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प्रेषक : अभय शर्मा
दोस्तों आपके प्यार तथा इ-मेल्स के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
आज मैं आपसे अपना एक और अनुभव बाटना चाहता हूँ और यह भी बताना चाहता हूँ कि वो लोग जो इस गांड-लंड के खेल का मज़ा लेना चाहते है पर किसी तरह से कोई साथी नहीं ढूंढ पा रहे हैं वो क्या करें?
बात करीब दो साल पहले यानि २००७ की है। मेरी शादी भी नहीं हुई थी और भैया, जिनके बारे में मैंने आपको पिछली बार बताया था, टूरिंग जॉब की वजह से बाहर आते जाते थे, उनसे खेलने का समय नहीं मिल पा रहा था। आप यह तो जानते ही हैं कि मैं गांड-गांड खेलने का कितना शौकीन हूँ और मेरी बेताबी बढ़ती ही जा रही थी। मैं किसी तरह मुट्ठ मार मार के अपने लंड की आग को शांत कर रहा था।
मुझे ऑफिस के काम से अक्सर नेट प्रयोग करना होता था। एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ चेटिंग कर रहा था। उनके ऑफलाइन होने के बाद मैं नेट पर कुछ कामुक साइट्स देखने लगा और उत्तेजित होने लगा। तभी मैंने देखा कि वहां एक गे-रूम भी है यानि गांडुओं की पूरी बस्ती !
बस फिर क्या था, मैं भी उसमें घुस गया और चेटिंग करने लगा। मैंने पहले भी कई बार चेटिंग की थी लेकिन गांडू-रूम पहली बार देखा था। वहां कई लोग अपने कैमरे से अपने अपने लंड की नुमाइश कर रहे थे। मैं भी उन्हें देख कर एक दम पगला गया था।
तभी मैंने एक भारतीय लड़के का नाम देखा क्यूंकि वहां ज्यादातर लोग अंग्रेज या पूर्वी एशिया के थे।
मैंने उससे बात की, उसका नाम पूछा तो उसने बताया- अनिरुद्ध, उम्र २२ साल, कद ५ फुट ७ इंच, रंग गेहुआं !
फिर पूछा- कहाँ से हो?
तो वो बोला- कानपुर में !
मैं भी उन दिनों कानपुर में ही नौकरी कर रहा था। यह सब भी इसलिए हो पाया कि वो कैफे केबिन वाला था और अन्दर क्या चल रहा है कोई देख नहीं सकता था।
फिर मैंने उससे अपना कैमरा दिखाने को कहा तो वो बोला- पहले तुम दिखाओ !
मेरे लिए भी अजीब था कि कैसे पहली ही बार में किसी को अपना लंड दिखा दूं। फिर उसने दोबारा कहा तो मैंने कैमरा ऑन किया तो बोला- तुम्हारी शक्ल बहुत ही सेक्सी है पर मै तुम्हारा लंड देखना चाहता हूँ, कैमरा नीचे करो !
मैंने किया, बोला- अब लंड दिखाओ !
फिर मैंने अपनी पैंट की बेल्ट खोलकर जिप खोली, जिसमें से मेरा नीले रंग का कच्छा दिखने लगा वो भी तम्बू जैसा क्यूंकि मेरा लंड तो उत्तेजना से भरकर एक दम अग्नि-मिसाइल जैसा हो रहा था।
वो बोला- यार, अब तो दिखा दो ! लग रहा है कि तुम्हारे पास तो अच्छा खासा हथियार है !
मैंने धीरे से चड्डी नीचे खिसकाई तो मेरी छोटी छोटी झांटे दिखने लगी। फिर मैंने एक दम से पूरा का पूरा लंड निकाल दिया जो करीब पौने ७ इंच लम्बा और ३ इंच से ज्यादा मोटा था।
मेरा लंड देख कर वो भी खुश हो गया और अपना कैमरा चालू किया। उसका लंड भी शानदार था ६ इंच लम्बा और लगभग ३ इंच मोटा मुझे भी अच्छा लगा कि चलो भैया के बाद कोई तो दमदार मिला।
फिर उसने मुझसे मेरा पता और फ़ोन नंबर लिया मुझे फ़ोन करके बोला- मैं आ रहा हूँ !
मैंने कहा- ठीक है !
मैं घर तो पहुँच गया पर डर लगा कि अगर मकान मालिक या उनके बच्चों ने देख लिया तो क्या होगा। क्यूंकि अक्सर वो शाम को हवा खाने ऊपर की मंजिल में या मेरे कमरे के पास आ जाते थे। फिर मैंने उसे फ़ोन करके कहा- यार अभी नहीं, कल दोपहर में आना, मैं फ्री रहूँगा !
बात हो चुकी थी।
अगले दिन दोपहर में वो अपनी बाइक से मेरे घर आया। वो मुझसे थोड़ा लम्बाई में कम था पर अच्छा था। मैंने उसे पानी पिलाया और बातचीत शुरू हुई। फिर मुद्दा यह आया कि कब से गांड-गांड खेल रहे हो?
तो मैंने भैया वाला पूरा किस्सा सुना दिया।
उसने बताया कि वो हॉस्टल में रहा है और अपने रूम-पार्टनर के साथ खेलता है।
फिर हमने सोचा कि समय बर्बाद करने से अच्छा है कि अब गांड-गांड खेला जाये।
उसने मेरे और मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे। शुरुआत चुम्बन से हुई। होंठ से होंठ मिलाना बड़ा ही मज़ेदार था।
फिर धीरे धीरे वो नीचे सरकता गया और मेरा लण्ड चूसने लगा। मुझे भी मज़ा आ रहा था और ज्यादा शर्म भी नहीं थी क्यूंकि एक दूसरे का लंड तो हम पहले ही कैमरे पर देख चुके थे। फिर करीब ५-७ मिनट चूसने के बाद वो बोला- यार अब मेरा चूसो !
फिर मैंने उसका लंड चूसना शुरू किया। उसमें भी बड़ा दम था और मैंने भी उसके लौड़ा करीब ५ मिनट तक चूसा। अब हम दोनों ही मूड में थे और गांड का मज़ा लेना चाहते थे। वो बोला कि पहले वो मरवाएगा।
मैंने कहा- ठीक है !
और उसे कुत्ते वाले पोज़ में घुटनों के बल कर दिया और उसकी गांड पे थोड़ा सा तेल लगाया। जैसे ही लंड उसकी गांड के छेद से सटा कर आगे बढ़ाया, वो कराह उठा और बोला- यार ! धीरे धीरे ! मैंने आज तक इतना बड़ा लंड अपनी गांड में नहीं लिया है।
मैंने कहा- ठीक है !
और फिर उसकी मर्ज़ी के हिसाब से धीरे से उसे चोदना शुरू किया। फिर जैसे ही वो रीलैक्स हुआ, पूरा का पूरा लंड मिसाइल की तेजी से उसकी गांड के अंतिम छोर तक पहुंचा दिया और अपने लंड को मिसाइल की स्पीड से अन्दर बाहर करने लगा। उसकी कई चीखें भी निकली फिर वो भी मज़ा लेने लगा और ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड आगे पीछे करने लगा जिससे मुझे भी मज़ा आ रहा था। करीब दस मिनट बाद मैंने अपने मिसाइल का बारूद यानि लंड का सारा माल उसकी गांड में उड़ेल दिया। उसने मज़े तो बहुत लिए पर उसकी गांड सच में ख़राब यानि फ़ट गई थी।
वो बोला- यार दर्द की उम्मीद तो थी पर इतने दर्द की नहीं ! लेकिन मज़ा भी बहुत आया !
करीब एक घण्टा आराम करने के बाद वो बोला- यार, अब तुम ज़रा अपनी गांड का स्वाद चखाओ !
मैंने कहा- ले लो ये तो तुम्हारे ही लिए है !
वो अपनी जीभ डाल डाल कर मेरी गांड चाटने लगा। फिर मेरी गांड में तेल लगा कर अपना लण्ड एक ही बार में अन्दर कर दिया। मुझे बड़ा दर्द हुआ क्यूंकि अब काफ़ी समय बाद कोई शानदार लण्ड अपनी गांड में लिया था और भैया के लंड से गांड में जो जगह बनी थी लगभग लगभग सामान्य हो चुकी थी। फ़िर भी इतना नहीं हुआ जैसा कि भइया के साथ होता था।
और वो भी लगा अपने घोड़े दौड़ाने !
अब वो भी जोर लगा रहा था और मुझे भी मज़ा आ रहा था तो मैंने भी हलके हलके गांड हिलाई जिससे वो भी झड़ गया।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के लंड साफ़ किये और साथ में खाना खाया। फिर मैंने उसे विदा किया।
फिर तो जब भी हम में से किसी का भी मन होता वो मेरे कमरे पर आ जाता और हम गांड-गांड का खेल खेलने का मज़ा लेते। हमने कई बार गांड-गांड खेला।
तो आप भी इस खेल का मज़ा लें और अपनी प्यास को मिटाएँ।
अगर आप को मेरी कहानी पसन्द आई तो इ-मेल कीजिये।
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