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मेरी यानि ॠचा सिंह की तरफ से सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को प्यार भरी नमस्ते !
मैं भी सबकी तरह ही अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ और हर दिन इसमें छपने वाली एक एक कहानी का लुत्फ उठाती हूँ। आज आप सबके सामने अपनी एक मस्त चुदाई लेकर हाज़िर हूँ उम्मीद है कि सबके लौड़ों पर खरी उतरूंगी।
मेरी उम्र इस वक़्त पच्चीस साल की है। मेरा अपना एक बहुत बड़ा इलेक्ट्रोनिक्स शोरूम है और अब में अपने खड़ूस पति से अलग हो चुकी हूँ क्यूँकि मैं अपनी अब तक की जिंदगी में माशूका से लेकर पत्नी के तौर पर बेवफ़ा ही साबित हुईं हूँ।
लेकिन यह मेरे बस की बात नहीं है, मैं जवानी शुरु होने से पहले से ही गलत माहौल में बड़ी हुई थी। खैर उसको छोड़ो ! मुझे एक मर्द के साथ संतुष्टि नहीं हो पाती !
पैसे के पीछे भागते हुए मैं शादी तो अपने से बड़ी उम्र के बड़े से कर बैठी, बहुत पैसा था उसके पास और शादी से पहले ही उसने मुझे अमृतसर के सबसे पोश एरिया में मेरे नाम पर बहुत बड़ा घर मेरे जन्मदिन पर उपहार में दिया। महंगे महंगे नेकलेस और बहुत कुछ अपने मदहोश कर देने वाले जिस्म से पाया था मैंने ! मेरा रूप देख हर मर्द मेरा रस पीना चाहेगा। एक साधारण से घर से उठ एक आलिशान घर में चली गई, नौकर-चाकर, पोश कारें घूमने के लिए ! सिर्फ इसलिए कि मैं तब बीस की थी और वो पैंतीस का ! जानती थी कि यह उसकी दूसरी शादी थी।
स्कूल से कॉलेज से आई ही थी कि वो मेरा पीछा करने लगा। ऊपर से मैं गर्भवती हो गई डेट नहीं आई।
अगले दिन में हाँ कह दी और माँ को मालूम हो गया, उसके सामने ही मुझे उलटी हुई, माँ ने मुझे कहा कि जल्दी से उसके साथ संबंध बना ले !
दो दिन बाद ही मैंने उसको कहा- आज अकेली हूँ, घर से निकला नहीं जाएगा, खाली नहीं छोड़ सकती ! यहीं आ जाओ, कार पीछे पार्क करना !
मैं अकेली थी, उसने मुझे बाँहों में लिया। मैंने थोड़ा सा विरोध किया लेकिन फिर ढीली पड़ने लगी। उस दिन उसने मुझे चोद दिया। मेरा प्यार परवान चढ़ा, एक महीने में कई बार चुदी। महीना पूरा होते मैंने उसको कहा- तुमने मुझे पेट से कर दिया है !
उसने मुझे कहा- पढ़ाई की ज़रुरत नहीं ! रानी बनाऊंगा ! अपना बिज़नस खोल के दूंगा !
बाप का साया तो सर पर नहीं था लेकिन न जाने कितने सौतेले बापों का साया था। माँ ने हां करने में एक मिनट नहीं लगाया और उसने मेरे साथ सादी शादी कर ली और बाद में अपने तरफ से बहुत बड़ी रिसेप्शन दी। मैं छोटी उम्र में उसकी दुल्हन बन गई और डोली में बैठ उसके आलीशान घर पहुँच गई।
बेडरूम में गुलाबों की महक, रेशमी चादर पर रात के ग्यारह बजे मैं उसके नीचे थी। उसके लौड़े में नहीं, पैसे में दम था ! उसका मैं कई बार चूत में ले चुकी थी। उसने मुझे बहुत बड़ा शोरूम तोहफ़े में दिया, बहुत बैंक बैलेंस था अब मेरा क्यूंकि उसे था कि मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
डर यही था कि डिलिवरी एक महीने पहले होनी थी। मैंने अपनी पसंद की गायनी-डॉक्टर को अपना केस दिया, पैसे चढ़ा कर मैंने उसको समय-पूर्व डिलीवरी कहने को मना लिया। मैंने एक लड़के को जन्म दिया।
लेकिन अब उसका लौड़ा ढीला पड़ने लगा और मेरा बदन जिस्म अभी खिलने लगा, कसने लगा।
अपने ही शोरूम के मैंनेजर और फिर अकाउंटेंट के साथ नाजायज़ संबंध बने। मैं सुबह जाती, लंच करने घर आती, बच्चे के लिए आया रख ली। फिर शाम को जाती और शटर गिरा कर रात को चुदाई करवाती।
उसके बाद मेरी ननद भी अमृतसर शिफ्ट कर गई। उनका संयुक्त परिवार था। काफी मेल जोल बढ़ गया, उसका जेठ बहुत खूबसूरत था ! क्या मर्द था ! कड़की मूछें, दमदार शरीर, चौड़ी छाती, घने बाल, लाल आंखें ! देख किसी भी औरत की चूत गीली हो जाए। उसकी नज़र मुझ पर थी, मेरी उस पर ! लेकिन उसकी बीवी हमारे बीच में थी, हाउस वाइफ थी !
गर्मी के दिन थे। एक दिन सुबह सुबह अपने बच्चे को ननद के पास छोड़ने गई क्यूंकि उस दिन आया छुट्टी पर थी। वो शेव कर रहा था सिर्फ अंडरवीयर में बाथरूम के बाहर !
उसका मोटा लौड़ा साफ़ दिख रहा था। मैं मुस्कुरा दी, उसने भी मुझे देख कर खुजलाने के बहाने अपना लौड़ा सहला कर मुझे उकसाया। मेरा दिल अब उसकी मजबूत बाँहों में जाने बेताब था। अभी मैं ऑफिस पहुंची ही थी कि उसने मुझे कॉल करके कहा- कैसा लगा मेरा लौड़ा?
उस दिन पहली बार उसने मुझे कॉल किया था। मैं बोली- बहुत मस्त है ! बोला- कब खाओगी इसको? मैंने कहा- तेरी बीवी बीच में बैठी है ! तुम ऑफिस आ जाओ !
मेरा केबिन बेसमेंट में था। उसने कुछ पल ही बैठने के बाद मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उठकर उसकी गोदी में बैठ गई।
खूब चूमा, मेरे मम्मे दबाये उसने ! फ़िर जिप खोल दी। मैंने दरवाज़ा लॉक किया और नीचे मैट पर बैठ उसकी टाँगे खोल उसका लौड़ा पकड़ लिया। वाह, क्या लौड़ा था !
अभी मुँह में लिया ही था कि पति का फ़ोन आ गया कि वो मुझे लेने आ रहा है, किसी दोस्त की पार्टी में जाना है।
मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये, उसको वहाँ से भेज दिया। उसने वादा किया कि जल्दी ही जगह ढूंढ लेगा।
उसके बाद उसने अपने किसी दोस्त के घर मिलने का प्रोग्राम बनाया और फिर मुझे वहाँ लेकर गया और बिस्तर देख हम दोनों रुक ना पाए और दोस्त के सामने ही उसने मुझे नंगी कर दिया। जैसे जैसे वो मुझे नंगी करने लगा, तैसे तैसे उसका जोश बढ़ने लगा और हम दोनों ने एक दूसरे को निर्वस्त्र कर दिया तेज़ साँसों से पागलों की तरह !
उसका लौड़ा किसी हब्शी से कम नहीं था। आज पूरी तरह से आज़ाद देखा था। मैं घोड़ी बन उसका लौड़ा चूस रही थी कि उसके दोस्त ने पीछे से मेरी चूत चाटनी शुरु कर दी। मैंने पलट के देखा तो उसका लौड़ा भी कम नहीं था।
दोस्तो, फिर क्या क्या हुआ और कैसे? यह पढ़ने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉम को रोज़ पढ़ा करो ! इस वेबसाइट को सफल बनाओ ! [email protected] 1420
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