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दोस्तो … आज मैं फिर एक बार अपनी सेक्स कहानी लेकर आई हूँ. ये कहानी उस दौरान की है, जब मैं अपने फ्रेंड्स के साथ मनाली ट्रिप के लिए गई थी. मेरी पिछली कहानी थी मेरा फर्स्ट सेक्स बॉयफ्रेंड के साथ हम सब फ्रेंड्स कॉलेज ट्रिप के लिए मनाली के लिए निकले थे. ये ट्रेन का सफ़र था. हम सब फुल मस्ती में हंसी मज़ाक कर रहे थे. हम सभी अमृतसर से एक ट्रॅवेलर से निकले. आगे के सफ़र के लिए ट्रॅवेलर में सीटें कुछ इस तरह से सैट की गई थीं कि हर सीट पर एक लड़का और लड़की बैठे. हम सब ऐसे ही बैठ कर आगे का सफ़र तय करने लगे. सुबह 3 बजे हम वहां से निकले थे. उस वक्त रात का धुंधलका छाया हुआ था.
मेरी सीट पर एक लड़का बैठा था, उसका नाम संतोष था. मैं थकान के कारण नींद में ऊंघने लगी और इस वजह से मैं संतोष की गोद में सो गई. वो भी थका हुआ था, तो वो भी मेरे ऊपर सो गया. मुझे सोने के थोड़े देर बाद महसूस होने लगा कि वो मेरे मम्मों को दबा रहा था. बस में अंधेरा था और वो इस अँधेरे का फायदा उठाकर मजा ले रहा था. मैं चुपचाप वैसे ही पड़े रही, जिससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और वो और ज़ोर ज़ोर से मेरे मम्मों को दबाने लगा. मुझे भी मज़ा आने लगा.
फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ मेरी पैंट में सरका दिया और मेरी चुत को मसलने लगा. अब मैं भी बेकाबू हो गई थी. थोड़ी देर बाद मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं वैसे ही सोई रही.
थोड़ी सुबह होने के बाद हम सब एक होटल के पास रुके, वहां फ्रेश होकर हम आगे के लिए निकल पड़े.
मंजिल पर पहुँचने के बाद हम सभी अपने पहले से बुक किए हुए एक होटल में पहुँच गए और नहाने के बाद घूमने के लिए निकल पड़े. संतोष ने मुझे रात को अपने कमरे में आने का कह दिया. मुझे भी चुदने की चुल्ल थी, तो मैंने उसकी बात पर हामी भर दी.
कुछ देर हम घूम कर वापस आ गए. सारा दिन मस्ती चलती रही. शाम को खाना खाकर सोने के लिए सब अपने अपने कमरों में जाने लगे. मेरे रूम में हम 5 लड़कियां थीं. जिनमें से एक मैडम भी थीं.
सबके सोने के बाद मैं संतोष के रूम में चली गई. संतोष बड़ी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहा था. उसके रूम में जाते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. मुझे हैरानी हुई कि वो अपने कमरे में अकेला कैसे है … पर मैंने उस वक्त उससे कुछ नहीं पूछा.
उसने एक एक करके मेरे कपड़े निकालना शुरू कर दिए. पहले उसने मेरी जैकेट उतारी, फिर पैंट उतार दी. अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गई थी. मुझे दो कपड़ों में रह जाने के कारण ठंड का अहसास होने लगा. उधर के मौसम में बहुत ठंडक थी. कुछ ही देर में मुझे ज़ोर की ठंड लगने लगी.
मैंने उससे कहा- मुझे बड़ी जोर से ठंड लग रही है. उसने मुझे अपनी बांहों में समेटते हुए कस कर गले से लगा लिया और चूमने लगा. उसके जिस्म से रगड़ने के कारण मुझे भी गर्मी महसूस होने लगी.
इसके बाद हम दोनों में वासना की लहरें उठना शुरू हुईं, तो उसने मेरे मम्मों को मसलना शुरू कर दिया मैंने भी उससे लिपटी जा रही थी. उसने मेरी ब्रा और पैंटी निकाल दी. मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार फेंके.
अब वो मेरे नंगे मम्मों को ज़ोर से दबा रहा था और मसल रहा था. कुछ ही पलों बाद वो मेरे गुलाबी निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा. मैं मस्त होने लगी. जब वो मेरे निप्पल चूस रहा था, तब मैं उसके सर पर हाथ रखे हुए उसको अपना दूध पिलाने में बड़ी तसल्ली महसूस कर रही थी.
फिर उसने नीचे आते हुए मेरी नाभि को चूम लिया. मैं एकदम से सिहर उठी. इसके बाद वो रुका ही नहीं और उसने आगे बढ़ते हुए मेरी चुत के पास अपना मुँह लगा दिया. वो मेरी चूत को चाटने लगा.
अपनी चूत पर मैंने आज पहली बार किसी मर्द का अहसास किया था. मेरे रोंगटे खड़े हो गए, मैं मस्त होने लगी और मेरी टांगें खुद ब खुद खुलने लगीं. मैं उसके सर को अपनी चूत में दबाने लगीं.
दो तीन मिनट में ही मेरे मुँह से आवाजें आने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और ज़ोर से चूसो … बस अब मेरा निकलने वाला है. उसने मेरी चूत को और भी बेदर्दी से चूसना शुरू कर दिया. तभी मैं झड़ गई. मैं एकदम से निढाल हो गई और उसके ऊपर ही ढेर हो गई. उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी मेरे साथ लेट गया. हम दोनों यूं ही पड़े रहे.
कुछ देर बाद वो अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया और मेरे होंठों से लगा दिया. मैं आंखें बंद किए हुए पड़ी थी. उसने लंड का सुपारा मेरे होंठों से टच किया और अपने एक हाथ से मेरे एक दूध को जोर से भींच दिया. इससे मेरे मुँह से एक चीख निकली और इसी चक्कर में मेरा मुँह खुल गया. उसने झट से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और ज़ोर से पेलने लगा. मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि ये क्या हुआ. वो मेरे गले तक लंड पेल रहा था. हालांकि मुझे कुछ ही पलों में उसके लंड का स्वाद अच्छा लगने लगा और मैंने मस्ती से उसका लंड चूसने लगी.
मेरे चूसने से उसका लंड भी एकदम खड़ा हो गया. मैंने उसकी आंखों में देखा, तो उसने मुझे इशारा किया. मैं समझ गई और हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. अब हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने संतोष से कहा- बस अब नहीं रहा जाता संतोष … अपना लंड डाल दो मेरी चुत में … मुझे गर्मी दे दो.
यह सुनते ही वो सीधा होकर अपना लंड चुत में डालने लगा. उसने लंड के सुपारे पर थूक लगाया और मेरी चूत की फांकों में सुपारा घिसने लगा. उसके सुपारे से मेरी चूत कुलबुलाने लगी और मैंने अपनी टांगें खोल दीं. उसने उसी पल एक ज़ोर से धक्का मारा और अपना लंड चूत में अन्दर तक पेल दिया.
उसका ये झटका इतनी जोर का था कि मेरी दर्द भरी कराह निकल गई. मेरी चुत कुंवारी थी. उसके लंड एकदम से अन्दर तक घुसने से मेरी सील टूट गई और खून बहने लगा.
मुझे भयंकर पीड़ा हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि किसी ने गर्म सरिया मेरी चूत में घोम्प दिया हो. मैं बुरी तरह से छटपटा रही थी. उसने मेरे मुँह पर अपने होंठों का ढक्कन लगाया हुआ था.
मैं उसे खुद से अलग करने की नाकामयाब कोशिश करने लगी. उसने मुझे अपनी मजबूत बाहुबल से रोक कर जकड़ लिया और जोरों से किस करने लगा. उनसे लंड को पेलना रोक कर कहा- जान थोड़ी देर रूको … मजा आएगा. इतना कहकर वो फिर से शुरू हो गया. वो मुझे ज़ोरों से चोदने लगा. मेरी चुत काफ़ी टाइट थी. इससे उसे भी मुश्किल होने लगी … पर वो रुका नहीं.
कुछ पलों के दर्द के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा. चूत में चिकनाहट आ गई थी. जिससे उसका लंड भी तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था. मैंने उसे ज़ोर से जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड उठा कर उसके लंड की चोटों को जवाब देने लगी.
मैं कुछ ही मिनट में एकदम से गर्म हो गई थी. मेरी उत्तेजना चरम पर आ गई थी. मैं तेजी से अकड़कर एकदम से झड़ गई. मैं झड़कर शांत हो गई थी, लेकिन वो मुझे पेले जा रहा था.
मैंने उससे कहा- आह … बस हो गया. अब रहने दो. पर वो कहने लगा- मेरा अभी बाकी है.
वो मुझे ज़ोर से चोदने लगा. करीब दस मिनट बाद वो भी झड़ गया और मेरे ऊपर ही निढाल होकर गिर गया.
उस दौरान में दो बार और झड़ चुकी थी. फिर मैं उठकर खून साफ करने लगी. मैं बाथरूम में जाकर जल्दी से शावर लेकर बाहर आकर कपड़े पहनने लगी. मैं मेरे रूम में जाने का सोच रही थी, तभी मुझे महसूस हुआ कि हम दोनों को कोई खिड़की से देख रहा है.
मैं और संतोष डर गए कि कौन रहा होगा. फिर संतोष ने देखा बाहर जाकर तो वो कोई लड़की थी.
शायद वो वही मैडम थीं, जो मेरे कमरे में मेरे साथ रुकी थीं. उनकी सोच कर मुझे मेरे रूम में जाने में डर लगने लगा. पर संतोष ने कहा- जो होगा, वो देखा जाएगा … तुम जाओ.
फिर रूम में जाने से पहले मैंने झाँक कर देखा कि सब सो रहे हैं या कोई जाग रहा है. मैंने देखा कि मैडम अपने बिस्तर पर जागी हुई बैठी थीं.
मैं कमरे में गई तो मैडम मुझे घूरने लगीं. मैडम ने मेरी तरफ गुस्से से देखा और कहने लगीं- इतनी देर से कहां गई थीं? मैंने कहा कि मैडम मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं टहलने चली गई थी. मैडम ने गुस्सा होकर कहा- हां देखा है मैंने तुम्हारा टहलना … संतोष के साथ.
मैं ये सुनकर एकदम से घबरा गई. मैं मैडम से सॉरी कहने लगी.
मैडम मुझे डांटने लगीं और कहने लगीं- तुम सारी लड़कियों की जिम्मेदारी मुझ पर है … और तुम ये सब कर रही हो. अभी हैड को कॉल करके सब बताती हूँ. मैं रोने लगी और सॉरी कहने लगी.
मैडम को लगा कि सब उठ न जाएं, तब मुझे उन्होंने बाहर चलने के लिए कहा. मैडम बोलीं- चलो इधर सबको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं है, बाहर चलकर बात करती हूँ.
मैं रोते हुए बाहर आ गई. मेरे पीछे मैडम आ गईं. मैं बाहर आकर फिर से मैडम से सॉरी कहने लगी.
मैडम ने कहा- सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा … इसका एक ही रास्ता है बस! मैम ने अपनी बात आधी कह कर छोड़ दी थी.
मैंने पूछा- क्या रास्ता है मैडम … मुझे क्या करना होगा? मैडम बोलने लगीं- जो संतोष ने जो तुम्हारे साथ किया, उसे वो मेरे साथ भी करना होगा. यह सुनकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
मैंने बिना सोचे समझे हां कह दिया. मैडम ने कहा- अभी संतोष को मेरे सामने फोन करो. मैंने संतोष को फोन किया. उसे मैंने सारी बात बता दी.
पर संतोष कहने लगा, उस वक्त मेरे रूम में कोई नहीं था, अब अमोल भी आ गया है.
अमोल हमारे साथ इस ट्रिप में आया था. उसको संतोष ने मुझे चोदने के चक्कर में बाहर भगा दिया था.
मैंने मैडम को ये बताया, तो मैडम ने कहा- अभी तो आग लगी है, एक से भले दो … और फिर तुम्हारी मर्ज़ी हो, तो तुम भी एक बार और मजा ले लेना.
मैंने संतोष से फिर से बात की. उसने हां कर दी. मैंने मैडम से हां बोल दी.
फिर मैंने पूछा- मैडम बाकी लड़कियों का क्या होगा. मैडम ने कहा- मैं वो सब देख लूंगी.
अब हम दोनों संतोष के रूम की ओर चल दिए. उसके कमरे की घंटी बजाते ही उसने दरवाजा खोल दिया. मैडम और मैं अन्दर चली आई. हम तीनों बैठ गए. मैडम- क्यों संतोष बड़ी मस्ती चल रही है तुम्हारी … थोड़ी मस्ती हमको भी दे दो. बस इतना याद रखना कि यहां जो होगा, वो बस हम चारों के बीच में ही रहेगा.
संतोष और अमोल नीचे मुँह छुपाकर शरमाने का नाटक करने लगे.
तब मैडम ने कहा- अब शुरू करोगे भी … या नहीं? ये सुनते ही संतोष ने मैडम को अपनी बांहों में जकड़ लिया और क़िस करने लगा. वो मैडम के मम्मों को दबाने लगा.
मैडम बड़ी चुदासी थीं, सो जल्दी ही ज़ोर की मादक आवाजें निकालने लगीं.
मैं और अमोल उन दोनों को देख रहे थे.
मैडम ने मुझसे कहा- अब तुम्हें किस चीज़ का इंतज़ार है … या फिर इन्विटेशन भेजना पड़ेगा?
उनकी बात सुनकर हम दोनों भी शुरू हो गए.
फिर एक बेड पर हम दोनों लड़कियां नंगी हो गई थीं. संतोष और अमोल हम दोनों को बेड पर चित लिटा कर हमारी चुत चाटने लगे. अमोल अपने एक हाथ से मेरे मम्मों को भी दबा रहा था. मैडम चूत को चटवाने के साथ ही अपनी एक उंगली अपनी चुत में डाल रही थीं.
हम दोनों उन दोनों का सिर अपनी अपनी चुत पर दबा कर मजे ले रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद दोनों ने किसिंग की.
कोई पांच मिनट बाद हम दोनों खड़ी हो गईं. अब तक हमारे सारे कपड़े उतर चुके थे. उन दोनों मर्दों के बड़े लंड हमारे सामने अजगर से लहरा रहे थे.
मैडम और मैंने उन दोनों के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर में वे दोनों झड़ गए. उनके झड़ जाने के बाद भी मैडम और मैंने उनके लंड चूसना नहीं छोड़े. लगातार लंड चूसने के कारण उनके लौड़े फिर से तन्ना उठे. हम दोनों ने लॉलीपॉप की तरह उसके लंड चूस कर लिसलिसे करना शुरू कर दिए, ताकि लंड को चूत में घुसने में मजा आ जाए.
मैडम ने संतोष से कहा- बस बहुत हुआ अब जल्दी से अपना लंड पेल दो … अब और नहीं रहा जाता.
संतोष ने मैडम की चुत का भेदन किया और एक ही बार में उसने अपने मूसल को मैडम की चूत की जड़ तक पेल दिया. मैडम की गांड फट गई, वो चिल्ला उठीं. संतोष ने अपना हाथ मैडम के मुँह पर रखा और उनकी चीख को बंद करते हुए लंड को अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.
एक मिनट में मैडम को मजा आने लगा और उन्होंने संतोष के हाथ हटाते हुए कहा- आह तेरा बहुत बड़ा है … बाकी सब टीचरों से बहुत बड़ा लंड है … अब तक मैंने जितने भी लंड लिए हैं, ये उन सबमें बड़ा है.
मैडम की चुदक्कड़पने की आदत जानकर हम सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं. हमें ये मालूम ही नहीं था कि मैडम का पूरे स्टाफ के साथ अफेयर था.
फिर मैडम ने गांड उठाते हुए कहा- प्रमोशन और जॉब के लिए सब कुछ करना पड़ता है … और यह सिर्फ मेरा हाल नहीं है, बाकी सभी लेडी स्टाफ का भी वैसा ही रिश्ता है.
हम सब चूत चुदाई का मजा लेना भूल कर मैडम की बातों से हैरान हुए जा रहे थे.
तभी मैडम ने कहा- तुम लोग ये सब छोड़ो … अभी चुदाई के मजे लो और दो. वो अपनी गांड उठाकर संतोष को उत्तेजित करने लगीं.
इधर अमोल ने भी मुझे चोदना शुरू कर दिया. मैडम मजे लेते हुई आवाज़ निकाल रही थीं- आह … और ज़ोर से संतोष … इस चुत का भोसड़ा बना दे. … और ज़ोर सेए … आआह …
थोड़ी देर में मैडम झड़ गईं और उन्होंने संतोष को कसकर पकड़ लिया. संतोष ने उनको आगे भी चोदने का सोचा, तो मैडम ने उसे मेरी तरफ आने को इशारा कर दिया.
फिर संतोष उठा और उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया. उधर अमोल मेरी चुत चोद रहा था, वो अलग मजा था.
मैडम वहीं पड़ी रहीं.
कुछ ही देर में संतोष का लंड एक बार फिर से चूत चूत करने लगा. अब मेरी चूत में तो अमोल का लंड घुसा था.
उधर मैडम कपड़े पहन कर जाने ही वाली थीं. तब संतोष मैडम के पास गया और बोला- इतनी जल्दी कहां चलीं डियर डार्लिंग … मजे तो ले लेने दो … अभी तो आपकी गांड भी मारनी बाकी है. ये मेरी तमन्ना है.
इतना कहकर उसने लंड को मैडम की गांड में पेल दिया. मैडम ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आह मर गई साले भोसड़ी के … जल्दी बाहर निकाल … बहुत दर्द हो रहा है.
पर संतोष बहुत बड़ा कमीना था, वो कहां किसी की सुनने वाला था.
उसने मैडम की गांड में लंड पेल कर झटके देने शुरू कर दिए. मैडम आवाज़ करती रहीं. संतोष ने मैडम को मजे देने के लिए उनकी चूत में उंगली करना चालू कर दी.
थोड़ी देर बाद मैडम और संतोष दोनों झड़ गए और कुछ देर के लिए एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे.
इधर अमोल मेरी चुत चोद रहा था. अब तक मैं 3 बार झड़ चुकी थी. लगभग 5 मिनट के बाद वो भी मेरे साथ झड़ गया और हम दोनों भी निढाल होकर गिर गए. अमोल मेरे होंठ चूसता रहा.
अब तक रात के 3.30 बज चुके थे. मैं वहीं सोने लगी.
मैडम ने मुझे आवाज़ दी और कहा- बहुत देर हो गई है, अब हमें जाना चाहिए.
हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और जाने से पहले दोनों से एक लंबा किस किया और बाहर आ गए.
मैं रूम में गई, तो देखा सब लड़कियां सो रही थीं. हम दोनों भी चुपचाप जाकर सो गए.
ऐसे ही हमने पूरे ट्रिप में बहुत मजे किए. बस में भी और रूम में भी. कमरे में मैडम और मैंने मिल कर खूब कलाबाजियां खाईं और चूत का भोसड़ा बनवाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. मेरी गांड भी खुल गई थी.
तो दोस्तो, गुरु चेली की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी. मुझे कमेंट्स में बताएं.
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