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हैलो दोस्तो, मैं दीपक एक बार फिर आपके लिये एक नई कहानी लेकर आया हूँ। मेरी पिछली कहानियाँ
स्कूल में मस्ती
आपने पढ़ी और उनके बारे में मुझे मेल किये, इसके लिये आपका धन्यवाद। इस बार में स्कूल के बाहर की कहानी बताने वाला हूँ।
निधि और प्रिया को चोदने के एक साल बाद मैंने वो स्कूल छोड़ दिया और नई नौकरी की तलाश करने लगा।
इसी चक्कर में मैं एक बार इन्टरव्यू देने दिल्ली गया। मैंने दिल्ली जाकर अपना इन्टरव्यू दिया और उन्होंने मुझे अगले दिन आने को कहा। मैं रात को किसी होटल में रूकने की सोच रहा था, तभी मेरे चाचाजी का फोन आया और उन्होंने मुझे रति के यहाँ रूकने को बोला और कहा कि मैंने उससे बात कर ली है और उसे कोई दिक्कत नहीं है।
रति मेरे चाचा जी की साली थी। मैं रति से केवल एक बार चाचाजी की शादी में ही मिला था, तब उसकी उम्र लगभग १९ साल थी और उसका रंग साँवला था, देखने में भी वो ज्यादा सुन्दर नहीं थी। रति ने एम.बी.ए. कर रखा था और दिल्ली में ही जॉब करती थी, वो दिल्ली में अकेली ही रहती थी और उसने वहाँ पर एक फ़्लैट किराये पर ले रखा था।
मैंने चाचाजी से रति के घर का पता व टेलिफोन नम्बर लिये और उसे फोन किया तो उसने बताया कि वो अभी ऑफिस में है और वो करीब शाम को ८ बजे घर आयेगी, तुम चाहो तो ऑफिस आकर घर की चाबी ले जा सकते हो।
उस वक्त ४ बज रहे थे और मैं दिल्ली में किसी को जानता भी नहीं था, इसलिये मैंने उससे ऑफिस का पता लिया और उसके ऑफिस चला गया। ऑफिस पहुँच कर मैंने रति को फोन किया तो वो ऑफिस के बाहर ही आ गई। मैंने रति को देखा तो देखता ही रह गया, ४ सालो में रति बहुत ही बदल गई थी, एकदम साफ रंग, कमर तक लम्बे बाल, बड़े बड़े स्तन ! एक बार तो मैंने उसको पहचाना भी नही। मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही हलचल करने लगा। उससे हाय हैलो की और घर की चाबी लेकर मैं उसके घर चला आया।
उसका फ़्लैट डबल बेडरूम और काफी बड़ा था। मैं पहले तो नहाकर फ्रेश हुआ और फिर टी.वी. देखने लगा, लेकिन मेरे मन में बार बार रति का ही ख्याल आ रहा था और मैं उसको चोदने के ख्वाब देखने लगा। मेरा लंड काफी तन गया था और पैन्ट फाड़ने पर उतारू हो गया था। मैंने सोचा मुठ मारकर अपनी आग शांत कर लेता हूँ और मैं बाथरूम में चला गया और मुठ मारने लगा।
तभी मेरी नजर गेट के पीछे वाले हुक पर गई, वहाँ पर रति की ब्रा और पैन्टी लटकी हुई थी, मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी को उठाया और चूमने लगा, रति की ब्रा और पैन्टी में से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। मैंने ब्रा और पैन्टी को चूमते हुए अपनी आग शांत की और फिर बाहर आकर फिर से टी.वी. देखने लगा, उस वक्त शाम के ६ बजे थे और रति को आने में अभी भी २ घंटे बाकी थे।
टी.वी. देखने में मेरा मन नहीं लग रहा था, इसलिये मैं गेट को लॉक करके बाहर घूमने निकल आया। थोड़ी देर सड़क पर इधर उधर घूमने के बाद मेरी नजर एक बार पर गई। मैं बार में चला गया और धीरे धीरे ड्रिंक लेने लगा, दो तीन ड्रिंक लेने के बाद मेरी नजर घड़ी पर पड़ी, शाम के ७.४५ हो गये थे, मैंने जल्दी से पेमेंट किया और बाहर निकल आया। बाहर आकर मैंने माउथ फ्रेशनर खाया और घर की तरफ चल दिया, घर जाकर देखा कि रति मेरा इंतजार कर रही थी। उसने मुझसे पूछा कि कहाँ गये थे, तो मैंने कहा कि यहीं थोड़ी दूर घूमने गया था।
थोड़ी देर बाते करने के बाद रति फ्रेश होने चली गई। नहाने के बाद वो और भी खूबसूरत दिख रही थी। उसके भीगे हुए कमर तक लम्बे बालों से वो और भी ज्यादा आकर्षक लग रही थी। उसने लाल रंग का लोवर व हल्के आसमानी रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी। फिर वो खाने की तैयारी करने लगी और मैं भी खाना बनाने में उसकी मदद करने के बहाने उसके शरीर को छूने की कोशिश करने लगा।
खाना खाने के बाद हम बाते करने लगे, तब रति ने कहा- क्या तुम ड्रिंक करते हो?
मैंने कहा- क्यों?
तो उसने कहा- तुम्हारे मुँह से बदबू बा रही है।
तो मैंने कहा- कभी कभी, लेकिन प्लीज तुम चाचाजी को मत बताना !
तो उसने कहा- ठीक है, नहीं बताऊंगी।
बाते करते करते १० बज गये थे तो हम सोने चले गये। वो दूसरे कमरे में थी और मैं दूसरे कमरे में, लेकिन मेरे उपर शराब का पूरा सरूर चढ़ चुका था और मेरे दिमाग में रति को चोदने के ही ख्याल आ जा रहे थे, नींद मेरे आँखो से कोसों दूर थी।
रात करीब १२ बजे मैं हिम्मत करके उठा और रति के कमरे में चला गया, रति गहरी नींद में सो रही थी और उसने दूसरी तरफ मुंह कर रखा था। मैं रति के पीछे जा कर लेट गया, रति के शरीर से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने अपना एक पांव उसके पांवो पर रख दिया और रगड़ने लगा, फिर एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया और कमर सहलाने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद रति ने अचानक करवट बदली तो मैं घबराकर पीछे हट गया, लेकिन रति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, वो नींद में ही थी। फिर मैं हिम्मत करके उसके पास सरक गया और अपना हाथ उसके उरोज पर रख दिया, उसने अन्दर ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं धीरे धीरे रति के उरोज दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा। फिर हाथ को उसके पजामे में डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा, इतने में रति हल्की हल्की सिसकियाँ भरने लगी, मुझे पता चल गया कि रति सो नहीं रही थी, वो सोने का नाटक कर रही थी।
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने रति से कहा- जब तुम जाग रही हो तो ये सोने का नाटक क्यों कर रही हो? क्यों नहीं तुम इस खेल का पूरा आनन्द उठाती?
तो रति ने कहा- मैं देखना चाहती थी कि तुम क्या क्या करते हो।
मैंने कहा- यह तो तुम जाग कर भी देख सकती हो, लो मैं तुम्हे बताता हूँ कि मैं क्या करता हूं। इतना कह कर मैंने रति की टीशर्ट खोल दी और उसके उरोजो को जोर जोर से मसलने लगा और रति के होठों से अपने होठ सटा दिये और किस करने लगा। हम अपनी जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल कर चूस रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उसके एक उरोज को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा, बीच बीच में उसके गुलाबी रंग के चूचुक को काटता भी जा रहा था, जिससे कि रति की उत्तेजना और बढ़ जाये।
फिर मैंने उसके पाजामे को भी खोल दिया, रति की चूत काफी सुन्दर थी, मैं रति की चूत को मसलने लगा, थोड़ी देर बाद मैंने अपनी एक अंगुली रति की चूत में डाल दी, उसकी चूत काफी टाईट थी। मैं अंगुली को धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, इससे रति को मजा आने लगा क्योंकि वो कामुक सिसकारियां लेने लगी थी।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना लंड रति को पकड़ा दिया, वो मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर मैंने उसको मेरे लंड को मुंह में लेने को कहा तो थोड़ी ना नुकर करने के बाद उसने लंड को अपने मुँह में ले लिया, और उसको धीरे धीरे चूसने लगी। मैं उसके मुंह को पकड़ कर लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। फिर हम दोनों ६९ की पोजिशन में आ गये, मैं रति की चूत को अपनी जीभ से कुरेदने लगा और वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चाटने लगी।
थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने रति को सीधा लिटा दिया और उसकी टांगो को ऊपर उठा कर अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया, फिर एक जोर से धक्का मार कर लंड को आधा अन्दर सरका दिया। रति इस धक्के को सहन नहीं कर पाई और चीखने लगी, अगर मैंने उसको जोर से पकड़ा नहीं होता तो मेरा लंड उसकी चूत से बाहर निकल आता।
उसके बाद मैं उसको सहलाने लगा, उसके शरीर को चूमने लगा, इससे उसका दर्द कुछ कम हुआ और वो भी नीचे से कमर उचकाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोरदार धक्के से अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, रति के मुंह से चीख निकल गई, लेकिन मैं अब रूका नहीं और जोर जोर से धक्के मारने लगा।
थोड़ी देर में रति भी मेरा साथ देने लगी और अपने नितम्ब को उछालने लगी। वो उत्तेजना में बड़बड़ाये जा रही थी, और जोरररररररररररर सेएएएएएएएएए हां ऐसे हीहीहीहीहीहीही औरररररररररररर जोर से चोदोओओओओ बहुत मजाआआआआ आ रहा है, फाड दो मेरीइइइइइइइ चूत को आजजजजज, और जोर से चोदो।
करीब १५ मिनट तक चोदने के बाद रति और मेरा पानी एक साथ छुटा। मैं रति के उपर ही पड़ गया, कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैं उठ गया और देखा कि रति की चूत से हम दोनों के वीर्य के साथ खून भी निकल रहा था, रति इसको देखकर घबरा गई, तो मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता है अब आगे नहीं होगा। फिर हम दोनो सो गये और अगले दिन से रति ने ३ दिन की ऑफिस से छुटी ले ली। हम दोनों ने तीनों दिन खूब सेक्स का आनन्द उठाया।
आपको मेरी नई कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे मेल करें।
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