This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
कहानी का पहला भाग: पहली मोहब्बत और सेक्स-1
एक औरत ने ये भी कहा- चलो दर्द तो कोई बात नहीं, अगर थोड़ा बहुत खून भी निकला तो घबराना मत। पहली बार में होता है।
खून … !!!? मैं तो बुरी तरह से घबरा गई, पहली चुदाई में खून भी निकलता है। अब तो पक्का हो गया कि मैं न फैजल से चुदवाती। साला इतने मोटे लंड से अपनी बुर फड़वा कर खून निकलवा कर मुझे क्या मिलेगा। मैंने सोच लिया, फैजल के नीचे नहीं पड़ना … चाहे कुछ हो जाए।
खैर शादी से हम सब वापिस आ गए तो अगले दिन से ही वही पुराना रूटीन। मगर इस रूटीन में फर्क ये आया कि अब मैं आगे के गेट जाने लगी। शमीम तो अभी भी पीछे वाले गेट से ही जाती थी।
फिर अगले दिन फैजल का पैगाम आया कि आगे के गेट से नहीं, पीछे के गेट से आ, वरना सबके सामने जलील कर दूँगा। डर के मारे मैं अगले दिन पीछे वाले गेट से आई। तो फैजल ने पहले तो मुझे खूब खरी खोटी सुनाई, और उसके बाद सज़ा के तौर पर मुझे उसका लंड चूसने को कहा।
जब उसने अपना गंदा सा लंड निकाल कर मुझे दिखाया, तो मैंने तो देखते ही इंकार कर दिया- ये गंदा सा … इसे तो मैं कभी हाथ न लगाऊँ! परे करो इसे!
मगर फैजल ने ज़बरदस्ती मुझे नीचे बैठा कर अपना लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया। बेहद गंदा और वाहियात काम था ये। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा, मगर फैजल के डर के मारे जैसे उसने कहा, मैंने उसका लंड चूसा। शमीम ने भी केशा का लंड चूसा।
ज़्यादा टाइम हमारे पास होता नहीं था तो बस 1-2 मिनट चूसने के बाद हम उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो कर घर को चल दी।
बाद में जब हम घर वापिस आ रही थी। तो मैंने शमीम से पूछा- कितना वाहियात काम था, गंदा बदबूदार, मुझे तो बहुत बुरा लगा। तुझे कैसा लगा? तो शमीम बोली- मुझे अच्छा लगा। मैंने हैरान हो कर पूछा- अच्छा लगा, क्या अच्छा लगा? शमीम बोली- पता नहीं … पर मुझे तो सब कुछ अच्छा लगा, उसका स्वाद भी, उसकी खुशबू भी, सब कुछ अच्छा लगा।
मैंने पूछा- फिर से चूस लेगी? वो बोली- हाँ मैं तो अभी भी मौका मिले तो अभी चूस लूँ।
फिर मैंने सोचा, शायद मैं ही कुछ ओवर रिएक्ट कर थी, अगर देखा जाए तो इतना बुरा भी नहीं था।
फिर एक बार फैजल और केशा ने हमें पिक्चर दिखाने का प्रोग्राम बनाया, हम भी अपने घर में झूठ बोल कर उनके साथ फिल्म देखने चली तो गई, मगर उन लोगों ने हम दोनों फिल्म देखने ही नहीं दी। जैसे ही सिनेमा हाल की बत्तियाँ बंद हुई, दोनों ने अपने अपने हमारी कमीज़ों के अंदर डाल लिया.
चलो मम्मे दबवाने हमें भी अच्छे लगते थे, उसके बाद बार बार किस करते, कभी उनके मुंह का खाया चबाया हमारे मुंह में आता तो कभी जो हम खा रही होती, वो हमारे मुंह से छीन कर ले जाते। थोड़ी देर बाद दोनों ने अपनी अपनी पैन्ट खोल कर अपने अपने लंड बाहर निकाल लिए। तने हुये कड़क मर्दाना लंड, पहले तो हमने उन्हें हाथ से सहलाया, जब उन्हें ज़्यादा मज़ा आया तो दोनों ने हमें उनके लंड चूसने पर मजबूर किया।
शमीम को तो केशे के लंड से मोहब्बत ही बहुत थी, उसने तो खूब मज़े ले ले कर चूसा. मगर मुझे पहले थोड़ी दिक्कत सी हुई, फिर बाद मैंने भी चूसना शुरू किया और खूब दिल लगा कर चूसा। इंटरवल से पहले ही दोनों का पानी गिर गया।
फैजल ने भी और केशे ने भी, दोनों ने हमारे मुंह में ही पिचकारी मारी। गंदे, लिसलिसे से स्वाद से मुंह भर गया। फिर खास तौर पर मेरा मूड और मुंह का ज़ायका ठीक करने के लिए कोल्ड ड्रिंक पिलाई गई।
उसके बाद भी वो हमारे जिस्म को नोचते रहे। जब फिल्म ख़त्म हुई, तो हम दोनों लड़कियों ने चैन की सांस ली कि अब इन दरिंदों से पाला छूटा।
मगर ये पाला ऐसे छूटने वाला नहीं था। अगले हफ्ते ही हमें पैगाम मिला कि जगह का इंतजाम हो गया है, अगले उस जगह जाकर वो हमसे खूब सारा प्यार करेंगे।
प्यार गया भाड़ में … मुझे पता था कि चुदाई होने वाली है। मैंने शमीम से कहा- यार प्यार व्यार कुछ नहीं होगा, वो हमें वहाँ सेक्स के लिए ले जा रहे हैं। शमीम बोली- तो क्या हुआ, कभी न कभी तो करना ही है न, तो चलो अब कर लेती हैं। जब वो कह रहे हैं तो करने में क्या दिक्कत है, यार मज़ा करेंगी। मैंने कहा- अरे ओ सेक्स की भूखी, पता है पहले सेक्स में कितना दर्द होता है?
मगर शायद शमीम ये मन बना चुकी थी कि चाहे जो हो, उसे तो सेक्स करना ही करना है, दर्द कम हो या ज़्यादा हो।
उस दिन जुम्मे रात थी और मुझे और शमीम को स्कूल से किसी वजह से छुट्टी थी। हम वैसे तो घर पर ही थी, मगर सुबह 10 बजे हमें स्कूल के पीछे वाले गेट पर ही बुलाया गया था।
मैं काफी डरते डरते, घर वालों से झूठ बोल कर कि किसी सहेली का जन्म दिन है, शमीम को साथ ले स्कूल के पीछे वाले गेट पर पहुँच गई। वहाँ फैजल और केशा पहले से ही मौजूद थे।
हमें साथ लेकर वो अपनी अपनी बाइक से हमारे मोहल्ले से काफी दूर किसी और जगह पहुंचे। मैं पहले कभी भी अपनी शहर के इस इलाके में नहीं आई थी।
वहाँ एक घर में हम गए। ऐसा लगता था, जैसे वो घर काफी समय से बंद था। मैंने फैजल को पूछा तो वो बोला- अरे ये मेरे एक पुराने दोस्त का घर है और वो लोग बाहर सेट हो गए हैं। इसलिए घर की कोई केयर नहीं है। ज़्यादातर घर में कोई सामान नहीं था। बस ये था कि फर्श पर सारा वाल टू वाल कार्पेट लगा था।
शमीम को लेकर केशा दूसरे कमरे में चला गया और इधर फैजल ने मुझे अपनी आगोश में ले लिया।
मैं बहुत डर रही थी। पहले वो मुझे प्यार से चूमता रहा, फिर मेरे सीने को सहलाने लगा। उसके छूने से मदहोशी तो मुझे भी छा रही थी। मगर ना जाने क्यों डर मुझ पर हावी होता जा रहा था। उसने मेरे सीने से मेरा दुपट्टा हटा कर नीचे फेंक दिया और मुझे अपनी तरफ घुमाया, मेरे चेहरे को होंठों को चूमने लगा। मेरे चेहरे से टकराने वाली उसकी गर्म साँसें मुझे भी गर्म कर रही थी।
मैंने भी उसको अपनी बांहों में कस लिया जिससे उसको ये लगा कि शायद मैं भी सेक्स के लिए तैयार हूँ।
उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरे ऊपर लेट गया। अपने पैरों से मेरी दोनों टाँगें खोल दी और अपनी कमर को मेरे दोनों जांघों के बीच में सेट किया, इस तरह से उसका लंड मैं अपनी बुर पर महसूस कर पा रही थी।
वो अपने लंड को मेरी बुर पर रगड़ने लगा और मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर ऊपर तक खींच कर ले गया। दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपके हुये थे और हम दोनों एक दूसरे को चूसने में लगे थे।
उसके बाद वो उठा और मेरे सामने ही उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। एक ही मिनट में वो बिल्कुल नंगा हो गया। 6 फुट का जवान और 8 इंच लंबा मोटा लंड पूरा तना हुआ जिसका भूरे रंग का टोपा मेरी तरफ मुंह उठाए देख रहा था।
मुझे तो उसका लंड देख कर ही सिरहन चढ़ गई। मैं सोचने लगी, इतना बड़ा लंड मेरी इस छोटी सी बुर में घुसेगा। मैं तो घबरा गई।
मगर फैजल का ध्यान मेरे चेहरे की तरफ नहीं था, वो आगे आया और मेरे भी कपड़े उतारने लगा। मैं डर के मारे रोने लगी, और उसे कपड़े उतारने से रोकने लगी। मगर फिर भी उसने मेरी कमीज़, शमीज़ और ब्रा ऊपर उठा कर मेरे दोनों दूध जैसे गोरे मम्मे बाहर निकाल लिए और उन्हें दबाया, चूसा और मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर मुझे नंगी कर लिया।
वो मुझे ज़ोर से नीचे लेटा कर खुद भी मेरे ऊपर लेट गया। मगर मैं उसके बड़े सारे लंड से डर कर ज़ार ज़ार रोने लगी। मेरे रोने से फैजल भी गुस्से में आ गया। उसने केशे को आवाज़ लगाई- ओये केशे कहाँ पहुंचा? उधर से उसने आवाज़ दी- भाई मैदान फतेह कर लिया।
फैजल उठा और मुझे भी बाजू से पकड़ कर दूसरे कमरे में ले गया, उधर जा कर मैंने देखा, शमीम केशे के नीचे बिल्कुल नंगी लेटी थी। दोनों के सारे कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े थे। फैजल बोला- देख इसे, ये भी तो तेरे जैसी है, तू साली ड्राम कर रही है, और उसने देख पूरा लंड अपनी बुर में ले लिया. केशे ज़रा निकाल कर दिखा। केशे ने अपना लंड शमीम की बुर से बाहर निकाला, करीब करीब केशे का लंड भी फैजल के लंड जितना ही मोटा था, बस थोड़ा सा एक आध इंच छोटा होगा।
उसके बाद फैजल बोला- चल फिर से डाल! केशे ने अपना लंड फिर से शमीम की बुर पर रखा और अंदर धकेलने लगा। शमीम थोड़ा सा दर्द से चिल्लाई, थोड़ा तड़पी, मगर केशे ने धकेल धकेल कर अपना सारा लंड उसकी बुर में घुसेड़ ही दिया, और उसके बाद उसे अंदर बाहर करने लगा।
मैंने शमीम को देखा, पहले तो वो मेरी तरफ देख रही थी, मगर फिर उसने केशे की ओर देखा और खुद ही उसका चेहरा पकड़ा और अपनी लंबी सारी जीभ निकाल कर केशे के मुंह में डाल दी। केशा उसकी जीभ चूसने लगा और फिर उसने भी अपनी जीभ शमीम के मुंह में डाली। वे दोनों हमारी मौजूदगी से बेपरवाह नंग धड़ंग अपनी हवस को परवान चढ़ाने में मस्त हो गए।
मैं खड़ी देखती रही, तो फैजल ने फिर से मुझे वहीं पर अपनी ज़ोर से नीचे लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। अब मैं तैयार थी अपनी चुदाई के लिए कि यह तो आज होना ही है.
फैज़ल ने अपना लंड मेरी बुर पर रख कर अंदर को धकेला, मुझे लगा जैसे किसी ने कोई पत्थर मेरे जिस्म में घुसेड़ना शुरू कर दिया हो। मैं दर्द से छटपटाई और रोने चिल्लाने लगी। खैर फैजल की कुछ कोशिश तो रंग लाई, और उसके लंड का टोपा मेरी कुंवारी बुर में घुस गया.
मगर मैं जिस हिसाब से रिएक्ट कर रही थी, मुझे भी लगा और शायद फैजल को भी लगा कि कहीं कुछ ज़्यादा ही गलत न हो जाए। मेरे रोने चिल्लाने ने फैजल का मूड खराब कर दिया। और वो मेरे ऊपर से उठ गया, मुझे गालियां देने लगा- साली कुतिया, मादरचोद अगर भोंसड़ी में दम नहीं है तो यार क्यों बनाया। देख बहनचोद कैसे रो के दिखा रही है, जैसे बहुत सती सावित्री हो। भैंन की लौड़ी ने सारा मूड खराब कर दिया। चल भाग यहाँ से रंडी की औलाद। साली कुतिया।
और फैजल ने मेरे पिछवाड़े पर ज़ोर से लात जमाई। मैं दर्द से बिलबिला उठी।
एक तो मेरी बुर में दर्द और अब उसने मेरी गांड भी कूट दी थी। मैं जैसे तैसे उठी और अपने कपड़े ठीक करती हुई, दूसरे कमरे में चली गई। उधर जाकर मैंने अपने कपड़े बाल सब ठीक किए और चुपचाप एक कोने में बैठ कर शमीम के फारिग होने का इंतज़ार करने लगी।
कुछ देर बाद केशा कमरे से बाहर आया, बिल्कुल नंगा और आकर मेरे पास बैठ गया, मुझे समझाने लगा- यार देख, प्यार मोहब्बत में तो ये सब होता ही रहता है। और वैसे भी एक न एक दिन तो तुझे चुदना ही है। तो फिर क्यों इतना ड्रामा कर रही है। अगर तुझे फैजल का लौड़ा बड़ा लगता है, तो कोई बात नहीं, ये देख मेरा छोटा है, ये ले ले।
मैंने पूछा- फैजल कहाँ है? वो बोला- अब तूने तो उसे दी नहीं तो उसे भी तो करना है। मैंने शमीम से बात करी वो मान गई। इस वक्त तेरा यार मेरी माशूक की चुदाई कर रहा है।
मुझे बड़ा बुरा लगा, यार ये तो मेरे साथ मोहब्बत की कसमें खाता था, और अब मेरी ही सहेली को चोद रहा है। मैं उठ कर गई और चोरी से दूसरे कमरे में देखा, शमीम ने अपनी टाँगें हवा में उठा रखी थी और फैजल अपने भयंकर लंड से घपाघप्प शमीम को चोद रहा था।
मैं तो देख कर सन्न रह गई। क्या दोस्ती कीजिये और किस से कीजिये। जिस लड़की को दोस्त बनाया और जिस लड़के से मोहब्बत की, दोनों ही मेरे ही सामने मुझसे बेवफ़ाई कर रहे थे।
मैं अभी खड़ी ही थी कि पीछे से केशे ने आ कर मुझे अपनी बांहों में ले लिया और अपना लंड मेरी गांड पर घिसाया। मैंने नफरत से उसको दूर छिटक दिया। वो बेशर्मों की तरह हंसने लगा।
उधर दूसरे कमरे से शमीम और फैजल की सेक्सी आवाज़ें आने लगी, जैसे दोनों को बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा हो, दोनों का पानी गिरा और कुछ देर बाद वो दोनों भी बिल्कुल नंगे हमारे पास आए। मैंने गुस्से और नफरत से दोनों की ओर नहीं देखा।
फैजल बोला- ओ शरीफज़ादी, इधर देख, इसे कहते हैं औरत। साली तू तो अपनी भोंसड़ी पर ताला लगा कर बैठी है, और इधर देख शमीम को इसने दो दो लंडों का मज़ा लिया। क्यों शमीम, कैसा लगा? वो भी बेशर्मी से हंस कर बोली- मज़ा आ गया यार। बहुत दमदार हो तुम दोनों तो!
मैंने कहा- मुझे घर जाना है। फैजल बोला- और तेरा क्या अचार डालना है हमने। चल भाई कपड़े पहनो और चलो। इस शराफत की गुड़िया को घर छोड़ें। पर एक बात सुन ओ शरीफज़ादी। तूने खड़े लंड को ठुकराया है। इसकी बाद दुआ लगेगी तुझे। या तो तू सारी उम्र लंड के लिए तरसेगी, या फिर साली रांड बनेगी तू रांड। एक नहीं 5-5, 6-6 लंड एक साथ तुझे चोदेंगे साली गश्ती को।
मैंने एक बार भी सर उठा कर उन तीनों में से किसी को नहीं देखा। थोड़ी देर बाद हम सब वापिस आ गए.
उसके बाद मैं शमीम से, फैजल से या केशे से किसी से भी मिलना बंद कर दिया। मगर मुझे पता चल जाता था। शमीम ने उन दोनों के साथ बहुत सेक्स किया। हर हफ्ते वो लोग कहीं न कहीं जाते, और चुदाई करते। फैजल ने अपने 2-3 और दोस्तों को भी शमीम की दिलवाई। मगर मैंने फिर कभी उनके साथ नहीं वास्ता नहीं रखा।
वक्त ने पलटा खाया। मेरी शादी हुई और बच्चा न होने के कारण मैं अपने एक पुराने बॉय फ्रेंड के चंगुल में फंस गई और उसने मुझे एक शरीफ औरत से एक रंडी बना दिया, और फिर एक बार मुझे एक सतह 6 मर्दों के साथ सोना पड़ा। उस दिन मुझे फैजल की बद्दुआ याद आई। सच में कभी कभी दिल से निकालने वाली बद दुआ भी इंसान को लग जाती है। मुझे तो फैजल के लंड की बद्दुआ लगी थी।
उन 6 लोगों से अपने सेक्स की कहानी मैं फिर कभी आपको बताऊँगी. फिलहाल इतना ही, शबाखैर। आपके कंमेंट्स का इंतेजार रहेगा। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000