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कहानी का पिछला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-1
मैंने उसको पूछा- तुमने कभी चुदाई की है? उसने जवाब दिया नहीं। मैंने फिर उसको पूछा- कभी ऐसी पुस्तकें पढ़ते हुए किसी को चोदने की इच्छा नहीं हुई? तो वह बिल्कुल चुप रहा। तब मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- मैं शर्त लगा सकती हूँ कि जब भी तू बिस्तर में लड़की को लेकर जायेगा तो बहुत ही मस्त चुदाई करेगा ! मेरी इस बात पर वह शरमा गया और उसका चेहरा पके हुए टमाटर ही तरह लाल हो गया। अंत में मैंने उसको पूछ ही लिया- क्या तू एक असली नंगी लड़की को देखना चाहेगा?
और तभी मैंने अपना गाउन उतार दिया और देखा कि मनीष मेरे चुचूकों को घूर रहा था जो कि अब तक बहुत कड़े हो चुके थे। अपने मोम्मों की तरफ इशारा करते हुए मैंने पूछा- क्या तुझे ये अच्छे लगे? मनीष थोड़ा सा झिझका और शरमा गया।
इससे पहले कि वह कुछ बोलता, मैंने अपने मोम्मों को उसके मुंह के बिल्कुल पास कर दिया ताकि वह मेरी घाटियों को बिल्कुल आराम से देख सके। मैं अपने आपको बहुत ही गर्म महसूस कर रही थी और सोच रही थी कि कैसे मनीष के कपड़े उतारूँ और उसको किसी अनुभवी लड़की को चोदने का मौका दूँ।
मैंने उसका एक हाथ अपने मोम्मे पर रखा और जोर से दबा दिया। यह उसके लिए जैसे बिजली के झटके जैसा था, उसने फ़ौरन अपना हाथ हटा लिया। ‘क्या हुआ, क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा?’ मैंने पूछा। ‘ये तो बहुत बड़े हैं !’ उसने कहा। ‘छुओ इनको, दबाओ इनको, मनीष,’ मैंने अपनी लरजती आवाज़ में कहा। ‘चूसो इनको, मनीष !’ मैं उसके साथ बैठते हुए बोली।
फिर मैंने उसको अपनी ओर खींचते हुए उसके मुंह को जोर से अपने मोम्मों पर दबा दिया। तब उसने बहुत ही प्यार से मेरे एक मोम्मे को चूसना शुरू किया और उसका कांपता हुआ दूसरा हाथ मेरे दूसरे मोम्मे को दबा रहा था। शायद धीरे धीरे उसको मज़ा आने लगा और अब वो मेरे दोनों मोम्मों को बारी बारी चूसने लगा। अब उसके हाथ भी धीरे धीरे मेरे शरीर से खेलने लगे थे।
‘बस ऐसे ही चूसते रहो, मेरे मोम्मों को प्यार करो, मनीष !’ मैंने धीरे से उसको कहा। अब मुझे लग रहा था कि एक कुंवारे लड़के से चुदने की मेरी इच्छा पूरी होने जा रही है, मैं बहुत ही उत्साहित थी और अपनी चूत में गीलापन महसूस कर रही थी। अब यह तो निश्चित था कि मनीष भी मुझे चोदना चाहता है।
‘मैं तुमसे चुदना चाहती हूँ मनीष ! आओ चोदो मुझे और एक लड़की को अपने नीचे लिटाने का मज़ा लो !’ मैंने कहा। ‘आप बहुत सुन्दर हैं, शालिनी जी।’ मनीष ने कहा। ‘मनीष तुम मेरे मोम्मों से खेल चुके हो और अब हम दोनों चुदाई करने वाले हैं, इसलिए तुम मुझको शालू नाम से ही बुलाओ, मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।’
‘मैं नहीं जानता था कि एक बड़ी उम्र की लड़की भी इतनी गर्म और सेक्सी हो सकती है !’ मनीष ने कहा। अब मैं भी देख रही थी कि उसका लंड तम्बू की तरह उसकी पेंट में खड़ा हो चुका है और बाहर आने के लिए बेताब है,’मनीष ऐसा लगता है कि तुम्हारा यह बड़ा सा तम्बू सच बोल रहा है। चलो, अब इसको भी बाहर की हवा खाने दो। मैं जानती हूँ कि तुम भी मुझे चोदना चाहते हो,’ मैंने उसको चूमते हुए कहा।
इससे पहले कि मनीष कुछ सोचता या समझता, मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मेरे सामने ऊपर की ओर मुड़ा हुआ एक आठ इंच से भी लंबा और कोई तीन इंच मोटे गुलाबी सुपारे वाला हल्के भूरे रंग का कुँवारा लंड था और आज मैंने उस लंड के नीचे लटके हुए वीर्य से भरे टट्टों को खाली करना था।
मैंने धीरे धीरे उसकी छाती पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसको चूमना और चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी छाती पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी और नीचे जाती हुई ठीक उसके लंड के ऊपर आकर रुक गई।
मैंने उसके लंड के सुपारे को एक बार अच्छी तरह से चाटा और फिर अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल कर उसके होठों को चूसने लगी। मनीष के हाथ अब मेरे शरीर से खेल रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर था और दूसरा उसकी गांड सहला रहा था।
कोई बीस मिनट तक उसके होठों को चूसने के बाद मैंने अपनी कांपती हुई आवाज़ में कहा,’मैं तुमको चूसना चाहती हूँ ! मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूँ मनु। तुमको कैसा लगेगा जब मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लूंगी?’
‘मैं नहीं जानता, परंतु शायद बहुत ही अच्छा लगता होगा, मेरा लंड चूसो !’ मनीष से मुंह से निकला।
और मैंने उसके टट्टों को सहलाते हुए उसके लंड के सिरे पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी और उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया। ‘ओह ओह!!!’ उसके मुंह से आवाज़ निकली।
तब मैंने उसके लंड को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। मनीष की जोर जोर से हुंकारने की आवाजें आ रही थी। हो सकता है मनीष पहली बार मुझे चोदने के बारे में संकोचित था परंतु इसमें कोई शक नहीं था कि वह अपने लंड को चुसवाने का पूरा मज़ा ले रहा था। ‘ओह, शालिनी!! ओह प्लीज़ शालू !!!’ उसके मुंह से एक कराह निकली।
थोड़ी देर तक उसके लंड को चाटने के बाद मैंने उसका पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे मुख चोदन का मज़ा देने लगी।
अब मनीष भी मेरे सिर को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर अपने पूरे जोर से मेरा मुख-चोदन कर रहा था। जैसे ही उसे लगा कि वो झड़ने वाला है उसने अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकाल लिया और भाग कर बाहर जाने लगा। मैंने उसको झट से पकड़ के रोका और उसके लंड की मुठ मारने लगी।
और तभी मनीष के लंड से वीर्य कि पिचकारियाँ छुटने लगीं और पहली पिचकारी सीधी मेरे चेहरे पर गिरी, तब मैंने उसके लंड को नीचे की ओर कर दिया ओर सारा का सारा वीर्य मैंने अपने मोम्मों ओर पूरे शरीर पर गिरने दिया।
‘इतनी जल्दी झड़ने के लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ पर तुमने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मैं अपने आप को रोक नहीं सका।’ मनीष के कहा। उसका ढीला होता हुआ लंड अभी भी मेरे हाथ में था और मैं अभी भी उसको आगे पीछे कर के उसकी मुठ मार रही थी।
जब उसका लंड पूरी तरह से बैठ गया तो मैंने मनीष को अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी गर्म सांसों का स्पर्श महसूस करने लगी। हम दोनों उसके वीर्य से गीले थे। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे। मैंने सोचा कि कितने लड़के मेरे लंड चूसने से इतने खुश नहीं हुए और आज एक कुंवारे लड़के के लंड ने इतना वीर्य छोड़ा कि वो मेरे लंड चूसने से बहुत ही उत्साहित हो गया। थोड़ी देर के बाद मैंने हम दोनों को गीले तौलिये से साफ़ किया। उसकी मौखिक कक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी और उसके बाद तो अभी उसकी व्यावहारिक कक्षा शुरू होनी थी।
तभी मैंने उसको चूत चाटने के बारे में पूछा।
पढ़ते रहिए ! कहानी जारी रहेगी ! आपके विचारों का स्वागत है [email protected] पर !
कहानी का अगला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-3
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