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नमस्ते पाठको। याद दिला दूं, मेरा नाम है अजय। मैं हूँ तो पुरुष पर … मेरी शादी अंशु से हुई और कुछ ही दिनों में हमारा रिश्ता कुछ ऐसा बन गया कि वो मेरा पति और मैं उसकी पत्नी।
वो डॉक्टर से मिली और मैंने स्त्री हॉरमोन की दवाइयां लेनी शुरू कर दीं। मेरी छाती के उभार पहले भी अच्छे थे अब तो छोटी चूचियाँ बन गईं, कूल्हों का शेप भी औरतों जैसा हो गया।
मेरी जांघों के बीच में लन्ड है, पर मैं तन मन लिबास और ख्यालों से औरत हूँ। मैं अपने पति अंशु से सेक्स करती हूँ तो उसमें उसकी चूत और गांड को प्यार करती हूँ और वो मेरी चूचियाँ मसलती है, मेरे चूतड़ दबाती है। और उसका बॉयफ्रेंड उपिंदर मेरी गांड चोदता है।
मेरा नाम कामिनी हो गया और मैं अंशु और उसके आशिक उपिंदर दोनों की औरत बन गयी। रिश्ता आगे बढ़ा और अब मैं, मेरी मां मालिनी और मेरी बहन शैली उपिंदर, अंशु और अंशु के भाई राजेश को हर तरह का मज़ा देती हैं।
फिर एक दिन मेरी बहन शैली की शादी ही गयी।
शैली की शादी के कुछ दिन बाद:
मैंने अपनी बहन को फोन किया- और कैसी चल रही है ज़िंदगी? “क्या बताऊं भैया!” “ये क्या, शादी के बाद सब भूल गयी? अपनी दीदी कामिनी को भी?”
“कुछ नहीं भूली हूँ दीदी! तुम, दोनों जीजा अंशु और उपिंदर, राजेश सब याद हैं, बस परेशान हूँ। मैंने सोचा था करोड़पति है, ऐश करूंगी। पर ये तो ऐसा हरामी है कि अपनी दौलत को हाथ भी नहीं लगाने देता।” “और बिस्तर पे?” “बिस्तर पे तो ठीक है, पर सिर्फ उस से तो गुज़ारा नहीं चलता न! और वैसे भी क्योंकि मैं इसके साथ बहुत दुखी हूँ, मैं इसे ज्यादा कुछ करने भी नहीं देती। थोड़ी चुम्मियां देती हूँ, थोडा ऊपर के उभार दबवाती हूँ फिर जल्दी ही घुसवा लेती हूँ। थोड़े धक्के बस फिर ये झड़ जाता है।” “मतलब मुंह में, पीछे?” “ना, ये चाहता तो है, पर मैं करने ही नहीं देती।”
“तू ये बता तुझे क्या चाहिए अब?” “कैसे भी इससे पीछा छुड़ाओ, मुझे नहीं रहना इसके साथ!” मैंने कुछ सोचा- ठीक है, एक आईडिया है। ये तुझे छोड़ेगा भी और पल्ले से पैसे भी देगा. “सच दीदी?” “हाँ शैली … तू 3/4 दिन और ऐसे ही चलने दे। मतलब चूसना नहीं और न ही गांड मरवानी.”
मैंने सारी बातें अपने दोनों पतियों को बताईं और अपना आईडिया भी बताया। फिर मम्मी को भी समझा दिया।
3 दिन बाद मैं शैली के घर गया आदमियों के कपड़े पहन कर … और मौका देख कर उसके घर में छुपा के कुछ कैमरे लगा दिए जो नेट के ज़रिये हमारे फ़ोन से जुड़े हुए थे। एक बहाना बना के कुछ दिनों के लिए शैली को लेकर आ गयी।
अगले दिन मैंने शैली के पति को फोन किया- मम्मी को उसके शहर में कुछ काम है इसलिए वो वहाँ जा रही हैं। मम्मी तैयारी से गईं। हम सब कुछ फ़ोन पे देख सकते थे।
पहले दिन मम्मी सिर्फ हल्के पीले रंग की साड़ी और ब्लाउज में। न ब्रा न पैंटी और न पेटीकोट। साड़ी भी कमर से काफी नीचे टाइट बांधी हुई। कमर पेट नाभी सब नँगे, और उभार छलकते हुए। शैली के पति अजीत की नज़रें बस मेरी माँ के बदन पर ही रहती थीं।
दो तीन बार मम्मी ने किसी बहाने से पल्लू भी गिराया। लो कट ब्लाउज में उभारों के बीच की पूरी गहराई और पतले कपड़े में से निप्पल तक साफ दिख रहे थे। अजीत का देख देख के बुरा हाल हो रहा था। उसकी पैंट में खड़ा होता हुआ साफ दिख रहा था।
रात को दोनों एक ही कमरे में सोए पर अलग अलग बिस्तर पे। हमने सुबह रिकॉर्डिंग देखी। रात में मम्मी ने उसे पूरा नज़ारा करवाया। जैसे सोते में अनजाने में नाइटी कमर तक उठ गयी और हमने देखा अजीत मम्मी की गोरी जांघें और छोटी सी कच्छी में चूत देख कर मुठ मार रहा था।
अगले दिन: सुबह मम्मी अपने काम का बहाना बना के बाहर गईं और हमें फोन किया। “क्यों ठीक चल रहा है न?” “एकदम मस्त … मालिनी कल तो तेरा जिस्म देख के उसका बुरा हाल था, रात तो उसने मुठ भी मारी। आज काम कर दे उसका!” उपिंदर ने बोला। मम्मी हंसी।
शाम को मम्मी वापस आईं। अजीत ने पूछा- चाय पियेंगी? “तुम शाम को चाय के सिवाय कुछ और नहीं पीते?” अजीत की बांछें खिल गईं- ठीक है, शराब पीते हैं. “तुम पेग बनाओ, मैं चेंज करके आती हूँ.”
मम्मी ने और कहर ढाया। ब्रा से थोड़ा से बड़ा जिस्म से चिपका हुआ टाइट टॉप और घुटनों तक की स्कर्ट। नीचे पैंटी के नाम पे जी स्ट्रिंग। सोफे पे बैठी तो स्कर्ट ऊपर चढ़ गयी, जाँघें नँगी दिखने लगीं।
अजीत अपना ग्लास ले के सामने बैठा। “अरे वहां क्यों बैठे हो, मेरे पास बैठो.” सास दामाद दोनों पीने लगे, बातें करने लगे।
थोड़ी देर में मम्मी वाशरूम जाने के लिए उठी। पता नहीं कैसे उनके हाथ से सोने की चूड़ी गिर के टेबल के नीचे चली गयी। मम्मी झुक के टेबल के नीचे से अपनी सोने की चूड़ी निकालने लगी। ऐसे झुकने से मम्मी की छोटी सी स्कर्ट उनके चूतड़ों से ऊपर उठ गयी। मेरी मम्मी के दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में एक पतली सी डोरी और नँगे कूल्हे, गोरे और भरे भरे।
अपनी सास के नंगे गोरे चिकने चूतड़ और उनके बीच की दरार देख कर अजीत का हाल बुरा हो गया; उस से रहा नहीं गया, उसने हल्के से अपनी सास का पिछवाड़ा सहला दिया। लेकिन मम्मी कुछ नहीं बोली।
थोड़ी देर बाद … वो मम्मी से बिल्कुल चिपक के बैठा हुआ था। नशा भी हो गया था। उसका एक हाथ मम्मी के गिर्द लिपट गया। मम्मी ने फिर भी कुछ नहीं कहा, उसने अपनी सास की चूचियाँ दबा दीं और फिर मेरी मम्मी को अपनी बांहों में भर के उनके होंठों पे चुम्बन लेने लगा।
अब मेरी मम्मी बोली- दामाद जी, ये क्या कर रहे हो आप?
दामाद ने फिर से अपनी सास के होठों का भरपूर चुम्मा लिया। “ये मत करो, तुम मेरे बेटे जैसे हो.” और मम्मी उससे छूटने की नकली कोशिश करने लगीं। वो और ज़ोर से चूचियाँ मसलने लगा। “बेटा छोड़ो, मुझे छोड़ दो, ये मत करो. गलत है ये … मैं आपकी पत्नी की माँ हूँ.” “सासू जी, आप तो इतनी मस्त हो कि मुझसे रहा ही नहीं जा रहा। चलो बिस्तर पे चलते हैं.”
इस पर मेरी मम्मी मुस्कुराई- दामाद जी, मेरे साथ क्यों करना चाहते हो? मेरी बेटी शैली तो तुम्हें तीनों मज़े देती ही होगी? “तीनों मज़े … मतलब?” “दामाद जी, ये भी मुझसे सुन ना चाहते हो! मतलब मेरी सेक्सी बेटी अपने मुंह में, चूत में और गांड में लेती है न तुम्हारा?” “नहीं मम्मी जी, शैली तो बस चूत चुदवा लेती है, और कुछ नहीं करती और ना ही करने देती.” “यह तो गलत बात है मेरी बेटी की … हर एक लड़की को अपने मर्द को तो हर तरह से मज़े देने चाहियें.”
अब मेरी मम्मी ने अपने दामाद की पैंट की ज़िप खोली, हाथ डाल के लौड़ा बाहर निकाला और चूसने लगी। वो पूरा गर्म हो गया।
“चलो बेटा … आज मैं तुम्हें पूरे मज़े दूंगी लेकिन …” “लेकिन क्या?” “तुम कहोगे कि कितनी अजीब बातें करती है.” “नहीं बेझिझक कहिए, जो आप कहेंगी, मैं करूँगा.” “तुम्हारे शानदार बदन को देख कर मेरी एक बरसों की तमन्ना जवान हो गयी.” “क्या?”
“तुम मेरे साथ ज़बरदस्ती करो। मेरे कपड़े फाड़ के मुझे चोदो, मेरी गांड मारो, मुझे रगड़ो, पेलो.” अजीत की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गयी। “ज़रूर! मैं आपकी ये इच्छा पूरी करूँगा.” “तो ठीक है। मैं ज़रा कपड़े बदल के रसोई में जाती हूँ, तुम वहीं आके शुरू हो जाना।”
मम्मी फिर एक सिंपल सलवार कमीज़ पहन के रसोई में चली गयी। पीछे से आ के अजीत ने जकड़ लिया और चूचियाँ दबाने लगा। “ये … ये क्या कर रहे हो जंवाई जी?” “मालिनी, तू इतना प्यारा माल है आज तो तुझे रगड़ूंगा.” “नहीं … मुझे छोड़ दो प्लीज!”
उसने एक झटके से कमीज़ फाड़ दी और ब्रा खींच के अलग कर दी। अब मम्मी सिर्फ सलवार में … छातियाँ नँगी! अजीत तो दीवाना हो गया … उभार मसलने लगा पूरे चेहरे पे चुम्मियां लेने लगा। “मत करो, भगवान के लिए मुझे छोड़ दो.”
उसने मम्मी को दीवार के साथ दबाया और अपने कपड़े उतार दिए- देख मालिनी, आज ये लन्ड तेरे अंदर घुसेगा, तेरी चूत, तेरी गांड मारेगा। “नहीं, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ मुझे जाने दो.” उसने मम्मी को उठाया और बैडरूम में ले जा के बिस्तर पे पटक दिया।
दामाद ने अपनी सास की सलवार फाड़ दी और सास के नंगे जिस्म के ऊपर चढ़ गया। वो मम्मी की चूचियाँ चूसने लगा।
“मत करो, छोड़ दो मुझे, मैं तुम्हारी माँ जैसी हूँ.” “तू मेरा माल है, जबसे तुझे देखा है तेरी लेने को तरसता था। आज मौका मिला है.” कह के उसने मेरी मां की कच्छी भी उतार दी और छाती पे बैठ गया, लन्ड मम्मी के मुंह में दे दिया- चूस मेरी रानी!
कुछ देर तक वो मेरी मम्मी के मुंह में लन्ड अंदर बाहर करता रहा। फिर पकड़ के मेरी मां की टांगें चौड़ी कीं, लन्ड को निशाने पे लगाया और चूत में पेल दिया।
“मैं तेरी रानी नहीं हूँ कमीने … तेरी सास हूँ, छोड़ दे मुझे!” मेरी बहन का पति अजीत दनादन मेरी मम्मी को चोदता रहा, करारे ताबड़तोड़ धक्के। “तेरे हर तरह से मज़े लूंगा मेरी जान!”
और उसने मम्मी को पलटा, चूतड़ फैलाये और गांड में घुसा दिया। “बीटा मत कर, मत मार मेरी गांड!” अजीत ने अपनी सास की गांड में लंड पेलना शुरू कर दिया।
“अजीत, मेरे प्यारे, एक मिनट रुको!” वो रुक गया। “राजा, मैं घोड़ी बनती हूँ फिर तुम्हें भी ज्यादा मज़ा आएगा और मुझे भी!” “वाह मेरी जान, अब तक गालियाँ दे रही थीं, अब राजा बना लिया?” “जवांई जी, तुम बहुत प्यारे हो, तुमने मुझे मस्त कर दिया मेरी गांड मार कर …” फिर मम्मी घोड़ी बनी और प्यार से मरवाई।
मस्त सासू माँ की चुदाई के बाद सास दामाद दोनों नंगे लिपट के सो गए। और सुबह मम्मी अपने घर वापस आ गईं।
उपिंदर और अंशु ने पूरी रिकॉडिंग को कायदे से एडिट किया।
वो सारे दृश्य जिनमें मम्मी उसे अपने जिस्म की झलक दिखा के रिझा रही थी और वो जिनमे वो प्यार से मरवा रही थी, सब काट के निकाल दिए।
अब बस एक वीडियो था जिसमे अजीत मेरी मम्मी के साथ ज़बरदस्ती कर रहा था।
अगले दिन शैली ने अजीत को बुलाया। वो आ गया। वो और शैली कमरे में थे। “तूने मुझे क्यों बुलाया कौन से ज़रूरी काम है?” “बताती हूँ बस एक मिनट!”
तभी उपिंदर अंदर आया “कैसी है शैली मेरी जान?” और उपिंदर ने उसे बांहों में भरा भरपूर चुम्बन लिया और कूल्हे दबाए। “ये क्या कर रही है हरामखोर?” “तुम अपना वाट्सएप्प देखो.” “क्या मतलब?”
अजीत ने वाट्सएप्प देखा। वीडियो शुरू किया और उसके चेहरे पे हवाइयां उड़ने लगी। पसीने आने लगे। “कुत्ते तू मुझे हरामखोर कह रहा है और खुद तूने मेरी मम्मी की इज़्ज़त लूटी, बलiत्कार किया. अब देख हम तुझे कैसे जेल भेजते हैं.” “मैंने कोई ज़बरदस्ती नहीं की, तेरी मम्मी ने अपनी मर्ज़ी से करवाया है.”
तब उपिंदर बोला- दिख रही है मर्ज़ी वीडियो में। अब ये वीडियो तेरे सारे रिश्तेदारों, दोस्तों को भेजेंगे और केस भी करेंगे. “नहीं प्लीज ऐसे मत करो। मैं बर्बाद हो जाऊंगा.” “साले जब बलiत्कार कर रहा था तब बर्बादी नहीं दिख रही थी?”
“वो तो … वो तो … अब कैसे कहूँ … बचा लो मुझे मैं कुछ भी करूँगा.” “कुछ भी?” “हाँ, जो आप कहेंगे.”
“तो ये ले तलाक के कागज़ … दस्तखत कर और शाम तक 1 करोड़ नकद शैली को मिल जाने चाहिए.” और शाम तक… शैली आज़ाद हो गयी और पैसे भी मिल गए।
और फिर रात भर शैली ने उपिंदर अंशु और मुझे अच्छे से धन्यवाद दिया. पूरी नंगी हो कर … [email protected]
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