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लेखिका : शमीम बनो कुरैशी
मेरे नथुनों में बानो की चूत की रसभरी महक बस गई। ऐसी खुशबू मैंने जिन्दगी में पहली बार पाई थी। उसने अपनी चूत को मेरे मुख पर रगड़ दिया और मेरा चेहरा लसलसे, चिकने द्रव से भिगा दिया। बाकी का काम मेरी लपलपाती हुई जीभ ने कर दिया। उसकी चूत का रस मैंने बड़ी ही सफ़ाई से चाट कर साफ़ कर दिया। उसकी चूत की धार पर मेरी जीभ गुदगुदी करने लगी।
“भोसड़ी के, मेरा दाना कितना फ़ुदक रहा है, जरा उसे अपने होंठों में दबा ले !”
“वो क्या होता है आपा …?”
“रुक जा … अभी सेट कर देती हू … तू तो निरा चूतिया है रे !”
उसने अपनी चूत के पट और खोल दिये और एक जगह को उभार दिया। अरे ! इतना सा दाना… मटर जैसा … इसमें क्या मजा आयेगा।
“देख लिया क्या ? बता तो…”
“हाँ यह छोटा सा चमड़ी का उभरा हुआ मटर जैसा…?”
“बस, इसे होंठों से पकड़ना और चूस ले… उईई … साला मरदूद … धीरे से कर भेनचोद !”
मैंने उसे हौले हौले से चूसना और सहलाना आरम्भ कर दिया । बानो आहें भर भर कर उसका मजा ले रही थी। उसके पोन्द मेरे चेहरे पर ऊपर नीचे यूँ हो रहे थे जैसे कि … आह क्या बताऊँ मैं … उसके रज की भीनी खुशबू … मेरा मुरझाये हुए लण्ड में जैसे एक बार फिर से उफ़ान आने लगा… वो कड़क हो गया। सीधा हवा में तन्नाते हुए झूलने लगा। पर बानो पर तो चुदाई का नशा और फिर जवानी का नशा … जी हां … तिस पर दारू का नशा … उसे तो बस अपनी स्वयं की चूत को चुदाने की लग रही थी। मैंने मौका पा कर अपना हाथ उसकी पोन्द पर जमा दिया और धीरे से अपनी एक एक अंगुली उसके गाण्ड की छेद में घुसा दी।
“आह रे … तू तो नवा नवाड़ी है रे … तुझे ये सब कैसे मालूम है रे ?”
“भैया को देखा है ना मैंने ऐसे करते हुये !”
“अरे वाह रे मेरे भोले पंछी, तू भोसड़ी का बड़ा मादरचोद निकला, सब छुप छुप कर देखता है ?”
“हां आपा … पर आपको कैसे ये समझ में नहीं आता था कि मेरे पास भी लौड़ा है और मुझे भी चोदने की तमन्ना होती है !”
“साले हरामी … लण्ड तो है ना तेरे पास, मेरा भोसड़ा तो तेरे कब्जे है ना, साले को चोद डाल !”
“तो फिर आपा… आ जाओ ना धार पर … आने दो ना अपने ट्यूब वेल में इस लण्ड को …”
“हाय रे … मेरे राजा … पानी निकालेगा क्या…”
“हां आपा… मेरा लण्ड देखो ना बेहाल हो रहा है।”
मेरी बस एक अंगुली ने बानो को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने अपनी चूत मेरे मुख से हटा से हटा कर नीचे सरका ली और मेरे खड़े लण्ड के ठीक ऊपर उसे चिपका दिया। मुझे भला क्या पता था कि चुदाई किसे कहते हैं। बस मेरे दोस्त बताया करते थे। इतना मधुर मजा आयेगा यह तो मुझे पता ही नहीं था।
अपने होंठों को मेरे होंठ पर रगड़ते हुये वो मुझे प्यार करने लगी। उसकी चूत मेरे लण्ड पर जोर लगाने लगी और फिर चूत और लण्ड आपस में गले मिल गये। मेरे लण्ड पर उसकी चूत की कोमल नरम त्वचा रगड़ खाने लगी। मुझे एक बहुत ही खूबसूरत सी अनुभूति हुई, दिल आनन्द से भर उठा। मीठी सी गुदगुदी करता हुआ मेरे लण्ड ने किसी चूत के अन्दर पहली बार प्रवेश किया। मैंने भी अपने लण्ड को उभार कर चूत में घुसने की सहायता की।
जब लौड़ा भली भांति अन्दर बैठ गया तब बानो ने अपने शरीर का भार मेरे ऊपर डाल दिया और पसर सी गई। फिर धीरे धीरे लण्ड और चूत आपस में घर्षण करने लगे। एक स्वर्गिक आनन्द से मैं मदहोश होने लगा। उसके बोबे मेरे हाथों में भिंच गये। मैं उसके शरीर को जोश में नोचने खसोटने लगा। बानो बीच बीच में कराह सी उठती थी।
“अरे नोच मत भोसड़ी के, देख मेरे बोबे से कहीं खून ना निकल जाये !”
मैं अब सिर्फ़ उसके मम्मों को दबाने और मसलने लगा। बानो अपनी आंखें बन्द किये हुये चुदाई का मजा ले रही थी। वो रह रह कर अपनी चूत लण्ड पर पटक रही थी और सिसकारियाँ भरती जा रही थी। मेरे मोटे कुंवांरे लण्ड का आनन्द जी भर कर ले रही थी। वो बार बार मेरे चेहरे को चाट लेती थी।
“मेरे राजा, अब ऊपर आ कर मेरी भोसड़ी को भचाभच चोद मार !”
मैंने और बानो ने चिपक कर पलटी मार दी। अब नीचे आ गई थी। लण्ड वैसा का वैसा चूत में ही था। बानो की दोनों टांगें हवा में लहरा गई। मैं दोनों टांगो के बीच सेट हो गया और लण्ड को बाहर निकाल कर फिर से अन्दर घुसेड़ दिया। मैंने अपने शरीर का भार अपने दोनों हाथों पर ले लिया और उसकी चूत पर लण्ड मारने लगा… मारने क्या लगा जैसे उसकी पिटाई करने लगा।
बानो आनन्द के मारे चीख उठी। मेरा बलिष्ठ लण्ड उसकी चूत मारने में लगा था। मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था। ये साली बानो मुझे अब तक क्यो नहीं मिली थी ? हाय रे इतना मजा आता है चुदाई में… लग तो रहा था ना शमीम आपा आनन्द में मगन थी… मेरे तन मन में मीठी सी आग भरी हुई थी। मन कर रहा था कि ये चुदाई कभी खत्म ना हो… पर अल्ला ताला बहुत बेरहम है … सब कुछ उतना होता है जितना यह तन झेल सकता है।
बानो एक सीत्कार के साथ झड़ने लगी। उसका काम रस फ़ूट पड़ा।
“बस कर हरामी के पिल्ले … निकाल अपना लौड़ा…”
“चुप बे साली रण्डी, तू गई तो क्या मैं भी गया… पूरा चुद ले मेरी आपा…”
वो धीरे धीरे झड़ कर शान्त हो गई। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने भी झुक कर सलामी दी और और अपना मद भरा रस का छिड़काव बानो के सीने पर, उसके मस्त बोबे पर करने लगा। खूब माल निकला … मेरा लण्ड अब ढीला हो गया।
बानो तो निश्चल पड़ी थी। अब तो उसके मुख से खर्राटे भी निकलने लगे थे। नशे के कारण वो गहरी नींद में चली गई थी। उसे कुछ भी होश नहीं था।
मैंने कपड़े से बानो के शरीर को साफ़ किया और खुद पजामा और बनियान पहन कर अपने कमरे में आ गया।
आह्ह्ह … मेरे अल्लाह … इतना प्यारा आनन्द … इतना मजा… काश मुझे यह सब रोज नसीब हुआ करे। मैं जमीन पर पड़े गद्दे पर फ़ैल कर सो गया। मेरी नींद खुली तो सवेरा हो चुका था। बानो झुक कर मेरा पजामा उतार कर मेरा सोया हुआ लण्ड निहार रही थी। चाय उसके हाथ में थी। मैंने उसके हाथ से कप ले लिया और चाय पीने लगा।
“कितना प्यारा सा है ना…!”
“आपा, आपकी भी तो बहुत प्यारी सी है, रसीली भी है।”
“उंह… अभी तो तूने देखा ही क्या है … भड़वे मर जायेगा जब मेरी पोंद देखेगा तो !”
“सच, बानो मुझे मार डाल ना !”
“अरे सवेरे सवेरे …”
“अभी तो छः ही तो बजे हैं … मार डाल ना … अपना ये पेटीकोट उतार दे ना !”
“अच्छा तो ले , देख ले…”
मेरा लण्ड फिर से जाग गया … अकड़ कर खड़ा हो गया। बानो ने अपना पेटीकोट उतार दिया और अपनी पोंद उघाड़ कर मेरी तरफ़ कर दी।
“बानो, हाय मैं मर गया, मरवा ले अपनी पोंद…!”
“पोंद मारेगा …? अच्छा मेरे कमरे से मेरी क्रीम उठा ला, वही लगा देना, चिकना होगा तो इतने मोटे लण्ड से अधिक दर्द नहीं होगा।”
मेरी सारी नींद काफ़ूर हो चुकी थी। मैं बिजली की तेजी से भाग कर क्रीम ले आया। इतनी देर में बानो ने अपने आपको नीचे बिस्तर पर घोड़ी बन कर सेट कर लिया था। उसकी पोंद फ़ूल की तरह उभर कर खिल गई थी। उसकी गोलाइयाँ बला की खूबसूरत और चिकनी थी। भीतर दोनों गोलो के बीच सुन्दर सा काला-भूरा सा कोमल फ़ूल मुस्करा रहा था। मैंने अपना पजामा उतार दिया और खड़े लण्ड पर चिकनी क्रीम लगा ली।
“तू भी एक नम्बर का चूतिया है … अरे क्रीम मेरी गाण्ड में लगा … तो घुसेगा ना !”
मुझे अपनी ना समझी पर थोड़ी शरम सी आई। फिर उसकी गाण्ड के छेद पर क्रीम लगा दी। फिर अंगुली को अन्दर घुसेड़ कर अन्दर तक लगा दी।
“बानो, लगता है तेरी गाण्ड तो खूब चुदी है … घिस घिस कर काली हो गई है।”
“चुप साले भड़वे, तेरे बाप ने तो नहीं चोदी है ना … मेरे दोस्तों ने चोदी है… जैसे कि तू… खूब मजा आता है इसमें दोस्तों को !”
“अरे वाह … क्या बात है आपा …”
मेरे जरा से जोर लगाने से ही लण्ड भीतर घुसता चला गया। बानो ने एक आनन्द भरी चीख भरी … पता नहीं यह चीख आनन्द से भरी थी या दर्द से !
“साला, मस्त है रे … मजा आ गया … चोद दे रे !”
मैं पहले तो धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करने लगा पर जल्दी ही डांट पड़ गई।
“भोसड़ी के, कोई बच्चे की गाण्ड मार रहा है क्या … बड़ा अखाड़ची बना फिरता है, इतना भी दम नहीं है … चल जोर लगा के चोद … साला मरियल !”
मुझे हंसी भी आई और गुस्सा भी। मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। अब उसे मजा आने लगा था। उसकी टाईट गाण्ड में लण्ड की रगड़ गजब चिन्गारियाँ पैदा कर रही थी। मेरे लण्ड में जैसे आग सी लग गई थी। बहुत तेज मजा आ रहा था। उसकी चिकनी गाण्ड पर मैंने हाथ से थप्पड़ मारने आरम्भ कर दिये थे। लण्ड को मैं अन्दर तक घुसा कर चोद रहा था। बानो आनन्द से तड़पने लगने लगी थी। उसकी चूत में से भी प्रेम रस की बून्दें निकल आई थी।
मैं झड़ता, उसके पहले बानो ने चूत की आग भी बुझाने का आदेश दे दिया। मैंने लण्ड गाण्ड से निकाल कर पीछे से ही उसकी आंसू भरी चूत में डाल दिया। चूत में लण्ड घुसते ही बानो का मन खिल उठा। उसकी रंगत बदल गई। उसका शरीर चुदाई के लिये मचल उठा। चूत को घुमा घुमा कर चुदा रही थी वो … सवेरे सवेरे ही हम दोनों ने चुदाई से दिन की शुरुआत की थी। खूब जम कर बानो की गाण्ड चोदी मैंने ।
अब मुझे काफ़ी आईडिया हो गया था चोदने का। सटासट लण्ड चला कर खूब मस्ती ली मैंने। तभी बानो ने अपना रस छोड़ दिया। मैंने भी कोशिश करके अपना वीर्य निकाल दिया और उसकी चूत में भरने लगा। हम दोनों झड़ चुके थे। लण्ड अपने आप चूत को छोड़ चुका था।
बानो उठी और बड़े प्यार से मुझे देखते हुये कमरे से बाहर जाने लगी। दरवाजे से मुड़ कर बानो ने एक मीठी सी नजर से मुझे देखा और आँख मार दी।
“मेरे राजा … रात तो अभी बाकी है …जवानी मजा उठा ले ” और खिलखिला कर, अपने चूतड़ मटका कर चल दी
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