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मेरी पिछली सेक्स कहानी मेरी वासना और बॉस की तड़प में आप सभी ने मेरे बॉस के साथ मेरे सेक्स सम्बन्ध के बारे में जाना था. बॉस के अलावा ऑफिस का एक लड़का विनय भी मुझे चोद चुका था. लेकिन वो मेरे सामने अपनी हैसियत समझता था, इसलिए मेरी बड़ी इज्जत भी करता था. मैंने उसकी नौकरी को जाने से बचाया था.
अब आगे की कहानी:
जब अगली सुबह दरवाजे की घंटी बजी, तो मैंने नंगी ही रह कर दरवाजा खोला. जैसे ही बाहर झांका, तो मेरे तो होश ही उड़ गए.
मेरे ऑफ़िस का ब्वॉय विनय दरवाज़े पर था. मैंने जैसे ही उसको देखा, तुरंत दरवाज़े को बन्द कर दिया. उसको देख कर मेरी सांसें तेज तेज चलने लगीं. मेरी चुचियां ऊपर नीचे हो रही थीं. मैं गेट से चिपक कर बिल्कुल नंगी खड़ी थी और विनय बाहर से आवाज दे रहा था.
मैंने खुद पर काबू पाया और गाउन पहन कर गेट खोला. बॉस बेडरूम में सो रहे थे, उनको कुछ पता नहीं चला. मैं- हैलो विनय कैसे हो तुम? विनय- मैं अच्छा हूँ … तुम कैसी हो? बहुत दिनों से ऑफ़िस नहीं आई, तो मुझे लगा तुम्हारी तबियत ज्यादा खराब है. मैं- नहीं … मैं अब ठीक हूँ. पहले थोड़ी खराब थी. विनय- ओहह फिर तो अच्छी बात है.
मैं भूल गयी कि विनय गेट पर ही खड़ा है, मुझे उसको अन्दर बुला कर कॉफी या चाय के लिए पूछना चाहिए.
विनय- ठीक है … मैं जाता हूँ. सॉरी तुमको डिस्टर्ब किया. मैं- नहीं … कोई बात नहीं विनय. मैं सो रही थी और तुम आए, तो जल्दी में गेट खोलने आ गयी. विनय- ओके …
मैं और विनय एक दूसरे को देख रहे थे. फिर विनय मेरे मम्मों को दरारों में देखने लगा, जो गाऊन में से झांक रहे थे.
मैं- आओ ना विनय … चाय पीकर जाना. विनय- नहीं तुम परेशान मत हो. मैं- परेशानी कैसी, तुम्हारे बहाने मैं भी पी लूंगी.
विनय थोड़ा ना नुकुर के बाद मान गया और अन्दर आकर सोफे पर बैठ गया.
मैं उसके लिए पानी लेकर आई और झुक कर देने लगी. विनय की आंखें पूरी खुल कर मेरे गाऊन के भीतर झांकने लगीं. मेरी चुचियों का साइज़ अब 36 हो गया था. विनय को मेरी चूचियों के बढ़े हुए साइज़ देख कर बहुत ख़ुशी मिल रही थी.
मैंने विनय से मजे लेने के लिए बोला- चलो अब पानी को वापिस रख देती हूँ.
विनय जैसे नींद से जागा हो और झेंपते हुए बोला- क..क्या? मैं- अब तुमको पानी की जरूरत नहीं है ना? विनय- क्यों? मैं- तुम्हारी प्यास तो अन्दर झांक कर मिट गयी होगी.
विनय शर्मा कर नीचे देखने लगा.
मैं हंसते हुए बोली- अरे मैं तो मजाक कर रही थी. लो तुम पानी पी लो. मैंने अपने मम्मों को सहलाते हुए बोला- ये इतने बड़े हो गए हैं न … इसलिए अपने आप दिख जाते हैं. विनय- नहीं, अभी इतने भी बड़े नहीं हुए हैं. मैं- तुमको कैसे पता, मेरे पहले कितने बड़े थे?
विनय फिर शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगा. अब मैं चाय बनाने के लिए किचन में चली गयी. मैंने चाय को गैस पर रख दिया और सोचने लगी कि काश विनय आकर मुझे पीछे से पकड़ ले और जोर जोर से मेरी चूचियों को मसल दे. मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरी चूत में लंड घुसा दे और बोले कि रंडी तेरी चुचियों से पूरा शहर दूध पियेगा, इनको इतना बड़ा कर दूंगा.
ये सोचते सोचते मेरे हाथ अपने आप मेरी चूत पर लग गए और मैं गाऊन को हटा कर चूत में उंगली घुसेड़ने लगी थी.
काफी देर बीत गई, तो विनय किचन में आ गया और मुझे देखने लगा.
मेरा गाऊन खुला हुआ था और मेरी एक टांग किचन की स्लैब पर रखी हुई थी. मैं आंखें बंद करके अपनी चूचियों को मसल रही थी और बुदबुदा रही थी कि आह … विनय फक मी … आहह फक मी हार्डर. मैं अपनी चुदास में ये सब बोल रही थी.
विनय- नेहा ये क्या कर रही हो? अचानक से विनय की आवाज सुनकर मैं पूरी तरह से चौंक उठी और पीछे को मुड़कर मैंने विनय को देखा.
विनय की नजरें मेरे नंगे दिख रहे जिस्म पर थीं. मेरी तनी हुई चूचियों और खुली हुई चूत को विनय बड़े ध्यान से देख रहा था.
मैं अपने गाऊन को ठीक करते हुए- ओहह सॉरी विनय … मैं शायद कहीं खो गयी थी. तुम बैठो मैं अभी आती हूँ.
विनय मेरे करीब आने लगा. मैंने देखा विनय का लंड बिल्कुल टाइट होकर पैंट में उभार बना रहा है. विनय मेरे पास आकर कान में धीरे से बोला- नेहा तुम अन्दर से बहुत खूबसूरत हो. मैं शर्मा कर बिल्कुल जड़ हो गयी और विनय मेरे होंठों को चूम कर बाहर हॉल में चला गया.
थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर बाहर आयी. अब मैं समझ गयी थी कि विनय दुबारा मुझे चोदना चाहता है. इसलिए मैं भी अब ज्यादा नहीं शर्मा रही थी.
मैंने झुक कर चाय टेबल पर रखी और विनय को अपनी चूचियों को दिखाया. फिर उसके सामने अपने पैर पर पैर रख कर बैठ गई, जिससे मेरी नंगी जाँघ विनय को दिखायी दे जाए … और उसका लंड टाइट बना रहे.
विनय- नेहा तुम ऑफ़िस नहीं आती हो, तो मन नहीं लगता. मैं- क्यों? क्या तुम ऑफ़िस मुझे देखने आते हो? विनय- अरे नहीं … बस तुमको देख कर अच्छा लगता है. मैं- और क्या क्या अच्छा लगता है तुमको?
विनय की नजर मेरे नंगी जांघों पर थी और लंड पूरा टाइट था. उसने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया तो मैंने उसे चिढ़ाने के लिए बोला- तुम्हारे पैंट का तम्बू देख कर पता चल गया कि तुमको मेरा क्या क्या अच्छा लगता है.
विनय झेंप गया और कुशन को अपनी गोद में रखते हुए बोला- अरे नहीं सॉरी … मैं कुछ सोचने लगा था.
मैं- मेरे पैरों को देखते हुए क्या सोचने लगे थे? विनय- वो वो कुछ नहीं … आजकल तुम्हारे बिना बॉस भी बहुत परेशान रहते हैं.
मुझे तुरंत याद आया कि बॉस तो बेडरूम में सोये हैं. कहीं विनय ने देख लिया तो क्या होगा … ये क्या सोचेगा.
मैंने विनय को बोला- ठीक है, अब कल से ऑफ़िस आऊंगी. मुझे अभी काम है, कल मिलते हैं.
विनय अब जाने को हुआ और गेट पर मैं उसके साथ गयी. विनय ने मुझे गले लगाया और मेरे चूतड़ों को दबाया. उसकी इस हरकत को मैंने इग्नोर कर दिया … क्योंकि अब मैं उसको जल्दी से जल्दी भेजना चाहती थी.
जैसे ही मैंने गेट खोला, तुरंत पीछे से आवाज आई- अरे विनय तुम कब आये? विनय और मैं पीछे मुड़े.
बॉस सिर्फ एक छोटी सी फ्रेंची में बेडरूम के गेट पर खड़े थे. विनय शॉक्ड होते हुए- सर..!
अब मैं कुछ बोलने की हालत में नहीं थी. बॉस ने विनय को बुलाया और बैठने को बोला. मैं चाय का कप लेकर किचन में गयी.
इतने में बॉस आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चूमते हुए मेरे गाऊन में हाथ डाल दिया और मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.
मैं- सर विनय आ जाएगा. बॉस- वो जानता है कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो. मैं- फिर भी सर उसके सामने ये सब कैसे हो सकता है?
अब बॉस ने मुझे छोड़ दिया और वापिस कमरे में आ गए. मैं भी पीछे पीछे आ कर बैठ गयी और उनकी बातें सुनने लगी.
बॉस ने विनय से पूछा- विनय तुम दारू पीते हो? विनय- हाँ सर कभी कभी … पर रात में. बॉस- ठीक है अभी मेरे लिए लेकर आओगे? विनय- ओके सर.
वो जाने लगा, तो बॉस ने उसे रोका और पैसे दिए. विनय बॉस से पैसे लेकर चला गया.
उसके जाते ही बॉस मेरे पास आकर खड़े हो गए और मेरे चेहरे को पकड़ कर किस कर लिया. मैं- बॉस आप पहले ब्रश कर लीजिये, तब तक मैं आपके लिए चाय लाती हूँ. मैं किचन में चाय लाने चली गयी और बॉस ने ब्रश कर लिया. फिर सोफे पर बैठ गए.
मैं बॉस को चाय देकर उनके बगल में बैठ गयी, तो बॉस ने मुझे उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया. अब बॉस मेरे गाऊन को हटा कर मेरे निप्पलों को चूसने लगे और चाय भी पीने लगे.
मैंने मसखरी की- दूध कम लग रहा है क्या चाय में? बॉस- नहीं मेरी जान, पर तेरी चूचियों में कुछ नशा सा है.
अब मैं मुस्कुरा कर बॉस से अपने निप्पल चुसवा रही थी. सामने गेट खुला ही था, तो मुझे डर था कि कोई आ ना जाए.
फिर बॉस जोर जोर से मेरे निप्पलों को काटने लगे और मेरी चूत रगड़ने लगे थे.
बॉस ने मुझे गोद से उतार दिया और मेरा गाऊन निकाल दिया, जिससे मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी हो गयी. मैंने अपनी एक टांग को बॉस के कंधे पर रख दिया, जिससे बॉस मेरी चूत में मुँह डाल दिया था और वे अपनी जीभ से मेरी चूत चाट रहे थे.
चूत पर जुबान का टच मिलते ही, मेरी आंख बन्द हो गयी थी. मैं स्वर्ग की सैर करते हुए अपनी चूत चटवा रही थी. फिर बॉस ने चूत चाट कर मुझे घुमा दिया और मैं टेबल पर हाथ रख कर झुक गयी. अब बॉस की जीभ मेरी गांड की छेद को चाट रही थी, जिसे कल रात बॉस ने अपने लंड से फैला दिया था.
मैं मजे से गांड चटवाने का मजा ले रही थी. फिर बॉस खड़े हो गए और अपना लंड निकाल कर मुझे बिना बताये, मेरी गांड में घुसा दिया.
मैं- आहह बॉस … पहले बोल तो देते … आह सीधा गांड में लंड घुसा दिया. आह प्लीज़ रुको … थोड़ी देर मेरी गांड में अपने लंड को फंसा कर यूं ही रखो. बॉस- साली कल रात तो बहुत जोर जोर से गांड मरवा रही थी. अभी तेरी गांड को फ़ाड़ कर चौड़ा कर दूंगा. रंडी बनेगी साली … आह ले …
मुझे गाली सुन कर चुदना बहुत अच्छा लगता है. इसलिए अब मैं नॉर्मल हो कर गांड मरवाने लगी. बॉस जोर जोर से अपना लंड मेरी गांड के अन्दर तक घुसा देते और फिर निकाल कर लंड से गांड की छेद पर ठोक दे रहे थे.
मैं- सर चूत में घुसा दो, बहुत खुजली हो रही है. बॉस- ले मादरचोद रंडी … तेरी चूत और गांड दोनों में एक साथ लंड घुसेगा, तब तेरी प्यास बुझेगी … भोसड़ी वाली. उन्होंने पीछे से ही लंड चूत में पेल दिया.
मैं सोच रही थी कि काश ऐसा होता तो कितना मजा आता. दो लंड एक साथ गांड में और चूत में चलते. ये सोच कर ही मेरी चूत पानी निकालने को हो गयी.
अब बॉस ने अपनी गति को बढ़ा दिया और मेरे ऊपर झुक कर मेरी चुचियों को पकड़ कर मुझे जोर जोर से चोदने लगे. मैं आहह आहह करके बॉस से चुदवा रही थी. घोड़ी बन के अपनी चूत में लंड ले रही थी.
अब बॉस का लंड अपना लावा निकालने वाला था, बॉस ने लंड निकाल कर मेरी गांड में घुसेड़ दिया और जोर जोर से मेरी गांड में लंड का पानी निकालने लगे.
बॉस- साली रंडी तेरी गांड मस्त है. मैंने भी गर्म गर्म वीर्य गांड में पाकर अपना चूत खोल दिया, जिससे उनका रस मेरी जांघों पर चूने लगा.
तभी पीछे से दरवाजा खुलने की आवाज आयी.
मैं नंगी होकर बॉस का लंड अपनी गांड में लेकर झुकी हुई थी. मैं और बॉस ने पीछे मुड़ कर देखा, तो विनय दारू लेकर आ गया था और हम दोनों को देख रहा था.
मैं जल्दी से अपना गाऊन उठा कर बाथरूम की तरफ भागी. बॉस का लंड मेरे गांड से गप की आवाज के साथ निकला और उनका ढेर सारा वीर्य गांड से निकल कर जाँघ पर बहने लगा, कुछ वहीं जमीन पर भी गिर गया.
अब बॉस ने अपना लंड अपनी फ्रेंची के अन्दर घुसा लिया और सोफे पर बैठ कर लंड कर ऊपर मेरा गाऊन डाल दिया. बॉस ने विनय को अपने सामने बिठा लिया जिससे विनय मेरी तरफ ना देख पाये.
मैं बाथरूम में नहाने के लिए चली गयी और नहा कर नंगी ही बाहर आई. बॉस का चेहरा मेरी तरफ था और विनय की पीठ मेरी तरफ थी, तो वो मुझको नहीं देख सकता था. बॉस मुझे नंगी देख कर अपना लंड सहला रहे थे.
इसके बाद मेरी चूत और गांड दोनों छेदों में दो लंड कैसे घुसे और मेरी गैंगबैंग हो गई. वो मस्त चुदाई की कहानी आपको आगे लिखती हूँ.
आप मुझे मेल जरूर कीजिएगा. [email protected] कहानी का अगला भाग: दो प्यासे मर्दों ने चूत गांड चोद दी-2
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