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चुदाई का शौक-1
मैं अन्तर्वासना पर अपनी सबसे पहली चुदाई का दूसरा भाग लेकर हाज़िर हूँ, कुछ पिछला बताते हुए में आगे लिख रही हूँ!
उसने मेरे होंठों पर होंठ टिका दिए, झुकते हुए अपने होंठों से मेरी चूत के होंठ चूम लिए, अपनी जुबान के करतब यहाँ भी दिखाने लगा। मुझे तो समझ नहीं आ रही थी कि क्या करूँ।
फिर वह खड़े होते हुए अपने लौड़े को हिलाने लगा- आओ चूम लो इस राही को! नहीं! यह क्या? मैंने भी तो चूत को चूमा था, अपने होंठ खोलो मेरी जान! अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रखते हुए बोला- लो रानी ले लो इसको मुँह में!
फिर उसने खड़े होते हुए अपने लौड़े को हिलाने लगा आओ चूम लो इस राही मैं नशे में थी, मैंने उसका मुँह में ले लिया, तब मेरे दिमाग में माधुरी की बातें आई। वो कहती थी कि उसके बॉयफ्रेंड उससे लौड़ा चुसवाते हैं, फिर चोदते हैं। और एक दिन माधुरी ने मुझे अपने मोबाइल पर उसके बॉयफ्रेंड द्वारा उसका लौड़ा चूसने वाला एक क्लिप दिखाया भी था। मैं थूक लगा लगा कर चूस रही थी। चूसो जान! मैंने चूसना शुरु किया! और चूसो!
मैं उसको पूरा मुँह में लेती, निकालती, मुझे मजा आने लगा। खूब मजा आया तो मैंने शर्म उतार फेंकी। फिर तो बस! उसका इतना बड़ा लौड़ा था! उसने कहा- चल टांगें फैला कर लेट जा! नहीं! कहते हैं बहुत दर्द होता है, खून भी निकलता है। डार्लिंग यह कौन सी घर की चादर है? और यह सब तो होता ही है। चल ऐसा करते हैं, एक एक जाम लेते हैं।
उसने इस बार पूरा बियर का ग्लास पकड़ा दिया और पीने के बाद बोला- चल! मैंने टांगें फैला दी, उसने अपना लौड़ा चूत पर टिकाया। मैं नशे में थी, फिर भी डर रही थी।
उसने धीरे धीरे करते हुए पहले उसका अगला भाग घुसाया। मैं उछल पड़ी।
उसने मुझे अब जकड़ लिया और थूक लगा और घुसा दिया, मेरे होंठों पर हाथ रख दिया और एक तेज झटका लगाया। मैं मानो मर गई- हाय!
लेकिन वो नहीं रुके और करते चले गए। कुछ देर में जब मुझे आनन्द का एहसास हुआ तो उन्होंने अपना हाथ हटाया। अब मेरे होंठों पर मुस्कान और मस्ती थी, मेरे कूल्हे खुद उठने लगे। कैसा लगा रानी? बहुत मजा आ रहा है ना? और करो!
सच्ची माधुरी अक्सर इसकी बातें करती थी। मेरे चुचूक चूसते चूसते उन्होंने मुझे जम कर चोदा, बोले- घोड़ी बनोगी? वो क्या बस घुटनों के बल तुझे और मजा आएगा!
मुझे तब क्या पता था, पहली बार में ही इतने करतब दिख ही रहे थे, जब मैं झटके खा रही थी तो नीचे मेरे मम्मे हिलने लगे तो वो पकड़ कर दबाने लगे। करीब चालीस मिनट की जदोजेहद के बाद उनका निकला।
पहली बार ही सेक्स के इतने रंग दिखा दिए। उसके बाद जब दिल करता, हम होटल में चले जाते।
होश उस दिन उड़े जिस दिन मुझे पता चला कि मेरे पेट में उनका बच्चा रुक गया है। मैंने उनको बताया तो बोले- साफ़ करवाना होगा! इतनी जल्दी यह सब? मुझे अपनी बना लो! शादी कर लो!
लेकिन तू अभी बच्चा जनने के लिए उम्र में छोटी है, जान को खतरा हो सकता है, मैं नहीं चाहता कि इसकी वजह से मेरी जान को कुछ हो जाए, बच्चे फिर भी हो सकते हैं। उसके बाद से हम बहुत कम मिलने लगे, वो बिज़नस में लगे थे या फिर उनका दिल भर गया था।
इधर मेरी चूत में जो चिंगारी छोड़ी थी, वो अब आग में तबदील हो चुकी थी। कई साधन थे, जवान थी लड़कों की कैसी कमी!
एक दिन राहुल ने मुझे फ़ोन किया, उसका जन्मदिन था। माधुरी उन दिनों अपनी मौसी के पास गई हुई थी, शाम को पार्टी थी उसके फ़्लैट में! वो अकेला रहता था, पढ़ने आया था, उनका एक फ़्लैट खाली था। सर्दी के दिनों वहीं रुकता था। मेरे अलावा कुछ और क्लासमेट्स आई, सभी लड़के पीने लगे, साथ सनैक्स वगैरा थे। सभी जाने लगे तो राहुल बोला- रुक ना! तुम तो रुको! मेरे साथ डिनर करो! तुम माधुरी की ख़ास सहेली हो, मेरी ख़ास साली हो। उसने मुझे बियर का मग देते हुए कहा। नहीं, यह नहीं! प्लीज़ समझो! लिखारी भाई के साथ वहाँ भी तो पीती हो! तुम्हें कैसे पता?
मैंने तुम दोनों को होटल में देखा था। और सर्विसबॉय को य्ह सब कमरे में ले जाते हुए!
हम दोनों अकेले थे फ़्लैट में। बियर पीते ही मेरा सर घूमने लगा, लगता था उसमें विस्की मिलाई थी। मैं डिनर मंगवाता हूँ!
उसने फ़ोन पर पास से खाना मंगवा लिया। मुझे नशा चढ़ने लगा, मैं उठने लगी, एकदम कदम लड़खड़ाये तो उसने संभाल लिया। मुझे घर लौटना है!
उसने मुझे बाँहों में कस लिया और होंठों पर होंठ टिका दिए- अब इसमें से पिला कर नशा दुगना कर दो यवनिका! बहुत मरता हूँ तेरे पर, तेरी जवानी पर!
राहुल मेरे होंठ चूसने लगा और उसका हाथ मेरे टॉप में जा चुका था। मैं भी कई दिनों की प्यासी थी, उससे लिपट गई। उसने मेरा टॉप उतारा, फिर जींस, फिर ब्रा, फिर पेंटी, खुद भी नंगा हो गया।
इतने में दरवाजे पर घण्टी बजी। उसने तौलिया लपेटा और खाना ले लिया, उसको पैसे दिए, दरवाज़ा बंद करके मुझे बाँहों में लेकर बिस्तर में गिर गया, मेरे दोनों मम्मो को चूसने लगा। उसने मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया। काफी बड़ा लौड़ा था उसका भी! मैंने सहलाया और फिर चूसने लगी। उसने भी 69 में होकर मेरी चूत पर होंठ लगाए और चूसने लगा। मेरे दाने को जब रगड़ता, मैं मर मिट जाती। कुछ देर में उसने मुझे लिटाया और मुझ पर सवार होने लगा। उसका लौड़ा मेरी चूत में था और मैं चुद रही थी।
आधा घंटा उसने मुझे जम कर पेला, फिर शांत हुए, नशा उतर गया, बोला- तुमने मुझे इतना मस्त गिफ्ट दे दिया! माधुरी नहीं देती? सच बताऊँ? उसे मत कहना! उसमें अब कुछ नहीं बचा! ना जाने कितनो से किया है उसने! तुम भी नहीं जानती! छोड़ उसको! खाना खाया, कपड़े दरुस्त किये, घर लौट आई। मुझे चुदाई का चस्का लग गया, मेरा ध्यान अब लड़कों में रहता, सोचती इसका कैसा होगा? वैसा होगा? फिर मेरा आवा तब उता जब मुझे घर में लौड़ा मिलने लगा। आगे क्या हुआ?
चुदाई का शौक-3
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