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दोस्तो, जैसा मैंने आपको अपनी चुदाई की कहानी के पहले भाग में बताया कि पूजा गार्डन में रविंद्र के साथ चुदाई करा कर वे वापस अपने होटल में आ गई. मैंने रिसेप्शन पर यह मैसेज छोड़ा कि मुझे मिलने के लिए ऑफिस से दो लड़के आने वाले हैं, उनका आईडी प्रूफ देखकर मेरे कमरे में भेज दिया जाए।
अब मैं कमरे में आ गयी और जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गई। नहा कर मैंने अपना ऑफ व्हाइट ब्लाउज और ब्रा दोबारा पहन ली लेकिन स्कर्ट मैंने इस बार अपना बदल दिया। मेरा नया स्कर्ट बहुत ही छोटा था जो मुश्किल से मेरे नितंब तक की लंबाई का था। स्कर्ट के नीचे मैंने इस बार एक थांग पहन ली जो फ्लोरोसेंट कलर की थी।
इंतजार का एक एक मिनट मुझे युग के बराबर लग रहा था।
लगभग डेढ़ घंटे बाद मुझे रिसेप्शन से फोन आया कि अभिजीत और विजय मुझसे मिलना चाहते हैं। मैंने अपनी आवाज पर नियंत्रण रखते हुए बोला- इन दोनों लड़कों के आईडी प्रूफ चेक करने के उपरांत उन्हें मेरे कमरे में भेज दीजिए।
अपने लैपटॉप पर मैंने एक पेज खोल रखा था जिससे ऐसा लगे जैसे मैंने वाकयी इन लड़कों को ऑफिस वर्क से ही बुलाया है।
लगभग दो मिनट बाद ही मेरे रूम की डोर बेल बजी। मैंने तुरंत दरवाजा खोला तो पाया कि विजय और अभिजीत के साथ होटल का एक अटेंडेंट भी था जो कि शायद इन लड़कों को मेरे कमरे तक पहुंचाने के लिए भेजा गया था। “गुड मॉर्निंग डॉली मैम।” दोनों लड़कों ने एक साथ बोला- मैं अभिजीत हूं और यह विजय। अभिजीत परिचय कराते हुए बोला।
“गुड मॉर्निंग!” मैंने मुस्कुराहट के साथ दोनों को बोला और वेटर को जल्दी से कॉफी भेजने के लिए बोला। “यार वेटर को कॉफी लाने के लिए क्यों बोल दिया? बिना वजह समय की बर्बादी होगी।” मेरे दरवाजा बंद करते ही अभिजीत ने झुंझलाहट के साथ कहा।
“रिलैक्स अभिजीत।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा- देखो. उस अटेंडेंट में भी मुझे इतने छोटे कपड़ों में देख लिया है। जब तक वह कॉफी लेकर आता है तब तक तुम में से एक नहा के अपने लंड को शेव कर लेगा। उसके बाद कॉफी पी कर दूसरा भी नहा कर रेडी हो जाएगा। इस तरह होटल वालों को यह शक भी नहीं होगा कि तुम लोग मेरी चुदाई के लिए आए हो और हमारा काम भी हो जाएगा।
दोनों लड़कों का मेरा आइडिया पसंद आया और विजय तुरंत नहाने चला गया।
वेटर बहुत जल्दी तीन कॉफी रख कर चला गया और उसने पूछा- और कुछ चाहिए मैडम? “फिलहाल कुछ नहीं चाहिए। बस दस मिनट बाद खाली कप वापस ले जाना।” मैंने वेटर को बोला।
अभिजीत और मैंने कॉफी खत्म की विजय भी नहा कर काफ़ी पीने लगा। कॉफी पीकर अभिजीत नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद वेटर भी खाली कप लेकर चला गया।
अब मैंने दरवाजे पर “Don’t disturb” का टैग लगा कर दरवाजा बंद किया और विजय की तरफ देखकर मुस्कुराई। विजय भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।
जैसे ही अभिजीत नहा कर आया मैंने विजय और अभिजीत से उनके मोबाइल मांग लिए और मोबाइल को स्विच ऑफ कर कबर्ड में लॉक कर दिया। अब कमरे में कोई भी अवरोध नहीं था।
मैंने लैपटॉप का वॉल्यूम कम करके उस पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें एक लड़की की चुदाई दो लड़के कर रहे थे। मैंने दोनों लड़कों से मुस्कुरा कर बोला- यह मेरा पहला मौका है जबकि मैं दो लड़कों से एक साथ चुदवाने जा रही हूं! उन दोनों ने भी मुझसे बोला कि मिलकर किसी लड़की को चोदने का यह उनका भी पहला मौका है।
मैं बिस्तर पर विजय और अभिजीत के बीच में बैठ गई और हम तीनों लैपटॉप पर चल रही ब्लू फिल्म को ध्यान से देखने लगे। मैंने चुदाई के लिए पहल करते हुए अभिजीत और विजय के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया।
विजय ब्लाउज के ऊपर ही से मेरे स्तनों को सहलाने लगा। बहुत जल्दी ही मैंने अभिजीत और विजय के लंड में तनाव महसूस करना शुरू किया और मैंने उनके पेंट में हाथ डालकर दोनों के लंड पकड़ लिये और सहलाना शुरू किया। अभिजीत ने मेरी स्कर्ट ऊपर कर के देखा।
खूबसूरत थांग मैं कैद मेरी चिकनी चूत को देखते ही उसकी आंखें चमकने लगी। उसने तुरंत मेरे अधरों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मैं हल्के सीत्कार भरते हुए अभिजीत के चुंबन का जवाब दे रही थी।
मुझ पर एक हल्का सा नशा छाये जा रहा था और मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने अपनी आंखें इस कामक्रीड़ा में बंद कर रखी थी। मुझे कुछ भी नहीं पता चल रहा था। बस बहुत मजा मेरे शरीर, दिमाग और चूत को मिल रहा था।
जब मैंने आंखें खोली तो देखा मेरे शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था। मालूम नहीं कब अभिजीत और विजय ने मुझे नंगी कर दिया था। विजय और अभिजीत भी पूरी तरह नंगे हो चुके थे।
मुझे आंखें खोलता देख कर अभिजीत ने मुझे आंख मारी और अपने लंड को सहलाते हुए पूछा- लंड चूसेगी? मैंने भी आंखों से हां का इशारा किया।
अब मैं अपने घुटनों के बल बैठ गई और अभिजीत तुरंत अपना लंड मेरे मुंह के बिल्कुल करीब ले आया। उसके लंड का मोटा सुपारा बहुत चमक रहा था। मैंने निसंकोच उसके सुपारे को मुँह में भर लिया और बिल्कुल ब्लू फिल्म की लड़की की तरह अभिजीत के लंड को चूसने लगी।
मेरे होंठों के मादक स्पर्श से अभिजीत का लंड मेरे मुंह में और भी ज्यादा मोटा हो गया। उसने मुझे बालों से पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगा।
विजय मेरी चूत को उंगली डालकर चोदने लगा। मेरी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। विजय मेरी चूत से अपनी गीली उंगलियां निकालकर मेरी गांड में डाल कर मेरे छेद को फैलाने लगा। वो बोला- मैडम तुम्हारी गांड मारने में मुझे बहुत मजा आएगा। मैं मुस्कुरा कर बोली- मुझे गांड और चूत दोनों एक साथ मरवानी हैं।
विजय- मैडम, एक बार हमारा भी लंड चूस दो, फिर देखो तुम्हारी गांड कैसे फाड़ता है मेरा लंड। मैंने अभिजीत के लंड को सहलाते हुए विजय का लंड भी चूसना शुरू किया। बहुत जल्दी चूसे जाने के कारण लोहे के रॉड जैसे सख्त हो गए।
विजय ने अब अपने लंड पर कंडोम लगाया और ढेर सारा तेल भी। अब वह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मुझसे बोला- मैडम, मेरा लंड तुम्हारी गांड में घुसने के लिए बेताब हो रहा है। आओ और अपनी गांड को मेरे लंड का स्वाद चखने का मौका दो।
यह सुनकर मैं विजय की तरफ अपनी पीठ कर के बैठी। मैंने अपने हाथों से उसके लंड को अपनी गांड के छेद पर रखा और मैं धीरे धीरे लंड पर बैठने लगी। विजय के मोटे सुपारे का स्पर्श मेरे अंदर नई उत्तेजना भर रहा था। “उईईई …उम्म्ह… अहह… हय… याह… ” विजय के मोटे सुपारे के मेरी गांड में अंदर घुसने पर मेरे मुंह से सीत्कार निकला।
“क्या हुआ मैडम? क्या गांड में दर्द हो रहा है?” विजय ने नीचे से धक्का लगाते हुए पूछा। मैंने अपनी गर्दन इंकार में हिलाई और बोला- नहीं रे … मुझे मजा आ रहा है।
यह सुनकर विजय ने मुझे कमर से पकड़ लिया और नीचे से धक्के मार कर अपने लंड को पूरी ताकत से मेरी गांड में घुसाने लगा। “आहहह … मजा आ गया.” आनंदातिरेक से मेरे मुंह से निकला।
जैसे जैसे विजय का लंड मेरी गांड में घुसता जा रहा था, मेरी चूत आगे से खुलती जा रही थी। मैं सीत्कार भरते हुए अपनी चूत को सहला रही थी।
मेरे सीत्कार से उत्तेजित होकर अभिजीत ने अपना लंड पुनः मेरे मुंह में डाल दिया और मेरी खुली चूत में दो उंगली डालकर चूत में उंगली से चोदने लगा। बहुत जल्दी अभिजीत का लंड पुनः सख्त हो गया। अभिजीत ने मुझसे बोला- बेबी, तुम्हारी चूत तो मानो मुस्कुरा रही है। मैंने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया- बेबी की चूत तो सख्त सुपारा देखते ही मुस्कुरा कर लंड को चुदाई का निमंत्रण देने लगती है।
अभिजीत ने अब लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरी खुली चूत में अपना लंड एक झटके के साथ पेल दिया। “उईईई … मां…” मैंने जो़रों से सीत्कार भरा।
अब आगे से अभिजीत और नीचे से विजय ने मेरी चूत और गांड को चोदना शुरू कर दिया। मेरी स्थिति इस समय कुछ इस तरह थी।
अब तो मेरी कामोत्तेजना बहुत बढ़ गई और मैं पूरी तरह बेशर्म हो कर दो लंड से चुदाई का मजा लेने लगी।
अभिजीत बोला- तेरी चूत तो बहुत ही टंच माल है। तो नीचे से विजय बोला- साली की गांड भी बहुत मजेदार है। मैं सीत्कार भरते हुए बोली- और जोर से चोदो ना मुझे। मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दो।
“देख रंडी को कितना मजा आ रहा है दो लंड से चुदने में!” अभिजीत बोला।
दो लंड से चुदाई का मजा वही लड़की जान सकती है जिसने कभी इस तरह की चुदाई का स्वाद चखा हो। मैं तो लगातार झड़ना शुरू हो गई इस चुदाई में। मुझे हर धक्के के साथ अभिजीत का लंड अपनी बच्चेदानी से टकराता हुआ महसूस हो रहा था। अब दोनों के लंड मेरी चूत और गांड में आसानी से अंदर बाहर हो रहे थे।
अभिजीत ने मेरे दोनों स्तन हाथों में पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा। मेरे दोनों निप्पल को भी अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में लेकर मसलना जारी रखा। मैं दर्द और आनन्द के मारे चिहुंक पड़ी। मैंने भी अपनी चूत और गांड को तेजी से आगे पीछे करना शुरू किया जिससे दोनों लंड पूरे पूरे मेरे अंदर तक घुस सकें।
लगभग 10 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद दोनों झड़ गए और मैं भी इस बीच एक बार झड़ चुकी थी।
अभिजीत और विजय के लंड मेरी चूत और गांड से बाहर निकलने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गई। दोनो वॉशरूम जाकर लंड साफ करके आए। अब हम तीनों रजाई में लेट कर बातें करने लगे। विजय खुश होकर मेरी गांड की बहुत तारीफ़ कर रहा था, मैं खुश हो कर सब सुन रही थी। अब अभिजीत ने भी मेरी चूत की तारीफ़ की।
इस पर मैंने प्रस्ताव दिया कि क्यों न अगली चुदाई में विजय मेरी चूत मार ले और अभिजीत का लंड मेरी गांड का स्वाद चखे। दोनों इस प्रस्ताव से संतुष्ट नजर आए।
कुछ देख और बातचीत करने के पश्चात मैंने दोनों के समक्ष फिर एक चुदाई का राउंड करने का प्रस्ताव रखा। इस पर दोनों एक स्वर से बोले- हमारा लंड खड़ा कर दो. फिर चुदाई जरूर करेंगे।
मैंने बिना विलंब किए दोनों के लंड बारी-बारी से चूसना शुरू किया कुछ ही देर में दोनों के लंड फिर से फनफनाने लगे। दोनों के सख्त लंड देखकर मेरी आंखों में भी चमक आ गई। धक्का देकर मैंने विजय को बिस्तर पर गिरा दिया और खुद उसकी तरफ मुंह करके उस पर सवार हो गई। मैंने हंसकर लंड को पकड़ कर उस पर कंडोम चढ़ा कर अपनी चूत के छेद पर रखा और खुद को नीचे दबाना शुरू किया। बहुत आसानी से विजय का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस गया।
अब मैंने आगे की तरफ झुककर अपना दाहिना स्तन विजय के मुंह में दे दिया और अपनी चूत को ऊपर नीचे करते चुदाई का आनंद लेने लगी। मैंने अभिजीत को भी मेरी गांड की तरफ से मोर्चा संभालने को बोला। अभिजीत भी कंडोम चढ़ा कर मेरी गांड मारने के लिए तैयार था.
क्योंकि मेरी गांड की एक बार चुदाई हो चुकी थी तो मैंने अभिजीत को दोबारा तेल लगाने से मना किया मेरी बात मान कर अभिजीत बिना तेल लगाये मेरी गांड में लंड पेलने लगा। बिना तेल के पहले तक थोड़ा दर्द और अवरोध जरूर हुआ लेकिन थोड़ी देर में अभिजीत अपना लंड मेरी गांड में सेट करने में सफल हो गया और दोनों ने पूरे जोश के साथ मेरी चूत और गांड की चुदाई शुरू कर दी। कुछ इस तरह से मेरी स्थिति बन चुकी थी चुदाई की।
हम तीनों चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे और मैं तो कुछ ज्यादा ही आनंदित थी अपनी इस चुदाई से। पहले वाली चुदाई और इस चुदाई में सिर्फ एक ही अंतर था। पिछली बार मेरी चूत में ज्यादा जोर से धक्के पड़ रहे थे और इस बार मेरी गांड में धक्के बड़े जोर जोर से पड़ रहे थे क्योंकि नीचे लेटा हुआ आदमी थ्रीसम सेक्स में बहुत ज्यादा जोर नहीं लगा पाता जबकि ऊपर वाला व्यक्ति जोर शोर से लंड पेल सकता है।
अभिजीत भी मेरी गांड की बहुत तारीफ कर रहा था और पूरी ताकत से अपने लंड को मेरी गांड में पेले जा रहा था। मैं भी अपने आप को आगे पीछे कर रही थी। जब मैं आगे की तरफ धक्का लगाती तो विजय का लंड पूरा मेरी चूत में घुस जाता था, और जब पीछे की तरफ धक्का लगाती तो अभिजीत का पूरा लंड मेरी गांड में घुस जाता था।
अब तो पूरे कमरे में हम तीनों के सीत्कार गूंज रहे थे और मेरी चूत और गांड में लंड के घुसने और बाहर होने पर फच फच की मधुर आवाज भी। धक्के इतने जोरदार थे कि हमारा बिस्तर भी चरमरा कर आगे पीछे हिल रहा था।
थोड़ी देर में अभिजीत ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और कंडोम निकाल कर फर्श पर फेंक दिया तथा अब वो मेरी गांड बिना कंडोम चढ़ाए मारने लगा। कंडोम के बिना उसका लंड और भी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था और मैं तो मानो आनंद के सातवें आसमान पर थी।
इस बार की पलंग तोड़ चुदाई बहुत अधिक देर तक चली और मैं भी इस बीच तीन बार झड़ गई।
जब विजय और अभिजीत भी मेरे अंदर झड़ने लगे तब दोनों ने मुझे सैंडविच बना कर मजबूती से पकड़ लिया। कुछ देर बाद हम तीनों अलग हुए।
जब अभिजीत का लंड मेरी गांड से बाहर निकला तो उसका वीर्य भी गांड छिद्र से बाहर निकलने लगा। मैंने वॉशरूम जाकर खुद को साफ किया। बाद में अभिजीत और विजय भी खुद को साफ कर के आए।
दोनों इस चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थे। मेरी चूत और गांड की ज्वाला भी अभी शांत हो गई थी। दोनों ने अपने कपड़े पहने और मुझे बहुत बहुत धन्यवाद दिया. स्पेशल चुदाई के लिए मैंने भी दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया किया और बोली- यह चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी। मैंने दोनों को मोबाइल और बैटरी वापस कर दी और दोनों मुझे चूम कर वापस चले गए।
इतनी बढ़िया चुदाई के बाद मुझे भी नींद आ रही थी इसलिए मैं बिना कपड़े पहने ही सो गई।
लेकिन दोस्तो, मेरी किस्मत में कुछ और भी मजे इसके बाद लिखे थे। वह सब आप मेरी कहानी के अगले भाग में पढ़ सकते हैं। कृपया अपने कमेंट मुझे [email protected] पर लिखें। आपके कमेंट का इंतजार रहेगा।
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