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नमस्कार दोस्तो, मैं किंग एक बार फिर से आपके सामने हाज़िर हूँ अपने जीवन की नई प्रस्तुति लेकर। पर सबसे पहले मैं अपने सभी चाहने वालों का तहेदिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ कि अपने मुझे इतना प्यार और स्नेह दिया और मेरी सभी कहानियों को इतना पसंद किया।
तो ज़्यादा समय व्यर्थ न करते हुए उस बात पर आता हूँ जिसके लिए आप मुझे इतना प्यार करते हैं। मेरी पिछली कहानी मेरी मम्मी की जवानी की कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे मेरी बुआ ने मेरी मम्मी को मेरे दो चाचा से यानि भाभी को उनके देवर से चुदवाया. उसके बाद बुआ ने मेरी मम्मी को मुझसे भी चुदवा दिया.
उसके बाद क्या हुआ? यह कहानी पढ़ कर मजा लें.
मेरे कॉलेज खत्म हो गए थे तो मैं क्रिकेट खेलने घर के पास ही एक पार्क में गया था। जब घर आया तो मम्मी सोफे पर बैठ कर सब्जी काट रही थी।
दो बार गलती से और एक बार जोश में हम गलती कर चुके थे पर अब हम एक दूसरे से खुल के नज़र भी नहीं मिला पाते थे। पर वो काली साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही थी। उनके होंठों को छूकर जाती हुई उनकी बालों की लट उन्हें और भी खूबसूरत बना रही थी।
मुझे देख कर उन्होंने एक छोटी सी स्माइल दी और फिर से सब्जी काटने में लग गयी। मैं उनके पास गया और बर्तन मेज़ पर थोड़े आगे खिसका दिए और उनकी गोद में सिर रख कर लेट गया। वो कुछ नहीं बोल पा रही थी और मैं भी बिना कुछ बोले उन्हें सिर्फ देख रहा था। उनके चेहरे और मेरी नज़रों के बीच में आ रहे उनके चूचे ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउज से बाहर निकलने के लिए बेताब है। मेरा एक हाथ उनके गाल को छू रहा था और अंगूठे से उनके होंठों को रगड़ रहा था।
मम्मी- ये गलत है बेटा! जीवन में सबसे गलतियाँ होती हैं। हमसे भी हुई हैं; पर एक गलती बार बार करेंगे तो वो गुनाह हो जाती है। मुझे उनकी बात न सुनाई दे रही थी न समझ आ रही थी।
मैं उठ के बैठ गया और अपने होंठ को उनके चेहरे के पास ले कर पूछा- मैं आपको पापा से ज़्यादा खुशियां नहीं देता क्या? या आप मुझसे प्यार नहीं करती? “मेरा है ही कौन तेरे सिवा … पर हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है। गलती में जो हो गया उसे भूल कर क्या हम एक नई जिंदगी की शुरुआत नहीं कर सकते?”
मेरा हाथ तब तक उनके मोटे मोटे चूचे दबाने लगा था। वो शर्म की वजह से आंख बंद कर के चुप हो गयी पर उनकी आंखों से बहने वाले आंसुओं ने मुझे रोक दिया। मैं अपने कमरे में चला गया और अपनी गलती पर पछतावा करने लगा।
तभी पीछे से मम्मी आ गयी और मुझे सीने से लगा के मुझसे माफी मांगने लगी। मेरा मुँह उनके दोनों चूचों के बीच में था। हमें पता ही नहीं चला कब मेरे हाथ उन्हें दबाने लगे और कब उनकी माफी सिसकारी में बदल गयी।
पर पता नहीं कैसे मैंने खुद को रोक लिया और बाहर चला गया। एक बियर खरीदी और छाया को कॉल की।
छाया- बोलो मेरे सपनों के राजा? आज कैसे याद किया? “मुझे जॉब चाहिये। क्या तुम अपनी कंपनी में मुझे अकाउंटेंट की जॉब दिलवा सकती हो?” “कोई बात हो गयी क्या मनोज? तुम कुछ परेशान लग रहे हो?” “नहीं छाया, बात सिर्फ इतनी है कि जब से कॉलेज खत्म हुए है सेक्स नहीं किया। रोज़ मम्मी को देख के जी करता है कि सेक्स करते हैं पर गलती एक बार होती है। बार बार गलती करेंगे तो गुनाह होता है।” मैंने मम्मी के बोले हुए शब्द छाया को बताए और बोला- जॉब करने लगूंगा तो दिमाग इधर उधर नहीं भागेगा और मन भी शांत रहेगा।
“देखो जॉब तो मिल जाएगी पर सिर्फ 10-12 हज़ार तक की मिलेगी। तुम वो करो न जो तुम्हें आता है। तुम्हारे पास हुनर है बहुत अच्छा पैसा कमा लोगे।” “मैंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की है तो मुझे एकाउंट्स ही आता है।” इस बार मेरी आवाज़ में थोड़ी टेंशन थी। “हम पहली बार कैसे मिले थे?” छाया ने पूछा। “वो फेसबुक पर आई डी बनाई थी उसके ज़रिये!”
“हाँ!” उसने मेरी बात बीच में काटते हुए कहा- तुम आये थे और तुम्हें कुछ नहीं आता था फिर भी तुमने मुझे इतना खुश कर दिया था कि मैं तुम्हारी दीवानी हो गयी थी। अगर तुम प्लेबॉय बन जाओगे तो दुनिया में खुशियाँ भी बांटोगे और पैसा भी बहुत कमा लोगे। “ऐसा कुछ नहीं होता छाया! सब फ्रॉड और झूठ होता है मैंने देखा है मेरे दोस्त पैसे भर देते हैं और उन्हें कोई काम नहीं मिलता।” मैंने अपनी प्रॉब्लम उसके सामने रखी।
“क्योंकि वो नहीं जानते कि जाना कहाँ है। मैं तुम्हें एक रियल कंपनी में लगवा दूंगी जहाँ से मैं सर्विस लेती हूँ और तुमसे मिलने से पहले भी वहां से सर्विस लेती थी. पर मेरी एक शर्त है।” “मुझे हर शर्त मंज़ूर है। बस मुझे ये जॉब दिलवा दो।” छाया- शर्त तो सुन लो। “बोलो?” “मैं जब भी बुलाऊंगी आना पड़ेगा और मुझे शांत करना होगा।” छाया ने अपनी शर्त बताई जो मुझे शर्त कम सौगात ज़्यादा लग रही थी। “थैंक यू छाया, जब भी तुम बोलोगी मैं तुम्हारे सामने मिलूंगा तुम्हें।”
अगले दिन छाया ने मुझे कुछ डिटेल्स ली मेरी और मेरा रेजिस्ट्रेशन करवा दिया। उसके अगले दिन मेरे पास कॉल आयी कि मुझे मीटिंग के लिए चलना है। उन्होंने मुझसे मेरी लोकेशन मांगी और 15 मिनट में मेरी बताई हुई लोकेशन पर पहुँच गए।
मैंने देखा कार में 1 ड्राइवर और 1 हट्टा कट्टा आदमी बैठे हुए थे। उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा और गेट खोल दिया। सच बताऊं तो थोड़ा डर भी लग रहा था पर मैं पैसे और सेक्स के पीछे पागल हो चुका था। मैं चुपचाप बैठ गया।
उन्होंने मीटिंग की लोकेशन पर पहुँच कर मुझे एक बैग दिया और अंदर जाने के लिए बोल दिया। मैं डरता डरता अंदर जा रहा था।
मैंने डरते हुए डोरबेल बजायी तो अंदर से एक 25-26 साल की लड़की ने गेट खोला। वो लड़की फ़ोटो वाली लड़की से बिल्कुल अलग थी। उसने अंदर बुलाया और सोफे पर बैठने के लिए बोला और अंदर से पानी लेने चली गयी। “मैडम अभी आ रही है।” बोल कर वो मुझे पानी देकर चली गयी।
मैं पानी पी ही रहा था की सामने से वो लेडी जिसकी मुझे फ़ोटो दी गयी थी और उसके साथ 1 लड़की और 2 अधेड़ उम्र के आदमी सामने वाले कमरे से आ रहे थे। सच बताऊं तो बहुत डर लग रहा था। मैंने सुना था कि मारते है और पैसे मोबाइल छीन लेते है पर छाया पर भरोसा भी था।
“हैलो किंग, कैसे हो?” उनमें से एक आदमी बोला। “मैं ठीक हूँ सर, आप कैसे हो?”
बस इतनी बात के बाद मेरा मेडिकल किया गया और वो लेडी अंदर चली गयी। एक घंटे के बाद मुझे उस लेडी के पास भेजा गया और वो लोग चले गए। अब घर में सिर्फ मैं और वो लेडी अकेले थे।
जब मैं अंदर पहुँचा तो उसने नीले रंग का जालीदार गाउन की तरह कुछ पहन रखा था। और फ़ोटो से बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।
“तो किंग नाम है आपका?” उसकी तरफ से बात शुरू हुई। “जी…जी हाँ” मैंने थोड़ा डरते हुए जवाब दिया।
“चलो शुरू करते है।” कहकर उसने अपना गाउन खोल दिया और बेड पर उल्टी लेट गयी।
सच बताऊ तो वो लगभग 40-42 साल की महिला होगी पर उसकी खूबसूरती बिना कपड़ों के बहुत कमाल की थी। इसका शरीर दूध की तरह सफेद और हीरे की तरह चमकदार था। उसे मोटी कहना गलत होगा क्योंकि उसने खुद के शरीर की बहुत अच्छे से देखभाल कर रखी थी। उसके चूचे बहुत आकर्षक थे। सही साइज तो नहीं बता सकता पर एक हाथ में तो उसका आधा चूचा भी नहीं समा सकता था। उसके अंगों पर एक भी बाल नहीं था और त्वचा इतनी कोमल थी कि लगता था कि जहाँ भी उसे छू लूंगा वहाँ से हाथ फिसल जाएगा।
फिर मैंने उसकी खूवसूरती से ध्यान हटाकर अपने काम और पैसों की तरफ सोचते हुए हाथ में थोड़ी सी क्रीम ली और उसकी गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से पर हल्के हाथ से सहलाते हुए मालिश करने लगा।
“कहाँ से हो तुम?” अचानक उसके मुंह से निकले इन शब्दों ने मेरा सम्मोहन तोड़ा। “दिल्ली से ही हूँ।” बोलते हुए मैं अपना हाथ उसके मखमली जिस्म पर नीचे की तरफ ले जाकर उसके कूल्हों की गोलाइयों का नाप लेने लगा।
मैंने अभी तक जिसके भी साथ किया था वो सब उसकी खूबसूरती के आगे मुझे फीकी लगने लगी थी। अब मैं उसके कूल्हों को धीरे धीरे मसलते हुए उसकी चूत को छूने की कोशिश कर रहा था. इतने में वो सीधी होकर लेट गयी जिससे उसके चूचे मेरी तरफ हो गए जिन्होंने उसकी खूबसूरती में 4 चांद लगा रखे थे। मेरा लंड आपे से बाहर था और पैन्ट फाड़ने को बेताब था।
“क्या मैं अपने कपड़े उतार सकता हूँ।” मैंने अकस्मात ही पूछ लिया। “हाँ हाँ.. क्यों नहीं?”
उसके उस छोटे से जवाब से मेरे दिल में खुशियों की लहर सी दौड़ गयी। मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा होकर उसके पैरों के ऊपर बिना वजन रखे बैठ गया और उसकी खूबसूरत चूत और चिकनी नाभि को धीरे धीरे अपनी उंगलियों से सहलाने लगा।
उसकी आँखें अभी भी बंद थी पर उसने दांतों से होंठों को दबाते हुए जो मुस्कुराहट दी. वो उसे और आकर्षक बना रही थी और मुझे उसका दीवाना बना रही थी। मैं होश खोने लगा था। मैंने बिना एक पल गंवाए अपने होंठ उसकी चूत के होंठ से मिला दिए।
उसके मुँह से एक प्यारी सी आह निकली, उसके पेट पर हल्की सी थिरकन हुई और शरीर में कंपकपाहट। उसका एक हाथ मेरे सिर पर था जो चाहता था कि मेरी जीभ उसकी चूत में अंदर तक समा जाये। उसके दोनों पैर मेरे कंधों से होते हुए मेरी पीठ पर थे। उसकी मोटी चिकनी जाँघों के बीच मेरे मुंह में उसकी चूत का रस और खुशबू मुझे उसमें खो जाने को मजबूर कर रहा था।
हल्की सी आंख उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखने के लिए मुँह उठाया तो उसके हाथ ने फिर दबाव बना कर मुझे उसकी चूत की गहराई में डूबा दिया। मैं उसके मोटे चूचों की वजह उसका चेहरा नहीं देख पाया था पर उसकी सिसकारी उसकी मदहोशी को बयां कर रही थी।
उसकी कांपती हुई कमर जो उसने उचका रखी थी और एक हाथ से मसलते हुए उसके निप्पल किसी को भी दीवाना बनाने के लिए बहुत थे। मैं उसके दाने को चाट रहा था, चूस रहा था और मन कर रहा था खा ही लूं इतनी खूबसूरत हुस्न की बला को। मैं अपनी सीधे हाथ की बीच वाली उंगली उसकी चूत में घुसाते हुए जीभ से उसके दाने को छेड़ने लगा।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह…” की नशीली सी आवाज़ के साथ उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों के पिंजरे में कैद कर लिया। मेरा लन्ड उसकी चूत से निकलने वाले हल्के से रस को महसूस कर रहा था। उसकी गर्म सांसें, मेरी छाती से चिपके हुए उसके चूचे और मेरे लन्ड को चूम कर गिरता हुआ उसका रस मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था।
“थैंक यू.” धीरे से बोल कर मेरे होंठों पर छोटा सा किस कर के एक हाथ मेरे बाल पर फेरने लगी और दूसरे हाथ से मेरे लन्ड का नाप लेते हुए बोली- यू आर गुड।( तुम अच्छे हो)
पर उसे कौन समझाए कि तुम्हें देख के लन्ड फटने को तैयार है और तुम तो एक बार पानी भी निकाल चुकी हो और यहाँ कुछ कर भी नहीं पाया। मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा और दोबारा अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए।
अपने एक हाथ से लन्ड को उसकी चूत पर लगाया और एक हाथ उसका बालों में फेरते हुए तेज़ झटका मारा। उसकी चूत ने अभी रस छोड़ा था तो पूरी चिकनी थी और वो अभी इस झटके के लिए तैयार भी नहीं थी। पूरा लन्ड एक बार में अंदर घुस गया।
“गू … गुप … ऊ …” की दबी आवाज़ से उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा दिया और नाखून से मेरी पीठ में निशान बना दिये। मुझे भी उम्मीद नहीं थी कि पूरा घुस जाएगा एक साथ। उसकी चूत 2 से 3 इंच तक तो थोड़ी फैली हुई थी पर पूरा लन्ड जाने पर वो कुंवारी लड़की जैसी बिल्कुल टाइट थी।
मैंने उसके दर्द को समझते हुए तुरंत पूरा लन्ड ही निकाल लिया और थोड़ा पीछे हो गया। उसने झटके से एक हल्की सांस ली और हथेली से अपनी चूत दबाते हुए दोनों पैर जोड़ कर करवट ले ली। “सॉरी!” मैंने पीछे से उसे गले लगाते हुए उसके गाल पर किस करते हुए बोला। मेरा लन्ड उसकी गांड को छू रहा था पर मुझे ज़्यादा अच्छा उसके गाल पर किस करना लग रहा था।
“प्लीज अब झटके से पीछे मत घुसाने लगना। मैंने पीछे कभी नहीं करवाया है।” बोलते हुए उसने वो ही मनमोहक मुस्कान दी जो बहुत देर से मुझे उसका दीवाना बना रही थी। “आगे तो घुसा दूँ न?” मेरी बात में सवाल से ज़्यादा शरारत थी जो उसके निप्पल पर घूमती हुई मेरी उंगलियां उसे बता रही थी। “ह्म्म्म!” उसने सिर हिला कर इशारा करते हुए अपने पैर खोल कर अपनी हथेली को अपनी चूत से हटा दिया और मैंने पीछे से ही खुद को थोड़ा नीचे करते हुए अपना लन्ड घुसा दिया और उसके बाल खीचते हुए उसकी नंगी गर्दन और कंधों को चूमने हुए उसके चूचे दबाने लगा।
उसने कमर आगे करते हुए अपनी गांड को पीछे किया जो मेरे लिए इशारा था कि अब उसे दर्द नहीं हो रहा है। मैंने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी जिससे उसके चूचे जोर से हिल रहे थे। उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थी पर मेरा ध्यान उसके चूचो पर था। मैंने लन्ड घुसाए रखा और उससे डॉगी स्टाइल के लिए कमर उचकाने के लिए कहा जिसके लिए वो भी तुरंत राजी हो गयी।
मैंने उसके ऊपर चढ़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी और सामने बेड पर लगे शीशे में उसके मोटे चूचो को हिलते हुए देखने लगा कि मेरा पानी निकलने का समय का गया और मैंने अपना लन्ड अचानक निकाल लिया।
“मैम, मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ कहाँ पर गिराऊं?” अभी अंदर ही डाल दो, मेरा भी होने वाला है। जो होगा बाद में देखेंगे!” बोलते हुए उसने फिर से मेरा अंदर ले लिया और 2-3 धक्कों के बाद में उसके अंदर ही सामने लगा। “निकालना मत … मैं भी बस होने ही वाली हूँ। आह … आ…ह!” की आवाज़ के साथ उसकी भी धार मेरे लन्ड को भिगोने लगी।
हम दोनों निढाल से हो गए और मैं उसकी नंगी पीठ पर लेट गया। मेरी पसीने से भीगी छाती उसकी पीठ से चिपकी हुई थी और मेरे होंठ उसके गाल पर चिपकी हुई थी पर हम दोनों बहुत खुश थे।
उसके बाद हमने एक बार और किया और फिर गाड़ी वाले को फ़ोन किया तो वो 10 मिनट में आ गया। मैंने गाड़ी वाले की शर्म न करते हुए एक बार और उसे गले से लगाया और तेज़ से होंठों को चूस कर किस किया जिसमें उसने भी मेरा साथ दिया।
मैं घर तो जा रहा था पर दिमाग उसमें ही बस गया था। चेहरे पर न जाने क्यों मुस्कान अपने आप आ रही थी।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली मीटिंग की बिल्कुल सच्ची घटना। आपको पसंद आयी या नहीं तो मेल पर ज़रूर बताना जिससे मैं अगली घटनाओं के बारे में भी आपको बता सकूँ। धन्यवाद दोस्तो! किंग मनोज कुमार [email protected]
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