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नमस्कार मेरे अन्तर्वासना के प्यारे साथियो, मैं आपकी गांडू गरिमा उर्फ रोबीला रघु। मुझे उम्मीद नहीं थी कि आप लोग मुझे इतना प्यार देंगे। आपका प्यार पाकर दिल बाग बाग हो उठा। कुछ ने तो मुझे अपने रात का हमसफ़र बनाना चाहा, उसके लिए उनका बहुत शुक्रिया।
पर मैं इन सबके लिए अन्तर्वासना का तहे-दिल से धन्यवाद अदा करता हूँ क्योंकि इसी की वजह से तो मुझे आप सबसे रूबरू होने का और अपनी अन्तर्वासना, अपनी दिल की बात कहने का मौका मिला!
तो मित्रो, आज हम बढ़ते हैं अगले वाकये की तरफ।
आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी मेरी गांड पहली बार कैसे चुदी जिसमें मेरे समलैंगिक जीवन की शुरुआत हुई. वह पहली बार था तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा. पर धीरे धीरे मैं इसी समलैंगिक जीवन में रमता चला गया। अब तो यह मुझे इतना अच्छा लगता है कि मन में ख्याल आता है काश मेरी शादी किसी ऐसी लड़की से हो जिसके पास एक बड़ा और कलेजा हलक तक ला देने वाला लन्ड हो। वैसे यह मेरी जीवन की सबसे बड़ी ख्वाहिश है कि मैं कभी अपने जीवन में किसी लण्डधारी लड़की से मिल सकूँ. क्या पता मेरी यह ख्वाहिश अन्तर्वासना के माध्यम से ही पूरी हो।
तो पिछली कहानी में उस अधेड़ उम्र के आदमी ने जब मेरी गांड मार कर छोड़ दिया तब से मैं वो वाकया भुला ही नहीं पा रहा था।
इसी तरह वर्षों बीत गए पर जब भी वो बात जेहन में आती तो दिल में सनसनी दौड़ जाती। अंत में मैंने बी ए प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के बाद फैसला लिया कि मैं एक फेक फेसबुक आईडी बनाऊंगा और लोगों से मिलूंगा। मैंने एक फेसबुक आईडी बना कर उसमें बहुत सारे फ्रेंड्स ऐड किये, तब मुझे पता चला कि भारत के 75% पुरुष गांड के प्यासे होते हैं चाहे वो गांड लड़की की हो या लड़के की।
उन्ही दिनों मुझे एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी सुल्तानपुर के एक लड़के की। चूँकि मैं भी सुल्तानपुर का ही हूँ तो मन में थोड़ा चिंतन किया कि रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करना उचित है या नहीं। कहीं यह पहचान का न निकल जाए?
फिर काफी सोच विचार के बाद हवस मुझ पर हावी हुई और मैंने सोचा कि चलो पास का है, तो जब मन होगा तो मिलेगा तो! मगर मुझे कहाँ पता था कि यह एक फ्रेंड रिक्वेस्ट मेरे जीवन को बदल कर रख देगा।
उसका नाम विजय गौतम(बदला हुआ) था। शुरुआत में वह सिर्फ हाय हेलो ही करता था. फिर एक दिन उसने मुझे अपनी फोटो दी. वो साँवले रंग का बहुत ही गठीले बदन का लगभग 26 वर्षीय युवक था. मन में प्रसन्नता हुई कि चलो इसे जानता तो नहीं हूँ।
बदले में उसने मुझसे मेरी तस्वीर मांगी। मैंने तस्वीर देने के बजाय उससे मिलने का फैसला किया तो वो तैयार हो गया। हमने दोपहर में मिलने का फैसला किया परन्तु किसी कारणवश उसे आने में शाम हो गयी तो हमने किसी रेस्तरां की बजाय पास के ही एक पुराने स्कूल में मिलने का फैसला किया।
शाम के 8 बज रहे थे वो पहले ही स्कूल में जाकर मेरा इन्तजार कर रहा था। मैं स्कूल में पहुंचा और हल्की रोशनी में उसे देखा, जीन्स और लेदर की जैकेट पहन कर सिगरेट के छल्ले उड़ा रहा था। वो देखने में बहुत खूबसूरत नहीं था पर उसके चेहरे पर चमक थी।
मैंने उसे हाय बोला, जवाब में उसने हाथ हिलाया। शायद वो स्कूल में होने की वजह से थोड़ा डरा हुआ था।
मैं पहली बार किसी से मिलने गया था तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ! तो उसने पहल की, उसने अपनी जेब से चॉकलेट निकाला और मुझे आफर की. मैंने हाथ बढ़ाया पर उसने चॉकलेट वापस ले ली.
उसने कहा- ऐसे नहीं खाते इसे! चॉकलेट का रैपर निकाल दिया उसने और आधी चॉकलेट अपने मुंह में दबा ली और मुझे खाने का इशारा किया।
मैं धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ा और आधी निकली हुई चॉकलेट अपने होंठों में दबा ली। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर आ रही थी जो एक अजब सी उत्तेजना पैदा कर रही थी। शायद उसने पहले से ही सौंफ या इलायची खा रखी थी।
मैंने चॉकलेट खानी शुरू कर दी. जल्द ही हम दोनों के होंठ एक दूसरे के मुंह के अंदर की गहराई का जायजा ले रहे थे। वो बीच बीच में अपने दांतों से मेरे होंठो पर हल्के से काट लेता. मुझे दर्द तो होता पर उससे ज्यादा उत्तेजना होती। जी करता कि मैं उसके होंठों को चबा लूं।
वो बिल्कुल मंझा हुआ खिलाड़ी लग रहा था, वो मुझे सांस लेने का भी मौका नहीं दे रहा था।
हमने लगभग 10 मिनट तक सिर्फ चुम्बन किया। बीच बीच में वो हौले से अपने दोनों हाथों से मेरी गोल नर्म गांड दबा देता जिससे मैं और ऊपर उठ जाता। वो अपना एक हाथ शर्ट के अंदर मेरे स्तनों पर ले गया. पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैंने सुना था कि चुचियाँ दबवाने से मम्में लड़कियों की तरह हो जाते हैं. इसी डर से मैंने उसे मना कर दिया, वो मान गया।
उसने पुनः अपनी जेब से एक चॉकलेट निकाला और मुस्करा दिया. मैं समझ गया कि इसके दिमाग में कुछ तो खुराफात चल रही है। वो पास ही रखी मेज पर अपनी गांड टिका कर बैठ गया और बहुत ही धीमी आवाज में मुझसे अपनी चैन खोलने को कहा।
मैंने उसकी बात मानते हुए उसके कैद में बंद सांप को आजाद कर दिया। उसका लन्ड लगभग 6 इंच का रहा होगा. काला इतना कि कौवा भी शर्मा जाए। उसने अपने लन्ड के सुपारे को पीछे की तरफ धकेलते हुए उस पर चॉकलेट रगड़नी शुरू कर दी और मुझसे बोला- ऐसी चॉकलेट तुमने अपने जीवन में नहीं चखी होगी!
और ये बिल्कुल सच था क्योंकि इससे पहले एक बार मैं चुद तो चुका था पर कभी लन्ड नहीं चखा था, सिर्फ पोर्न मूवीज में देखा था।
मैं बहुत उत्साहित था उसका काला लन्ड चखने को।
उसने मेरा सर पकड़ कर अपने टोपे पर लगा दिया। पहली बार मुझे लन्ड की बदबू महसूस हुई पर जब एक बार जीभ लगा दी तो वही बदबू महक बन कर मेरे नथुनों में जा रही थी। मुझे बहुत पता तो नहीं था लन्ड चूसने के बारे में फिर भी जितना देखा था पोर्न में … सब उसके लन्ड पर आजमा लिया। मैं उसके सुपारे पर थूक थूक कर चाटता।
मैंने नशे में अचानक से उसके अण्डों को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी, वो आंखें बंद करके उसी बेंच पर लेट गया। मैं उसका लन्ड लगभग 20 मिनट तक चूसता रहा। मेरे गाल दुखने लगे।
उसने मुझे उठा कर घुटनों के बल बैठा दिया और अपना थोड़ा सा लन्ड मेरे मुंह में देकर तेजी से लन्ड पर हाथ फिराने लगा. लगभग 3 मिनट बाद उसने मेरे मुंह में गर्मागर्म पिचकारी छोड़ी. वो माल ऐसे छोड़ रहा था जैसे सालों से बचा कर रखा हो।
मैंने पूरा माल मेरे मुंह में ले रखा था पर उसने मुझे तब तक मुंह नहीं खोलने दिया जब तक कि मैंने उसके अमृत रूपी वीर्य का एक एक कतरा अपने गले के नीचे नहीं उतार दिया.
फिर उसने मुझे एक जोरदार किस की और अपनी बाइक से एक फूलों का गुलदस्ता लाकर मुझे दिया, फिर उसने मुझे मेरे रास्ते ड्राप किया और वो चला गया।
उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैंने आज एक लन्ड चखा है। आंखें बंद करने पर बार बार उसका लन्ड मेरी आँखों के सामने आ जाता। उस रात मैंने दो बार मुट्ठ मारी तब जाकर मुझे नींद आयी।
सुबह उसकी काल आयी, उसने मेरा हाल चाल पूछा हमने बात की।
कुछ दिन बाद ही हमने पुनः मिलने की योजना बनाई. इस बार पहले ही तय हो चुका था कि उसे मेरा पूरा शरीर चाहिए. मतलब साफ शब्दों में वो मेरी नर्म गांड के अंदर अपना रस निकालना चाहता था।
मैं आज अलग ही उत्साह में था, जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गया। बॉथरूम में ही अपने बालों की बलि चढ़ा दी और गांड पर क्रीम लगाई जिससे वो सॉफ्ट बनी रहे। फिर हम दोनों सिटी के पयागीपुर चौराहे पर मिले, उसने मुझे पिक किया। मैंने उससे जगह के बारे में पूछा तो उसने कहा- अभी तय नहीं किया।
मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हुआ. फिर उसने कहा- तुम टेंशन न लो, मैं मैंनेज कर लूंगा. मैंने कहा- ठीक है।
फिर हम घूमते घूमते पटरी के किनारे एक जंगल की तरफ गए. पर उसे वहां सुरक्षित नहीं लगा। फिर उसने मुझे फैसला सुनाया कि हम सामने खड़ी हुई पुराने रेल के डिब्बे में जाएंगे। वो काफी दिनों से खड़ा हुआ डिब्बों का झुंड था शायद 6 य 7 डिब्बे।
मैंने उसे मना किया पर उसने मुझे समझाया कि यहां कोई नहीं आता और अगर कोई आता भी है तो वो सब सम्हाल लेगा। मेरा मन तो नहीं था इतने असुरक्षित स्थान पर लेकिन हवस के आगे इंसान की नहीं चलती.
फिर वो मुझे लेकर अंदर चला गया। अंदर जाते ही उसने कस कर मुझे अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और ताबड़तोड़ किस करने लगा जैसे कि कई वर्षों से कोई मिला ही न हो. पर मुझे उसका ये वहशीपन अच्छा लग रहा था।
किस करते करते बार बार वो मुझे अपनी गोद में उठा लेता। फिर उसने अपने गले में लपेटा हुआ तौलिया उस सीट पर डाल दिया और अपनी पैंट नीचे करके अपने लण्ड की तरफ इशारा करके उस सीट पर बैठ गया। मैं नीचे झुक कर उसका लन्ड चुसने लगा।
कुछ देर में उसने मुझे उठा दिया और कहा- पहले तू अपने कपड़े उतार दे, तब लन्ड चूसना। मैंने वैसा ही किया, अपने सारे कपड़े उतार कर ऊपर टांग दिए और झुक कर उसका लन्ड अपने मुंह में ले लिया।
वो थोड़ा आगे की तरफ होकर मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा। वो जब भी मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए एक उंगली से मेरी गांड के छेद पर प्रेशर देता तो मैं उत्तेजित होकर उसका पूरा लन्ड अपने मुंह में ले लेता और भी तेजी से चूसने लगता.
इसी तरह करते करते वो पहली बार मेरे मुंह में अपना झरना दे बैठा और मैं पहले की तरह उसे चाव से पी गया। वो निढाल होकर सीट पर लेट गया।
5 मिनट आराम करने के बाद उसने मेरे निप्पल्स पर धीरे से काटा तो मेरी आह निकल गयी.
फिर वह सीट से उठ गया और उसी सीट पर मुझे बिल्कुल किनारे पर घुटनों के बल झुका दिया। इस तरह मेरा सिर सीट पर और गांड सीट से थोड़ा बाहर निकली हुई थी. उसने पास पड़े अपने कपड़ों से शहद की एक डिब्बी निकाली और मेरी गांड पर गिराना शुरू कर दिया।
मेरी धड़कनें बहुत तेज हो गयी थी। उसने मेरी गांड के छेद पर अपनी जीभ लगा दी, मेरा दिल मानो थम सा गया। वो छेद पर अपनी जीभ लगाकर ऊपर से शहद गिरा कर छेद को पूरे जोर और जोश से चाट रहा था। मानो वो अपनी पूरी जीभ मेरी गांड में डाल देना चाहता हो।
मेरी गांड से उसका थूक रिसकर मेरी जांघों से होते हुए सीट पर बिछे उस तौलिये पर गिर रहा था। अब मेरे मन में बस यही हो रहा था कि वो कितनी जल्दी अपना लन्ड मेरी गांड में पिरो दे।
कुछ देर मेरी गांड को जी भर के चाटने के बाद वो उठा और मेरे सामने आकर मेरे होंठों पर जोरदार किस किया और अपना लन्ड मेरे होंठों से लगा दिया गीला करने के लिए। मैंने 2 मिनट तक उसका लन्ड चूसा.
फिर वो घूमकर दुबारा मेरे पीछे आ गया और ताकत के साथ मेरी कमर पकड़ ली और अपना लन्ड मेरी गीली गांड के गोल छल्ले पर टिका दिया। ऐसे ही कुछ देर मेरे पीठ को चूमते हुए उसने एक जोरदार धक्का दिया। मेरी तो जान निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं आगे की तरफ भागा. पर शायद उसे पहले से ही इसका अंदाजा था उसने पूरी ताकत से मेरी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रखा था।
वो धीरे धीरे मेरी चुचियों पर हाथ फेरते हुए मेरी गर्दन पर हौले हौले अपने दांत धंसाने लगा। कुछ देर बाद मुझे कुछ आराम हुआ तो उसने हौले से एक और धक्का दिया. इस बार उतना दर्द नहीं दिया. और फिर फिर धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मुझे इतना मजा आने लगा कि मैं ख़ुद ही अपनी गांड को पीछे की तरफ हिलाने लगा. यह महसूस करके उसने अपने धक्के तेज कर दिए और फिर मुझे सीट पर पूरा लिटा कर मेरे ऊपर आ गया और धक्के लगाने लगा।
मेरा लन्ड नीचे सीट पर दबा हुआ था जिससे मैं कुछ ही झटकों में झड़ गया। मेरा चिपचिपा माल मेरे पेट पर लग रहा था।
फिर वह मुझे उठा कर बाथरूम में ले गया और शीशे के सामने खड़ा कर दिया और पीछे से ही मेरी एक टांग उठा कर खिड़की पर रख दिया और मैंने अपने दोनों हाथ आईने के पास टिका दिए और वो पीछे से मेरे स्तनों पर हाथ फेरते हुए जबर्दस्त धक्के लगा रहा था.
अचानक उसने अपने धक्के दुगुनी गति से कर दिए और आह आह की आवाज करने लगा. मुझे घुमा कर उसने अपना लन्ड मेरे होंठों से लगा दिया और वीर्य की नदी बहा दी। उस दिन मुझे जो परमसुख मिला उसे शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है. फिर भी मैंने प्रयत्न किया है।
तो मित्रो, जल्द ही मिलूंगा आपसे अपनी अगली कहानी के साथ। तब तक के लिए गांडू गरिमा/रोबीला रघु आपसे विदा लेता है। अपना प्यार बनाये रखियेगा! आपको कहानी जैसे भी लगे कृपया पानी प्रतिक्रिया दीजियेगा. मेरा मेल आईडी है [email protected]
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