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प्रेषक : जैक डॉबिन्स
इस कहानी को मैं कई भागों में लिखूंगा और आपका मनोरंजन करूंगा। आपसे अनुरोध है कि अपने विचार जरूर दीजिएगा।
अजय अग्रवाल सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, सामने मेज़ पर गर्म चाय की प्याली रखी हुई थी, वो चाय की चुस्की के साथ साथ अखबार भी पढ़ रहे थे।
तभी उनके कानों में आवाज आई- सर, आपका फोन !
उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था।
“किसका फोन है अंकित?”
अंकित- सर, रमेश सर का फोन है।
अजय- इस वक्त? इतनी सुबह?
… हैलो, हाँ रमेश ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई?
अजय बात करते हुए- अच्छा अच्छा ! हम्म ! यह कब की बात है? … फिर तुमने क्या किया? … चलो अभी कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, मैं आता हूँ थोड़ी देर में और जब तक मैं न पहुँचु, तुम लोग कुछ मत करना ! समझे न?
यह कह कर अजय ने फोन रख दिया और वहीं मेज़ पर अखबार रखते हुए उठ खड़ा हुआ और अंकित से पूछा- मेमसाब कहाँ हैं?
अंकित ने जवाब दिया- सर, वो मार्निंग-वॉक के लिए गई हैं।
अजय ने कहा- ठीक है, वो आ जाएँ तो उन्हें बता देना कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूँ, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी।
यह कह कर अजय अपने कमरे की ओर चले गए और तैयार होने लगे …
अंकित ने पूछा- साहब, नाश्ता लगाऊँ?
अजय ने जवाब दिया- नहीं, मैं बाहर ही कर लूँगा, तुम गाड़ी निकलवाओ।
अजय अपने आलीशान चेम्बर में बैठे थे, सामने एक बड़ी सी मेज रखी थी, एक तरफ़ लैपटॉप खुला हुआ था और वो उस पर बड़े गौर से कुछ पढ़ रहे थे। सामने की कुर्सी पर रमेश बैठे थे और बगल में रीमा खड़ी थी। रीमा अजय की सेक्रेटरी थी, गोरी, गदराया बदन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसके टॉप से बाहर आने को तरस रही थी और उसने बिल्कुल कसा हुआ मिनी-स्कर्ट पहना हुआ था, जिसमें से उसकी गाण्ड साफ दिख रही थी।
अजय ने अपनी नजरों को लैपटॉप से हटाया और रमेश की तरफ देखते हुए बोले- रमेश ये सब क्या है ?… इतना बड़ा घपला तुम्हारी नाक के नीचे चलता रहा और तुम्हें पता तक नहीं चला? तुम्हें पता है रमेश कि कितने का घपला है यह?
रमेश- हाँ सर, पता है ! पूरे डेढ़ सौ करोड़ का मामला है यह !
अजय ने मेज पर हाथ पटकते हुए कहा- मुझे जल्द से जल्द इसकी पूरी रिपोर्ट चाहिए, कौन-कौन इसमे शामिल है, वो सब ! जितनी जल्दी हो सके पता करो रमेश।
रमेश- ज….जी सर ! आप चिन्ता न करें !
अजय- (गुस्से में) चिन्ता न करूं? इतना सब-कुछ होने के बाद भी चिन्ता न करूँ? मैं वो सब नहीं जानता, मुझे सच्चाई जाननी है, जो भी करना है करो … और हाँ यह बात मीडिया में नहीं जानी चाहिए रमेश ! समझ गए? अब तुम जा सकते हो !
अजय- रीमा, मेंरे लिए एक सैंडविच और कॉफी भिजवाओ।
रीमा- यस सर ! अभी भिजवाती हूँ …
कहते हुए रीमा भी बाहर चली गई।
अजय की बीवी लक्ष्मी घर लौटती है :
अंकित ! अंकित ! अजय कहाँ है?
अंकित तेज कदमों के साथ आता है और अदब के साथ खड़ा होकर जवाब देता है- मैडम, साहब के पास रमेश साहब का जरूरी फोन आया था तो वो ऑफिस चले गए हैं।
लक्ष्मी- साहब ने कुछ खाया या नहीं?
अंकित- नहीं मैडम, साहब ने कहा कि वो बाहर ही खा लेंगे।
लक्ष्मी- अच्छा, ऐसी भी क्या इमरजेंसी थी उन्हें? … साहब से बात करवाना मेरी !
अंकित- जी मैडम, अभी फ़ोन लगाता हूँ।
लक्ष्मी- अजय, तुम कहाँ हो यार? इतनी सुबह ऑफिस में क्या कर रहे हो?
अचानक लक्ष्मी चिन्तित दिखने लगी और कहा- ठीक है, लेकिन ज्यादा परेशान मत होना तुम।
लक्ष्मी अपने कमरे में चली गई अपने कमरे में पहुँचकर उसने अंकित को आवाज लगाई।
अंकित अब लक्ष्मी के कमरे में था।
लक्ष्मी ने कहा- मेरी मालिश की मेज़ तैयार करो, मैं आती हूँ अभी कपड़े बदल कर !
अंकित वहाँ से दूसरे कमरे में चला गया।
थोड़ी देर में वहाँ लक्ष्मी भी पहुँच गई, उसने गाउन पहन रखा था। सामने मालिश की मेज़ थी और मेज़ के एक तरफ़ तेल और क्रीम की कई शीशियाँ रखी थी। अंकित वहीं पास में सिर्फ एक छोटे सी हाफपैंन्ट पहने खड़ा था। गठीला सांवला बदन था, अंकित की उम्र यही कोई 23 की रही होगी।
लक्ष्मी ने अपने गाउन की नॉट को खोल दिया और सिर्फ काले रंग की पैंटी में वहाँ से मेज़ की ओर बढ़ गई।
लक्ष्मी- अंकित, पूरा बदन टूट रहा है ! आज जरा बढ़िया मालिश करना मेरी !
अंकित- जी मैडम… इससे पहले कभी शिकायत का मौका दिया है कभी आपको? आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! एन्ड जस्ट रिलेक्स।
लक्ष्मी पेट के बल लेट गई..
बगल से उसकी चूची साफ झलक रही थी और गोरे जिस्म पर उसकी काली पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। गाण्ड काफी मुलायम और उभरी हुई थी …
अंकित एकदम ललचाई हुई नजरों से उसे देख रहा था।
अंकित ने अपने हथेली में थोडा ऑलिव-आयल लिया और हल्के-हल्के कंधों की मालिश करने लगा। मालिश करते करते वो लक्ष्मी की पीठ पर पहुँच गया और बडे प्यार से पूरी पीठ की मालिश करने लगा। मालिश करते करते उसकी उंगलियाँ बगल से लक्ष्मी की चूचियों को स्पर्श करने लगी। जैसे ही बगल से अंकित ने चूचियों को छुआ, मस्ती से लक्ष्मी की आँखें बंद होने लगी।
अंकित समझ गया था कि मैडम अब मस्त हो रही हैं !
वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा। अब वो लक्ष्मी की कमर की मालिश कर रहा था, कभी कभी उसके हाथ लक्ष्मी की पैंटी की इलास्टिक को भी छू जाते थे।
अंकित ने धीरे से मालिश करते करते लक्ष्मी की पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया। अब उसकी आँखों के सामने लक्ष्मी की गाण्ड की दरार साफ दिखाई दे रही थी…
कहानी जारी रहेगी।
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