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कहानी के इससे पहले वाले भाग में मैंने बताया था कि मेरे जीजा ने मेरी चूत को गर्म करके छोड़ दिया था. वो मेरी चूत पर लंड को रगड़ कर दूर जाने लगे और बोले कि मैं तेरी चूत की चुदाई एक ही शर्त पर करूंगा. अगर तुम मेरी एक बात मान लो. मैंने जीजा से उनकी शर्त के बारे में पूछा तो वो कहने लगे कि तुमको मेरे सेठ दोस्तों से चूत चुदवानी होगी.
उस वक्त मेरी चूत में लंड लेने के लिए आग लगी हुई थी और मैंने जीजा को हां कर दी. जीजा मेरी चूत को प्यासी छोड़ कर चले गये. कुछ देर के बाद वो अपने सेठ दोस्तों के साथ मेरे कमरे में आये और बातें करने लगे. वो कहने लगे कि यदि मैंने उनके सेठ दोस्तों को खुश कर दिया तो वो मेरी शादी मेरे यार आशीष के साथ करवा देंगे. मैं जीजा की बात सुन कर उनके सेठ दोस्तों के साथ चूत चुदवाने के लिए तैयार हो गई.
उसके बाद जीजा कमरे बाहर चले गये. अभय और विवेक सेठ मेरे पास बैठ गये. मैं थोड़ी घबरा रही थी इसलिए उनकी बातों का सही से जवाब नहीं दे रही थी. विवेक बोले- अगर तुम्हें हमारे यहां होने से कुछ दिक्कत है तो हम यहां से चले जाते हैं. तुम्हारे जीजा ने तो तुम्हारी इतनी तारीफ की है कि हम दोनों तुम्हारे मजे लेने के लिए तड़प उठे थे लेकिन तुम्हें शायद कुछ करना ही नहीं है.
मैं बोली- नहीं, रुकिये, ऐसी कोई बात नहीं है. मैं थोड़ी घबरा रही थी. मैं भी आप दोनों के साथ करने के लिए तैयार हूं. मेरे मन में उस वक्त आशीष के ही ख्याल चल रहे थे. मुझे नहीं पता था कि जीजा के ये सेठ दोस्त मेरी चूत की क्या हालत करने वाले हैं.
मेरे कहने पर वो दोनों वापस से मेरे पास आकर बैठ गये. विवेक ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया और कहा- बंध्या, सच में तुम्हारे जीजा ने तुम्हारे बारे में जो भी बताया था सब सच है. तुम्हारे फूल से चेहरे को देख कर कोई भी मर्द तुम्हारा दीवाना हो सकता है. तुम्हारी कमर इतनी सेक्सी है कि इसको छूने के लिए कोई भी मचल जाये. तुम्हारे होंठ एकदम रसीले हैं और गुलाबी हैं. ये कहते हुए विवेक मेरे कंधे को सहला रहे थे.
वो बोले- बंध्या, जो भी तुम्हारी चूत को पा लेगा, वह उसके लिए लाइफ का सबसे बड़ा अचीवमेंट होगा. हम तो बहुत लकी हैं कि तुम हमारे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई हो. तुम्हारी आंखों को देख कर लगता है कि जैसे वो हमें अपनी तरफ बुला रही हैं.
अभय बोले- लगता है कि तुम अब भी सहज नहीं हो पा रही हो. अभय ने विवेक से कहा- इसको सहज करने के लिए हमें भी पहले सहज होना होगा. विवेक बोले- हां, सही कह रहे हो.
उसके बाद वो दोनों उठ कर अपने कपड़े उतारने लगे. विवेक ने अपना ब्लेजर उतार दिया. फिर अपनी शर्ट उतार दी और दोनों को वहीं पास में एक खूंटी पर टांग दिया. साथ ही अभय ने भी अपना कुर्ता और पजामा उतारना शुरू कर दिया. मैं दोनों को देख रही थी. दोनों के ही शरीर बहुत भारी थे. दोनों के दोनों ही बहुत वजनी मर्द थे. अभय तो 100 किलो के करीब का था.
दोनों ही चौड़े और हट्टे कट्टे थे. तभी विवेक ने अपनी जीन्स पैंट को उतारना शुरू कर दिया. जैसे ही उसने अपनी पैंट को नीचे किया तो उसके अंडरवियर में उसका बड़ा सा लौड़ा दिखने लगा. उसका लौड़ा सच में बहुत बड़ा लग रहा था.
ऐसा लग रहा था कि उसका लौड़ा उसके अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था. मैं एकटक उसके अंडरवियर में अंदर फंसे उसके लंड को देख रही थी. उसने जीन्स को उतार कर वहीं तख्त के सिरहाने पर रख दिया. मैं उन दोनों के सामने नाइटी में बैठी हुई थी.
वह दोनों मेरे सामने बनियान और अंडरवियर में खड़े थे. विवेक समझ गया था कि मेरी नज़र उसके लंड को ताड़ रही है. वो मेरे सामने आ गया और मेरी गालों पर हाथ रख कर बोला- मेरी जान बंध्या, मेरे सामान को ऐसे मत घूरो, यह तुम्हारा है.
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर ऊपर करते हुए चूम लिया और फिर अपने अंडरवियर के पास में ले गया. उसने धीरे से मेरे हाथ को अपने अंडरवियर पर टिकाते हुए कहा- इसको हाथ से छूकर देख लो. ये तुम्हारे लिए तड़प रहा है. मेरा हाथ विवेक सेठ के लौड़े पर लगा तो मैं सहम सी गई. उसका लंड बहुत टाइट था और उसका साइज बहुत ही बड़ा था.
उसने अपने लंड पर मेरा हाथ रखवा दिया. मैंने शर्माते हुए उसके लंड को दबा कर देखा. उसका लंड वाकई में बहुत बड़ा था.
तभी अभय मेरे पीछे आकर बैठ गया. वो मेरी नाइटी के ऊपर से ही मेरे दूधों को दबाने लगा. मेरे होंठों को भी किस करने लगा. अभय बोला- तू तो मस्त माल है बंध्या.
उसने मेरे चेहरे को पकड़ लिया और मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमा कर मेरे गालों को चूमने लगा. उसके मोटे मोटे होंठ मेरे नर्म गालों पर किस करने लगे थे. मैं भी मदहोश सी होने लगे थी. वो दोनों मर्द मेरे जिस्म को गर्म करने में लग गये थे.
फिर अभय के होंठ मेरे होंठों पर आ गये. उसकी नाक की सांसें मेरी नाक पर लग रही थी. उसकी गर्म सांसों से दारू की गंध आ रही थी. मुझे नशा सा होने लगा था. वो बहुत ही गर्मजोशी से मेरे होंठों को चूम रहा था. इस तरह से कभी किसी ने मेरे होंठों को पीने की कोशिश नहीं की थी. उसके होंठों को पीते हुए मैं भी मदहोश सी होने लगी थी.
वो दोनों के दोनों बहुत ज्यादा ड्रिंक किये हुए थे. उनके मुंह से दारू की बहुत तेज गंध आ रही थी. अभय मेरे होंठों को चूसने में लगा हुआ था. उसने मुझे इतना कस कर पकड़ा हुआ था कि मैं खुद को उनसे अलग नहीं कर सकती थी.
तभी विवेक ने कहा- बंध्या, मेरे अंडरवियर को नीचे करके अपने पसंद की चीज को देख लो. इसको इस कैद से बाहर कर लो. तुम्हारे जीजा ने बताया था कि चित्रकूट में जब पहली दफा उसने तुम्हारी चूत में लंड को डाला था तो वो तुम्हें खुश नहीं कर पाया था. उसके बाद लॉज के मैनेजर से भी तुम जबरदस्त तरीके से चुदी थी. उसके बाद तुम्हारे जीजा, उस लॉज के मैनेजर और उस नौकर ने तुम्हारी चूत को को मिल कर चोदा था. एक घंटे तक उन तीनों ने तुम्हारी चूत को जम कर चोदा था. तब जाकर तुम्हारी चूत का वो भूचाल शांत हुआ था. तुम सच में कयामत हो बंध्या. आज हम भी तुम्हारी चूत का रस पीना चाहते हैं.
फिर विवेक बोला- अभय भाई, पहले इसको खड़ी कर लेते हैं. इसके जिस्म के एक एक अंग को जी भर कर देखने का मन कर रहा है. इसने जो ये नाइटी पहनी हुई है इसके नीचे ही इसका असली हुस्न छिपा हुआ है. पहले इसकी इस नाइटी को हटाना पड़ेगा. उसके बाद इसके जिस्म को देखना है. इसके बदन के हर एक अंग को प्यार करना है. इसके हुस्न को चखना है.
जब इसके बदन का सारा हुस्न अपनी आंखों से पी लेंगे उसके बाद हम इसको बेड पर पटकेंगे. अभय सेठ बोले- ठीक है विवेक. तुम बिल्कुल सही कह रहे हो. हम भी तो देखें कि जितनी मस्त ये बाहर से देखने में लग रही है, क्या अंदर से भी वैसी ही है या इसके जीजा ने इसकी झूठी तारीफ की थी. इसको नंगी करने के बाद ही पता चलेगा कि ये कितना गर्म माल है. ऊपर से देखने में तो गजब है. अगर ये अंदर से भी वैसी ही हुई तो इसकी चूत तो जम कर चोदेंगे. इसकी चूत की सारी गर्मी निकाल देनी है आज हम दोनों ने.
इतना कहने के बाद अभय ने मुझे नीचे जमीन में खड़ी कर दिया. मैं उन दोनों के सामने नाइटी में खड़ी हो गई. मेरी चूत में गर्मी पैदा होने लगी थी. अभय के गर्म होंठों को चूस कर मेरे चूचों में तनाव भी आने लगा था. मैं उन दोनों के सामने खुद ही नंगी होने के लिए तैयार हो चुकी थी.
विवेक मेरे चेहरे के सामने अपने चेहरे को लाकर मेरे चेहरे को घूरने लगे. वो मुझे इस तरह से देख रहा था जैसे कि मुझे खा जायेगा. एक बार तो मैंने उसकी आंखों में देखा और उसके बाद मैंने अपनी नजरें नीचे कर लीं. मैं उसके इस तरह देखने के अंदाज से शरमा गई थी. वो बहुत ही कामुक नजरों से मुझे देख रहा था. मेरे चूचों के निप्पल तन कर उठने लगे थे.
जैसे ही मैंने चेहरे को नीचे किया तो पीछे से अभय मेरे जिस्म से लिपट गया. उसके लिपटते ही मेरी नाइटी के ऊपर से उसका लंड मेरी गांड में चुभने लगा. उसका लंड इतना सख्त हो चुका था कि अलग से पता लग रहा कि यह उसका लंड ही है. वो मेरी गांड में ऐसे चुभ रहा था जैसे मेरी गांड में घुस कर उसको फाड़ देना चाहता हो.
उसका लंड मेरी गांड में लगते ही मैं भी सिहर सी गई. साथ में ही हल्का सा डर भी लगा. उसका लंड वाकई में ही बहुत सख्त था. पहली बार इतने हट्टे कट्टे मर्द का लंड अपनी गांड पर लगते हुए मैंने महसूस किया था.
मेरे जीजा तो उन दोनों के सामने बहुत छोटे दिखाई देते थे. हालांकि वो उम्र में उन दोनों के बराबर के ही थे लेकिन उन दोनों के लंड उनके जिस्म की तरह ही भारी भरकम थे.
अभय का लंड मेरी गांड में लग रहा था और मेरी गांड में एक कसक सी उठने लगी थी. इतने में ही विवके ने कुछ हरकत की. उसके हाथ उसके अंडवियर पर चले गये थे. मैंने देखा तो वो अपने लंड को अपने हाथ से सहला रहा था. उसका लंड उसके कच्छे में तना हुआ था.
फिर उसने अपने कच्छे को नीचे करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते विवेक ने अपना अंडरवियर नीचे कर दिया और उसका लंड देखते ही मेरे होश सफेद होने लगे. मेरी आंखें हैरानी से फैलने लगी. उसके लंड का आकार बहुत बड़ा था. देखने में ऐसा लग रहा था जैसे किसी सांड का लंड हो.
उसके लंड को देख कर लग रहा था कि दस इंच से कम का नहीं होगा. इतना बड़ा लंड मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार देखा था. इससे पहले भी मैंने मोटे और लम्बे लंड देखे हुए थे लेकिन विवेक के लंड के साइज वाला औजार पहली बार मैं देख रही थी.
विवेक सेठ का लंड मेरी आंखों के सामने ही उसकी टांगों के बीच में लटकने लगा. वो मेरे सामने ही झूल रहा था. उसके बाद वो अपने बनियान को उतारने लगा. उसने बनियान उतार दिया और वो मेरे सामने ही बिल्कुल पूरी तरह से नंगा हो गया.
मेरी नजर विवेक के लंड पर अटक गई थी. न चाहते हुए भी मैं उसके लंड को देखे जा रही थी. उसका लंड फनफना रहा था. फिर वो मेरे पास आने लगा और एकदम से मेरे करीब आकर उसने आगे की तरफ से मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
अब दो मर्द मुझसे लिपट गए थे. अभय पीछे से और विवेक आगे से. विवेक ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसके भी मुंह से दारू की बहुत बदबू आ रही थी. विवेक का लौड़ा सामने से मेरी नाइटी के ऊपर से इतना चुभने लगा जैसे लोहे का रॉड हो. उसका लंड कभी मेरी जांघों पर लग रहा था तो कभी मेरी पैंटी के ऊपर से टच हो रहा था.
मैं एक कमसिन कच्ची कली की तरह दो छह फीट हाइट के मर्दों के बीच में आ गई थी. वो दोनों के दोनों मेरे जिस्म से लिपटे हुए थे. वो दोनों ही मेरे जिस्म को यहां-वहां से मसलने लगे. मैं उन दोनों के बीच में सैंडविच के जैसे लग रही थी.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. आपको कहानी पसंद आ रही होगी. आप मेरी सेक्स कहानी के बारे में अपनी राय दें. कहानी पर कमेंट करके बतायें कि मेरी इस कहानी में आपको मेरा फैसला सही लग रहा है या नहीं. मुझे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा. [email protected]
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