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प्रेषक : राजेश देशपाण्डे
मेरा नाम राजेश देशपांडे है, मैं मुंबई का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 19 साल है पर मेरा 6 इंच लम्बा है। मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
कुछ महीने पहले की बात है, मैं उस वक़्त 18 साल का था और बारहवीं में पढ़ रहा था। मुझे काम करने की बड़ी उत्सुकता थी। मुझे उससे कुछ पैसे भी मिल जाते और पढ़ाई के साथ थोड़ा मनोरंजन भी हो जाता।
मैं सेल्स, प्रमोशन और ऐसे ही कुछ छोटे मोटे काम कर लेता।
एक दिन मैंने अख़बार में एक विज्ञापन पढ़ा और उस ऑफिस में फोन किया। तो उन्होंने मुझे मुलाकात के लिए बुलाया। मैं वहाँ पहुँचा तो पता चला कि वो काम किसी और को दे दिया गया था। मैं निराश होकर वहाँ से निकला तो सामने एक स्कोडा गाड़ी खड़ी थी। मुझे गाड़ी का भी शौक है तो मैंने उस गाड़ी की तरफ गौर से देखा और चल पड़ा।
मैं थोड़ा आगे ही गया था कि मैंने वो स्कोडा फिर से अपने आगे खड़ी देखी।
मैं उस तक पहुँचा तो गाड़ी का शीशा नीचे हुआ और आवाज आई- हे गाय ! लिसन !
तो मैंने देखा, उस गाड़ी में एक 19-20 साल की लड़की थी। उसने मुझे इशारा करके पास बुलाया और कहा- तुम नौकरी देखने आये थे?
मुझे कुछ समझ नहीं आई पर मैंने हाँ का इशारा किया।
तो उसने मुझे पूछा- तो मिली नौकरी?
मैंने नहीं में गर्दन हिला कर कहा- नहीं।
उसने पूछा- मेरे पास काम करोगे?
मैंने कहा- हाँ ! पर काम क्या है?
उसने कहा- गाड़ी में बैठो, मैं समझाती हूँ।
मैं डर गया पर स्कोडा में बैठने का मौका मैं नहीं गंवाना चाहता था तो मैं गाड़ी में बैठ गया।
वो मुझे लेकर अपने घर पहुँची, माफ़ करें बंगले में पहुँची।
उसके बंगले में मुझे कम से कम चार नौकर दिखे। मैं देखते ही रहा। इतने नौकर होते हुए भी उस और नौकर क्या चाहिए? मैं सोचते रह गया।
इतने में उसने कहा- यह मेरा कॉलेज का दोस्त है, दो जूस मेरे कमरे में भेज दो। और वो मुझे अपने कमरे में ले गई। उसने मुझे एकदम सीधे ही पूछा- आर यू वर्जिन?
मैंने पूछा- क्या?
उसने पूछा- कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- नहीं !
इतने में एक नौकर जूस लेकर आया और देकर चला गया।
वो बोली- काम आसान है, हफ्ते में दो बार मेरे एक सहेली के साथ सेक्स करना है। महीने के दस हजार दूँगी।
मैं देखता ही रहा, तो उसने कहा- चलो बारह देती हूँ, पर तुम तैयार हो क्या?
मैं जूस पीते-पीते सोचने लगा- यह सब क्या है? लेकिन मन में विचार आया कि एक बार देखता हूँ कि क्या होता है?
तो मैंने हाँ कहा और पूछा- सहेली कौन और कहाँ है?
वो हंसकर बोली- मेरी सहेली नहीं, मैं ही हूँ।
देखने में वो बहुत सुन्दर थी। उसके वक्ष भी बड़े थे और उसने खुद को बहुत संवारा हुआ था।
उसने मुझे कहा- डेमो नहीं दिखाओगे?
और मुझे बिस्तर पर धकेल दिया। वो मेरी पैंट की जिप खोलने लगी और मेरा लण्ड हाथ में लेकर उसे सहलाने लगी। उसने एक नजर मेरे ऊपर डाली, मेरे लण्ड को चूमा और मुँह में लेकर चूसने लगी।
एक एक करके उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे ओंठों से लेकर लण्ड तक चूमने लगी।
मैंने उसके टॉप को उतारा और उसके मम्मों के साथ खेलने लगा, उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मुंह से सीत्कारें लेने लगी। मैंने उसका स्कर्ट उतारा और उसकी चिकनी चूत पर हाथ फेरने लगा तो वो उफ़.. आह.. की आवाजें निकालने लगी। उसने मुझे अपने से लिपटा लिया और मेरा लण्ड हाथ में लेकर कहने लगी- अब मेरी शांति करा दो।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लण्ड उसकी चूत पर रखकर धक्का मारा।
वो जोर से चिल्लाई- अह्ह्ह….. मर गई……
मैंने और थोड़े धक्के मारे और अपना पूरा लण्ड उसकी फ़ुद्दी में घुसा दिया। वो अब मजा लेने लगी। हम बहुत देर तक ऐसी ही करते रहे।
फिर जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने उसे बताया।
इस पर वो बोली- मुझे चख कर देखना है।
और मेरा लण्ड फिर से मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं उसके मुंह में झड गया। फिर मैं वहाँ से निकला तो उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और मुझे कुछ पैसे भी दिए।
हमने आगे और क्या गुल खिलाए, यह जानने के लिए कहानी के दूसरे भाग का इंतजार करें।
मेरी कहानी कैसे लगी, जरूर बतायें।
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