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दोस्तो, आपने अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर मेरी पिछली कहानी पापा के साथ समलैंगिक सम्बन्ध में पढ़ा कि कैसे मैंने अपने पापा को उत्तेजित किया। अब आगे की कहानी पढ़िए..
अब तक मुझे साड़ी पहनना ढंग से नहीं आता था। एक दिन मैंने पापा को अकेले में पकड़ा, घर के लोग बाहर गए हुए थे, पापा बिस्तर पर लेट कर आराम कर रहे थे। मैंने जाते ही पापा का लिंग पकड़ लिया। पापा अचानक से उठे, इतनी देर में मैंने पापा का पजामा और चड्डी उतार कर लिंग हाथ में ले लिया। वो अभी बैठा हुआ था, मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया। पापा मुस्कुराने लगे। थोड़ी देर में पापा का लिंग खड़ा हो गया।
पापा ने पूछा- बेटे आज कोई खास बात है क्या?
मैंने कहा- पापा, आप मुझे आज बेटे से बेटी बना दो !
पापा ने कहा- वो तो तुम हो ही !
मैंने कहा- नहीं ! आपकी बेटी को अभी तक साड़ी पहनना नहीं आया है, साड़ी के बिना तो भारतीय नारी अधूरी है। आज मुझे सच में साड़ी पहनना सीखना है। अब यह तो उसकी माँ ही सिखाती है। आज आप मेरी माँ बन कर अपनी बेटी को ज्ञान प्रदान कीजिये।
पापा कहने लगे- बेटी, रात तक का तो इंतज़ार कर लो !
मैंने कहा- रात में सब आ जायेंगे ! कमरे में खटपट सुन कर कोई ऊपर आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
पापा ने कहा- तुम ठीक कहती हो ! चलो, आज तुम्हें अपना तजुर्बा अभी देता हूँ।
पापा ने भी मेरा लिंग मेरी पैंट से निकाला और चूसने लगे। थोड़ी देर तक चूसने के बाद पापा ने अपने और मेरे लिए साड़ी, साया, ब्रा और ब्लाउज निकाला।
पापा ने मुझे उनके और अपने कपड़े उतारने के लिए कहा। मैंने उनका पजामा और फिर बनियान उतारी। उनकी चड्डी उतारी और उनके लिंग को थोड़ी देर तक चूसा और मैं एक झटके में नंगा हो गया। हम दोनों का लौड़ा खड़ा था. पहले पापा मेरी मम्मी बनने के लिए तैयार हो रहे थे। उन्होंने पहले औरतों वाली चड्डी पहनी, उसके बाद साए को सर के ऊपर से डाला। इसके बाद पापा ब्रा की बारी आई. मैंने पापा की ब्रा के हुक पीछे से लगाए। पापा के स्तन इतने सही थे कि उन्हें कुछ भरने की जरूरत नहीं थी। फिर एक ब्लाउज पहनी, इसके बाद इतनी सफाई से उन्होंने साड़ी पहनी कि कोई कहे नहीं कि ये मेरी मम्मी नहीं मेरे पापा हैं।
इसके बाद पापा ने मुझे पैंटी पहनाई। एक बहुत ही छोटी साइज़ की ब्रा निकली और कस कर पहना दी। मैं बहुत पतला दुबला हूँ. तो मेरे लिए उन्होंने टेनिस वाली गेंद ब्रा के अन्दर लगाई, एक नीले रंग की ब्लाउज पहनाई और उसके बाद मेरे सर के ऊपर से बिलकुल औरतों की तरह साया पहनाया। फिर साड़ी का एक कोना मेरे साए के अंदर डाला और डालते वक़्त भी मेरा लौड़ा पकड़ कर हिलाया। फिर एक लपेटा देकर चुन्नट डाल कर वापस खोंस दिया। इसके बाद आँचल का सिरा ढंग से बना कर मेरे कंधे पर डाला पर मुझसे साड़ी संभल नहीं रही थी तो साड़ी को पिन लगा कर सम्भाला।
मेरी पतली कमर पर साड़ी देख कर पापा का लिंग मचलने लगा। पापा ने फिर भी कण्ट्रोल किया और फिर पूरा श्रृंगार किया, लिप ग्लॉस, चूड़ी, हार, नथुनी, टॉप्स और फिर नाख़ून-पोलिश लगाई। मैंने भी पापा का श्रृंगार किया। हम दोनों अति सुन्दर महिलायें लग रहे थे। बस हमारी साड़ी में से कुछ खड़ा दिख रहा था।
इसके बाद हम दोनों हमबिस्तर हो गए। पापा ने मेरे होंठों पर चूमा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। ऐसा थोड़ी देर तक करने के बाद हमने एक दूसरे को चाटना शुरू कर दिया।
चाटते चाटते मेरे पापा, जिसे अब मैं अपनी मम्मी कह कर संबोधित करूंगा, ने मेरा साया उठाया और मेरा लिंग चूसने लगे। इसके बाद हम दोनों 69 स्थिति में आ गए। मैं मम्मी का लिंग और मम्मी मेरा लिंग चूस रही थी। मम्मी चूसते चूसते अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी। उनका लिंग मेरे गले में भर आया। ऐसा करने से मैं झरने ही वाली थी कि मेरे मुँह में उनका वीर्य भर गया। मैं भी तब तक झर गई। मम्मी ने मेरा और मैंने मम्मी का पूरा वीर्य गटक लिया। हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहीं।
मम्मी ने कहा कि अब किसी और को भी हमारे इस खेल में लाना चाहती हैं।
मैं चौंक गई। मैं समझ नहीं पाई कि वो क्या कहना चाह रही हैं? उनका मतलब थोड़ी देर में ही समझ में आया जब मेरे चाचा भी साड़ी में आकर खड़े हो गए और मेरी गांड चाटने लगे।
पापा ने तब बताया कि यह उनके घर की परंपरा है कि लोग रात में अपना लिंग बदल कर अपने साथी को मजा देते हैं। तुम्हारे दादा जी भी ऐसे ही हैं। तुम्हारे सब चाचा साड़ी पहनना जानते हैं। मैं सोच रहा था कि तुम्हें कैसे बताऊँ? तुम्हें कैसा लगेगा.. पर तुमने मेरा काम खुद आसान कर दिया। यह बात मैंने तुम्हारे चाचा को बताई, उन्हें बहुत पसंद आई। तुम्हारे दादा भी तुम्हारी गांड के पीछे हैं। कहो तो तुम्हारी गांड मारने के लिए उन्हें भी बुलाऊँ?
मैंने कुछ सोचे बिना ही हाँ कह दी। दादा जी का बड़ा लिंग किसे पसंद नहीं होगा। मेरे कहते ही मेरे दादा मेरी दादी की साड़ी में आ गये।
दादी कहने लगी कि मुझे पता था कि मेरी पोती मेरा नाम रोशन करेगी।
तब चाची ने मुझे बताया कि जिस लड़के ने मुझे यह सब सिखाया था वो सब उसने मेरी चाची से सीखा था… और यह चाची का ही कमाल था कि उसने मुझे सिखाया.. मेरी दादी और चाची ने बहुत कोशिश की थी कि मेरी मम्मी उन दोनों से गांड मरा ले पर मेरी मम्मी मानती नहीं थी। इस पर उन्होंने कसम दिलाई कि अगर मैं साड़ी में उनकी गांड मार लूं तो वो चाची या दादी से गांड मराएंगी.. मम्मी यह सुन कर मुस्कुराने लगी.. “मुझे पता था कि यह तुम लोगो का ही काम है। मैंने पिछली बार गांड मराई थी तब तुम्हारे चाची और दादी को बताया था.. उन्हें भी तुम्हारी गांड के किस्से पसंद आये तो मैंने उन्हें आज बुलाया था। घर में सब जा रहे थे तब ही मैंने उन्हें फ़ोन कर के बुला रखा था। मुझे पता था कि तुम शुरू करोगे, वरना मैं ही थोड़ी देर में शुरू कर देता।”
मुझे लगा कि मैं बड़ा बेवक़ूफ़ था, यहाँ पर सारे मेरे जैसे ही हैं और मैं बाहर जाने की सोच रहा था।
फिर हम सब एक बिस्तर पर लेट गए। मैं दादी का.. दादी मेरी मम्मी का … मम्मी मेरी चाची का और चाची मेरा लिंग चूसने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद सब एक दूसरे की गांड चाटने लगे।
थोड़ी देर बाद सबकी गांड नरम हो गई। दादी ने मुझे कुतिया बनाया और अपना लिंग मेरी गांड में डाला। डालते ही मुझे स्वर्गीय सुख का आनंद आने लगा।
उधर मैंने देखा कि मेरी चाची मेरी मम्मी पर अपना जौहर दिखा रही थी। मैं भी गांड उठा उठा कर दादी की मदद करने लगा.. दादी बड़ा खुश हो गई.. उन्हें सदियों बाद कोई कच्ची गांड मिली थी। दादी जल्दी ही झर गई।
अब मेरी बारी आई। दादी ने अपना साया, साड़ी खुद ही उठा दिया। मैं बिना रुके ही उनकी गांड में प्रवेश कर गया। दादी चिल्ला पड़ी। हालाँकि उनको बहुत ही तजुर्बा था लेकिन मेरा लिंग काफी मोटा था। मैं कोई परवाह किये बिना उनकी गांड मारता रहा। उनके ऊपर झुक कर उनके बूब्बे दबाने की कोशिश की, फिर अपनी रफ़्तार बहुत ही ज्यादा तेज कर दी। दादी की चिल्लाहट सुन कर मम्मी जो अब चाची की गांड मार रही थी रुक गई, बोली- बेटी, थोड़ा आराम कर ! वरना कोई आ जायेगा !
इतने में दरवाजे की घंटी बजी और सब सकते में आ गए। सब मर्दों ने साड़ी पहन रखी थी और कोई इतनी जल्दी साड़ी उतार कर अपने कपड़े नहीं पहनने वाला था। हिम्मत कर के मैं ऐसे ही दरवाजे के की-होल से देखा और मैं खुश हो गया। मैंने दरवाजा खोल दिया और मेरी दादी, चाची और मम्मी की जान आफत में आ गई।
सामने मेरे मामा थे जो एक पैकेट ले कर दरवाजे पर खड़े थे। मेरे मामा का मुझ से शारीरिक सम्बन्ध था जो मैंने अपनी परीक्षा के दौरान बनाया था। यह बात किसी और को नहीं मालूम थी कि मेरे मामा भी साड़ी पहनने में महारथी हैं।
सब मर्दों को साड़ी में पूर्ण श्रृंगार में देखते ही मेरे मामा का खड़ा होने लगा। मैं झट से दरवाजा बंद किया और उनकी पैंट उतार कर चूसने लगा। यह देख कर बाकी लोगों की जान में जान आई।
मैंने कहा- मैं भी किसी और को अपने खेल में शामिल करना चाहता था.. पर समझ नहीं आया कि आप मानेंगे या नहीं .. इसीलिए मामा को ही बुला लिया। अब तो हम सब गोला बना कर भी एक दूसरे की गांड मार सकते हैं..
पर मम्मी ने कहा- नहीं, यह नहीं हो सकता..
दादी और चाची के साथ मैं और मामा भी सन्न रह गए..
फिर मम्मी ने कहा- जब तक यह मर्दों के ड्रेस में है, ऐसा नहीं हो सकता… साली को साड़ी में चोद सकता हूँ मैं..
इतना सुनते ही मामा ने साथ लाया पैकेट फाड़ा और 10 जोड़ी साड़ी का सेट दिखाया। अब तो सबने अपने कपड़े बदले और नई साड़ी पहनी। नई साड़ी की बात ही कुछ और होती है, यह तो मुझे नई साड़ी पहन कर ही पता चली।
इसके बाद मैंने चाची का लिंग पकड़ लिया। उनका लिंग तो 7 इंच का था.. मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा था.. थोड़ी देर चूसने के बाद देखा… मामी मेरी मम्मी की साड़ी के साथ खेल रही थी.. उनका सर मेरी मम्मी की साड़ी में था.. मेरी मम्मी मेरी दादी का चूस रही थी।
तभी मेरी साड़ी में हलचल हुई और मैंने देखा मेरी साड़ी, साया उठा कर मेरी पैंटी नीचे करने वाली मेरी मामी है। मामी मेरा लिंग चूसने लगी और दादी मामी का..
फिर हम लोग एक गोला बना कर खड़े हो गए। इस बार मैं अपनी दादी का और दादी मेरी मम्मी की गांड मार रही थी। मेरी मम्मी अपनी साली की और उनकी साली यानी मेरी मामी मेरी चाची की गांड मारने के लिए तैयार थी।
क्या नजारा था.. पांच औरतें नई साड़ियों में एक दूसरे में समाने के लिए तत्पर हुए जा रही थी.. थोड़ी देर में सब झड़ गईं.. सबने कहा- बहुत मजा आया.. अब हर बार किसी नए लौंडे की गांड मारी जाये।
मैंने कहा- आप लोग चिंता न करें.. यह काम मुझ पर छोड़ दें.. बस कुछ दिन और इंतज़ार कीजिये।
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