This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो, आपकी मुस्कान पेश है अपनी चुदाई कहानी सफर में मिला नया लंड-1 का अगला भाग लेकर। उम्मीद करती हूँ कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी।
इस कहानी में मैंने कोई छेड़छाड़ नहीं की है; कहानी बिल्कुल सत्य घटना पर ही है।
मैंने और हेमन्त ने होटल में एक रूम ले लिया और रूम में चले गये।
मैंने अपने बैग से अपना एक गाउन लिया और बाथरूम चली गयी. वहां मैंने अपनी साड़ी उतार कर अपने आप को वहाँ लगे शीशे में देखा। शीशे में अपने आप को देख मुझे हंसी आ रही थी कि ये जिस्म भी क्या चीज है; क्या क्या करवा देता है। किसी अजनबी के साथ भी ऐसा कुछ करुँगी; ये तो मैंने कभी सोचा तक नहीं था। मगर मेरे अन्दर भी एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी।
मैंने गाउन पहना और कमरे में गई, हेमन्त ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे। मुझे देख इन्होंने मेरे पास आकर मुझे झट से अपनी बांहों में भर लिया और मेरे गालों को उगली से सहलाते हुए पूछा- मुझसे डर नहीं लगता क्या तुम्हें? “नहीं, मुझे इंसानों की पहचान जल्दी हो जाती है कि कौन कैसा है।”
उन्होंने पूछा- क्या पहले हम कुछ खा लें? और उन्होंने वेटर को बुला कर खाना खाने का ऑडर दिया। कुछ ही देर में खाना आ गया और हम दोनों ने खाना खाया।
उस वक्त रात के 10 बज चुके थे। मैं बाथरूम गई हाथ साफ़ किये और आ गई।
जैसे ही कमरे में आई हेमन्त ने मुझे बांहों में भर लिया- जानेमन, अब तुमको देखकर बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ट्रेन में जो कुछ शुरू किया अब उसे खत्म करना है। उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे घुटनों तक ले गए और गाउन को पकड़ कर एक झटके में उतार फेंका।
मैं ब्रा और चड्डी में आधी नंगी उनके सामने थी; मेरे बड़े बड़े दूध तन कर उनके सामने थे। उन्होंने झट से मेरी ब्रा भी उतार दी।
मेरे नंगे दूध को देख वो तो जैसे पागल हो गए और मुझ पर टूट पड़े। मैं भी उनका साथ देने लगी. कुछ ही पल में हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे और एक दूसरे को जोरदार आलिंगन कर रहे थे। मेरा गदराया हुआ गोरा बदन उनको बहुत ही पसंद आया था।
उनका लंड भी बिल्कुल सुखविन्दर जैसा ही मोटा लम्बा था।
हम दोनों खड़े खड़े ही एक दूसरे को चूम रहे थे। उनका जिस्म भी बहु तमजबूत था मुझे अपनी बांहों में लपेट कर कभी मेरे गालों को चूमते तो कभी मेरे होंठों को। कभी मेरी गांड दबाते, कभी चूत को सहलाते।
हम दोनों ही एक दूसरे का साथ दे रहे थे। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि हम दोनों अजनबी हैं। मुझसे तो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
तभी उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया … पलंग पे पटक दिया और मुझ पर टूट पड़े। हम दोनों ही एक दूसरे से चिपक गए और आलिंगन करते हुए एक दूसरे को चूम रहे थे।
उन्होंने मेरी कमर पर एक तकिया रखा जिससे मेरी चूत ऊपर उठ गई और वो मेरे दोनों पैरों को फैला कर मेरी चूत में अपनी जीभ लगा दी और बिल्कुल माहिर खिलाड़ी की तरह मेरी चूत चाटने लगे। मैं भी अपनी आँखें बंद करके उस पल का पूरा मजा ले रही थी; आआअह्ह … उईई ईईईई … ओओओह्ह ह्ह … आआअह!’ करते हुए चूत में जीभ का मजा लेती जा रही थी।
कुछ समय तक चूत चाटने के बाद वे उठ कर मेरे ऊपर आ गए और एक हाथ से अपने लंड को चूत में लगा कर हल्का सा धक्का दिया. मगर लंड फिसल कर मेरे पेट की तरफ चला गया। उन्होंने दोबारा से कोशिश की और इस बार लंड सही निशाने पर लगा और आधा लंड मेरी गर्म चूत में उतर गया। ‘ऊऊऊफ फ्फ्फ आआआअह …’ करते हुए मैंने उनको अपनी बांहों में कस लिया।
उन्होंने भी मेरी पीठ को दोनों हाथों से जकड़ते हुये मुझे अपने सीने से चिपका लिया और दूसरे धक्के में पूरा लंड चूत में पेल दिया।
उसके बाद वो रुके ही नहीं और मेरी जोरदार चुदाई शुरू कर दी। उनकी चुदाई से पूरा पलंग बुरी तरह हिल रहा था, उनका हर वार इतना तेज़ आवाज कर रहा था कि जैसे किसी लोहे को पीट रहा हो। सच में दोस्तो … ताकत बहुत थी उनके अन्दर।
10 मिनट की चुदाई के बाद मैं तो झड़ गई मगर वो नहीं रुके। मेरी पूरी चूत पानी से लबलबा गई थी और बहुत ही गन्दी आवाज निकल रही थी- फच फच फच।
जैसे ही मुझे लगा कि उनका निकलने वाला है, तभी वो रुक गए और मेरे होंठों को चूमने लगे. बार बार वो ऐसा ही कर रहे थे। वो मेरे साथ खेल खेल रहे थे। मैंने उनको कहा- ये क्या कर रहे हैं? आप जल्दी करो … अब दर्द हो रहा है। “नहीं जान … मन नहीं कर रहा तुमको छोड़ने का! करने दो आज मुझे जी भर के! तुम जैसी औरत मुझे रोज रोज कहाँ मिलने वाली है।” ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला।
मैं तुरंत अपने घुटनों के बल हो गई और वो मेरे पीछे हो कर लंड को चूत में डाल कर मेरी कमर को कस लिया और दनादन चुदाई शुरू कर दी। मेरे बड़े बड़े चूतड़ों पर उनका हर धक्का जोरदार तरीके से लग रहा था।
कुछ देर में ही उन्होंने मुझे वैसे ही पेट के बल लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर चुदाई करने लगे। वे मेरी पीठ पर अपने दांतों से हल्के हल्के काट भी रहे थे।
तभी अचानक से मेरा फोन बजने लगा। उसी हालत में मैंने फोन उठाया और देखा तो मेरे पति का फ़ोन आ रहा था। मैंने इशारे से उनको शान्त रहने के लिए कहा।
उन्होंने चुदाई रोक दी मगर मेरे ऊपर ही लेटे रहे और लंड भी चूत में ही था। मैंने फोन उठाया- हेलो! पति- क्या कर रही हो? “कुछ नहीं … सो रही थी।” पति- कल ट्रेन कितने बजे की है? “11 बजे की!
पति- तुम्हारी सहेली कहाँ है? “सो रही है!” पति- ठीक है, तुम भी सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है। “हां ठीक है!” “गुड नाईट।” और फोन कट गया।
मेरे बेचारे पति को क्या पता था कि उनकी बीवी नंगी चुद रही है और एक पराया मर्द उसकी चूत में अपना लंड डाल के सोया हुआ है।
फिर उसके बाद मेरी फिर से चुदाई शुरू हो गई; मेरे चूतड़ पर जोरदार धक्के लगना शुरु हो गए। उन्होंने हाथ डाल कर मेरे दोनों दूध को कस के पकड़ लिए और अपनी फुल स्पीड में मुझे चोदना शुरू कर दिया।
सारा कमरा हम दोनों की सिसकारियों से गूंज रहा था। उनके धक्के से मेरे चूतड़ दर्द करने लगे.
कुछ समय बाद ही वो झड़ गए और अपना सारा माल मेरी गांड की दरार में भर दिया।
वो मेरे ऊपर लेटे रहे और मेरे कान गाल और पीठ को चूमते रहे।
कुछ देर में वो मेरे ऊपर से हटे और मैंने अपनी चड्डी से उनके पानी को गांड में से साफ़ किया।
मैं नंगी ही बाथरूम गई, वहां पेशाब की और आकर लेट गई।
हम दोनों ही काफी थक चुके थे। कुछ देर आराम करने के बाद एक बार और चुदाई का कार्यक्रम शुरू हुआ। दूसरी बार भी जम कर चुदाई हुई और फिर हम दोनों ही सो गए।
सुबह 6 बजे हम दोनों उठे; उस वक्त फिर से हम दोनों ने चुदाई का वही खेल खेला। 6 बजे से 8 बजे तक दो बार चुदाई हुई, इस बार उन्होंने मेरी गांड की भी चुदाई की।
और फिर हम दोनों ही नहा कर तैयार हुए। उन्होंने मुझे स्टेशन छोड़ा और हम दोनों वहां से विदा हुए। उनसे मेरा कभी फिर मिलना नहीं हुआ।
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी? जरूर बताइयेगा। और मेरी अगली कहानी का इन्तजार करिये, उसमें मैं आपको बताऊँगी कि कैसे एक शादी के कार्यक्रम में मैंने चुदाई करवाई थी।
कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000