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हेलो, मेरा नाम रश्मि है। मुझे लगता है कि मैं सेक्स एडिक्ट हूँ. मैं एक मस्त गदराए हुए जिस्म की औरत हूँ। मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपने यार से होटल में चुदवा आयी
मुझे सेक्स हर तरह से पसंद है। सेक्स जितना गंदा हो, मुझे उतना अच्छा लगता है। मैं डर्टी से डर्टी सेक्स करने के लिए हमेशा तैयार रहती हूँ, बस मौक़ा मिलना चाहिए.
मुझे सेक्स करने की इच्छा कम उम्र में होने लगी थी। तब मेरे कॉलेज का एक दोस्त मुझे बहुत प्यार करता था. जब भी हम दोनों को मौका मिलता हम एक दूसरे को खूब टूट कर प्यार करते थे. कॉलेज टाइम में मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे बहुत चोदा था. यहां तक कि मैं एक बार 2 महीने की प्रेग्नेंट भी हो गई थी, फिर मैंने अबॉर्शन करा लिया था।
जब मेरा कॉलेज टाइम खत्म हुआ तो मम्मी पापा ने फिर मेरी शादी कर दी. अब मैं एक गृहणी हूं। मेरे हस्बैंड ने सुहागरात वाले दिन ही मेरी चूत और गांड दोनों मारी थी। वे मुझे बहुत ज्यादा चोदते हैं।
उन्हें चोदते वक्त गालियां देना बहुत पसंद है तो मुझे चोदते वक्त साली रंडी, साली कुतिया, साली छिनाल के साथ माँ बहन की गन्दी गालियां निकालते हैं. मुझे घोड़ी बना बना कर पीछे से चोदते हैं और मेरे हिप्स पर बहुत मारते हैं।
यह वह दौर था मेरी लाइफ का … जब मुझे सेक्स और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा। मेरे दिमाग में हमेशा सेक्स ही सेक्स रहने लगा. मुझे तो ऐसा भी लगने लगा जैसे कि मैं सेक्स एडिक्ट हूँ। यह कोई बीमारी तो नहीं बस हमेशा एक भूख सी लगी रहती है सेक्स की।
तो इस वजह से मैं हमेशा अपने फोन में फ्री सेक्स कहानी और अंतर्वासना साइट पढ़ती रहती थी. मुझे पोर्न देखने से ज्यादा मजा कहानी पढ़ने में आता है। वहां पर मैं सबसे ज्यादा इंडियन बीवी की चुदाई की कहानियां, बेचारा पति टॉपिक पर कहानियाँ पढ़ती हूँ. मैं वहां अपने आपको फील करती थी क्योंकि उन कहानियों में हसबैंड अपनी वाइफ को किसी और से चुदवाते थे।
यह पढ़कर और सोच कर ही मेरा अंग अंग फड़कने लगता था मेरा चेहरा एकदम लाल हो जाता था और मुझे लगता था कि काश मेरे साथ भी ऐसा ही हो. लेकिन अगर मैं अपने दिल की यह बात हस्बैंड से कहती तो मुझे डर था कि कहीं अपनी शादीशुदा लाइफ को बर्बाद ना कर लूं।
इसलिए मैंने उनसे चुपके से यह सब करने की सोची और अंतर्वासना साइट पर एक दोस्त की तलाश करने लगी जो मुझे सेक्स का मजा दे, हमेशा मेरे साथ रहे, मेरी प्राइवेसी का ध्यान रखें। अंतर्वासना पर मुझे बहुत सारे ईमेल आए. मैं कुछ दोस्तों का रिप्लाई करने लगी जिनके रिप्लाई अच्छे होते थे. मेरी उनसे बात होने लगी.
वहाँ मुझे एक प्रिंस नाम का एक दोस्त मिला. उसने मुझसे कहा- भाभी, मैं आपका हमेशा ध्यान रखूंगा. मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा है क्योंकि मैं कभी किसी लड़की को नहीं पटा सका. मुझे आपके साथ सेक्स करना है। मुझे भी उसकी बातें अच्छी लगने लगी क्योंकि चुदना तो मुझे भी था।
लेकिन मुझे कहीं ना कहीं फिर भी यह डर लगा रहता था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए।
तो मेरी उससे और भी बहुत सारी बातें हुई. मैंने उससे कहा- देखो, देने को तो मैं आपको अपना नंबर भी दे सकती हूं और हम हैंग आउट पर भी बात कर सकते हैं. पर मुझे कहीं ना कहीं एक डर है.
तो उसने मुझसे कहा- भाभी, आप मुझे आजमा कर देख लो, मैं कभी आपका भरोसा नहीं तोडूंगा, हमेशा आपके साथ रहूंगा. मैंने कहा- ठीक है। फिर उसने मुझसे कहा- आप मुझे अपने घर कब बुला रही हो? मैंने उसे कहा- जल्द ही!
एक दिन मेरे हस्बैंड कहीं बाहर गए थे, उन्हें अगले दिन आना था. तो मैंने उसको अपने घर पर बुला लिया. दिल्ली में हमारा घर है, मैं वहां पर एक 3 कमरों के फ्लैट में रहती हूं। वह वहां पर आ गया।
मैं उसके लिए एकदम सज संवर कर तैयार हुई थी. मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और खुद को बार-बार आईने में देख रही थी. मैं उसका ही इन्तजार कर रही थी. तो करीब शाम को 8:00 बजे के आसपास मेरे घर की डोरबेल बजी।
जब मैंने दरवाजा खोला तो मैंने कहा- प्रिंस? तो उसने कहा- जी भाभी, मैं ही प्रिंस हूँ आपका अपना दोस्त!
मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा और वह मुझे निहारता हुआ अंदर आ गया. उसने अंदर आकर कहा- भाभी, आप तो बहुत खूबसूरत हो. जितना मैंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा हो! मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे आपके जैसी भाभी मिल सकती है. तो मैंने उससे कहा- आप ज्यादा मस्का ना लगाओ। उसने कहा- सच में भाभी … मैं मस्का नहीं लगा रहा! आप सच में बहुत खूबसूरत हो।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम चाय लोगे या कॉफी लोगे? उसने मुझसे कहा- नहीं भाभी, मैं कुछ नहीं लूंगा. मुझे तो बस भूख लगी है. खाना खाकर बस पूरी रात अब आपके साथ ही गुजारनी है।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दी। मैंने कहा- ठीक है, तुम बैठो! मैं अपने लिए और तुम्हारे लिए खाना बनाती हूं. और मैं किचन में चली गई. उसने मुझसे कहा- मैं भी यहां क्या करूंगा? मैं भी आपके साथ किचन में ही चलता हूं. कुछ बातें हो जाएंगी. मैंने उसे कहा- ठीक है, चलो फिर!
मैं किचन में जाकर खाना बनाने लगी. वह मुझसे बातें कर रहा था और मेरे आसपास घूम रहा था जैसे मुझे हर एंगल से देख रहा हो. प्रिंस बार बार मुझे छूने की कोशिश कर रहा था.
फिर एकदम अचानक से उसने मेरी पीछे से कोली भर ली. मालाब उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मेरे गाल पर किस करने लगा. मैं भी बस मुस्कुरा रही थी.
फिर मैंने उसे कहा- हटो शैतान … मुझे खाना बनाने दो! उसने मुझे छोड़ दिया और किचन की स्लैब पर ही बैठ गया।
मैं किचन में खड़ी खड़ी उसके लिए खाना बना रही थी.
यह एक सच्ची कहानी है. जैसा मेरे संग बीता, मैं वैसे ही अपने शब्दों में बयां कर रही हूं. उसके आते ही ना सीधा हमारे बीच में सेक्स हुआ और ना कुछ! और जैसे जैसे हुआ, वैसे आपको बता रही हूं।
फिर हमने बहुत सारी बातें की.
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया था. हमने साथ बैठकर खाना खाया फिर हम दोनों बेडरूम में चले गए सोने के लिए।
मैं बेडरूम के एक कोने पर जाकर बैठ गई और वह भी मेरे साथ आकर बैठ गया. उसने मेरे हाथ पर हाथ रखा और मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया. वो मेरे ऊपर आकर बैठ गया.
मैंने बस अपनी आंखें बंद कर ली.
फिर उसने मुझसे कहा- भाभी, मेरी तरफ देखो ना! मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराने लगी.
वह मेरे चेहरे पर किस करने लगा और धीरे-धीरे मेरी साड़ी को मेरे बदन से अलग करने लगा. उसने मेरी सारी साड़ी खोल दी और फिर मेरे पेटीकोट का नाड़ा भी खींच कर खोल दिया. मुझे काफी शर्म आ रही थी परंतु मेरी कामुकता मेरी शर्म पर हावी हो चुकी थी. मैं छह रही थी कि वो मुझे जल्दी से नंगी करके मुझे खा जाए.
मेरा पेटीकोट मेरी टांगों पर ही था. फिर उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके दोनों पल्लू बगल में सरका दिए. मेरी ब्रा में कैद चूचियां उसके सामने अधनंगी हो गयी थी.
फिर उसने मुझे बेड पर खड़ी किया तो मेरा पेटीकोट मेरी चिकनी जाँघों पर से सरक कर मेरे पैरों पर गिर गया. मेरी वासना मेरे सर में चढ़ कर घूम रही थी तो मैंने खुद ही अपना ब्लाउज उतार दिया. मैं अब मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ गई.
फिर उसने भी अपने कपड़े उतार दिये। औपचारिकता वश मैंने उससे कहा- इतनी जल्दी क्यों लगा रखी है? पूरी रात है आपके पास! हालांकि मुझे भी लंड लेने की जल्दी थी फिर भी मैंने उसे ये बात बोल दी ताकि उसे यह ना लगे कि इस भाभी को तो ज्यादा ही जल्दी है लंड खाने की! तो उसने मुझसे कहा- मुझसे रहा नहीं जा रहा।
मैंने उसको मना नहीं किया और उसने एक झटके में ही मेरी ब्रा और पेंटी को मेरे बदन से अलग कर दिया। अब वो अपने दोनों हाथों से दबा दबा कर मेरे बूब्स को चूसने लगा.
और फिर किस करते-करते नीचे मेरी चूत तक चला गया और फिर मेरी चूत को चूसने लगा। वह मेरी चूत में पूरी अंदर तक जीभ डाल कर चूसने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि आज मेरे साथ वह हो रहा था जो कभी मैं सोचा करती थी।
फिर उसने मुझे अपना लंड चूसने को कहा. मैं उसका लंड चूसने लगी. फिर हम दोनों ने 69 भी किया। हम दोनों एक दूसरे के यौन अंगों को खाने की कोशिश कर रहे थे।
बातों ही बातों में उसने मुझसे कहा- मैंने कभी आपके जैसी भाभी की कल्पना नहीं की थी जो सेक्स से इतनी भरी हुई हो।
फिर उसने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और मुझे दबा कर चोदने लगा. मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और मैं खुलकर उसका साथ देने लगी।
मेरे पैरों में पड़ी पाजेब उसके धक्कों के साथ बज रही थी। मैं तो उसकी कमर को पकड़ कर एक बार झड़ गई. जब मैं झड़ी तो मैं पूरी अकड़ गई थी.
फिर उसने मुझे बहुत देर तक इसी पोजीशन में चोदा. कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे अपना लंड चूसने को कहा.
मैंने अपनी चूत से निकला हुआ चूत के रस से भीगा हुआ गीला लंड अपने मुंह में ले लिया और दबा कर चूसने लगी. मैं सोच रही थी कि मैं सच में सेक्स एडिक्ट हो चुकी हूँ. वह मेरे पूरे जिस्म को चाट रहा था. वह जैसे मुझे अपने आगोश में लेना चाहता था या मुझमें समा जाना चाहता था.
मेरा जिस्म उसके चूमने और चाटने दबाने से हल्का लाल हो गया था।
फिर उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मेरी कमर को पकड़ कर मेरी चूत में लंड डाल कर मुझे चोदने लगा. वो मेरे हिप्स पर थप्पड़ मारने लगा।
कुछ देर बाद वह तेज धक्कों के साथ मेरी चूत में ही झड़ गया. इस बीच में मेरा भी पानी निकल गया था. हम दोनों थक कर लेट गए और बातें करने लगे.
उसने मुझसे कहा- भाभी, आप में इतना सेक्स है. आप मेरे साथ थ्रीसम करो। मैंने उससे पूछा- यह कैसे संभव है? उसने मुझसे कहा- मैं अपने एक दोस्त को बुला लूंगा।
मैंने उससे कहा- नहीं बाबा, मुझे यह सब नहीं करना। लेकिन मुझे क्या पता था कि मैं अगले दो-तीन दिन यह सब करने वाली हूं और बहुत चुदने वाली हूँ।
रात के करीब 1:30 बजे मेरे हस्बैंड का फोन आया. उन्होंने मुझसे कहा- रश्मि, मैं मैं कल सुबह तक आ जाऊंगा. मैंने उनसे कहा- ठीक है, आप आराम से आ जाओ.
यह बात सुनकर प्रिंस खुश होने लगा और मुझसे कहने लगा- आपके साथ कल सुबह तक का मौका है मेरे पास! मैं आपको कल सुबह तक चोद सकता हूं. मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी। मैं उसके साथ अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए तैयार थी. मैं चाहती थी वह ज्यादा से ज्यादा समय मेरे पास रहे और मुझे खूब चोदे।
तो उस रात हमारे बदन एक दूसरे को चूसते रहे. उसने मुझे सेक्स एडिक्ट की तरह से प्यार किया. मेरे गोरा बदन लाल हो गया था. मैं भी उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी.
और सुबह जब मैं उठी तो मेरा उठने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि मैं बहुत थक गई थी. फिर करीब 8:00 बजे मैंने प्रिंस से कहा- अब आपको जाना चाहिए, मेरे हबी किसी भी टाइम आ सकते हैं। उसने मुझसे कहा- ठीक है भाभी, मैं शावर लेकर जाता हूं।
फिर उसने मजाक में मुझसे कहा- आप मेरे साथ नहीं चलोगी नहाने! मैंने उससे कहा- नहीं अब नहीं … तुम फटाफट नहा कर चले जाओ! ये किसी भी टाइम आ जाएंगे. साथ साथ नहाने का मौका मैं तुम्हें फिर कभी दूंगी.
तो दोस्तो, यह थी मेरी अन्तर्वासना की एकदम सच्ची कहानी। आपको सेक्स एडिक्ट भाभी की स्टोरी कैसी लगी? मुझे ईमेल कर कर जरूर बताएं। [email protected]
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