसे देने से मना कर दिया।
तो शीतल रोने लगी और बोलने लगी- दीदी, मुझे पैसे हर हाल में चाहिएँ, मैं इन पैसे के लिए रण्डी बनने तक को तैयार हूँ।
मैंने शीतल को शाकाल के अड्डे के बारे में बताया तो शीतल धंधा करने को राजी हो गई। शाकाल ने उसे एक लाख रुपए दे दिए। शाकाल ने शीतल को एक महीने का समय दिया और बोला अगर पैसे एक महीने में वह लौटा देती है तो रण्डी बनने की जरूरत नहीं और अगर नहीं लौटा पाएगी तो उसके अड्डे पर उधार चुकाने के लिए रण्डी बन सकती है। एक महीने में शीतल के लिए एक लाख रुपए जुटाना मुश्किल था।
शीतल के पति 20 दिन के लिए अपनी बैंक के काम से बंगलौर गए हैं। इसने मुझे उनके जाने से दस दिन पहले अपने पति के जाने के बारे में बताया और कहा- मुझे धंधे पर बैठा दो।
मैंने पिछला और यह शनिवार इसके धंधे के लिए तय कर दिया। पिछले शनिवार को इसने छः सेठों से चुदवाया था, टिप मिलाकर 35000 रुपए बने थे। आज दोपहर दो बजे से यह धंधे पर बैठी है, 5 लण्ड डलवा चुकी है अब तक ! अगला अब राका का डलवाएगी, कुत्ता बहुत बुरी तरह चोदता है, बड़ी बड़ी रण्डियों को रुला देता है, ऊपर से टिप भी नहीं देता है, सुबह साली रोती मिलेगी। राखी की मोज है। राजू सेठ बड़े प्यार से चोदता है और टिप भी अच्छी देता है। शीतल का आज शायद उधार चुक जायेगा, शीतल को आज 60000 रुपए तो टिप मिलाकर धंधे के पड़ ही जाएँगे। बचे हुए रुपए मैं दे दूंगी, धीरे धीरे चुकाती रहेगी। नंगा डांस नहीं करती तो एक रात और धंधे पर बैठना पड़ता। बड़ी मुश्किल से डांस सिखाया है। साली रण्डी बन गई जुए के चक्कर मैं। अच्छी बात यह है कि शाकाल जी का अड्डा सुरक्षित है। अगर कहीं और जाती तो परमानेंट रण्डी बन जाती। आजकल घरेलू औरतों की मांग बाज़ार में बहुत ज्यादा है। एक बार कोई फँस जाए तो माफिया उसका रस जवानी ढलने तक चुसवाते हैं। बदनाम होने का डर और बना रहता है।
दस मिनट बाद उमा रूचि और मुझे लेकर चुदाई हाल के एक खाली कमरे में आ गई और बोली- सुबह छः बजे तक यहीं सो लो और चुदाई कर लो ! कुतिया ने आज दस से ज्यादा लौड़े चूसे हैं, चूत खुजिया रही होगी रण्डी की। रात में बाहर कहाँ जाओगे, मैं सुबह 6 बजे आ जाऊँगी।
उमा के जाने के बाद रूचि मुझसे चिपक गई, बोली- आज तो पूरी रण्डी बन गई ! खूब मसला है लोगों ने ! सच मज़ा भी बहुत आया। हसीनाओं को चुदते देख चुदने का मन बहुत कर रहा था। चोदने का तो तुमने भी खूब मज़ा लिया है। रण्डियों को गाण्ड मरवाते देखकर मेरा भी गाण्ड मरवाने का मन कर रहा है, मेरी गाण्ड में लण्ड डालो। मैंने रूचि के चुचूक चूसते हुए कहा- चलो उलटी हो जाओ, तुम्हारी गाण्ड की सवारी और कर ली जाए।
मैंने अपना लौड़ा उसकी गाण्ड में चढ़ा दिया, उसकी गाण्ड खुली हुई थी, थोड़ी देर में ही वो मज़े वाली चीखें देने लगी।
मैंने उसकी चोटी खींचते हुए कहा- तू तो खिलाड़ी है, गाण्ड पहले भी मरवा चुकी है।
उसकी गाण्ड ठोंकते हुए मैंने उसके चूतड़ों की भी जमकर हाथ से पिटाई की और चुचूकों को हाथों से जोर से मसला। रूचि मस्त आहें भर रही थी। 15 मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी होगी, इसके बाद मैंने वीर्य उसकी गाण्ड में छोड़ दिया और बिस्तर पर लेट गया।
रूचि मुझसे चिपक गई और बोली- मेरे पति गाण्ड के शौकीन रहे हैं, वो अक्सर मेरी गाण्ड ही मारते हैं, उनका लण्ड सात इंच लम्बा और तुम्हारे जितना ही मोटा है। लेकिन मेरे पति दो मिनट में ही झड़ जाते हैं, मुझे उनसे आज तक न चूत का मज़ा आया और न ही गाण्ड का। सपना ने मुझे जब यह बताया कि वह दो सौ से ज्यादा लोगों से गाण्ड मरवा चुकी है लेकिन जो मज़ा तुमने दिया वो आज तक उसे कोई नहीं दे पाया तो मेरा भी मन तुमसे गाण्ड मरवाने का करने लगा। सच में तुमसे चुदवा कर गाण्ड बहुत दुःख रही है लेकिन मरवाने में बड़ा मज़ा आया।
रूचि बोली- अगर तुम थके न हो तो एक बार मेरी चूत और मार दो ! साली की खुजली भी कम हो जाएगी।
मैंने कहा- ठीक है लेकिन पहले मेरा लण्ड तो खड़ा करो !
यह सुनते ही रूचि मेरा लण्ड चूस कर फिर खड़ा करने लगी। इस बार मैंने उसकी चूत बाथरूम के टब पर हाथ टिका कर पेली और उसे चोद चोद कर मस्त कर दिया। अब हम दोनों लेट गए।
रूचि और मैं सरीना के साथ उमा की खोली पर सुबह वापस आ गए। थोड़ी देर बाद उमा शीतल के साथ आ गई, उसने बताया- शीतल ने अपना उधार चुका दिया है, अब शीतल मुक्त है। लेकिन राका ने इसको बहुत बुरी तरह से चोदा है, साले ने तीन बार गाण्ड मारी है, बहुत थकी हुए है यह ! इसकी चूत तो पूरी सूज रही है।
उमा ने पानी गर्म करके शीतल की चूत की सिकाई की। हम सब लोग इसके बाद थोड़ी देर बातें करके सो गए।
शीतल और रूचि मेरे साथ डबल बेड पर मुझसे चिपक कर नंगी सोईं। उमा और सरीना सिंगल बेड पर सोई लेकिन रात को सब बेसुध होकर सोये। अगले दिन सुबह शीतल की चूत और गाण्ड दुःख रही थी लेकिन हम सबने खूब बातें की उमा ने शीतल को मेरी दोस्त बना दिया। बारह बजे रूचि, मैं और शीतल साथ साथ नहाए। मैंने रूचि और शीतल की चूची और चूत मसलते हुए उन पर खूब साबुन लगाया, उन दोनों ने भी मेरे लौड़े पर साबुन लगाया और सहलाया।
इसके बाद अगली रात को फिर रूचि और शीतल मेरे साथ सोईं लेकिन अब हमारी थकान कम हो गई थी रात को सोने से पहले मैंने दोनों की चूचियाँ खूब चूसीं और रात को एक बार रूचि को और सुबह एक बार शीतल को चोदा।
अगले दिन सबसे पहले उमा ने शीतल और रूचि को सरीना के साथ उनके घर भेज दिया। रूचि और शीतल ने उमा से वादा लिया कि अगले महीने तक उमा एक बार और उन्हें मुझसे अपनी खोली पर चुदवाएगी।
उसके बाद उमा मुझसे बोली- तेरे को तो शाम को भेजूँगी।
उमा मुझसे बोली- तूने मज़े बहुत ले लिए, कुछ इनाम तो दे !
मैंने उसको अपना बैंक कार्ड देकर कहा- इसमें दो लाख रुपए हैं, जितना तुम्हें चाहिए उतना ले लेना और कार्ड सरीना को वापस कर देना। तुमने और सरीना ने जितनी ख़ुशी मुझे दी है और कोई कभी नहीं दे पाता।
उमा मुस्कुराते हुए बोली- मैं इसमें से सिर्फ दस हजार रुपए रखूँगी, दस हजार मैं सरीना को, बीस हजार शाकाल जी को और दस हजार रूचि को दूंगी। लेकिन यह असली इनाम नहीं है। असली इनाम है तेरी चड्डी में।
मैं चौंकते हुए बोला- मैं समझा नहीं !
उमा बोली- अच्छे अच्छे माल को तो तूने बड़ी जल्दी अपना लौड़ा खिला दिया और अब मुझ पचास साल की से कह रहा है समझा नहीं? मतलब चुपचाप चड्डी उतार, मैं भी तो तेरे लण्ड का स्वाद चख लूं।
मैंने मुस्कुराते हुए अपनी चड्डी उतार दी। उमा ने मेरा लौड़ा चूस कर खड़ा कर दिया और अपना पेटीकोट-ब्लाउज उतार दिया। उमा पचास की थी लेकिन मुझे लगा कि जो भी मुझे मिला है उमा और सरीना के कारण ही मिला है इसलिए मैंने उमा की फटी चूत और गाण्ड बड़े प्यार से दो-दो बार मारी।
उमा ने चुदते हुए मुझे चोदने के कई गुर सिखाए और चार बजे तक हम दोनों सेक्स करते रहे।
इसके बाद उमा बोली- कल तेरी बीवी वापस आ रही है, रात को कितना ही न-नुकर करे, चोदियो जरूर ! लेकिन केवल चूत मारना और उसके बाद देखना तेरी बीवी में क्या बदलाव आता है। चोदू तो तू बन ही गया है।
पाँच बजे उमा का घर मैंने छोड़ दिया। जाते जाते उमा ने मुझे एक गुरुमंत्र दिया कि जो कुछ तूने किया और देखा है, उसे पूरा सच सच किसी को मत बताना। जगह, औरतों के नाम और घटनाएँ बदल कर और घुमा-फिरा कर बताना, नहीं तो अंडरवर्ड से जान को खतरा हो जाएगा।
मैं उमा के गुरुमंत्र से सहमत था।
अगले दिन सुबह मेरी बीबी उर्मी आ गई, मैंने अन्दर आते ही उसको बाँहों में भर लिया लेकिन उसने डांट कर मुझे हटा दिया और गन्दा कमरा देखकर मुझसे लड़ने लगी। कुछ देर बाद सरीना आ गई और अपना काम करने लगी।
उर्मी ने मुझे सब्जी लेने भेज दिया। उर्मी के लड़ने से लण्ड सिकुड़ कर चड्डी में छुप गया था। रात को नाइटी पहन कर उर्मी सो रही थी, मैंने उसे चोदने की इच्छा जताई लेकिन उसने मेरा हाथ हटा दिया।
मुझे उमा की बात याद आ गई कि चूत लेनी पड़ती है, कोई अपने आप नहीं देता है।
मैंने लाइट बंद करके अपना कुरता पजामा उतार दिया और उर्मी के ऊपर सवार होकर उसके होंट मुँह में ले लिए और उसकी नाइटी ऊपर उठा दी। मेरा लण्ड हुंकार भर रहा था।
उर्मी गुस्सा करने लगी और चिल्लाने लगी- तू साला जानवर है, मैं थक रही हूँ बाद में चोदना।
मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसकी चूचियाँ चूसने लगा और नाइटी उतार दी। इसके बाद अँधेरे में अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और 2-3 धक्के मार कर उसकी चूत में घुसा कर रोक दिया और दोनों चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा और दिनों की तरह दो मिनट में मेरा लण्ड नहीं झड़ा।
उर्मी अब थोड़ा गर्म होने लगी थी, पाँच मिनट में वो पूरी गर्म हो गई थी। अब वो अपनी चूत हिला रही थी, उसको लण्ड पिलवाने में मज़ा आ रहा था।
आज पहली बार वो बोली- आह ! और करो ! मज़ा आ रहा है।
उसके चुचूक पूरे तन गए थे, ऊह आह की उसकी आवाजें गूंजने लगीं थीं, मैंने देर किये बिना उसकी चूत मारनी शुरू कर दी। दस मिनट तक उसे चोदा, फिर लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे तिरछा करके लण्ड फिर उसकी चूत में पेल दिया। अगले 15 मिनट तक उसकी चुदाई लगातार करता रहा। इसके बाद मैंने अपना वीर्य उसमें उलट दिया। दो मिनट बाद मैंने लण्ड निकाल लिया, अब उर्मी सीधी होकर मेरी बाँहों मैं चिपक गई।
सुबह उसने खुद कहा- एक बार और डालो न !
मेरा लण्ड उसकी चूत में दुबारा घुस गया था, एक बार फिर उसकी चूत मैंने चोद दी थी। आठ बजे उर्मी का मूड मस्त था, वो चाय लेकर आई और मेरे होंटों की पप्पी ली और बोली- ऐसा मज़ा कभी नहीं आया !
ऑफिस जाने से पहले हम दोनों साथ साथ नहाए। अब उर्मी पूरी बदल चुकी थी, उसे अपने पति का लौड़ा जो मिल गया था।
हम लोग एक ख़ुशी भरी जिन्दगी जीने लगे। उमा और सरीना ने मेरी जिन्दगी बदल दी थी।
कहानी कैसी लगी, अपनी राय [email protected] पर भेजिये।
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