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प्रेषक : शशांक रावत
सभी प्यासी चूत-मरियों को मेरे गीले लौड़े का सलाम ! मेरा नाम शशांक रावत है, मैं कक्षा 12 का छात्र हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम का नियमित पाठक हूँ। आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं इतनी छोटी उम्र से अन्तर्वासना डॉट कॉम के बारे में कैसे जानता हूँ … असल में मैं बिगड़े बाप की सुधरी औलाद था … मेरे बाप को अन्तर्वासना डॉट कॉम की कहानियाँ पढ़ने का शौक है ….कई बार मैंने उन्हें अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़कर मज़ा लेते हुए देखा था।
एक बार मैंने हिम्मत जुटाकर साईट खोली पर मुझे कई शब्दों का अर्थ नहीं पता था। फिर मैंने अपने से बड़े छात्रों से पूछकर इसका मतलब जाना… उसके बाद से ऐसी कोई रात नहीं रही जब मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ नहीं पढ़ी। लेकिन जो भी हो, मैं अन्तर्वासना का शुक्रगुज़ार हूँ जिसने मेरे अन्दर इतना जोश पैदा किया कि आज मैं आपसे अपनी अनुभव बाँटने जा रहा हूँ।
उस समय हमारे विद्यालय में एक नेपाली लड़का आया था, उसका नाम उत्कर्ष थापा था, नया छात्र होने के कारण उसका काम पिछड़ा हुआ था जिसे पूरा करने के लिए वो मेरा नोट्स ले जाया करता था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती और गहरी होती गई।
एक बार बातों बातों में मैंने उससे अन्तर्वासना के बारे में बताया। शुरू में तो उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वो तो मेरे बाप का भी बाप है।
हम लोग एक साथ ब्लू फिल्में देखने लगे।
एक बार मैं ब्लू फिल्म की सी.डी देने के लिए उसके घर गया। मैंने बाहर से आवाज़ लगाई पर कोई बाहर नहीं आया। मैं दरवाज़े के पास गया तो दरवाज़ा खुला था। अन्दर जाने पर लगा कि घर पर कोई नहीं था। तभी मुझे बाथरूम से कोई आवाज़ सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि थापा नहा रहा है, इसलिए मैं उसके कमरे में जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में मैं बोर होने लगा.. मैंने सोचा क्यूँ ना थोड़ी मस्ती की जाए !
मैं थापा को डराने के लिए दरवाज़े के नीचे से झांकने लगा…
मुझे नंगी टाँगें दिखाई देने लगी। मैंने आवाज़ लगाई- थापा, जल्दी बाहर निकल, मुझे तुझे कुछ देना है…
इतना कह कर मैं कमरे में जाकर बैठ गया। अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई। फिर अचानक दरवाज़ा खुला……
मैं देख कर दंग रह गया कि वह उत्कर्ष नहीं बल्कि उसकी खूबसूरत एवं सेक्सी दीदी अंकिता थी…. उसका गोरा बदन गुलाबी तौलिये से ढका हुआ था… उस तौलिये से उसकी चूची की गोलाइयाँ साफ़ नज़र आ रही थी…. पहली बार ऐसा दृश्य देखकर मैं शरमा गया… मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुँच गया…. मेरा लण्ड पैंट से बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था…
मैंने अपने खड़े लंड को छुपाने की पूरी कोशिश की…हालांकि रिश्ते में वो मेरी दीदी जैसी थी पर उसके गोरा बदन ने सब कुछ भुला दिया ….
दीदी ने बताया- उत्कर्ष घर पर नहीं है ! बताओ क्या काम है ?
सामने के मेज़ पर रखी अपनी कॉपी में मैंने सी-डी रखी थी। मैं घबरा गया और दीदी से कहा- मुझे उसे यह कॉपी देनी थी, पर मैं बाद में आकर दे दूंगा….
यह कह कर मैं कॉपी उठाने गया …..
पर गलती से सी-डी गिर गई … इससे पहले कि मैं कुछ करता, वो सी-डी उठाने के लिए नीचे झुकी ! झुकने के कारण उसके आधे से भी ज्यादा स्तन दिखाई देने लगे…. मेरा मन उसके तौलिये के खुलने का इंतज़ार कर रहा था… मेरा लंड लोहे की तरह कड़ा हो गया था …. मेरा लंड बहुत शरारती था और बार बार भड़क रहा था … यह देख कर दीदी भी मुस्कुराने लगी…. सी-डी के बारे में पूछने पर मैंने अपने आप को बचने के लिए कह दिया कि यह योगासन की सी-डी है…
दीदी को शायद शक हो गया था और कपड़े बदलने के बहाने अन्दर चली गई।
मेरी तो फट के चार हो गई मैं और चुपके से खिसकने वाली ही था कि इतने में अन्दर से आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह की आवाज़ें आने लगी, दीदी रावत रावत कह कर मुझे बुलाने लगी। मैं डरते हुए अन्दर गया..
दीदी ने मुझसे हंसते हुए पूछा- यह कौन सा आसन हो रहा हैं ?
गलती से मेरे मुँह से निकल गया- यह रामदेव बाबा चोदासन कर रहे हैं……….
दीदी कहने लगी- तुम मुझे ये सब सिखाओगे? अभी बताती हूँ तुम्हारे घर में !
अब मेरे लण्ड का जोश ठंडा पड़ रहा था………….
मैं अच्छी नियत से दीदी के पाँव पड़ने लगा………पर दीदी ने गलत समझा……..
दीदी ने कहा- अगर तुम बचना कहते हो तो मुझे भी चोदासन सिखाओ….
मैं चौंक गया, मेरा लंड वापस जोश में आने लगा……..अब वो फ़ायरिंग करने को बेताब था…… मेरा लंड गीला होता जा रहा था और दीदी की चूत की प्यास बढ़ती जा रही थी। अब उसे रोकना नामुमकिन सा लग रहा था………..
दीदी ने कहा- क्या हुआ? क्या सोच रहे हो? चोदासन सिखा रहे हो या मैं सिखाऊँ?
अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था पर मैंने ऐसे ही कह दिया- तुम्हारे भाई को पता चल गया तो?
फिर दीदी ने बताया- वो नेपाल गया है….पापा मम्मी भी गए हैं ! तुम चिंता मत करो ! तुम बस मेरी चूत को चीर दो !
मैंने कहा- नहीं दीदी ! यह तो गलत है, तुम तो मेरी बहन जैसी हो !
उसने कहा- क्या भाई क्या बहिन ? यह ज़िन्दगी का असली आनन्द …….. खुद भी लो और मुझे भी लेने दो… !
इतना कह कर उसना मेरा हाथ पकड़ लिया, उसका कोमल हाथ गर्म था और आँखें लाल हो रही थी…..
अब मैंने भी आगे कदम उठाया और अंकिता को अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मै धीरे धीरे दीदी के गालों को चूमने लगा………. दीदी अभी भी तौलिया लपेटे थी…. मन तो कर रहा था कि तौलिए को ही खींच दूँ …..
मैंने उसके नर्म-नर्म होंठों को चूमना शुरू किया। यह मेरे ज़िन्दगी का सबसे यादगार चुम्बन था…….
मैं चुम्बन का मज़ा ही ले रहा था कि दीदी बोली- कब तक ऐसे ही तड़पाओगे ? अब तो चोदन शुरू करो !
दीदी की चूचियों के रौंगटे खड़े हो गए थे…..
मेरे लंड की लम्बाई और दीदी की बुर का तापमान एक समान बढ़ता जा रहा था। मैंने भी सोचा- अभी नहीं तो कभी नहीं ! लौड़ा गरम है डाल दूँ चूत में !
अंकिता का हाथ बार बार मेरे लंड की ओर जा रहा था। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था अपनी किस्मत पर ! ऐसा लग रहा था कि मैं सपना देख रहा हूँ ! और दिल कर रहा था कि यह सपना यूँ ही जारी रहे…
मेरा लौड़ा अब मानने को तैयार नहीं था….मेरे हाथ फड़फड़ा रहे थे……. मैंने बिना कुछ सोचे समझे दीदी का तौलिया खोलने के लिए हाथ बढ़ाया। मैंने तौलिये की गांठ को धीरे से खोला और तौलिये को शरीर से अलग किया……
इतनी गोरी चूचियाँ मैंने अपने सपने में भी नहीं देखी थी। उन गोरी चूचियों पर उसके हरी-हरी नसें साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
मैंने अपनी नज़रें नीचे झुकाई तो नीचे का नज़ारा और भी सुन्दर था……….
वो बोली- सिर्फ देखते ही रहोगे या मुझे भी कुछ दिखाओगे?
फिर मैंने कहा- आज तो सब कुछ तुम्हारा है…..जो देखना है अपने आप देख लो….
इतना कहकर मैं पूरी तरह से नग्न हो गया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे………….
उसकी नज़र बार बार मेरे लंड पर जा रही थी और मेरी उसकी दोनों चूचियों और चूत पर !
मैंने सोच लिया कि मैं आज उसकी चूत के चिथड़े उड़ा दूंगा !
और शायद उसकी भी यही इरादे थे………. वो कहने लगी- आज मेरे शरीर के तीनों गड्ढे भर दो !
इतना कहकर वो नीचे झुकी और मेरे लंड को चूसने लगी………. अगले ही पल में मेरा पूरा लंड उसके मुँह में था और उसकी गोल-गोल चूचियाँ मेरे हाथों में……..
लगभग पाँच मिनट तक हम लोग इसी मुद्रा में रहे……… कुछ देर में मैं उसकी चूचियों को आइसक्रीम जैसे चाटने लगा, साथ ही मैंने उसकी चूत में दो उंगलियाँ जोर से घुसा दी……
वो अपने मुँह से उम्म्मम्म्म्म म्म्म्म उम्म्मम्म्म्म म्म्म्म की आवाजें निकालने लगी…… अहा आआआआआअ अहाआआ से सारा घर गूंज उठा।
मेरी उंगलियाँ उसके चूत-रस से गीली हो गई……
उसने कहा-बहुत हो गया ! मेरी चूत तुम्हारे लंड का तमाशा देखने के लिए बेकरार है………
मैंने कहा- अब आ जाओ मेरी जान ! मेरा लंड भी तुम्हारी चूत में गोलाबारी करने के लिए बेताब है !
उसके चहेरे पर एक शरारती मुस्कान दिखने लगी। मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और अपना लौड़ा उसकी गर्म चूत में डालने की कोशिश की। पहले दो बार में मेरा मोटा लंड उसकी कड़क चूत में नहीं घुस पाया।
दीदी दर्द के कारण जोरों से चिल्लाने लगी………
अब मैंने कहा- दीदी आपकी चूत कुंवारी है इसलिए थोड़ा दर्द तो होगा ही !
उसने कहा- कोई बात नहीं ! मैं सहन करने के लिए तैयार हूँ ………. और एक बात ! अब तो मुझे दीदी मत कहो !
मैं दोबारा से प्रयास करने लगा……….वैसलीन लगाई ! मैंने अपने आधे लंड को उसकी चूत में घुसाया ही था कि वो तेजी से चिल्लाने लगी, उसकी चूत खून से लथपथ हो गई, मेरा जोश और बढ़ गया और मैंने धमाधम चुदाई शुरू कर दी ……. अब मेरा लंड चूत के अन्दर-बाहर होने लगा।
मेरा लौड़ा पूरा गर्म हो गया था, मुझे ज़िन्दगी का असली आनंद मिलने लगा था ……. वो भी इस मज़े में लिप्त हो रही थी।
उसने कहा- अब रुको मत मेरे शेर ! मेरे दिल की तमन्ना पूरी कर दो !
उसके मुँह से उम्म्म्म्म्म उम्म्म्मम्म की आवाज़ें आने लगी, मैंने रुकने का नाम ही नहीं लिया……….वो कई बार झड़ चुकी थी, मैं अपने पूरे जोश से उसे चोद रहा था।
मुझे तो लग रहा था कि मैं जन्नत का सफ़र कर रहा हूँ ……… कुछ देर मे वो मेरी कुतिया बन चुकी थी…… अब पूरे कमरे में पट पट स ऽऽ सी ई की आवाज़ें आने लगी! मुझे उससे भी बहुत मदद मिल रही थी…. मेरा जोश पूरे यौवन में आ गया था ……………फिर से वो झड़ गई पर मुझमें अभी भी जोश बचा था……… आप लोग सोच रहे होंगे कि अब तक जोश क्यों बचा कर रखा था ?
अब मैंने यह जोश उसकी गाण्ड मारने में लगाया ……..
कुछ ही देर में मैं झड़ने वाला था, मैंने उससे पूछा- अपना अमृत कहाँ गिराऊँ ?
उसने झटपट मुझसे कहा- मेरे मोम्मों पर गिराओ !
ऐसा कहकर वो लेट गई और मैंने उसके ऊपर चढ़कर चूचियों के बीच अपना सारा माल डाल दिया…. उसने मेरा माल अपने चूचियों पर मल लिया। उसके बाद हम दोनों ने थोड़ी देर तक उसी स्थिति में बात की। उसके बाद हम दोनों ने एक साथ स्नान किया और इसी के साथ हमारे सारे पाप मिट गए………मैंने देखा कि वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और मैं घर से निकल पड़ा !
कुछ दिनों के बाद उसके परिवार वाले नेपाल से वापिस आ गए। उसके बाद मुझे ऐसा सुनहरा मौका कभी नहीं मिला ! लेकिन एक बात तो है दोस्तो, ये नेपाली लोग बहुत सेक्सी होते हैं और हां 2-3 महीनों बाद मेरे एक दोस्त ने भी थापा की माँ के साथ वही कर दिखाया जो मैंने अंकिता के साथ किया था।
अगर आपको मज़ा आया तो लौड़ा पकड़ कर मुठिया मारिए और बत्ती बुझाकर सो जाइये।
अगर आपको मेरी यह सच्ची कहानी अच्छी लगी तो आप मुझे मेल करें और अगली कहानी का इंतज़ार करें !
तब तक के लिए जय गाण्ड जी की !
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