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अब तक की देसी लड़की की चुदाई की कहानी के पहले भाग देसी लड़की ने चलते ट्रक में चुत चुदवाई-1 में आपने पढ़ा कि मैं अपने घर तक जाने के लिए एक ट्रक में लिफ्ट लेकर बैठ गई थी. मुझे चोदने की तैयारी हो गई थी और ड्राइवर साब मुझे चोदने के लिए गर्म कर रहे थे.
अब आगे:
ड्राईवर ने मुझे झटके से अलग किया और मुझे सीट पर लिटा दिया. वो जल्दी से अपनी लुंगी खोलने लगा.
लुंगी के खुलते ही उसका आठ इंच लम्बा लंड सामने था. उसका लंड देख कर मुझे पसीना आ गया. ड्राईवर ने मेरी जांघें फैला दीं और अपने लंड को मेरी चुत पर टिका दिया.
उसने एक झटका दिया और आधा लंड अन्दर चला गया. मेरी जान सूख गई. बिना रूके उसने दूसरा झटका दिया और लंड पूरा अन्दर चला गया. मेरी दबी दबी सी चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अब ड्राईवर ने मुझे बांहों में कसके लिपटा लिया और मेरे कान में कहा- जैसा सोचा था वैसा पाया, तेरी चूत मस्त टाईट है.
इतना कह कर वो धक्के लगाने लगा. हर एक धक्के से मेरी सिसकी फूटने लगती और वो धीरे धीरे धक्के लगाता रहा. धीरे धीरे धक्के की गति बढ़ती गई और चरम पर पहुंच कर ड्राईवर ने अपना सारा वीर्य अन्दर छोड़ दिया. वो उठा और लुंगी सम्भाल कर आगे चला गया.
मैं टांगें फैला कर लेटी हुई थी. इतने में एक खलासी लुंगी उतार कर पीछे आ गया. वो भी मेरी टांगों के बीच आया और उसने मेरी चुत पर अपना लंड लगा दिया. एक झटके से अपना लंड अन्दर डाल कर वो जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा. उसको इतनी हड़बड़ी थी कि पांच मिनट के अन्दर ही सारा वीर्य अन्दर छोड़ दिया.
वो गया तो दूसरा खलासी पीछे आया. उसने भी झटके से अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया. लंड ज्यादा लम्बा नहीं था पर मोटा इतना था कि मेरी चुत फाड़ने के लिए काफी था. मेरी चीख निकल गई. मैं इतने कसके चीखी कि ट्रक के अन्दर मेरी आवाज गूंज गई.
वो बोला- कैसा लगा लंड रानी, आज तक तेरे किसी ग्राहक का इतना मोटा नहीं रहा होगा.
वो दबादब धक्के लगाने लगा. उसको लंड को चुत से बाहर निकालने में तो दो सेकण्ड लगते थे और उसे फिर अन्दर घुसाने में दस सेकण्ड लगाता था.
लगभग पांच मिनट लग गए उसको मेरी चुत फैलाने में. उसके बाद ही वो जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा. उसके बाद भी वो लगभग बीस मिनट तक लगा रहा. उसने भी सारा वीर्य मेरे अन्दर छोड़ दिया और आगे चला गया. मैं उठी और एक कपड़े से अपनी चुत साफ की और कपड़े पहनने लगी.
जैसे ही मैंने कपड़े पहने तो ड्राईवर ने मुझे सौ सौ के दस नोट दिए. मैंने उससे पैसे ले लिए और नीचे उतर आई.
नीचे उतर कर जैसे ही मैंने आस पास देखा, तो मुझे झटका लगा. चारों ओर जंगल था. मैंने ड्राईवर से पूछा कि ये कौन सी जगह है? उसने बताया कि हम शहर से बीस किलोमीटर बाहर आ गए हैं. मैंने घिघियाते हुए कहा- अब मैं वापस कैसे जाऊंगी? तो ड्राईवर बोला- यहां से बहुत से ट्रक वापस जाते हैं. किसी से लिफ्ट ले लेना, वापसी में भी तेरा धंधा हो जाएगा.
इतना कह कर उसने हंसते हुए ट्रक आगे बढ़ा दिया.
मुझे ड्राईवर पर बहुत गुस्सा आ रहा था, पर कर भी क्या सकती थी. मैंने सोचा कि मोबाईल से काल करती हूं, मोबाईल निकाल कर देखा, तो टावर गायब था.
फोन में एक मैसेज जरूर आया था. मैंने मैसेज देखा तो मेरे बायफ्रेंड का था.
उसने लिखा था- चल बहुत होशियारी हो गई, अब उतर जा ट्रक से … वरना तू कहां पहुंचेगी … पता नहीं, पर ट्रक वाले तेरे साथ जंगल में मंगल जरूर कर देंगे.
मुझे उस पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं ही जानती थी. पर अभी तो सबसे ज्यादा जरूरी वापस जाना था. मैं वहीं खड़े होकर इंतजार करने लगी. कई ट्रक गुजरे और मैंने रूकने का इशारा भी किया, पर कोई ट्रक नहीं रूका. दोपहर भी ढल रही थी. थोड़े देर सोचने के बाद मैंने जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने बैग में रख लिया. मैं नंगी होकर रोड के किनारे खड़ी हो गई गई. थोड़े देर इंतजार करने के बाद एक ट्रक आया तो मैंने रूकने का इशारा किया.
ट्रक एक झटके से पास आकर रूक गया. ड्राईवर नीचे उतरा और मेरे पास आ गया.
उसने मुझे देखा और पूछा- क्या है? मैंने बताते हुए कहा कि मुझे इस जगह तक जाना है. उसने मेरे नग्न बदन को देखा और कहा- धंधा करती है. मैंने हां कहा और ये भी कहा कि साढ़े तीन सौ रूपये एक आदमी का लगता है. उसने कहा- ज्यादा है … पीछे वाला ट्रक देख ले. वो जाने लगा, तो मैंने कहा- मुझे मेरी मंजिल तक छोड़ दो और मुफ्त में कर लेना. उसने ऊपर देखा, तो दो सर बाहर देख रहे थे. उसने कहा- दो लोग और हैं साथ में? मैंने कहा- कोई बात नहीं, इनके लिए भी मुफ्त.
वो मुस्कुराया और ऊपर इशारा किया, ऊपर से दरवाजा खुला और दो हाथ बाहर आए.
मैंने हाथ पकड़े, तो दोनों ने एक एक हाथ से मेरे दोनों स्तनों को पकड़ लिया और मुझे ऊपर खींच लिया. मैं अन्दर घुसी, तो दरवाजा बंद हो गया और ट्रक चल पड़ा.
इस ट्रक में भी दो खलासी और एक ड्राईवर था. एक खलासी ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और एक खलासी मेरे सामने बैठ गया, दोनों मेरे बदन से खेलने लगे. कभी मेरे स्तन को मसलते, कभी मेरी जांघों को सहलाते. कभी मेरे गले और गाल को चूमते. कभी निप्पल चूसते. ड्राईवर बहुत तेजी से ट्रक चला रहा था.
फिर अचानक से ड्राइवर ने एक जगह ट्रक रोक दिया. मैंने झांक कर आगे देखा तो पाया कि जिस जगह मुझे जाना था, उससे आधा किलोमीटर पर एक बैरियर है. ट्रक उसके कुछ ही दूर एक साईड में खड़ा था.
ड्राईवर ने कहा- तुझे यहीं तक जाना था न, चल तेरी मंजिल आ गई. अब यहां से पैदल चली जाना, हम वापस जाएंगे. मैंने सहमति में सर हिलाया. ड्राईवर ने थोड़ा डपट कर कहा- अब जल्दी से लेट जा, हमें अपना मेहनताना वसूलने दे.
दोनों खलासियों ने मुझे छोड़ दिया. मैं खुद से सीट पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दीं. ड्राईवर अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आ गया. उसने अपना लंड मेरी चुत पर लगाया और एक धक्का दिया और लंड एक बार में ही पूरा अन्दर चला गया.
यूं तो उसका लंड कुछ ज्यादा बड़ा नहीं था, पर क्योंकि तीन लोगों ने पहले से मेरी चुत की दुर्गति की हुई थी इसलिए थोड़ी परेशानी हो रही थी. मेरे स्तनों को मसलते हुए ड्राईवर धक्के लगाता रहा और एक चरम पर पहुंच कर अपना वीर्य मेरी चुत में छोड़ कर खड़ा हो गया.
इसके बाद एक खलासी मेरे ऊपर चढ़ा, उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर छोड़ कर मुझे अपने बांहों में भर लिया. मेरे गले को लगातार चूमता रहा और अपने लंड से छोटे छोटे धक्के लगाने लगा. उसका असर ये हुआ कि मेरे बदन में गुदगुदी सी महसूस होने लगी और न चाहते हुए भी मैंने अपनी जांघें उसके कमर के आस पास लपेट लीं.
वो लगातार अपने धक्के लगा रहा था और मुझे इतना अलग लग रहा था कि मैं उसकी पीठ भी सहला रही थी. मेरा चेहरा खिड़की की तरफ था.
तभी मैंने देखा कि कोई खिड़की से अन्दर झांक रहा है.
वो एक टोपी लगाया हुआ आदमी था, जैसे गार्ड लगाते है. थोड़े देर तक वो अन्दर झांकता रहा, फिर गायब हो गया. मुझे बहुत अजीब और डर सा लगा, पर जब वो वापस नहीं आया … तो मैंने उसे अपने दिमाग से निकाल दिया. मेरा विचार तब टूटा, जब मेरी चुत में धक्के लगाता खलासी मेरी चुत में अपना वीर्य छोड़ रहा था.
वो उठा, तो मेरे ऊपर तीसरा सवार हो गया. उसने जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में डाला और तेजी से धक्के लगाने लगा. धक्कों के तेजी से उसकी बेसब्री झलक रही थी. शायद इतनी देर तक इंतजार ने उसे ऐसा कर दिया था. बेसब्री ज्यादा थी, तो वो खुद को ज्यादा देर रोक भी नहीं पाया और अपना वीर्य छोड़ कर खड़ा हो गया.
मैंने पास पड़े एक कपड़े से अपनी चुत पौंछी और कपड़े पहन कर नीचे उतर गई. ट्रक वापस मुड़ा और चला गया.
मैं टहलते हुए बैरियर की तरफ चल दी. जैसे भी मैं बैरियर को क्रास कर रही थी अचानक एक गार्ड सामने आ गया. उसे देखते ही पहचान गई कि वो वही था, जो ट्रक के अन्दर झांक रहा था.
उसने मुझे रोक कर कहा- कहां जा रही हो मैडम, इस बैरियर को पार करने के लिए टैक्स लगता है.
मैं जानती थी कि वो सब कुछ देख चुका है, तो मैंने एक झटके से अपना टॉप ऊपर उठा कर अपनी नंगी चूचियां उसके सामने कर दीं और कहा- तो टैक्स ले लो.
उसने मुझे एक तरफ खींचा और मेरे दोनों स्तनों थाम कर उन्हें मसलने लगा.
थोड़ी देर में वो मुझे स्तनों से खींचते हुए एक केबिन की तरफ ले जाने लगा. हम दोनों जैसे ही केबिन में घुसे, तो वहां एक और गार्ड बैठा था.
पहले वाले ने उससे कहा- तू बाहर बैठ … मैं जब बाहर आ जाऊं तो तू अन्दर आ जाना.
वो मुझे देख कर हालात समझ गया और बाहर चला गया. केबिन छोटा सा था और एक टेबल और एक कुर्सी रखी थी. उसने मुझे देखा तो मैंने जल्दी जल्दी कपड़े उतार दिए.
उसने मेरे दोनों हाथ टेबल पर रखवाए और मुझे झुका दिया. पीछे से अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया और पीछे से हाथ आगे लाकर मेरे स्तनों को मसलने लगा. मेरे मम्मों को मसलता हुआ वो धक्के लगाने लगा. उसके धक्के इतनी दिक्कत नहीं कर रहे थे, जितना वो मेरे स्तनों को मसल कर कर रहा था.
लगातार दस मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो अपना वीर्य मेरी चुत में छोड़ कर, अपनी पैन्ट सम्भालते हुए बाहर चला गया.
उसके जाते ही दूसरा गार्ड अन्दर आ गया. मैं बिना हिले वैसे ही खड़ी थी. वो आया और उसने अपनी पेंट उतार कर पीछे से अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा. उसे अपना वीर्य छोड़ने में पांच मिनट से ज्यादा नहीं लगा. वैसे भी उसकी उम्र कुछ ज्यादा ही थी. उसके जाते ही पहला वाला अन्दर आ गया.
मैं वैसे ही खड़ी थी, तो उसने मुझसे कहा- मेरा लंड लटक गया है, उसे तुझे खड़ा करना पड़ेगा.
इतना कह कर वो टेबल पर बैठ गया और मुझे कुर्सी पर बैठा दिया. मुझे समझ आ गया कि उसे लंड चुसवाना है. न चाहते हुए भी जिंदगी में पहली बार मैंने एक लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी.
लगभग तीन मिनट में उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने मुझे टेबल पर लिटाकर मेरी टांगों को अपने कंधों पर रख कर अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया. मेरे दोनों स्तनों को मसलते हुए मुझे धक्के लगाने लगा और लगभग दस मिनट में स्खलित हो गया. वो उठ कर बाहर चला गया और मैंने एक रूमाल से अपनी चुत साफ की और कपड़े पहन कर बाहर आ गई.
दोनों एक साईड में खड़े होकर सिगरेट फूंक रहे थे. मैं चुपचाप घर को रवाना हुई.
आठ लोगों से नौ बार चुदने के बाद मुझे चलने में काफी दिक्कत हो रही थी. उन लोगों ने मेरी चुत का भुर्ता बना दिया था. मुझे खुद पर ताज्जुब हो रहा था कि आठ लोगों ने मेरी चुत मारी थी और फिर भी मैं चलने फिरने के काबिल थी. वैसे चलने से पता चल रहा था कि मेरी चुत छिल सी गई थी.
घर पहुंच कर जैसे ही अन्दर घुसी, मेरी बहन ने रास्ता रोका. उसने मुझे गौर से देखा और कहा- दीदी, लगता है कि आपके बॉयफ्रेंड ने आपकी जम कर कुटाई की है. मैंने सर हिला दिया. वो चहकते हुए बोली- तो मेरा आईडिया ब्रा न पहनने वाला काम कर गया.
मेरे मन में आया कि बोल दूं कि साली तेरे आईडिया के चक्कर में आठ लोगों ने मुझे रंडी की तरह चोदा है.
पर बिना कुछ बोले मैं नहाने चली गई. नहाते समय एक ही बात ध्यान में थी कि सबने अपना वीर्य मेरी चुत में डाला है … कहीं मैं प्रग्नेन्ट न हो जांऊ.
नहा कर मैंने कपड़े बदले और कमरे में जाकर सो गई. रात में मेरी बहन मेरी बगल में आकर लेट गई.
उसने मुझसे धीरे से पूछा- घर कैसे आई हो दीदी? मैंने लेटे लेटे ही कहा- बस से. उसने धीरे से कहा- काहे को झूठ बोलती हो दीदी … बस वालों की तो आज हड़ताल थी. मैंने धीरे से कहा- ट्रक से.
वो उछल कर बैठ गई और बोली- हाईला दीदी … तब तो ट्रक के सारे खलासियों ने और ड्राईवर ने तेरी चुत का तो भुर्ता बना दिया होगा. मैं अचानक ही बोल पड़ी- तुझे कैसे मालूम? उसने मुस्कुराते हुए कहा- क्योंकि दीदी एक बार मैं भी ट्रक में लिफ्ट ले चुकी हूं. एक ड्राईवर और चार खलासियों ने मेरी वो दुर्गति की थी कि मैं बता नहीं सकती.
वो उठी और बाहर चली गई, एक मिनट में वापस आई, तो गिलास में पानी था. उसने मुझे पीने को कहा.
मैंने पिया तो अलग सा टेस्ट लगा. मैंने उससे पूछा कि क्या है.
उसने मुझसे कहा- ट्रक वाले तो कंडोम प्रयोग नहीं करते … सारा पानी चुत में ही छोड़ दिए होंगे, ये पानी में दवा है कि तुम प्रेग्नेन्ट न हो. मेरा मन हल्का लगने लगा, मैंने उससे पूछा- मुझे लगता था कि तू अभी सम्भोग से अछूती है. उसने कहा- दीदी इस काम में तो मैं धुरन्धर हूं, आपको अभी पता ही कहां है.
मैंने उससे कहा- तेरी नथ कौन ले गया. उसने मुझे बताया कि मुहल्ले में चार बैचलर रहते हैं. एक से दोस्ती हुई, कभी कभी वो मेरे साथ छेड़-छाड़ करता था. एक दिन उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया. कमरे में वे चारों थे और चारों ने मिल कर मुझे चोदा और मेरा कौमार्य भंग कर दिया था. पहले तो मुझे खराब लगा था, पर फिर मजा आने लगा था. अब हफ्ते में एक बार चारों एक साथ मेरी चुत की प्यास बुझाते हैं. इसके अलावा कॉलेज में भी मेरे दो बॉयफ्रेंड हैं, जिनके साथ कभी कभी चुत मराती रहती हूँ. इसके अलावा शादी ब्याह में अगर मौका मिल जाए, तो दो चार के साथ मजा ले ही लेती हूँ.
हम दोनों बहनें काफी देर तक बातें करती रही और अपने अनुभव एक दूसरी को बताती रही.
फिर उसने पूछा- दीदी, बाहर में उतना मजा नहीं आता, हमेशा जल्दी लगी रहती है. मैंने कभी आराम से नहीं किया है. मैं उसकी तरफ देखने लगी.
फिर थोड़ी देर रूकी और बोली- कल रात में घर में कोई नहीं रहेगा, आप कहें, तो उन चारों बैचलर को बुला लेती हूं, उनके चार दोस्त और भी हैं. एक रूम में मैं चारों के साथ मजा ले लूंगी और एक रूम में आप उनके चार दोस्तों के साथ मजा ले लेना. क्या बोलती हो? मैंने उसे डपट कर कहा- चुपचाप सो जा, ज्यादा दिमाग मत चला.
वो मायूस होकर सो गई.
वो सुबह उठी, तो वैसे ही मायूस थी. मैंने उसे पास बुलाया और कहा- अच्छा, आठों को बुला लेना, पर चार मैं अपने पसंद से छांटूंगी और बाकी चार में तुझे काम चलाना पड़ेगा.
वो खुशी से झूम उठी और फोन करके चली गई.
शाम को हम दोनों की चटनी बंट गई थी. बहुत से अनुभव मिले. इसके बाद भी कई सारे मौके आए, पर वो फिर कभी लिखूंगी.
देसी लड़की की चुदाई की इस सेक्स कहानी पर आपके मेल का इन्तजार रहेगा. मेरी या मेरी बहन की चुत मांगने की चेष्टा न करें. [email protected]
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