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पिछला भाग: जीजू के साथ मस्त साली-1
जीजू मेरी गांड मारने लगे, मैं बोली- जीजू, रहम करो! आप मेरी गांड को बख्श दो, मेरी फ़ुद्दी चोद लो! मुझ बावली को क्या पता कि मेरा जीजा तो चाहता ही यह था.
अब विपुल ने मुझे चूतड़ों के बल लेटा दिया और अपना फनफनाता लौड़ा लेकर मेरे ऊपर चढ़ गए और कहने लगे- अब नीविया लगाकर इसको चिकना कर दे. कहीं मैंने ऐसे ही घुसा दिया तो अम्मा अम्मा चिल्लाती रहेगी. क्या करती, मैंने नीविया जीजू के लौड़े पर अच्छी तरह मल दी. जीजू ने निशाना साधा और लौड़े को एकदम चूत में पेल दिया. मैं जोर से चिल्लाई- अरे भोसड़ी के! मर गई! मार डाला बहनचोद! निकाल जल्दी!
लेकिन जीजू ने तो लौड़े को अन्दर पेलना शुरू कर दिया, वो बारबार कहने लगे- चुप हो जा रंडी की औलाद! आज तो मैं तेरी चूत का वो हाल करूँगा कि 5 साल तक तू किसी के लौड़े को ताकेगी भी नहीं!
और यह कहकर उन्होंने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए, मेरी चूत से फच फच…फच की आवाज आ रही थी, जीजू का लौड़ा चूत को फाड़ने पर उतारू था, जीजू ने अपने मुँह में मेरी चूचियाँ दाब रखी थी जिन्हें वो बीच बीच में काट रहे थे, वो अपने हाथों से मेरे गाल मसल रहे थे.
मैंने जीजू से कहा- तुमने न जाने कितनों की बहनों को चोदा होगा! कभी अपनी बहन चिंकी की भी चुदाई की है या नहीं? जीजू बोले- तुझे क्या पता कुतिया! मैंने ही सबसे पहले उसकी चूत फाड़ी थी! मैंने कहा- जीजू, चिंकी की चुदाई का किस्सा बताओ!
जीजू बोले :
यह तब की बात है जब चिंकी और में एक कमरे में ही सोते थे. एक दिन जब मैं कमरे में सोने आया तो मैंने देखा कि चिंकी की फ़्रॉक ऊपर उठी हुई है और उसकी काली पेंटी साफ दिख रही है. मैंने उसकी पेंटी नीचे की तो चिंकी की चूत देखते ही मैं मस्त हो गया, मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू किया.
क्या मुलायम मस्त गुदगुदी चूत थी मेरी बहन की!
अब मैंने अपनी जीभ चिंकी की चूत की पर ले गया और उसे चाटने लगा. 18 साल की जवान लौण्डिया की चूत का स्वाद! मेरे मुँह में तो पानी आ गया. मैं काफी देर तक चिंकी की चूत चाटता रहा, इधर मेरा लंड अब फनफनाने लगा. बस अब तो लगने लगा कि चिंकी की चूत का स्वाद इसे भी चखा दूँ.
अचानक चिंकी कसमसाने लगी. मैं उठकर खड़ा हो गया. जब वो वापिस सामान्य हो गई तो मैं उसके बोबों की ओर बढ़ा. मैंने उसकी टीशर्ट को ऊँचा किया, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी. अब मेरे सामने दिक्कत यह थी कि इसे उतारूँ कैसे!
मेरे दिमाग में एक विचार आया, मैंने कैंची ली और उसकी ब्रा को काट दिया. अब उसके बोबे बिल्कुल आजाद थे, मौसमी जैसे उसके भरे-पूरे बोबे और उन पर बारीक़ से चुचूक तो कयामत ढा रहे थे.
मैंने धीरे से उसके बोबो को पकड़ा और आहिस्ता से मसलने लगा. थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने बोबों को मुँह में भर लिया और उन्हें चाटने-चूसने लगा.
चिंकी की चूत और बोबों ने तो मुझे दीवाना बना दिया. मैं काफी देर तक उसे निहारता रहा. अब मेरा धैर्य भी जवाब देने लगा था. अब मैंने लंड को उसकी चूत में पेलने की सोची. ,मैंने क्रीम निकाल कर अपने लंड पर लगाई, फिर थोडी क्रीम चिंकी की चूत पर लगाई. मैं अपने हाथ से चिंकी की चूत का छेद तलाशने लगा कि इतने में चिंकी चिहुंक कर उठ बैठी.
मैं भी सकपका कर खड़ा हो गया. चिंकी ने मुझे नंगा खड़ा देखा फिर अपनी और देखा. खुद को नंगी देखकर वो खड़ी हो गई और भाग कर बाथरूम में चली गई. एक तो खड़े लंड पर दंड, और उस पर चिंकी की क्या प्रतिक्रिया रहेगी इस बात से तो मुझे घबराहट होने लगी.
दस मिनट के बाद चिंकी बाथरूम से बाहर आई और बगैर मुझ से नज़रें मिलाये वो लेट गई. मैंने भी करवट बदली और सोने की कोशिश करने लगा. पर रात भर मैं अपनी बहन की चुदाई के बारे में ही सोचता रहा कि वो कौन खुशनसीब होगा जिसे मेरी बहन की चूत को फाड़ने का मौका मिलेगा.
मैं और वो सुबह सोकर उठे, मैंने सोचा कि चिंकी मम्मी से मेरी शिकायत करे, उससे अच्छा है कि मैं इससे माफ़ी मांग लूँ. मैंने नीची नजरे करते हुए रिंकी से कहा- सॉरी! रात को मैं नशे में था इसलिए मैं रिश्तों को भूल गया. उसने कहा- कोई बात नहीं भैया! मैं आपकी शिकायत नहीं करूँगी.
उस दिन तो बात आई-गई हो गई लेकिन अब मेरी नजरें चिंकी के प्रति बदल गई. जब भी वो मेरे सामने आती, मुझे उसकी चूत और बोबे याद आ जाते. मैं अब इस कोशिश में रहने लगा कि कब मौका मिले और मैं इसकी चुदाई करूँ.
अचानक एक मौका मेरे हाथ लग गया. पापा मम्मी और विशाल दो दिन के लिए नानाजी स मिलने चले गए और घर में चिंकी और मैं अकेले रह गए. मैं चिंकी के सोने से पहले सोने की कोशिश या यह कहें कि सोने का नाटक करने लगा.
चिंकी रसोई का काम करके आई और बेड के दूसरे हिस्से पर आकर लेट गई. उसने मुझे आवाज लगाई- भैया, सो गए क्या? मैंने कोई जवाब नहीं दिया. अचानक चिंकी मेरे पास आई और मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए बोली- उस दिन का अधूरा काम पूरा नहीं करोगे क्या? मैं चौंक गया कि यह क्या कह रही है!
चिंकी बोली- आप क्या समझते हो भैया कि आप अपनी बहन की चूत चाटोगे, उसके बोबे मसलोगे और उसे पता भी नहीं चलेगा? वो आगे बोली- उस दिन तो मैं इसलिए चुप्पी लगा गई कि घर में सब हैं और आपने जोर से मेरी चुदाई कर दी और मैं चिल्लाई तो घर के लोग जाग ना जाएँ! चिंकी मेरे और करीब आ गई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बोली- मैं तो उस दिन से इसका स्वाद चखने को बेताब हूँ.
बस फिर क्या था, मैंने मिनटों में उसे नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया. हम दोनों एक दूसरे से चिपट गए और चूमने लगे. चिंकी ने भी बराबर मेरा साथ दिया, उसने मेरा लंड ले लिया और चूसने लगी. बीच-बीच में वो बुदबुदा भी रही थी- फाड़ दे अपनी बहन की चूत को! उड़ेल दे अपना सारा वीर्य! और बना दे मुझे अपने बच्चों की माँ!
मैंने कहा- चिंता मत कर मेरी रानी! मैंने अपने लंड को जैसे ही चिंकी की चूत में डाला, वो चीखने लगी- बाहर निकालो भैया! मेरी जान निकली जा रही है. मैंने कहा- अब तो यह तेरी चूत का बाजा बजा कर ही निकलेगा! फिर क्या था, रात भर हम दोनों भाई बहन ने ऐसी जम कर चुदाई की कि चिंकी की चूत का सुबह तक भोसड़ा बन गई.
और अब जीजू विपुल मेरी नई कुँवारी चूत का भौंसड़ा बनाने में जुट गए.
मेरी चुदाई की कहानी का अगला भाग यहाँ है: मैं फिर से चुदी
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