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आपने इस सेक्स कहानी के पहले भाग नजर का धोखा और मौसी की चूत-1
में पढ़ा कि मैंने अपनी फ्रेंड के धोखे में किसी और लड़की को अपनी बांहों में जकड़ लिया था.
अब आगे:
फिर मैंने उसको देखा, तो पाया कि वो एक 32 साल की एक महिला थी. उसकी आंखों में अलग सा सुरूर था और वासना का नशा भरा था.
मैं उनसे भयभीत हो गया था. मैं गिगिड़ाने लगा- मुझे माफ़ कीजिएगा … मैंने गलती से आपको कोई और समझ के. वो मेरी बात को बीच में ही काटते हुए बोलीं- तू रुका क्यों? मैं- मतलब? वो- मतलब कि मैं अभी चिल्ला के सबको यहाँ बुला लूंगी. मैं- प्लीज ऐसा मत कीजिएगा. वो- ऐसा क्यों न करूं? इससे मुझे क्या मिलेगा??
अब मुझे कुछ शक हुआ. … और मैं सोचने लगा. मैंने कहा- आपको क्या चाहिए? वो- तू क्या दे सकता है? मैं- वो तो इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या ले सकती हो. वो- इधर बहुत गर्मी है. मैं- हां, गर्मी तो है. वो- चल. … मैं भी ज़रा देखूँ तुझमें कितनी गर्मी है. मैं- एक बार फिर सोच लो. वो- अब जब बोल दिया है, तो देख कर ही मानूंगी. मैं- क्या देखना है?
मैंने आंख मार दी.
वो मुस्कुरा कर बोलीं- बहुत शैतान है तू मैं- शैतानियां तो करीब वालों से की जाती हैं. वो- अच्छा … तू चालाक भी है, एक ही पल में करीब वाला भी बन गया. मैं- अब क्या करूं? वो- सिर्फ बातें ही ही अच्छी करता है … या कुछ और भी आता है? मैं- थोड़ा आता है, थोड़ा आप सिखा देना. वो- चल ठीक है, अब जो काम छोड़ा था, उसे पूरा कर. मैं- मैं बस इसी बात के लिए रुका हुआ था.
वो हंस दीं.
बस फिर क्या था … मैं उन पर टूट पड़ा.
अपनी जीभ से उनके गालों के पास हल्के से चाटना शुरू कर दिया और फिर कान के पास चला गया. उनके कान की लौ को अपने मुँह में लेकर उसके कानों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. साथ ही दांतों से उनके कानों को काटने लगा.
वो जवान आंटी गर्म होने लगीं और मज़े लेने लगीं … सिसकारियां लेने लगीं ‘आह … आह …’
मैंने उनके कानों के अन्दर अपनी जीभ नुकीली करके डाल दी. वो और मस्त हो गईं और पागल होने लगीं.
फिर मैंने अपनी जीभ के नीचे वाले हिस्से से उनके कानों के ऊपर वाली जगह को दबा दिया और रगड़ने लगा.
वो तो सीत्कार करते हुए मज़े लेने लगीं- आह … आह …
मैंने उनको कमर से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचने लगा. इसी के साथ मैंने उनकी कमीज़ को ऊपर कर दिया.
फिर मैं उनके सामने चला गया. मैंने देखा तो वो बिना स्ट्रिप की ब्रा पहने थीं. मैंने हल्के से उनकी ब्रा के अन्दर हाथ डालने की कोशिश की. ये देख कर आंटी पूरी कमीज खोलने लगीं.
मैंने आंटी को मना किया.
लेकिन तब भी आंटी ने अपनी ब्रा को नीचे सरका दिया. आह उनके दूध मेरे सामने थे, एकदम से मुलायम और मखमली थे. उनके मम्मों पर निप्पल तो चने के दाने जितने थे, जैसे कोई छोटा सा लाल मूंगफली का दाना टंका हो. उन आंटी के गुलाबी रंग के उरोजों पर हल्की नीली नसें ऐसे लग रही थीं, जैसे कोई नीले रंग के बाल हों.
इतना कामुक सीन देख कर मैं अपने आपको कैसे रोक पाता. मैंने हौले से उनके एक दाने को चुटकी में लेकर धीरे से मसला और फिर अपने थरथराते होंठ उस निप्पल पर रख दिए.
निप्पल पर मेरे होंठों की छुअन से आंटी के शरीर ने एक झटका सा खाया. मैंने अगले ही पल गप्प से उनका पूरा उरोज अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा. आह … क्या रस भरे उरोज थे.
आंटी की तो वासना से भरी हुई सिसकारियां इस छोटे से कमरे में गूंजने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से चूसो और जोर से … आह … सारा दूध पी जाओ.’
मैं अपनी जीभ को उनके निप्पल और एरोला के ऊपर गोल गोल घुमाते हुए मजा ले रहा था. बीच बीच में मैं उनके निप्पल को भी दांतों से दबा देता था, इस पर वो पागल हो जा रही थीं. उन्होंने मेरे सिर के बालों को कस कर पकड़ लिया और अपनी छाती पर दबा दिया.
उनकी ‘आह … उन्ह..’ चालू थी. मुझे याद है कि मेरे थूक से उनकी दोनों चूचियां गीली हो गई थीं.
आंटी बोलीं- आह … अब तू मुझे मार ही देगा. वो हांफने लगीं.
बस मुझे क्या चाहिए था. मैंने उनको घुटने पर बैठने को कहा और अपनी पैंट की ज़िप खोल दी.
आंटी ने ने फट से मेरे लंड को निकाल लिया और लंड सूंघने लगीं. मेरा लंड तो प्री-कम छोड़ छोड़ कर पागल ही हुआ जा रहा था. लंड की कुछ बूंदें सुपारे के ऊपर चमकने लगी थीं.
बस फिर क्या था. आंटी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और लंड चाटने लगीं. आंटी लंड ऐसे चाट रही थीं … मानो कोई बच्चा लॉलीपॉप चूस रहा हो. कभी हल्के हल्के से जीभ फिरातीं और कभी कभी ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगतीं.
इस समय आंटी के दोनों हाथ हरकत में थे और उनके हाथों की चूड़ियों की खनक मुझे और पागल कर रही थी. मेरा लंड और भी ज्यादा हिलोरें मार रहा था. आंटी के हाथों की मेहंदी ने तो मुझे पागल ही कर दिया था. मैं तो इतना उत्तेजित हो गया था कि मुझे तो लगने लगा था कि मैं झड़ ही जाऊंगा.
फिर मैंने आंटी को बोला- मुझे आपकी चुत चाटनी है. वो जल्दी से उठ कर खड़ी हो गईं.
मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा, तो आंटी ने भी झट से अपनी सलवार उतार दी. मेरे सामने आंटी नीले रंग की एक झीनी सी पैंटी में थीं.
ओह … क्या मस्त डबल रोटी की तरह एकदम फूली हुई … आगे से बिल्कुल गीली उनकी चूत की दरार में ढेर सारा चिपचिपा रस दिखाई दे रहा था, जो नीचे वाले छेद तक रिस रहा था.
जवान औरत की चूत से बड़ी मादक खुशबू निकलती है. उनकी चूत के दाने को मैंने अपने जीभ से टटोला, तो आंटी सिहर गईं.
ओह … बड़ा कसैला, खट्टा मीठा और नमकीन सा स्वाद था. मैंने आंटी की चूत के चारों ओर अपनी जीभ से परिक्रमा करना शुरू कर दिया. वो पागल हो उठी थीं.
फिर मैंने उनकी पटों यानि रानों पर चुम्बन करना शुरू किया और हल्के से काटने लगा. आंटी की सिसकारियां और ज्यादा होने लगीं और उनकी चुत ने नदी सी बहा दी. अब आंटी बोलने लगीं- और मत तड़पा यार …
मैंने अपनी जीभ आंटी की चुत में डाल दी और ऊपर नीचे करने लगा. वो तो जैसे झटका देने लगीं और मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर लगा कर गांड से धक्का देने लगीं. चूत के अन्दर की गर्मी मैं अपनी जीभ महसूस कर पा रहा था.
फिर मैंने और अन्दर जीभ को दे दिया और हिलने लगा. इस पर इनकी हालत और ख़राब हो गयी और वो कांपने लगीं.
उनके कंपकंपाने से मुझे पता चल गया था कि वो झड़ने वाली हैं.
मैंने उनकी चुत के अंगूर के दाने को मुँह में भरा और चूसने लगा. चूत के दाने को मैं ज़ोर ज़ोर से चूसने और काटने लगा.
तभी आंटी ने चिल्लाते हुए मेरे मुँह को ढेर सारे रस से भर दिया और हांफने लगीं. अब आंटी पसीने से तरबतर हो गयी थीं. आंटी धीरे धीरे कमर हिला कर चूत चटवाने में लगी थीं.
आंटी बोलीं- यार मज़ा आ गया, तू क्या कड़क मर्द है … बड़ा फौलादी लंड है तेरा. बस फिर क्या था. मैंने उन्हें काटना और भंभोड़ना शुरू कर दिया. मैंने हल्के दांतों से उनकी चूत के दाने को काटा, तो उनकी मादक आहें और कराहें निकलने लगीं.
आंटी ‘उम्म … धीरे … आहह …’ करने लगीं. मैंने होंठों से फांकों को खींचे हुए चूसना शुरू किया, तो उन्होंने मेरा सर अपनी टांगों में दबा लिया.
आंटी मस्ती से कराहते बोलीं- आह चूस ले … और ज़ोर से चूस … चाट ले इस रसभरी को … आह इस भोसड़ी ने बहुत तंग किया है … पूरी खा जा इसे. मैं और ज़ोर ज़ोर से चूत चुसाई करने लगा. कुछ ही देर बाद आंटी दोबारा से झड़ गईं.
फिर मैं उठा और अपना लंड देखकर उनको दिखाते हुए बोला कि इसका क्या होगा? वो आंखों में रंडियों जैसी चमक लाते हुए बोलीं- ला इसे … मैं अभी इसे ढीला करती हूँ … पूरा सबक सिखा दूंगी.
मैं लंड उनके तरफ बढ़ा दिया. वो लंड को हाथ से हिलाने लगीं और सुपारे को जीभ से चाटने लगीं. आंटी की जीभ का स्पर्श लौड़े पर पाते ही मेरी तो निकल पड़ी. आंटी ने धीरे धीरे लंड को काफी हद तक निगल लिया और आगे पीछे होने लगीं. मुझे एक मस्त मजा मिल रहा था. फिर जहां लंड का मुँह दो छेदों में विभक्त होता है, एक धागा सा लगा रहता है, उधर आंटी अपनी जीभ से लंड को कुरेदने लगीं. उधर वो लंड के साथ खेलने में मस्त हो गई थीं … इधर मेरे बदन में जलन जैसी होने लगी थी.
कुछ देर में मुझे लगा कि मेरे लंड से लावा निकलने वाला है. मैंने आंटी के बालों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से लंड को उनके मुँह में आगे पीछे करने लगा.
वो खांसने लगीं और मुझे तेज धक्का देने से रोकने लगीं. थोड़ी देर में लेरा लावा निकलने लगा, वो मुँह हटाने वाली थीं कि मैंने उनका सर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. अपने लंड का पूरा लावा उनके मुँह में डाल दिया. वो न न कहती हुई भी पूरा निगल गईं. मैंने ढील दी, तो उन्होंने आधा रस थूक दिया.
इसके बाद मैंने धीरे धीरे से अपना लंड पूरा झड़ जाने के बाद हल्के से उनके बालों को छोड़ा.
आंटी ने मेरी तरफ मलाई चाटने के बाद बिल्ली की तरह से देखा और मुस्कुरा दीं. इसके बाद हम दोनों ने कपड़े ठीक किए और चुपके से एक एक करके बाहर निकल आए. आंटी पहले निकली थीं, मैं कुछ देर बाद आया.
आंटी बाहर ही खड़ी थीं. उन्होंने मुझसे कहा- तुमको डर नहीं लगा? मैं- क्यों लगेगा? वो- चल मेरे शेर … तू तो बड़ा कड़क माल है. मैं- तुम भी कुछ कम नहीं हो. वो- अपना नम्बर दे.
मैंने अपना नम्बर दिया.
वो- चल, आज बहुत कम मज़ा आया, पर संतुष्टि पूरी हुई … तुझे कैसा लगा? मैं- धन्यवाद, बढ़िया था. वो- मुझे और भी कुछ चाहिए? मैं- वो सब यहाँ संभव नहीं है. वो- ये मेरे पता है, तू मुझे कॉल कर लेना. आज से मैं तेरी हो गई हूँ.
ये कह कर आंटी ने फिर से मेरे लंड को हाथ लगा दिया.
मैं- आप उसकी क्या लगती हो? आंटी ये सुनकर एक मिनट के लिए सकपका गईं- किसकी! मैं- जिसका सूट आपने पहना है? वो- किसकी बात कर रहा है?
मैंने अपनी फ्रेंड का नाम बताया
वो- तुझे कैसे पता चला कि मैं उसकी कोई हूँ? मैं- क्योंकि आपने कहा था कि मुझे क्या मिलेगा. वो हंसने लगीं- तो तू चालाक भी है. फिर बोलीं- मैं उसकी मौसी हूँ. मैं- तो मुझे डराया क्यों? वो- मैं देखना चाहती थी कि तेरी गांड में कितना दम है? मैं- तो कितना है? वो- बहुत है रे, तू मुझे भा गया!
हम दोनों वहां से फिर से पार्टी में वापस आ गए. एक हल्की मुस्कान के साथ हम दोनों पार्टी में घुल मिल गए. फिर काफी देर बाद मेरी फ्रेंड आयी और मुस्कुराने लगी. मैंने उसे आंख मारी. मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो मुस्कुरा दी और बोली- कुछ नहीं.
उसकी आंखों में लंड की लालसा साफ़ दिख रही थी. मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ.
इस पर उसने कुछ नहीं कहा, बस थोड़ी उदास सी हो गयी. फिर धीरे से बोली- थोड़ा रुक जाओ ना. मैंने बोला- यार लेट हो गया हूँ. वो बोली- मौसी तुम्हारी काफी तारीफ कर रही थीं.
अब मैं थोड़ा शर्माने लगा.
मैंने पूछा- क्या बोलीं? वो बोली- मौसी तेरी तारीफों के पुल बांध रही थीं. हम दोनों हंसने लगे.
फिर मैंने कहा- चल कुछ खाते हैं … बड़ी भूख लग रही है. वो मान गयी.
हम लोगों ने खाना खाया और उसको मैंने घर छोड़ दिया. मैंने उसकी मौसी को ना उस रात कॉल किया, ना कोई कुछ और पहल की.
दो दिन ऐसे ही बीत गए.
फिर एक रात अचानक अनजान नम्बर से मुझे कॉल आयी. पहले तो मैं अनजान नम्बर उठाता ही नहीं हूँ.
लेकिन तीन बार मिस कॉल के बाद मैंने वापस फ़ोन किया. वहां से आवाज़ आयी- कैसा है रे मेरे छैल छबीले? मैंने पूछा- कौन? मौसी थीं, वो बोलीं- वही, जिसे तू आग लगा गया रे. मौसी हंसने लगीं.
मैंने पहचानने का नाटक करते हुए बोला- अच्छा जी आप हैं … कैसी हैं? वो बोलीं- आग में जल रही हूँ. मैं बोला- तो जलन कम करवा लो पतिदेव से. मौसी बोलीं- मेरे सैयां जी का स्पर्श वैसा रसीला नहीं है … जैसा तेरा है. मैंने बोला- अच्छा जी … तो अब क्या करें?
वो बोलीं- फिलहाल तो अपने लंड की फोटो भेज दे मुझे. मैंने पूछा- इससे मुझे क्या मिलेगा? वो बोलीं- मैं तेरी हो चुकी हूँ, बोलो मेरे जानू को क्या चाहिए? मैंने कहा- जो तुम्हारी मर्ज़ी हो, भेज देना. मौसी- चल करती हूँ कुछ … पहले लॉलीपॉप की फोटो भेज.
फिर मैंने अपने लंड की दो तस्वीरें भेज दीं.
कुछ देर में ही फिर से उनका कॉल आया. उन्होंने बोला कि मादरचोद तूने आग और बढ़ा दी. मैंने हंस कर बोला- कैसे? वो बोलीं- ये फूला हुआ गुलाबी और मोटा लंड दिखा कर मेरी आग भड़क गई. कसम से बड़ा कोरा सा लंड है तेरा … मन करता है कि चूस के इसका रस निकाल दूँ. मैंने कहा= हां तो कर लो न मन की.
वो बोलीं- सच्ची में अभी तक कोरा है रे तू … तो इस मोटे गुलाबी लंड को मैं अपनी चुत के रस से भिगो के सवारी करूंगी … खूब रगडूंगी और फिर चूस चूस कर इसका माल अपने मुँह में ले लूंगी. मैंने कहा- ये सब फ़ोन पर ही करना है? वो बोलीं- तू कुछ प्लान कर ना. मैंने कहा- नहीं आप करो.
वो बोलीं- चल ठीक, तू कल मेरे घर पर आ जाना. मैंने कहा- मैं नहीं आऊंगा. इस पर वो और भड़क गईं, बोलीं- डरपोक है क्या तू? मैंने कहा- जो भी समझो. अब वो प्यार से बोलीं कि जानू कहां आऊं मैं … चल तू ही बता दे. मैंने कहा- मेरी फ्रेंड के घर आ जाओ. वो बोलीं- वहां यार … जीजाजी और दीदी रहेंगी. वो भी रहेगी, कैसे होगा. मैंने कहा- मौका देखते ही सब हो जाएगा.
इस पर मौसी मान गईं और उन्होंने मुझे एक वीडियो भेजी, जो कि बहुत अत्यधिक उकसाने वाली थी. मैंने उस रात तीन बार मुठ मारी.
जैसा कि हम दोनों ने रात को सोचा था. वो दूसरे दिन मेरी फ्रेंड के घर पर आ गईं. मैं भी उनसे मिलने चला गया.
मेरी फ्रेंड समझ गयी और बोली- क्या प्लान है? मैं बोला- कुछ नहीं यार … मैं तो तेरे से मिलने आया हूँ. वो आंख मारते हुए बोली- अच्छा जी ऐसा है क्या? मैंने स्माइल दी और बोला- हां रे …
फिर मैं अंकल और आंटी जी से भी मिला. किस्मत का खेल देखो, उन दोनों की आज छुट्टी थी. कुछ पर्सनल काम से दोनों ने छुट्टी ली थी.
मौसी धीरे आवाज़ में मुझसे बोलीं- कैसा है रे मेरा बाबू. मैंने कहा- बहुत मस्त. वो बोलीं- दिखा. मैंने कहा- यहाँ पर कैसे?
वो ज़िद करने लगीं और जैसे ही मैं लंड दिखाने वाला था, तभी किसी के रूम के पास आने के आवाज़ आने लगी. फिर हम दोनों अलग होकर बैठ गए. ये मेरी फ्रेंड की मम्मी थीं, वो चाय देने आयी थीं.
मैंने और मौसी ने काफी देर तक बातचीत की. उसके बाद अंकल ने उन्हें बुलाया और मैं भी वाशरूम की तरफ चल दिया.
अचानक से कुण्डी लगने की आवाज़ आयी. मैंने देखा कि मौसी हैं. वो चोरी से वहां अन्दर आ गयी थीं.
मौसी ने सीधा मेरा कालर पकड़ा और होंठों पर होंठ लगा दिए. इस तरह के अटैक से मैं बेखबर था. मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. मुझे समझ में ही नहीं आया कि ये अचानक क्या हुआ.
वो तो बस होंठों को चूसे जा रही थीं. जितना वो चूस रही थी, मेरा लंड उतना फूल रहा था. मैंने भी अब देर ना की. मैंने भी उनको अपनी बांहों में चिपका लिया और कस कस के चुम्बन करने लगा. मौसी तो बावली हुए जा रही थीं.
फिर उन्होंने मेरी पैंट में से लंड निकालने की कोशिश की. तो मैंने पूरी पैंट खोल दी.
वो देख कर हैरान हो गईं कि कैसा हल्का सा टेड़ा और मोटा है … गुलाबी सुपारे वाला. वो तुरंत मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. मेरी तो ऐसी हालत हुई कि मानो अभी झड़ जाऊं. उनके होंठों की गर्मी ने तो लंड में अलग ही किस्म की खलबली मचा दी थी.
मैंने भी उनके बाल पकड़े और लंड को आगे पीछे करने लगा. वो भी मज़े लेकर लंड चूसे जा रही थीं. उनकी मैरून कलर की लिपिस्टिक के दाग मेरे लंड पर लग गए थे, जो और मुझे उकसा रहे थे.
फिर मैंने उन्हें ऊपर खड़ा किया और सेल्फ पर बैठा दिया. उनका सिल्क वाला चूड़ीदार सूट का कुरता घुटनों तक किया और उनके नीचे से घुस गया. पजामी पहले ही उतर चुकी थी. अब उनकी लाल रंग की सिल्क की पैंटी सामने थी. चूत अपने ही रस से भीग कर सराबोर हो चुकी थी.
मैंने मौसी की चूत को हाथों से साफ़ किया और मौसी में मेरे बाल पकड़ लिए. इसके बाद मौसी मेरे मुँह अपनी चूत पर लगा कर बैठ गईं. मैंने अपनी जीभ से उनके दाने को टटोला और खींचना चालू कर दिया. मौसी गनगना उठीं और मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सर को अपनी चूत में ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगीं. मुझे ऐसा लगने लगा कि वो अपनी चुत में घुसेड़ लेना चाहती थीं.
फिर मैंने अपने जीभ से चुदाई शुरू कर दी और थोड़ी देर में वो झटके खाने लगीं. कुछ ही पलों में मेरा मुँह मौसी की चूत के नमकीन रस से भर गया.
फिर मैं कुरते की छाया से बाहर निकला और कुरता ऊपर करके अपना लंड उनकी चूत में रगड़ने लगा. चूत खुलने बंद होने लगी … मेरा सुपारा और फूल गया था. मैंने अभी उनकी चूत में दबाव बनाया ही था कि बाहर से मेरी फ्रेंड की मम्मी की आवाज आई.
वो मौसी को आवाज लगा रही थीं कि तुम किधर हो.
मौसी की आह निकल गई. उन्होंने मेरी तरफ देखा और हंस पड़ीं. वो बोलीं- चोद ली चूत … इसी लिए इधर के लिए मना कर रही थी. अब तू मुठ मार ले. मैं दीदी की सुनती हूँ.
मेरी फ्रेंड की मौसी की चुदाई अधूरी रह गई थी.
मुझे मेल कीजिएगा. [email protected]
कहानी का अगला भाग: नजर का धोखा और मौसी की चूत- 3
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