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हाय दोस्तो, मै जय कुमार, काल-बाय, रंग साफ, कद कद 5 फीट 8 इन्च, एकदम से स्लिम, दिल्ली में रहता हूँ।
एक बार फिर नई कहानी के साथ आया हूँ जो एक हकीकत है।
मुझे एक दिन रणजीत ने कहा- यार जय ! आपके के लिये एक बहुत ही बढ़िया आफर है आप मेरे से आकर मिलो।
मैंने कहा- यार रणजीत, मैं आपसे कल शाम को मिलता हूँ !
तो रणजीत ने कहा- ठीक है जय, कल पक्का ?
मैंने कहा- ठीक है।
अगले दिन मैं शाम को 7 बजे रणजीत के घर गया, मैंने घण्टी बजाई, रणजीत ने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही उसने मुझे गले लगाया और अन्दर आने को कहा। मैं रणजीत के पीछे-पीछे अन्दर आ गया तो मैंने देखा कि मेरे से पहले ही वहाँ कोई आदमी बैठा था।
रणजीत ने मुझे बैठने के लिये कहा और कहा- यार, बहुत दिन हो गये साथ-साथ बैठे हुए ! चलो आज पार्टी हो जाये !
मैंने कहा- चलो ठीक है।
रणजीत ने कहा- क्या लोगे?
मैंने कहा- बीयर और क्या ?
तो रणजीत ने उस आदमी से पूछा- आप?
उसने कहा- जो भी आप लोगे, मुझे वही चलेगा !
फिर पीने-खाने का दौर शुरु हो गया।
रणजीत ने कहा- जय, यह मनोज हैं और हमारे बहुत ही पुराने दोस्त हैं और ये जय !
हम दोनों ने आपस में हाथ मिलाया और हम दोनों आपस में गले मिले और थोड़ी ही देर में हम तीनों घुल-मिल गये।
एक-एक बीयर खत्म होने के बाद रणजीत ने कहा- जय, हम आपनी असली बात पर आयें?
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं !
तो रणजीत ने कहा- यार जय, हमारे दोस्त को एक समस्या हैं और यह बहुत ही ज्यादा परेशान हैं !
मैंने कहा- यार रणजीत ! यह आपने क्या बात कर दी? ये तो मुझे बहुत ही खुश आदमी नजर आये ! और तो और मुझे नहीं लगा कि मनोज कभी भी परेशान हो सकता है।
मेरे यह कहते ही मनोज रोने लगा और कहने लगा- जय, नहीं, मेरी परेशानी कोई नहीं समझ सकता, मेरी परेशानी ही ऐसी है कि मै आपको क्या कहूँ, रणजीत ने मेरी बहुत ही मदद की पर कोई फायदा नहीं हुआ।
तो मैंने कहा- मनोज, परेशान होने से कुछ नहीं होगा, जो नसीब में होता है, वही होता है ! आप अपनी परेशानी बताओ, हो सकता है कि मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ ! हाँ, मेरे से जो भी आपके लिये बन पड़ेगा, वो मैं सब कुछ करने के लिये हमेशा ही तत्पर रहूँगा। आप अपनी समस्या मुझे विस्तारपूर्वक बतायें तो ठीक रहेगा, मनोज जी।
मैंने माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिये कहा- रण्जीत भाई, बीयर डालो !
मेरे यह कहते ही रणजीत ने बियर गिलास में डाली, हम लोगों ने आपस में चीयर्स किया और रणजीत बोला- इनकी समस्या यह है कि इनकी शादी को 6 साल हो गये हैं और इनके घर में आज तक कोई खुशी नहीं मिली।
मैंने कहा- मैं समझा नहीं?
ये दोनों अपने घर में अभी भी दो ही हैं ! तीसरा नहीं आ रहा ! जय तुम्हें इनकी समस्या का हल करना हैं चाहे कितने भी दिन लग जाएं। तुम पैसों की चिन्ता मत करना, चाहे कितने भी मांग सकते हों?
मैंने रणजीत से कहा- यार, मैं सिर्फ़ कोशिश कर सकता हूँ, बाकी तो ऊपर वाला ही कर सकता है।
रणजीत ने कहा- जय तुम अपना काम शुरू करो !
मैंने कहा- पहले मनोज से तो पूछ लो !
मनोज ने कहा- जय, तुए अपनी जितनी फीस लोगे वो मैं उससे भी ज्यादा देने को तैयार हूँ ! बस जय मुझे इस परेशानी से निजात चाहिए चाहे जो भी हो जाये।
मैंने मनोज से कहा- मनोज तुमने अपनी पत्नी से बात कर ली है? क्या वो मेरे साथ सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी?
मनोज ने कहा- जय भाई, मैं उससे पहले ही बात करने के बाद रणजीत के पास आया हूँ ! बस जय मैं यही चाहूँगा कि तुम अपना काम जल्दी से जल्दी शुरु कर दो।
मनोज ने रणजीत को एडवांस दिया और बात करके चला गया और हम दोनों आपस में बैठकर बात करने लगें।
रणजीत ने कहा- जय भाई, कब से काम शुरु करना चाहोगे?
मैंने कहा- अगले सप्ताह से !
एक सप्ताह के बाद मैंने रणजीत से मनोज का फोन नम्बर लिया मैंने मनोज को फोन किया और मनोज के घर का पता लिया और कहा- आज रात को मैं 9 बजे आ रहा हूँ।
मनोज ने कहा- नहीं जय, तुम आठ बजे आना।
मैंने कहा- क्यों?
तो मनोज ने कहा- यार, मैं रात को कहीं जा रहा हूँ और एक बजे तक ही आऊँगा इसलिये तुम जल्दी आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं रात के ठीक 8 बजे मनोज के घर पहुँच गया।
मनोज ने मुझे बैठने को कहा और अपनी पत्नी को आवाज लगाई- जय आ गया है !
मनोज की पत्नी पानी लेकर आई, मनोज ने उससे मेरा परिचय करवाया। हम दोनों ने आपस में हय हैल्लो किया और पानी पीने के बाद मैंने उससे उसका नाम पूछा तो मनोज ने अपनी पत्नी का नाम शालिनी बताया और कहा कि मैं इनको शालू के नाम से बुलाता हूँ।
थोड़ी देर बैठने के बाद शालिनी उठकर अपने कमरे में चली गई और मैं और मनोज आपस में बैठकर बात करने लगे और बैठकर बीयर पीने लगे।
तभी मनोज ने शालू को आवाज लगाई- हम लोगों का खाना लगा दो !
खाना खाने के बाद मनोज तैयार होकर शालू से बात करके चला गया। बस मैं और शालू घर में रह गये और शालू मेरे पास आकर बैठ गई।
3-4 मिनट तक हम दोनों खामोश बैठे रहे, एक दूसरे को देखते और अपनी नजरें नीची कर लेते।
मैं सोच रहा था कि पहल मैं करूँ या शालू करेगी।
पहले मैं शालू के बारे में बता दूँ कि शालू की फिगर 36-30-34 रंग साफ और भरे शरीर की देखने में और भी ज्यादा ही सुन्दर लगती थी।
मैंने चुप्पी तोड़कर कहा- शालिनी जी आप बीयर लोगी?
तो शालिनी बोली- जय तुम मुझे बस शालू कहकर बुलाओ !
यह कहकर बीयर लेने चली गई, शालू दो बीयर लेकर आई और दो गिलास बीयर के बनाये और मेरी आँखों में देखने लगी।
मैंने अपनी नजरें नीचे करके कहा- शालू मैं आपके निजी जीवन लाईफ के बारे में ना जानना चाहूँगा और न ही मेरा उससे कोई लेना देना है। तुमको मेरे काम के बारे मे मनोज ने सब कुछ बता दिया होगा।
शालू ने कहा- हाँ, मनोज ने मुझे सब कुछ बता दिया है। जय तुमको मेरी तरफ से कोई भी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी।
मैंने शालू से कहा- तुम अपनी तरफ से पूरी तैयार हो? मेरा मतलब अपनी तरफ से मानसिक, शारीरिक और जिस्मानी तरह से तैयार हो शालू जी? तुम अपनी मर्जी से यह कर रही हो ना? मैं चाहूँगा कि तुम पर किसी का कोई भी तरह का दबाव ना हो।
शालू बोली- नहीं जय, मुझ पर किसी का भी कोई तरह कोई दबाव नहीं हैं। हम लोगों ने लव मैरिज की थी !
और यह कहकर शालू रोने लगी।
मैंने कहा- शालू जी, अब रोने से कोई फायदा नहीं, तुम मेरे पास बैठो !
शालू मेरे पास बैठ गई।
मैंने कहा- शालू, यह क्या यह बीयर तो लो ! गरम हो रही है तुम्हारी तरह !
तो शालू हँसने लगी, कहने लगी- जय मैं अभी गर्म नहीं हुई ! देखती हूँ तुम मुझे कैसे गर्म करते हो? मैंने अपना गिलास उठाया और शालू का उसको दिया और आपस में चियर्स किया और एक ही बार में खत्म कर दिया।
मैंने मौका देखकर शालू के होठों पर अपने होठ रख दिये और शालू से पूछा- कोई दिक्कत तो नहीं?
तो शालू मेरे से अलग होकर बोली- जय तुम यह क्या बात करते हो, तुम मुझे अब ना चूमते तो मैं चूमती। बस अब तुम मुझे प्यार करो और मैं तुम्हें करती हूँ।
हम दोनों आपस में एक-दूसरे की बाहो में समाने लगें और काफी देर तक चूमते रहे।
उसके बाद मैंने कहा- शालू, बैडरुम में चलें?
तो शालू बोली- जय, मैं अभी कपड़े बदल कर आती हूँ !
मैंने कहा- क्या बात है शालू, मुझ से क्या पर्दा? मेरे ही सामने कर लो।
शालू कहने लगी- शरारती ! और मेरे ही सामने कपड़े उतारने लगी।
मैंने कहा- शालू, जब कपड़े उतरने ही हैं तो पहनने की क्या जरूरत है?
शालू हँसते हुए बोली- जय जब ऐसी ही बात है तो तुम मेरे कपड़े उतारो, मैं तुम्हारे उतारती हूँ !
मैंने पहले शालू के पूरे कपड़े उतार कर उसे नंगा कर दिया। बस मैं तो शालू के जिस्म को देखते ही रह गया ! क्या शरीर शालू का था ! एकदम कसा हुआ हर किसी जगह से ! यही मन कर रहा था कि बस शालू को जिन्दगी भर देखता रहूँ !
तभी शालू बोली- जय, कहाँ खो गये?
मैंने कहा- शालू, आज तो मैं तुम में ही खोकर रह गया हूँ !
तो शालू कहने लगी- जय, तुमने मेरा सब कुछ देख लिया ! अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारती हूँ !
और शालू ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये, हम दोनों एक दूसरे को कम से कम दस मिनट तक देखते रहे।
मैंने कहा- शालू, तुमने क्या जिस्म पाया है, बस मैं तो देखता ही रह गया।
और मैंने शालू को अपनी बाहों में भर लिया और एक दूसरे को चूमने लगे। हम दोनों एक दूसरे को मसलते रहे, चूमते रहे।
उसके बाद मै शालू के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से शालू की एक चूची को हाथ से दबाने लगा।
शालू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को ! शालू परम आनन्द में गोते लगा रही थी।
फिर मैं शालू के पेट पर हाथ फिराने लगा, धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा और शालू की शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। शालू के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से शालू का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी और चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और शालू झड़ गई।
फिर मैंने शालू की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ शालू की चूत पर चलाने लगा तो शालू के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को शालू की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो शालू ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया।
लेकिन कुछ ही देर के बाद शालू ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया और मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा, चूत तो गीली थी ही, बस एक ही बार में शालू ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा था कि शालू के मुँह से सिस्कारी निकल गई- जय, यह इतना लम्बा लन्ड कहाँ से लेकर आया? मेरी तो माँ मर गई, मैं ज्यादा सहन नहीं कर सकूँगी, तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
मैंने कहा- शालू जब तुम ऊपर हो तो पहले अपना मजा लो, जब तुम्हारा हो जायेगा तो मैं अपने आप ही ऊपर आ जाऊँगा।
शालू ऊपर से धीरे धीरे धक्के मारने लगी और शालू के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और शालू और जोर से जोर से आ आ आ ईईइ आइऐइ आऐ ऐ करने लगी। शालू थोड़ी ही देर में झड़ गई, बोली- जय तुम अब मेरे ऊपर आ जाओ !
मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने शालू को नीचे डाला और अपना लन्ड शालू की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। शालू की जान निकल गई और मैं शालू की चूत में जबरदस्त धक्के लगाने लगा।
शालू कहने लगी- जय और जोर से जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ पता नही क्या क्या कहने लगी।
फिर मैंने कहा- शालू, आप बैड से नीचे आ जाओ !
शालू अपने दोनों हाथ बैड पर रख कर झुक गई, मैंने अपना लन्ड शालू की चूत में पीछे से डाल दिया और धक्के मारने शुरु किये तो शालू को भी मजा आने लगा। फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी और शालू अपने मजे से मदहोश होने लगी।
मुझे मजा आ रहा था और एक ही झटके में शालू की आवाज तेज हुई और शालू की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
3-4 मिनट के बाद शालू मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खडा़ होने लगा।
मैंने कहा- शालू, अब क्या विचार है?
तो शालू बोली- जय, आप चुदाई करने में तो महिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई। काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है।
मैंने कहा- शालू, अब मैं चलता हूँ !
तो शालू कहने लगी- नहीं जय, एक बार और हो जाये फिर निकल जाना।
मैंने कहा- ठीक है ! पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा !
तो शालू ने कहा- आपको जो भी आपको चाहिए वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं !
तो मैंने कहा- शालू, कोई क्रीम है?
तो शालू ने क्रीम लाकर मुझे दी और मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और शालू की गान्ड पर क्रीम लगाई।
उसके बाद मैंने शालू को कहा- शालू, आप बैड से नीचे आ जाओ !
शालू अपने दोनों हाथ बैड पर रख कर झुक गई, मैंने अपना लन्ड शालू की गाण्ड पर रखा और जोर से धक्का मारा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड शालू की गान्ड मे पहुँच गया। शालू थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली।
मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरु किये और फिर पूरी रफ्तार तेज कर दी जब तक मेरा जोश खत्म नहीं हुआ और शालू भी आ ईईइआआईइआईएएइएइ ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही। जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- शालू, मेरा निकलने वाला है !
शालू ने कहा- आप मेरी ही चूत में छोड़ना !
और शालू बैड पर लेट गई, मैंने शालू की दोनों टांगों को ऊपर उठाया और अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा और 3-4 मिनट मे ही मैं शालू की चूत में झड गया। और शालू के ही उपर लेट गया। थोड़ी देर के बाद मैंने शालू से कहा- शालू, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हो या नहीं?
शालू ने कहा- आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था जय ।
मैं अपने घर चला आया।
तो दोस्तों मेरी यह सच्ची कहानी आप लोगो को कैसे लगी मुझे मेल करना। 1888
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