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अब तक की चुदाई की इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग पड़ोस वाली दीदी की चुदाई स्टोरी-1 में आपने जाना था कि दीपाली जीजी मुझसे चुदने को राजी हो गई थी.. और उसने अपना कुरता उतार दिया था.
अब आगे..
मैं उसको देखता ही रह गया. उसकी बगलों में एक भी बाल नहीं था, शायद संडे को ही उसने झांटों के साथ बगल के भी बाल साफ़ किये थे.
मैंने अपना दाहिना हाथ उठा कर उसकी एक चूचि पर रख दिया और ब्रा के ऊपर से दबाने लगा. अपने दूसरे हाथ को मैं उसकी गांड पर फिरा रहा था. दीपाली का चेहरा चुदास से सुर्ख लाल हो गया था और उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.
वो ‘अह्हह्.. अह्हह्.. ओह्हह्ह..’ कर रही थी.
इस समय मेरे दोनों हाथ उसकी चूचि और गांड मसलने में व्यस्त थे और होंठ उसके होंठों को चूस रहे थे.
मैंने उसको पलंग पर लिटा दिया. मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी कमर के नीचे हाथ ले जाकर सर को ऊपर उठाकर उसके होंठ चूसने लगा.
मैं इतना जोश में था कि कई बार उसने कहा कि जरा आहिस्ता चूसो.. मेरा दम घुटता है.
कई बार तो एक दूसरे के होंठ चूसते चूसते हम दोनों के मुँह से ‘गूऊ.. न.. गू..’ की आवाज निकल जाती.
अब मैं पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा था और थोड़ी सी मेहनत के बाद उसे भी खोल दिया. दीदी की ब्रा का हुक खुलते ही उसकी चूचियां एकदम से ऊपर को उछल पड़ीं, मानो उनको जबरन दबा कर कैद किया गया था.. और अब उनको आजादी मिल गई हो.
उसकी चूचियां बहुत ही गोरी चिट्टी और एकदम सख्त व तनी हुई थीं. निप्पल बाहर को उठे हुए और एकदम तने हुए थे. जैसे ही मैंने एक हाथ से उसकी चूचि मसलनी शुरू की और दूसरी को अपने मुँह से चूसने लगा, तो दीपाली की हालत खराब हो गई और वो जोर से कसमसाने लगी.
अब उसके मुँह से ‘स्ससीईई… अह्हह ह्हह.. ओह्ह ह्ह्ह् मर्रर्र.. माँआआआअ मर्रर्र गईई रेईई..’ आवाजें निकलने लगीं.
इधर मेरा लंड अभी तक पेंट में ही कैद था और उछल कूद कर रहा था. मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर टक्कर मार रहा था.
मैंने मुँह से उसकि चूचि चूसते हुए और एक हाथ से चूचि मसलते हुए, दूसरे हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसने भी कोई देर नहीं की तथा अपनी गांड ऊपर करके मुझे अपनी सलवार उतारने में मदद कर दी.
अब वो सिर्फ पेंटी में ही थी और उसने सफ़ेद रंग की ही पेंटी भी पहन रखी थी, जो कि चूत के ऊपर से कुछ गीली हो रही थी.
लगता था कि उसकी चूत ने उत्तेजना के कारण छोड़ना शुरू कर दिया था. जैसे ही मैंने उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से सहलाना शुरू किया तो वो कांपने सी लगी और मस्ती में आकर बोली कि मुझको तो नंगी कर दिया है साले और मेरा सब कुछ देख लिया है लेकिन तुम अपना लंड अभी तक पेंट में छुपाये हुए हो.
उसने ये कह कर मेरे पेंट की ज़िप खोल दी और चूँकि मैं पेंट के नीचे चड्डी नहीं पहनता हूँ, तो मेरा लंड एकदम फ़नफ़नाता हुआ बाहर निकल आया.
मेरा लंड देखते ही दीपाली एकदम मस्त हो गई और बोली- हाय राम तुम्हारा लंड तो काफी लम्बा और मोटा है.. ये तो लगभग 8 इंच लम्बा होगा और 3.5 इंच मोटा होगा. वाह तेरे साथ तो बहुत ही मज़ा आएगा. मैं तो तुम्हें अभी तक बच्चा ही समझती थी.. मगर तुम तो एकदम जवान हो, एक खूबसूरत लंड के मालिक हो.. मुझे लगता है कि तुम बहुत अच्छी तरह से चोदने की ताकत रखते हो.
अब उसने मेरे सारे कपड़े एक एक करके उतार दिये और मेरे तने हुए लंड को सहलाने लगी.
मेरे लंड का सुपारा एकदम से लाल हो रहा था और काफी गरम था.
अब मैंने भी उसकी चूत पर से उसकी पेंटी उतार दी और देखा कि आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं है और एकदम सफ़ाचट चुत है.
मैंने कहा कि जीजी उस रोज तो तुम्हारी चूत पर बहुत झांटें थीं और आज एकदम साफ़ है.. किसी हीरे की तरह चमक रही है. मेरी इस बात पर वो हंस पड़ी और बोली कि मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ, जो अपनी झांटें और बगलों का जंगल साफ़ ही ना करे.. ये मुझको अच्छा नहीं लगता. तुम भी ये सब साफ़ रखा करो, नहीं तो जूँए हो जाएंगे. मैंने कहा- जीजी मैंने तो आज तक अपनी झांटें और बगलों के बाल साफ़ ही नहीं किये हैं. मुझे डर लगता है कि कहीं ब्लेड से कट ना जाए. इस पर वो खिलखिला कर हंस दी और फिर से बोली- अगर ऐसी बात है तो तेरी बगल के बाल और लंड से झांटें मैं शेव कर दूँगी. और हां.. एक बात और सुन कि अब तू मुझे बार बार जीजी ना कहा कर.. अब मैं तेरी जीजी नहीं रही हूँ, तेरी माशूका हो गई हूँ. इसलिए अब तू मुझको डार्लिंग कहा कर. मैंने कहा- अच्छा ठीक है माय डार्लिंग
ये कह कर मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद में डाल दी.
दीपाली की चुत का छेद काफी गीला था और एकदम चिकना हो रहा था. उसकी चूत एकदम गुलाबी थी.. पानी निकलने के कारण काफी चिकनाहट हो गई थी. मैंने उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी और कभी कभी मैं उंगलियों के बीच में उसके दाने को पकड़ कर भी मसल देता था.. जिससे उसके मुँह से मादक सिसकारी निकल रही थी.
वो ‘आह्हह.. आह्हह्ह.. हैईई.. हैईई.. उफ़्फ़.. उफ़्फ़..’ कर रही थी और कह रही थी कि जरा जोर से उंगली को अन्दर बाहर कर.
मैं और तेजी के साथ चुत में उंगली करने लगा. उसके मुँह से सिसकारियों की आवाज बढ़ती ही जा रही थी और वो लगातार ‘उफ़्फ़.. उफ़्फ़.. ओह्ह.. हाय मर गई..’ कर रही थी.
अचानक उसकी कमर तेजी के साथ हिलने लगी और वो अटक अटक कर बोलने लगी- हाय.. आआहह.. और्र.. तेज्ज.. अन्दर बाहर करो.. हैईईई मेर्ररा रस निकला.. आआआआ.. निकलाआआअ..
ये कह कर दीपाली शांत सी हो गई और ढीली पड़ गई. मैंने देखा कि उसकी चूत में से पानी निकल रहा था, जिससे चादर गीली हो गई थी.
मैंने कहा- जीजी आपका तो निकल गया. तो बोली- हां मैं झड़ गई हूँ. फिर थोड़ा दिखावटी गुस्से से बोली कि मैंने अभी क्या कहा था.. भूल गया? कि तू मुझको अब जीजी नहीं, बल्कि डार्लिंग कह कर बुलाया कर और तू फिर भी जीजी ही कहे जा रहा है. मैंने कहा- सॉरी जीजी… उफ़.. नहीं डार्लिंग.
कुछ देर हम ऐसे ही मज़ा लूटते रहे और हम दोनों की कामुक छेड़छाड़ चलती रही जिससे इस बीच वो एक बार और झड़ चुकी थी.
वो अभी तक मेरा लौड़ा सहला रही थी, जिससे अब रुक पाना मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था.
वो भी कहने लगी कि विक्की और मत तड़पाओ और अपना लौड़ा मेरी चूत में पेल ही दो.
ये सुन कर मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया, जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गई. अब मैंने उसकी टांगों को चौड़ा करके घुटनों से मोड़ कर ऊपर को उठाया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर रखा.
उसकी चुत पर टोपा लगते ही मुझे लगा कि मैंने लंड किसी भट्टी पर रख दिया हो. उसकि चूत इतनी गरम थी और किसी हलवाई की भट्टी की तरह तप रही थी.
मैंने अपनी कमर को उठा कर एक धक्का मारा और मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया.
उसकी मुट्ठियाँ भिंच गईं. इसके बाद मैंने एक बहुत जोरदार धक्का लगाया, जिससे मेरा लंड 5-6 इंच तक उसकी चूत में घुस गया. इसी के साथ उसके मुँह से एक तेज सिसकी निकली और वो बोली कि आह मार दिया साले.. धीरे कर.. तू तो बड़ा बेदर्दी है.. एक ही धक्के में अपने लंड को मेरी चूत में घुसाना चाहता है. साले मेरी चूत फाड़ने का इरादा है क्या.. ज़रा आराम से कर.. तेरा लंड बड़ा है ना… इसलिए दर्द होता है.
लेकिन मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी और एक और धक्का तेजी के साथ लगा दिया. अब सारा का सारा लंड उसकी चूत में घुस गया था.
वो हल्की सी आवाज में चिल्लाई कि हयई.. अर्ररेय मर गई ऊऊऊ मेर्ररि अम्ममाआअ.. मेरीईई चूऊत फाआआड़ दीईई.. कमीने..
उसकी चीख से मैं एकदम से डर गया कि कुछ गड़बड़ ना हो गई हो.
मैंने पूछा कि ज्यादा दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल लूँ? वो बोली- अरे नहीं.. ज्यादा तो नहीं मगर तूने एकदम से अन्दर कर दिया है न.. इसलिए थोड़ा सा दर्द हो रहा है. तेरा लंड काफी लम्बा और मोटा है ना.. इसलिए मेरी चुत को दर्द हुआ.. अभी कुछ देर बाद मजा आने लगेगा. अब तो मेरे ऊपर लेट जा और चूची चूस. मैंने ऐसे ही किया और उसकी चूची चूसने और मसलने लगा. कुछ देर में ही उसे मज़ा आने लगा और अपनी गांड हिला हिला कर ऊपर को उठाने लगी. दीदी बोली- आह.. अब धक्के लगा और मेरी चुत की चुदाई चालू कर.
मैंने अपनी कमर और चूतड़ों उठा उठा कर जोर शोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
थोड़ी ही देर में उसके मुँह से अंटशंट आवाजें निकलने लगीं. वो बोल रही थी- अय..यईईए.. र्रर स्सछह्ह.. मुझेय.. जोऊओर जोऊर से चोद साले.. फाड़ दे मेर्रर्इ फुद्दी.. ऊऊओह उफ़्फ़फ़ मेर्र रस फिरर्रर से निकलने वालाआ.. है.. हाय.. और जोओर्र से..
ये कह कर दीपाली दीदी तेजी से कमर हिलाने लगी और ‘स्स्सीईईई.. इस्सस्स्ई..’ करती हुई झड़ गई.
मेरा लंड एकदम गीला हो गया था और काफी चिकना हो गया था, जिससे लंड दीदी की चुत से 2-3 बार बाहर भी निकल गया.
अब मैंने धक्के लगाने की स्पीड तेज कर दी थी. मुझको थोड़ी मस्ती सूझी और मैंने धक्के लगाते लगाते एक उंगली पर उसका पानी लगाया और अचानक उसकी गांड के सुराख पर फेरते हुए, मैंने उंगली को उसकी गांड के अन्दर कर दिया.
वो एकदम दर्द से चीख उठी और बोली कि आह.. साले क्या शैतानी कर रहा है अरे उधर नहीं.. मुझको दर्द होता है.. मेरी गांड से उंगली को फ़ौरन बाहर निकालो.
मैंने पूछा कि क्या कभी किसी से गांड भी मरवाई है? मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ.
इस पर दीपाली ने कहा कि नहीं मैंने अपनी गांड कभी नहीं मरवाई है और ना ही तुझसे मरवाऊंगी.. क्योंकि मैं गांड मारने को सही नहीं मानती हूँ. मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसकी चूत की चुदाई का मजा लेता रहा. फिर उसने पलट कर पूछा कि क्या तुमने किसी से अपनी गांड मराई है या किसी की गांड मारी है?
तो मैंने ‘नहीं..’ में जवाब दिया. इस पर उसने कहा कि विक्की तू तो बहुत ही सुन्दर और स्मार्ट है.. तुझे तेरे दोस्तों ने कैसे छोड़ दिया.. क्योंकि मुझे मालूम है लड़के आपस में एक दूसरे की गांड ही मार कर काम चलाते हैं.
मैंने कहा कि मैं सेक्सी ज़रूर हूँ लेकिन मैं ना तो किसी लड़के की गांड मारता हूँ और ना ही मरवाता हूँ. मैं तो बस चूत ही चोदना चाहता हूँ. हां आज तुम्हारी गांड पर दिल आ गया है, इसलिए गांड मारना चाहता हूँ.
दीपाली बोली कि अभी तक तो मैंने गांड कभी नहीं मरवाई है.. यदि कभी मरवाने कि इच्छा हुई तो तेरे से ही मरवाऊंगी.
हम चुदाई के साथ गरम बातें कर ही रहे थे कि वो फिर से चुदासी हो गई और अंटशंट बकने लगी- आह्ह.. आआ और जोओर्र से चोद भोसड़ी के.. मेरा रस फिर से निकाल दे.
वो ऐसे ही कहती रही और इधर मेरे भी धक्कों की गति बढ़ती ही जा रही थी और मैं पसीने पसीने हो रहा था.
अब मेरे मुँह से भी अंटशंट निकलने लगा- आह्ह.. आअह.. क्यों नहीं.. साली रंडी.. ईईइ.. आह.. मैं आज ही तुम्हारी चूत को चोद कर भोसड़ा बना देता हूँ कुतिया.. साली.. ले मेरे लंड का पानी ले.. हैईईईई मेरा आने वाला है..
ये कहते हुए मैं फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था, तभी मुझे लगा कि मेरे लंड से कुछ बाहर आ रहा है. मैंने हांफ़ते हुए उसे कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उसकी चूचि चूसने लगा.
उधर दीपाली भी मादक आवाजें निकाल रही थी- हायऐई ईईईइ मैं गईईई फिर्र सेययई.. मैं झर्र रहीईईई हूँऊऊ.. ओ मेरी माँआआन.. मेरा रस निकल रहा है.. आह..
ये कहते कहते उसका पूरा बदन एक बार फिर से अकड़ गया और वो भी मेरे साथ साथ झड़ गई.
उसने झड़ते हुए अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिए और मेरे मुँह से एक चीख निकल गई- साली कुतिया काट लिया..
वो जोर से हंस पड़ी.
मैं काफी देर तक ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा. फिर हम दोनों उठकर बाथरूम में गए तो उसने मुझे बाहर जाने के लिए कहा, पर मैंने मना कर दिया और कहा कि डार्लिंग मैं तो यहीं रहूँगा और तुमको पेशाब करते हुए देखूँगा.
पहले तो वो मना करती रही, लेकिन वो फिर मान गई और मेरे सामने बैठ कर पेशाब करने लगी.
मैं ये तो नहीं जान पाया कि उसका पेशाब, चूत में से कहां से निकल रहा है लेकिन उसको पेशाब करते हुए देख कर अच्छा बहुत लगा.
उसके पेशाब की धार उसकी चूत से काफी मोटी बाहर आ रही थी और सुर्राहट की आवाज में निकलकर ऊपर को उठी हुई काफी दूर पड़ रही थी.
दीपाली मेरी तरफ़ देख कर शर्मीली हंसी हंस रही थी.
फिर मैंने पेशाब किया तो उसने भी मुझेय बड़े गौर से देखा. मेरी भी धार काफी मोटी थी और काफी दूर तक जा रही थी.
इसी बीच हम दोनों दोबारा उत्तेजित होने शुरू हो गए और हम लोगों ने एक बार फ़िर से चुदाई की.
हम काफी देर तक यूं ही चिपटे हुए नंगे पड़े रहे और बात करते रहे. मेरा मन तो उसको एक बार फ़िर से चोदने को कर रहा था, लेकिन दीपाली ने ही मना कर दिया.
उसने कहा कि ज्यादा चुदाई नहीं करनी चाहिये.. वरना कमजोरी आ जाएगी.
मैंने भी उसकी बात मान ली और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गए.
फ़िर दूसरे किसी मौके की तलाश में रहने लगे ताकि चुदाई का मजा लिया जा सके.
तो दोस्तो, और सखियो, ये था मेरा चुदाई का पहला तज़ुरबा.. मुझे उम्मीद है कि आप सबने बड़े ध्यान से इस चुदाई की कहानी को पढ़ा होगा.. इसलिए अब बारी आपकी है, यानि कि आपकी राय की कि आपको ये कहानी कैसी लगी. आप अपने कमेंट्स मेरी ईमेल आईडी पर जरूर कीजिये.
मैं आप सभी के मेल का बेसब्री से इन्तजार करूँगा. [email protected]
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