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एक दिन सुबह सुबह रेखा आई और बोली- आगरा में मेरी छोटी बहन मनीषा रहती है. मनीषा की ननद भी आगरा में ही रहती है, उसकी लड़की का रिश्ता हैप्पी के लिये आया है. आप समय निकालिये तो चल कर लड़की देख आयें.
हम लोगों ने दिन समय तय कर लिया और आगरा पहुंच गए. वहां जाकर देखा कि आगरा का ग्रामीण क्षेत्र था, मनीषा का पति फौज में नौकरी करता था लेकिन गांव में आलीशान दोमंजिला मकान था, बारह चौदह कमरे थे, सम्पन्न लोग थे.
अगले दिन मैं, रेखा, हैप्पी, शैली व मनीषा लड़की देखने गये. लड़की का नाम हनी था. हनी के पिता रेलवे में नौकरी करते थे और वो अपने माता पिता की इकलौती सन्तान थी. बाईस साल की उम्र, भरा हुआ गठीला बदन, गेहुंआ रंग. मैं पहली नजर में ही ताड़ गया कि चोदने के लिए मजबूत सामान है, बस जाल बिछाने की जरूरत है.
देखा दिखाई के दौरान ही रेखा ने कहा- चाचा जी बड़े हैं, फाइनल डिसीजन इनको ही करना है. इसके बाद हनी के माता पिता मेरे आगे पीछे डोलने लगे.
चलते समय मैंने हनी की मां से कहा- हम लोग एक हफ्ते का प्रोग्राम बनाकर आये हैं. मनीषा का घर तो हनी की ननिहाल है, इसको एक हफ्ते के लिए वहां भेज दो, बच्चे आपस में घुलमिल जायेंगे तो डिसीजन आसान हो जायेगा.
दूसरे दिन सुबह हनी अपनी मां के साथ आई और शाम को उसकी मां वापस चली गई.
अगले दिन रेखा व बच्चों ने ताजमहल देखने का प्रोग्राम बनाया तो मैंने मना कर दिया और मैंने हनी से भी कहा- बेटा तुम मत जाना, मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं. ऐसा ही हुआ, अगले दिन सब ताजमहल देखने चले गये तो मैं हनी को लेकर अपने कमरे में आ गया.
मैंने उससे कहा- बेटा मैं जो कुछ भी पूछूं, सच सच बताना और बिल्कुल भी शरमाना नहीं. हो सकता है मेरे कुछ सवाल तुमको अटपटे लगें पर अपना दोस्त समझकर जवाब देना, सारी बातें तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी. “ठीक है दादू, आप पूछिये.” “तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?” “नहीं दादू.” “पहले कभी था?” “नहीं दादू.” “तुमने कभी सेक्स इन्ज्वॉय किया है?” हनी ने हैरान होते हुए उत्तर दिया- नहीं दादू.
मैंने कहा- बेटा फिर तो यह शादी मुश्किल है. क्योंकि पिछले साल मेरे एक दोस्त के बेटे की शादी हुई, लड़की गांव की थी और लड़का शहर का. धूमधाम से शादी हुई. सुहागरात के समय लड़का कमरे में गया, पत्नी के कपड़े उतारने लगा. जब अपना पायजामा उतारा तो उसका लण्ड देखकर लड़की चिल्ला पड़ी ‘ये क्या कर रहे हो?’ घर में तमाम मेहमान थे, बात पता चली तो मामला बिगड़ गया और लड़के ने अपने साथ रखने से मना कर दिया और वो लड़की अपने मायके वापस चली गई.
“बेटा, आज के जमाने में लड़कियों को एडवांस होने की जरूरत होती है.” “चलो एक सिम्पल सी बात बताओ?” इतना कहकर मैंने हनी की चूची दबाते हुए पूछा- ये चूचियां क्यों बनाई गई हैं? हनी शांत रही तो मैंने कहा- बेटा मैंने पहले ही कहा था, शरमाना मत. मुझसे जितना खुलकर बात कर लोगी, तुम्हारा रिश्ता उतनी आसानी से हो जायेगा.
मैंने फिर से उसकी चूची पर हाथ फेरते हुए पूछा- बताओ ये चूचियां क्यों बनाई गई हैं? उसने कहा- जब बच्चा होता है तो उसको दूध पिलाने के लिए. इसके सिवाय इन चूचियों का और क्या काम है? “पता नहीं दादू.” “बेटा, इतना सब तो तुम्हें जानना और सीखना पड़ेगा वरना हैप्पी के साथ कैसे गुजारा होगा? तुम एक काम करो, शरमाओ नहीं और अपना कुर्ता ऊपर उठाकर चूचियां बाहर निकालो.”
हनी शरमा रही थी. मैंने कहा- बेटा मुझे अपना दोस्त समझो. इतना कहते कहते मैंने उसका कुर्ता और ब्रा उतारकर उसके कबूतर आजाद कर दिये और कहा- बिल्कुल आराम से बैठो, समझो कि अपने पति के साथ वैवाहिक जीवन का आनन्द ले रही हो. यहां तुम्हें देखने वाला कोई नहीं है.
“अब देखो, इन चूचियों को क्यों बनाया गया है. यह मर्द को आकर्षित करने और लड़की को उत्तेजित करने के काम आती हैं. अब तुम लेट जाओ और देखो इन चूचियों का कमाल.” इतना कहकर मैंने उसको लिटा दिया और बगल में लेट गया. मैंने कहा- तुम जो भी फील करना मुझे बताना, मैं समझ जाऊंगा कि तुम कितना सीख गई हो.
हनी की एक चूची मूंह में लेकर मैंने चूसना शुरू किया और दूसरी को सहलाने लगा. मैंने पूछा- कैसा लग रहा है? “पूरा बदन सिहर उठता है और लिपट जाने को जी करता है.” “बिल्कुल सही उत्तर है तुम्हारा.”
अब मैंने फिर से चूची मुंह में ले ली और उसकी बुर पर हाथ फेरने लगा. काफी देर तक बुर सहलाने के बाद मैंने पूछा- चूचियां चूसने और बुर सहलाने से कुछ हुआ? “हां दादू, मेरी बुर में कुछ कुछ हो रहा था.” “गुड, अब अपनी सलवार और कच्छी उतारो.” इतना कहकर मैंने खुद ही उतार दी और उसकी बुर चाटने लगा, वो कसमसा रही थी.
इसके बाद मैंने अपना कुर्ता उतार दिया और पूछा- मर्दों की छाती में बाल क्यों होते हैं? “पता नही, दादू.” “इधर आओ.” कहकर उसको अपने सीने से लगाया और उसकी चूचियां अपनी छाती से रगड़ने लगा, साथ ही साथ मैंने उसकी बुर में ऊंगली चलाना शुरू कर दिया.
इसके बाद मैं 69 की पोजीशन में आकर उसकी बुर चाटने लगा और उससे कहा कि मेरा लण्ड मुंह में ले ले. हनी मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी बुर चाट रहा था. थोड़़ी देर बाद उसने चूसना बंद कर दिया तो मैंने पूछा- चूसना क्यों छोड़ा? “बस ऐसे ही दादू.” “बेटा चूसना छोड़ने का मतलब होता है कि अब चाहती हो कि मुंह से निकालकर बुर में डाल दो, समझ गई? चलो फिर से मुंह में ले लो.”
हनी फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी बुर चाट रहा था. उसने चूसना बंद कर दिया और बोली- बस और नहीं चूसना.
मैं उठा और उसके चूतड़ उठाकर नीचे एक तकिया रखा और लण्ड का सुपारा उसकी बुर पर फेरने लगा, वो बहुत व्याकुल हो रही थी.
मैंने अपने बैग से तेल की शीशी और कॉण्डोम का पैकेट निकाला व बेड पर आ गया. लण्ड पर तेल लगाकर उसकी बुर में पेला तो अन्दर चला गया, उसको दर्द तो हुआ लेकिन झेल गई. अब मैंने धक्के मारने शुरू किये. पहले धीरे धीरे फिर स्पीड बढ़ा दी. उसकी बुर में वीर्यपात न हो इसलिये मैंने कॉण्डोम चढ़ा लिया और हनी को जमकर चोदा. रेखा लोगों के ताजमहल से लौटने से पहले मैंने हनी को एक बार फिर चोदा और इस बार आसन बदल बदल कर चोदा.
मैंने हनी से कहा- बेटा तुम्हारी ट्रेनिंग पूरी हुई, अब तुम्हारी हैप्पी से शादी में कोई बाधा नहीं है. शादी के बाद भी कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना.
दोपहर का खाना खाने के बाद आराम करने के लिए लेटा हुआ था कि मेरे कमरे में रेखा आ गई. मेरे बेड पर बैठते हुए बोली- चाचा जी, आज सुबह से ही चूत कुलबुला रही है, लण्ड मांग रही है, इसकी कुलबुलाहट शांत कर दो. मैंने कहा- तुम्हारी चूत की कुलबुलाहट तो मैं शांत कर दूंगा लेकिन मैं जब से यहां आया हूँ मेरा लण्ड मनीषा की चूत के लिए मतवाला हुआ जा रहा है. कुछ ऐसा करो कि मनीषा मुझसे चुदवा ले. रेखा ने मेरा लण्ड मुंह में लेकर चूसा और बोली- चाचा जी, कोशिश करती हूँ कि आपकी इच्छा पूरी हो जाये.
इतना कहकर साड़ी पेटीकोट ऊपर उठाकर मेरे लण्ड पर चढ़ गई और अपनी चूत की कुलबुलाहट मिटाने में जुट गई.
रात के 11 बजे थे, बच्चे खा पीकर सो गये तो रेखा ने मनीषा से कहा- हैप्पी और हनी की शादी के लिए चाचा जी राजी होते हुए नहीं दिख रहे, मैंने दो तीन बार बात की है, उनका विचार फिफ्टी फिफ्टी है. मैं चाहती हूँ कि एक बार तुम बात करो, शायद हां हो जाये. तुम एक काम करो, एक गिलास दूध लेकर उनके पास जाओ, जब तक वो दूध पियें तुम शादी की बात छेड़ देना.
मनीषा ने हैरान होते हुए पूछा- इस समय? तो रेखा ने कहा- चाचा जी को खुश करने का यही सही समय है.
इतना सुनकर मनीषा दूध का गिलास लेकर मेरे कमरे में आई. मैं बत्ती बंद करके लेटा हुआ था. मनीषा ने बत्ती जलाई और बोली- चाचा जी दूध लाई थी, सो गये हैं क्या? “नहीं बेटा, सोया नहीं हूँ. ले आ और आ यहां बैठ जा.”
मनीषा पलंग पर मेरे करीब बैठ गई. दूध थोड़ा गर्म था इसलिये धीरे धीरे पीना था. वह बोली- चाचा जी हैप्पी और हनी के बारे में आपने क्या सोचा? “सोचना क्या है बेटा. जोड़ी तो सुन्दर है, घर परिवार भी ठीक है, भगवान इन बच्चों पर कृपा बनाये रखें. मैं तो पिछले दो तीन दिन से एक ही बात सोच सोच कर परेशान हूँ कि भगवान भी कितना निष्ठुर है, जोड़ियां बनाता है लेकिन सबको जीवन का आनन्द नहीं लेने देता.” “अब देखो मेरी पत्नी को मरे लम्बा अरसा हो गया, कुलदीप को मरे भी छह साल हो गये. भगवान तुम्हारे पति की आयु सौ साल करे! लेकिन हकीकत यह है कि तुम भी शारीरिक सुख से तो वंचित ही हो. मैं जब से आया हूँ यही सोच रहा हूँ कि तुम्हारी चूत जब लण्ड मांगती होगी तो तुम क्या करती होगी? मुझे देखो मेरा क्या हाल हो रहा है!”
इतना कहकर मैंने मनीषा का हाथ अपने टनटनाये लण्ड पर रख दिया और अपने होंठ मनीषा के होठों पर. उसने अपने मुंह से मेरा मुंह दूर करने की प्रतीकात्मक कोशिश की लेकिन मेरे लण्ड से अपना हाथ नहीं हटाया और टटोल कर मेरे लण्ड के साइज का अन्दाजा लगाने लगी. मैंने मनीषा को लिटा दिया और उसका गाउन कमर तक उठाकर उसकी बुर अपनी मुठ्ठी में दबोच ली. “चाचा जी, दरवाजा खुला है.”
मैं उचक कर गया और दरवाजा बंद कर आया. अब मैंने उसका गाउन उतारा तो पता लगा कि उसने ब्रा पहनी ही नहीं थी. मनीषा बिल्कुल मनीषा कोइराला लग रही थी. ब्लैक कलर की पैन्टी मेरे लण्ड और मनीषा की बुर के बीच की दीवार थी.
मैंने अपना कुर्ता उतार दिया और लुंगी खोलकर पलंग पर आ गया. पलंग पर आते ही मैं 69 की पोजीशन में आ गया और पैन्टी के ऊपर से ही उसकी बुर सहलाने लगा, मनीषा ने मेरा लण्ड मुंह में ले लिया तो मैंने भी उसकी पैन्टी उतार दी और उसकी बुर पर जीभ फेरने लगा.
एक तरफ मेरा लण्ड बावला हो रहा था तो दूसरी तरफ मनीषा की चूत भी बेहाल हो रही थी.
शायद मनीषा से रहा नहीं गया और वो मेरी टांगों पर चढ़ गई. घुटनों के बल खड़ी होकर उसने अपनी चूत के होंठ खोले और मेरे लण्ड के सुपारे पर बैठ गई.
उसकी चूत इतनी गीली और चिकनी थी कि लण्ड से फिसल गई. मनीषा ने फिर से अपनी चूत के होंठ खोले और अपनी चूत सावधानी पूर्वक मेरे लण्ड पर रख कर दबाव डाला तो लण्ड का सुपारा उसकी चूत में चला गया. मैंने मनीषा की कमर पकड़कर नीचे दबाया तो पूरा लण्ड अन्दर चला गया.
अब मनीषा चूतड़ उचका उचकाकर मजा लेने लगी. उसकी धीमी रफ्तार के कारण मुझे मजा नहीं आ रहा था. इसलिये मैं उठा और अपने बैग से कॉण्डोम निकाल कर चढ़ा लिया और मनीषा को घोड़ी बनाकर पीछे से पेल दिया.
उस रात मैंने मनीषा को दो बार चोदा और वहां से वापस लौटने से पहले दसियों बार.
यह है मेरी रिटायरमेंट के बाद की मस्ती. अभी मेरे लण्ड में बहुत जान है, अभी जीवन में न जाने कितनी रेखा, मनीषा और हनी मिलेंगी. लेकिन इतना तो तय है कि जिसने एक बार मेरा लण्ड ले लिया, दोबारा लेने से कभी मना नहीं किया.
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