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कहानी चुदाई की के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि महेश अपने बेटे की पत्नी नीलम के जिस्म के साथ मजे लूट रहा था और उसने अपना वीर्य नीलम के जिस्म पर गिरा दिया. उसकी ये हरकत उसके बेटे समीर ने देख ली और अपने पिता को भला-बुरा कहने लगा. फिर उन दोनों के बीच में बात हुई कि घर की बात घर तक ही रहे और दोनों के बीचे एक सौदा हुआ. महेश ने अपनी बेटी और बहू को पटाने के लिए समीर को मना लिया और दूसरी तरफ नीलम ने अपने पति समीर से बदला लेने और उसको दोबारा पाने के लिए ससुर के साथ प्लान बनाना शुरू कर दिया.
अब आगे पढ़ें कहानी चुदाई की:
“बेटी जब समीर ऑफिस से घर आता है तो तेरी सास और ज्योति सोयी हुयी होती हैं हमें उस वक्त कुछ ऐसा करना होगा जिससे समीर हैरान हो जाए.” महेश ने अपनी बहू को आइडिया देते हुए कहा। “हाँ पिता जी, आपकी बात तो बिल्कुल ठीक है, मगर हमें क्या करना होगा?” नीलम ने अपने ससुर की तरफ देखते हुए पूछा।
“बेटी मैंने पहले ही कहा था कि तुम्हें यह सब करने में शर्म छोड़नी होगी. हमें समीर को ऐसे दिखाना है जैसे हमारे बीच जिस्मानी सम्बन्ध चल रहा है.” महेश ने अपनी बहू की तरफ हवस भरी नजरों से देखा। “पिता जी मैं तैयार हूँ, मगर हमें करना क्या होगा?” नीलम ने अपने ससुर से पूछा।
“बेटी जब समीर घर में दाखिल होता है तो वह सीधे अपने कमरे में आता है, हमें उसके आने से पहले उस कमरे में बिल्कुल नंगे होकर एक दूसरे की बांहों में सोना होगा और जैसे ही वह दाखिल हो तुम्हें उठकर यह कहना होगा ‘अरे बापू, आपने दरवाज़ा भी बंद नहीं किया। आज यह टाइम इतनी जल्दी कैसे बीत गया.” महेश ने अपना प्लान अपनी बहू को समझाते हुए कहा।
“पिता जी आपने सही कहा था, मेरे लिए यह मुश्किल है, मगर मैं अपने पति को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं.” नीलम ने अपने ससुर की पूरी बात सुनकर शर्म से अपनी नज़रें नीचे करते हुए कहा। “वेरी गुड बेटी, ऐसे ही तुम्हें अपने ऊपर पूरा आत्मविश्वास रखना होगा.” महेश ने अपने बहू की तारीफ करते हुए कहा। “ठीक है पिताजी, आप 4.30 बजे आ जाना। वह 5 बजे आते हैं तब तक हम बंदोबस्त कर लेंगे.” नीलम ने अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही कहा।
“ठीक है बेटी, अब मैं चलता हूँ.” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर वहां से जाते हुए कहा।
महेश कमरे से निकलकर ख़ुशी से उछल पड़ा कि कितनी आसानी से उसने अपनी बहू को बेवक़ूफ़ बना लिया था, अब वह अपने कमरे में आकर बेसब्री से शाम का इंतज़ार करने लगा। आने वाले टाइम का सोचते हुए ही उसका लौड़ा तेज़ी से उछल रहा था।
नीलम भी कुछ देर तक बैठकर आने वाले टाइम के बारे में सोचती रही, जाने क्यों अपने ससुर के साथ नंगी सोने का सोचते हुए ही आज नीलम की चूत से पानी बहने लगा था। नीलम को अपने आप पर बहुत घिन आ रही थी इसीलिए वह उठकर घर का काम काज करने में लग गई. ऐसे ही टाइम बीत गया और शाम के 4.30 बज गये।
नीलम अपने कमरे में बैठी हुई अपने ससुर का इंतज़ार कर रही थी. उसका दिल आने वाले टाइम के बारे में सोचते हुए ज़ोर से धड़क रहा था। अचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और महेश अंदर दाखिल हो गये।
“बापू आप आ गये, मुझे तो बुहत डर लग रहा है शायद मैं यह सब नहीं कर पाऊँगी.” नीलम ने अपने ससुर को देखते ही बेड से उठते हुए कहा। “क्या कहा बहू, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई हो?” महेश ने हैरानी और गुस्से से नीलम को देखते हुए कहा। “बापू जी मैं सही कह रही हूँ, मुझसे यह सब नहीं होगा, मुझे अभी से शर्म आ रही है.” नीलम ने अपने ससुर को साफ़ जवाब देते हुए कहा। “बहू तुम ज्यादा चिंता क्यों करती हो। मैं हूँ न तुम्हारे साथ!” महेश ने बात को अपने हाथ से जाता हुआ देखकर अपनी बहु के पास जाकर उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा।
“न जाने क्यों मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं हो रहा है, क्या मैं यह कर सकती हूँ?” नीलम ने अपने ससुर की तरफ अविश्वास की नजरों से देखा। “बेटी क्या तुम चाहती हो कि तेरा पति सारी ज़िंदगी तेरे सामने किसी दूसरी औरत को चोदता रहे और तुम देखती रहो? हिम्मत करो बेटी, तुम कर सकती हो, मुझे तुम पर यकीन है।”
“पिता जी मैं जानती हूँ कि आप मुझे दुखी नहीं देख सकते, मगर न जाने क्यों मेरा दिल नहीं मान रहा है.” नीलम के चेहरे पर एक असमंजस थी. “बेटी तुम्हारे लिए जब मैं हर हद पार करने को तैयार हूँ तो फिर तुम क्यों डर रही हो? लो पहले मैं ही शुरुआत कर देता हूँ अपने रिश्ते को तार तार करने की” महेश किसी भी कीमत पर यह मौका गँवाना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी धोती को खोलकर नीचे फ़ेंक दिया।
“बापू जी! ये … आपका …” नीलम अपने सामने अपने ससुर के नंगे फनफनाते हुए मूसल लंड को देखकर हैरानी से अपना हाथ अपने मुँह पर रखकर बोली।
“क्या हुआ बेटी?” महेश अपनी बहू के सामने यूं ही नंगा खड़ा हुआ बोला। नीलम की नज़रें अपने ससुर के लंड पर टिक चुकी थी। महेश का लंड देखते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन का अहसास हो रहा था और न चाहते हुए भी उसकी चूत गीली होने लगी।
“बापू जी, प्लीज अपनी धोती पहन लो.” नीलम ने बिना अपनी नज़रें हटाये ज़ोर से साँस लेते हुए कहा। नीलम ने अपनी ज़िंदगी में कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। “बेटी मैंने तुम्हारी शर्म ख़त्म करने के लिए ही अपनी धोती हटायी है.” महेश ने आगे बढ़ते हुए नीलम के बिल्कुल पास खड़े होते हुए कहा।
“प्लीज बापू, मुझसे दूर हटिये इसे देखकर मुझे जाने क्या हो रहा है.” नीलम फिर से उत्तेजना के मारे तेज़ साँसें लेते हुए बोली। “बेटी, अगर तुमने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं सारी ज़िंदगी अपने आपको माफ़ नहीं कर पाऊँगा कि मैंने अपनी बहू के लिए कुछ नहीं किया.” महेश ने नीलम का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“हाहहह … पिता जी मुझे पता है आप यह सब मेरे लिए कर रहे हैं, मगर मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं है कि कहीं मैं बहक न जाऊं!” नीलम ने अपने नर्म हाथ पर अपने ससुर का ठोस हाथ पड़ते ही कहा। “बेटी तुम मेरा अपमान कर रही हो, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?” महेश के स्वर में अब एक बनावटी गुस्सा था ताकि वो नीलम को अपना लंड पकड़ने के लिए तैयार कर सके।
“नहीं पिताजी, मैं आप पर शक नहीं कर रही, ठीक है मैं तैयार हूँ. मगर सब कुछ आपको ही करना होगा.” नीलम ने आख़िरकार हार मानते हुए कहा। “सब कुछ मुझे करना होगा? बेटी मैं समझा नहीं?” “वो पिताजी… मेरा मतलब है कि मुझे शर्म आ रही है इसीलिए मेरे कपड़े आपको ही …” कहते हुए नीलम रुक गई और उस ने शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं।
“ओह्ह्ह्ह … मैं समझ गया, ठीक है मैं ही तुम्हारे कपड़े उतारता हूँ.” महेश ने कहा और नीलम की साड़ी में हाथ डालकर उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, दो मिनट में ही नीलम की साड़ी उसके जिस्म से हट गयी और वह अपने ससुर के सामने आधी नंगी होकर सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ख़ड़ी थी।
“ओहह बेटी, तुम कितनी सुंदर हो फिर भी वह नालायक …” महेश ने अपनी बहू की साड़ी उतारने के बाद सिर्फ इतना कहा और अपनी बहू के ब्लाउज को खोलने लगा। ब्लाउज खोलने के बाद महेश ने अपनी बहू की ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, ब्रा के हटते ही नीलम की 36 की चूचियाँ बिल्कुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी।
महेश का लंड अपनी बहू की नंगी चूचियों को देखकर ज़ोर से झटके खाने लगा। नीलम शर्म से अपना सर नीचे किये हुए थी। इसीलिए उसे अपनी आँखों के सामने सीधा अपने ससुर का झटके खाता हुआ मूसल लंड नज़र आ रहा था, अपने ससुर के लंड को घूरते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब सिहरन हो रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे और ज्यादा पानी निकल रहा था।
महेश ने अब नीचे झुक कर अपनी बहू के पेटीकोट को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसकी छोटी सी काली पेंटी को गौर से देखने लगा जो उसकी चूत के पानी से भीगी हुइ थी।
महेश ने कुछ देर तक अपनी बहू की पेंटी को गौर से देखने के बाद उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीलम के चूतड़ों से नीचे सरका दिया। “ओहह बेटी … क्या गज़ब चूत है.” पेंटी के हटते ही अपनी बहू की गुलाबी चूत को देखकर महेश के मुँह से निकल गया।
नीलम की हालत खराब हो चुकी थी। वह खुद हैरान थी कि आज वह इतनी गर्म कैसे हो गई है और उसकी चूत से इतना पानी कैसे निकल रहा है। “बेटी समीर आने वाला ही होगा हमें जल्दी से सोना होगा.” महेश ने सीधा होते हुए कहा।
“जी पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा और धीरे धीरे चलते हुए बेड पर जा लेटी।
हेश भी बेड पर चढ़कर अपनी बहू के साथ जा लेटा। उसका लंड ज़ोर के झटके खा रहा था। “बेटी अब तो हमने एक दूसरे को नंगा देख ही लिया है तो शर्म कैसी। लेकिन हमें समीर को जलाने के लिए थोड़ा और आगे बढ़ना होगा.” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखते हुए कहा। “जी पिता जी, जैसे आपको ठीक लगे, मैं तैयार हूं.” नीलम ने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा. यह बात कहते हुए नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थी।
“बेटी मुझे गलत मत समझना, मगर जब तक समीर न आ जाये हमें एक दूसरे की बांहों में बांहें डालकर सोना होगा.” महेश ने अपनी बहू की इजाज़त पाते ही अपने एक बाज़ू को नीलम के सिर के नीचे डालकर उसे अपनी तरफ सरकाते हुए कहा।
“ठीक है पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा। महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर उसको कमर से पकड़कर अपनी तरफ करते हुए अपनी बांहों में भर लिया। “आआह्ह बेटी, अपने बाज़ू को मेरी पीठ पर रख लो ताकि देखने वाले को हम पर कोई शक न हो.” अपने नंगे सीने से अपनी बहू की नंगी नर्म चूचियों के टकराने से महेश ने ज़ोर से सिसकते हुए आदेश दिया।
नीलम को आज तक किसी गैर मर्द ने छुआ तक नहीं था। यहाँ तो वह पूरी नंगी होकर अपने ससुर के साथ लिपटी हुयी थी जिस वजह से उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? बस उसे अपने पूरे जिस्म में चींटियाँ रेंगते हुए महसूस हो रही थीं। अपने ससुर की बात सुनकर उसने अपने हाथ को महेश की पीठ पर रखकर उसे ज़ोर से अपने सीने से दबा दिया।
“आह्ह्ह बेटी, शाबाश … अब हमें एक दूसरे का चुम्बन लेना होगा.” महेश ने अपनी बहू को गर्म देखकर उसे बहुत ज़ोर से अपनी बांहों में दबाते हुए कहा। नीलम को भी उस वक्त कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसका पूरा जिस्म टूट रहा था. उसका मन बस यह चाह रहा था कि उसके जिस्म को कोई बहुत ज़ोर से अपनी बांहों में लेकर दबाए, महेश ने अपनी बहू को खामोश देखकर उसके सिर को ऊपर करके अपने होंठों के बिल्कुल क़रीब कर दिया।
“बेटी क्या मैं आगे बढ़ सकता हूँ?” महेश ने अपने होंठों को अपनी बहू के होंठों से बिल्कुल सटाते हुए पूछा।
महेश और नीलम के मुँह एक दूसरे से इतना क़रीब थे कि दोनों को एक दूसरे की साँसें महसूस हो रही थी। नीलम का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. वह शर्म के मारे मुँह से कुछ बोल नहीं पा रही थी इसीलिए उसने अपने होंठों को थोड़ा आगे कर दिया जो सीधा जाकर महेश के होंठों से लग गए।
अपनी बहू के गर्म होंठों को अपने होंठों पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और वह अपनी बहू को ज़ोर से अपनी बांहों में दबाते हुए उसके होंठों को चूमने और चाटने लगा।
इधर नीलम का भी वही हाल था. वह अपने ससुर के होंठों से अपने लबों के मिलते ही वह भी सब कुछ भूलकर अपने ससुर के आग़ोश में खो गई, दोनों ससुर-बहू तेज़ी के साथ एक दूसरे को अपनी बांहों में दबाते हुए एक दूसरे के लबों को चूस रहे थे।
अपने ससुर से चूमा चाटी करते हुए नीलम का पूरा जिस्म कांप रहा था और उसका हाथ महेश की पूरी पीठ को सहला रहा था।
अचानक नीलम ने अपनी एक टाँग को उठा कर अपने ससुर की टाँग पर रख दिया, महेश अपनी बहू की इस हरकत से तिलमिला उठा और वह अपने पैर से अपनी बहू की पूरी टाँग को सहलाते हुए अपने हाथ से नीलम के चूतड़ को पकड़कर सहलाने लगा और उसकी चूत को अपने लंड से सटा दिया।
नीलम अपनी चूत पर अपने ससुर के लंड को महसूस करते ही गर्म होते हुए पागलों की तरह अपनी चूत को उसके लंड पर दबाने लगी। महेश भी अपनी बहू को गर्म देख कर उसके चूतड़ों को पकड़कर ज़ोर से अपने लंड पर दबाने लगा और अपनी बहू की जीभ को पकड़ कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
नीलम का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और उसकी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए झड़ने लगी। नीलम ने झड़ते हुए अपने नाखूनों को ज़ोर से अपने ससुर की पीठ में गड़ा दिया और खुद अपने मुँह को अपने ससुर के मुँह से अलग करके ज़ोर से हाँफते हुए झड़ने लगी।
“आआह्ह्ह बेटी!” अपनी पीठ पर नीलम के नाख़ून के लगते ही महेश के मुँह से ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने गुस्से से अपनी बहू की एक चूची को पकड़ कर अपने मुँह में भरकर ज़ोर से काट दिया। “उईई माँ … बापू जी!” नीलम ने दर्द के मारे चीखते हुए कहा.
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और समीर अंदर दाखिल हो गया। समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपने पिता और अपनी पत्नी को बिल्कुल नंगा एक दूसरे की बांहों में देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
ससुर बहू की कहानी चुदाई की … अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर आप नीचे दिये गये मेल पर अपने विचार दे सकते हैं. [email protected]
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