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लेखिका : नेहा वर्मा
मैं जब भी कहीं जाती हूं तो मेरी नजर खूबसूरत लड़कों पर पहले पड़ती है, ठीक वैसे ही जैसे लड़कों की नजरें सुंदर लड़कियों पर जाती है। ऐसी ही घटना मेरे साथ एक शादी की पार्टी में हुई। उस पार्टी में मुझे एक पुराना क्लासमेट मिल गया। बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स देखते ही बनती थी।
मैं तो देखते ही उस पर फ़िदा हो गई। मैं जानबूझ कर के उसके सामने लेकिन कुछ दूरी पर खड़ी हो गई ताकि वो मुझे देख कर पहचान ले।…. भला कोई सुन्दर लड़की आपके सामने खड़ी हो तो कौन नहीं देखेगा।
“हाय…. नेहा जी…. आप…. मुझे पहचाना…. मैं विजय….”
“अरे….हां विजय हाय…. कहां हो….? क्या कर रहे हो….?”
“यहीं बी एच ई एल में लगा हूं…. एक छोटा सा मकान मिला हुआ है…. और आप….”
बातों का सिलसिला चल पड़ा और मैंने उसे और लम्बा कर दिया। साइड में डीजे चल रहा था। नाच गानों की आवाज में हमारी बातें कोई दूसरा नहीं सुन सकता था। वह मेरे साथ एक कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने सोचा कि अभी विजय मुझमें दिलचस्पी ले रहा है….इसे अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। बातों के दौरान उसे कंटीली नजरों से देखना…. उसे देख कर अर्थपूर्ण मुस्कान देना। अदाएं दिखाना….यानी जो कुछ मैं कर सकती थी ….उसके सामने करने लगी।
नतीजा ये हुआ कि वो मेरी गिरफ़्त में आता नजर आ ही गया। डिनर आरम्भ हो चुका था। हम दोनों धीरे धीरे खा रहे थे…. बातें अधिक कर रहे रहे थे। समय का पता ही नहीं चला….अचानक मेरे मम्मी पापा आ गये।
“चलें क्या…. कितनी देर लगेगी….”
” अंकल, हमने अभी तो शुरू किया है…. मैं नेहा को घर पर छोड़ दूंगा….” विजय ने पापा से कहा।
“हां पापा…. ये विजय ! मेरा पुराना क्लासमेट ! …. बहुत दिनों बाद मिला है विजय….छोड़ देगा मुझे घर तक ! प्लीज़….”
“ठीक है…. जल्दी आ जाना….” कह कर पापा और मम्मी निकल गये।
हमने भी जल्दी से खाना समाप्त किया और निकल पड़े।
“देखो नेहा…. यहीं पास में उस केम्पस में है मेरा क्वार्टर…. देखोगी….”
“नहीं…. अभी नहीं….देर हो जायेगी….”
मेरा कहा नहीं मानते हुये उसने अपनी गाड़ी अपने क्वार्टर की ओर मोड़ ली….
“बस जल्दी से आ जायेंगे….” हम उसके घर पहुंच गये। ताला खोल कर अन्दर आये तो देखा विजय ने अपना कमरा अच्छा सजा रखा था।
उसने अपना घर दिखाया, फिर बोला,” क्या पसन्द करोगी….चाय, कोफ़ी या कोल्ड ड्रिंक….?”
मैंने समय बचाने के लिये कोल्ड ड्रिंक के लिये कह दिया। विजय शायद मुझे घर पर कुछ कहने के लिये ही लाया था।
“नेहा एक छोटी सी रिक्वेस्ट है…. देखो मना मत करना……..” विजय ने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि अब ये कुछ कहने वाला है, शायद मुझे प्रोपोज करेगा !
“हां हां कहो…. ” फिर उकसाते हुए कहा “प्रोमिस ! मना नहीं करूंगी।”
“जाने से पहले एक किस दोगी……..!” फिर एकदम से घबरा उठा, “म्….म….मजाक कर रहा था !”
“अच्छा….मजाक कर रहे थे…. चलो मजाक में ही किस कर लो….” मैंने तिरछी नजरों से वार किया।
“क्….क्….क्या……..सच….” उसे विश्वास ही नहीं हुआ।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया। और आंखे बन्द करके होंठ उसकी ओर बढ़ा दिये। मेरे शरीर का स्पर्श पा कर वो कांप गया। उसने धीरे से अपना होंठ मेरे होंठो से लगा कर किस करने लगा।
उसका लण्ड खड़ा होने लगा था…. मैंने उसके लण्ड पर थोड़ा दबाव और बढ़ा दिया। उसके शरीर का अहसास मुझे हो रहा था….उसके हाथ मेरी पीठ पर से फ़िसलते हुये मेरे चूतड़ों की तरफ़ जा रहे थे। मैंने भी अपने हाथ उसकी चूतड़ों की तरफ़ बढ़ा दिये। उसने अब मेरे दोनो चूतड़ों की गोलाईयों को दबा कर चूमना चालू कर दिया। मैंने भी वही किया और उसके चूतड़ों को दबाने लगी। मैंने धीरे से चूतड़ से एक हाथ हटाया और उसका लण्ड उपर से ही दबा दिया।
“आह……..नेहा…. जोर से दबा दो….” मैंने और दबा कर ऊपर से ही लण्ड मसल दिया…. पर उसी समय मुझे कुछ अजीब सा लगा। उसने मुझे जोर से जकड़ लिया…. और मुझे उसके पैंट के ऊपर से ही गीलापन लगने लगा…. वो झड़ चुका था। उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया था।
” विजय…. ये क्या…. निकल गया क्या….” मैंने मजाक में हंसते हुये छेड़ा।
“सोरी नेहा…. सह नहीं पाया….” उसका सर झुक गया।
मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा,” पहली बार तो ऐसा हो जाता है……..सुनो…. कल दिन को मुझे यहां ले आना…. कल मजे करेंगे”
विजय खुश हो उठा। इसने कपड़े बदले और मुझे घर छोड़ने के लिये चल पड़ा।
मैं खुश थी कि विजय जैसा जानदार लड़का मिल गया। अब जी भर कर चुदवाने का मजा लूंगी। अगले दिन वो दिन को २ बजे मुझे लेने आ गया।
हम दोनो सीधे उसके घर आ गये…. घर पर उसने पहले ही सारी तैयारी कर रखी थी। मैंने घर में आते ही दरवाजा बन्द कर दिया। और विजय से लिपट पड़ी। विजय भी जोश में लिपट पड़ा।
“विजय….मेरे कपड़े उतार दो…. बड़े तंग हो रहे है….” वो तो पहले ही पागल हो रहा था। उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने जान कर ब्रा नहीं पहनी थी….मेरे दोनो कबूतर बाहर निकल कर फ़ड़्फ़ड़ा उठे…. विजय बैचेन हो उठा…. उसके हाथ मेरे स्तनों की ओर बढ़ने लगे….
“अजी ठहरो तो……..अभी मेरी जींस कौन उतारेगा….” उसके हाथ बढ़ते बढ़ते रुक गये और जींस की तरफ़ आ गये। मेरी जींस की ज़िप खोलते ही मेरी चूत के दर्शन हो गये। जींस नीचे सरकाते ही उसने अपना मुख मेरी चूत की पंखुड़ियों पर लगा दिये…. और जीभ ने दोनों पट खोल दिये…. और मेरी चूत में घुसने लगी। मुझे तेज सिरहन दौड़ गयी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली।
“विजय अभी रुको जरा…. अपने कपड़े तो उतारो….” मुझे तो उसके शरीर को निहारना था। उसकी ताकत से भरी मसल्स को छूना था। उसके कड़े, मोटे और बलिष्ठ लण्ड को पकड़ना था। उसने अपने कपड़े भी तुरन्त उतार दिये और नंगा हो गया। वो मेरे जिस्म को देख कर आहें भर रहा था और मैं उसके तराशी हुई मसल्स को देख कर आहें भर रही थी। मैं उसके जिस्म से खेलना चाहती थी। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया।
उसका लण्ड सच में बहुत बड़ा था। यानी लम्बा और मोटा था…. उसका लण्ड देखने से ही मस्कुलर और ताकतवर लग रहा था। मुझे उसका लण्ड देख कर नशा सा आने लगा कि हाय्…….. इतने सोलिड लण्ड से गहराई तक चुदने का मजा आयेगा।
“आहऽऽ …. कितना प्यारा लण्ड है तुम्हारा….तुमने कितनो को चोदा है….”
“सिर्फ़ एक को…….. पर थोड़ा सा ही…. ” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया…. हाय रे…. ऊपर से नरम मसल्स थी…. लण्ड में बहुत कड़कपन था। मैंने उसके सुपाड़े पर से चमड़ी ऊपर सरका दी और उसके लाल चमकदार सुपाड़े को मलने लगी…. थोड़ा सा थूक लगा कर चिकना किया और हाथ में कस लिया। एक बार और थूक कर उसके लण्ड को मुठ मारने लगी…. उसका लण्ड जोर से फ़ड़फ़ड़ाया और पिचकारी छूट पड़ी…. मैं स्तब्ध रह गयी। मेरा हाथ थूक से पहले ही गीला था….अब वीर्य से नहा गया था।
“विजय…. ये तो माल निकल गया….” विजय अति उत्तेजना से हांफ़ रहा था।
मैंने सोचा इसे फिर से तैयार करते हैं…. चुदवाना तो था ही….
मैंने उसी के रूमाल से सब कुछ साफ़ किया और कहा,” अच्छा जी ! मुझे कितना तड़पाओगे…. अभी फिर से तैयार करती हूं….थोड़ी देर कोल्ड ड्रिंक पीते है….”
उसे प्यार से कह कर मैंने फ़्रिज से ड्रिंक्स निकाल ली और नंगी ही उसकी गोदी में बैठ कर पीने लगे…. मेरी गाण्ड के स्पर्श से उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने धीरे धीरे उसके लण्ड पर अपनी गाण्ड सहलाने लगी…. ड्रिंक्स समाप्त करके मैंने उसे फिर से सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड सीधा तन्नाया हुआ खड़ा था।
मैंने जोश में आते हुये उसके ऊपर लेट कर लण्ड चूत में घुसेड़ लिया और जोर लगा कर पूरा घुसा लिया। उसने भी मुझे जकड़ लिया और अपने लण्ड का पूरा जोर नीचे से लगा दिया…. और मुझे लगा कि उसका जोर बढ़ता ही जा रहा है…. और मेरी चूत में उसका लण्ड फ़ूलता – पिचकता सा लगा…. मुझे अपनी चूत में उसका वीर्य का अहसास हो गया…….. विजय झड़ चुका था। मेरा सारा जोश ठण्डा पड़ गया। मैं उस पर निराशा से निढाल हो कर लेट गई….
मैं समझ चुकी थी कि विजय मात्र ऊपर से ही शानदार दिखता है…. पर अन्दर से खोखला है। मैं उस पर से धीरे से उठी और बाथ रूम में जाकर सारी सफ़ाई कर ली और कपड़े पहन लिये।
विजय शर्मिंदा लग रहा था…. पर मैंने उसे हिम्मत बढ़ाते हुये कहा,” विजय…. ये कोई समस्या नहीं है…. बस अति उत्तेजना का असर है…. चाहो तो होस्पिटल में किसी स्पेशलिस्ट से बात करो….किसी नीम हकीम से या न्यूज पेपर के विज्ञापन से दूर रहना….” मैंने उसे समझाया।
“नेहा …. हां मैं आज ही मिलता हूं….” वो पहले से खुद की कमजोरी जानता था। मुझे उस पर मन में दया भी आई…. पर मैं …….. प्यासी ही रह गई…. उसका शरीर और रूप देख कर धोखा खा गई….
“चलो मुझे अब घर छोड़ आओ…. ” वो मेरे साथ तैयार हो कर निकल पड़ा।
मैं रास्ते भर सोचती रह गई…. बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स…. यानी शो पीस….
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