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वो बहुत खुश थी, मैं जानता था कि उसको क्या चाहिए – आजादी !
वो बहुत खुश हुई। मैंने उसको गुदगुदी निकाली, वो भागी और आज बेडरूम की तरफ भागी, जाकर बैड पर गिर गई।
मैंने उस पर छलांग लगाई और उसकी जांघों पर बैठ गया और उसकी बगलों में हाथ घुसा कर गुदगुदी करने लगा। मैं अपने हाथ उसके मम्मों पर ले जाकर दबाने लगा।
छोड़ो-छोड़ो करते उसने मुझे पलटा दिया। अब मैं नीचे था, वो ऊपर मुझे गुदगुदी करने लगी।
मैंने उसको अपने ऊपर खींच लिया वो मुझे लेकर रोल हुई और वो मेरी बाँहों में कसी पड़ी थी।
मैंने उसके मम्मे खूब दबाये।
तो बोली- मौसा जी, क्या यह गुदगुदी है?
उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी।
क्यूँ? तुझे क्या लगा? बता दे !
नहीं, ठीक है ! कुछ नहीं ! गुदगुदी ही है ! मुझे छोड़ोगे भी? या अपने ही नीचे डाले रखोगे? अगर गुदगुदी ख़त्म हुई हो तो?
बहुत कुछ सीख कर आई है वहाँ से?
मौसा जी, मौसी ने तो मेरे हाथ-पैर दोनों काट दिए हैं !
कोई बात नहीं ! मेरा लैपटॉप यूज़ कर लिया कर तू ! मस्त मस्त चीज़ें ऍफ़ ड्राइव में लोड हैं ! और कल स्कूल जाना, जैसे तेरी मौसी ऑफिस जाएगी, मैं तुझे स्कूल से छुट्टी दिलवा कर अपने साथ मूवी दिखाने और फिर अपना फार्महाउस दिखाने ले चलूंगा।
वो बहुत उछली- सच?
लेकिन ये सब बातें हम दोनों के बीच हैं। वरना पाबंदी लगी रहेगी।
हां, मैं कभी नहीं बताऊँगी किसी को !
उसी दिन शाम को मेरी बीवी ने घर आकर बताया कि उसको कल सुबह अपनी ऑफिस कोलीग्स के साथ ट्रेनिंग कैंप में कोआडीनेटर बन ट्रेनिंग देने दो दिन के लिए नोयडा जाना है।
मैं बहुत खुश हुआ।
सुबह सात बजे मैं उसको छोड़ने उसके ऑफिस गया जहाँ एक बस बुक की गई थी। वापस आकर मैंने देखा कि सोनिया सोई पड़ी थी।
उसकी मौसी उसको उठाने की जिम्मेदारी मुझे देकर गई थी, मेरे दोनों बच्चे उन दिनों अपनी दादी के पास गाँव में थे। सोनिया की स्कर्ट काफी उठी हुई थी, उसकी लाल रंग की पैंटी देख मेरा लौड़ा उठ खड़ा हुआ।
मैं उसको उठाने उसके पास गया। बगल में बैठ उसकी पिंडलियाँ देखने लगा, दूध जैसी गोरी टाँगें देख मेरा तो खड़ा हो गया। मैंने धीरे से स्कर्ट को और ऊपर कर दिया अब उसकी चूत लाल चड्डी में कयामत लग रही थी। उसकी जांघें और भी ज्यादा गोरी थी मानो मखमल हो, रेशम हो !
मैं तो बस निहारता रह गया।
उसकी टीशर्ट भी ऊपर उठी थी उसका सपाट पेट देख यारो क्या बताऊँ कि मेरा क्या हाल हुआ !
एक हाथ उसके सर पर रखते हुए दूसरा उसके पेट पर फेरते हुए बोला- सोनिया, उठो ! सुबह हो गई है !
मौसी सोने दो ना !
मैं मौसा हूँ !
उसने जल्दी से आँखें खोल दी।
आप? मौसी कहाँ है?
वो तो गई !
लेकिन कहाँ?
बस तू दो दिन के लिए आज़ाद कबूतरी है, वो गई नोयडा ! ट्रेनिंग देने गई है !
ओह !
चलो, स्कूल नहीं जाना?
आप तो मुझे आज घुमाने लेकर जाने वाले थे ना?
अच्छा याद है तुझे?
कैसे भूल सकती हूँ?
उसने देखा कि उसकी स्कर्ट काफी ऊपर उठी पड़ी थी, उसने मेरी नज़र वहाँ पड़ते देख ली, जल्दी से ठीक किया, अपनी टीशर्ट भी ठीक कर ली।
चल रहे हैं ना मौसा जी?
हाँ हाँ चल ! जाऊँगा तेरे साथ ! लेकिन मुझे क्या मिलेगा?
जो आप चाहो !
चल उठ, फ्रेश हो जा ! तेरे लिए तेरी मौसी तेरा पसंदीदा भुजिया बना कर गई है !
वैसे तुम सोई हुई बहुत मस्त लग रही थी !
मुझे शैतानी सूझी।
इस वक़्त वो बहुत कम कपड़ों में थी, मैंने उसको गुदगुदी करनी चालू की।
मौसा जी ! क्या ना ? आपको हर पल मस्ती आई रहती है !
तू है ही इतनी मस्त कि मस्ती करने को दिल होता है, जब से कनाडा होकर आई हो, कुछ ज्यादा मस्त होकर आई हो ! मैंने गुदगुदी चालू रखी, उसकी बगलों में हाथ घुसा लिया और फिर टीशर्ट के अन्दर घुसा उसकी चूची पकड़ दबाने लगा, एक हाथ उसकी स्कर्ट में घुसा दिया- आज तेरी जांघों पर करूँगा ! देख कितना उछ्लेगी !
नहीं नहीं ! सच में बहुत होती है !
मैंने इधर उधर हार फेरते हुए उसकी पैंटी …
आगे क्या हुआ?
अगले भाग में !
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