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आपने अब तक मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा कि हम दोनों ने 69 का मजा लेते हुए एक दूसरे को झाड़ दिया था. इसके बाद हम दोनों मस्ती से अठखेलियां कर रहे थे. अब आगे:
वो अपने थूक से कभी कभी मेरे लंड को गीला करती और कभी मेरी गांड के छेद में अपना थूक डाल देती और मेरी गांड में उंगली चलाने लगती.
इधर में उसके नीचे दबा हुआ अपनी नाक उसके चुत में डालने में लगा हुआ था. अपने दोनों हाथों से मैंने उसके निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया था.
कभी मैं उन दोनों ब्राउन निप्पलों को अपने उंगलियों में मसल देता. कभी पूरे दूध को अपनी हथेली में भरके उसे दबा देता.
इस वक्त हम दोनों जैसे डांस सा करने लगे थे. इसका नतीजा यह हुआ कि हम दोनों एक बार फिर से ज़ोरों से चिल्लाते हुए चीखते हुए अपने चरम की ओर बढ़ रहे थे.
बबली बोल रही थी- ऊऊम्म्मम … मेरे राजा … कहां थे यार इतने दिनों से … तुमने कभी कोई पहल क्यों नहीं की … वरना आज तक तो हम दोनों न जाने कितनी बार चुदाई कर चुके होते … और शायद मैं तुम्हारी औलाद की माँ भी बन गई होती. मैंने भी कहा- हां यार देर तो हो गई … पर चलो जो हुआ, जैसे हुआ, जब हुआ अच्छा ही हुआ ना … इसी बहाने से हम दोनों इतने सालों से भरे हुए बैठे थे … और देखो आज कैसे जंगलियों के जैसे हमारी हवस निकल रही है … आअहह … ऊओह उउह!
हम दोनों ने एक बार फिर से एक दूसरे के मुँह में अपना रस निकाल दिया.
अब हम दोनों बहुत थक चुके थे और ज़ोरों से हांफ रहे थे. हमारी सांसें बहुत तेज़ी से चल रही थीं. वो वैसे ही मेरी दोनों टांगों के बीच में अपने दोनों पैरों को मेरे शरीर के दोनों तरफ फैलाते हुए पेट के बल औंधी लेट गई. वो ज़ोर ज़ोर से सांसें ले रही थी और उसकी गांड भी ऐसे ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी, जैसे कि उसकी गांड भी ज़ोर ज़ोर से सांस ले रही हो.
थोड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे से कुछ बोले बिना, ऐसे ही पड़े रहे. उस बीच में मैंने अपने लिए एक पैग बनाया और बिना कुछ मिक्स किए मैंने भी वो पैग नीट ही मार लिया.
फिर मैं लेटे लेटे अपने पैर के अंगूठे से उसकी गांड के छेद को छेड़ने लगा. वो कसमसाने लगी. उसकी चूत से रस निकल रहा था और वो चादर पे गिर रहा था, जिससे उस पर दाग बन गया था.
मेरे पास में ही उसकी पेंटी पड़ी हुई थी. मैं उसकी पेंटी को उठा कर सूंघने लगा और धीरे धीरे मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा. मैंने उसकी पेंटी को अपने लंड पे लपेट लिया और लंड को घिसने लगा. साथ ही मैं अपने पैरों से उसकी गांड को छेड़ रहा था.
अब वो भी मूड में आने लगी थी तो मैंने अपना पैग मुँह में लेकर उसकी गांड के छेद में लगा कर उसमें गांड को पिला दिया. इससे कुछ शराब उसकी गांड में चली गई और कुछ नीचे चादर में गिर गई. यहां उसकी पेंटी मेरे लंड पर लिपटी हुई थी. मैं उसकी गांड के छेद को अच्छे से चाटने लगा.
वो अपने दोनों पैर घुटने से मोड़ कर कुतिया की भाँति अपनी गांड को ऊपर उठा कर कुतिया सी बन गई. मैंने पीछे से उसकी गांड में वोड्का डाल डाल के अच्छे से गीला कर दिया था और अपनी उंगली उसकी गांड में ज़ोर ज़ोर से चलाने लगा. मैं एक हाथ से उसके दूध दबाने मसलने लगा.
वो फिर से फुल मूड में आ गई थी- ऊऊऊओव … अहहा … उम्म्म उफ्फ़ मेरी जान ही ले लोगे क्या. वो अपनी चूत को अपने हाथ से मसलने लगी और अपनी उंगलियों से अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.
वो कहने लगी- प्लीज़ जल्दी करो मेरी जान … जल्दी से अपना ये लंड मेरी चुत में डाल दो … वरना मेरी चुत में से फिर छूट हो जाएगी … अब मुझसे सब्र नहीं होता … प्लीज़ जल्दी डाल दो ना. उसकी कामुक आवाजें निकल रही थीं.
मैंने ऐसे ही उसके पीछे से अपने दोनों हाथ आगे डाल कर उसके दोनों रसीले आम पकड़ लिए और अपने लंड को पीछे से ही उसकी चुत में चिपका दिया. अब वो खुद ही अपने हाथों से अपनी चूत को खोल कर मेरे लंड को अन्दर आने का निमंत्रण दे रही थी और अपनी गांड पीछे करते हुए मेरे लंड को अपनी चुत में निगल रही थी.
जैसे जैसे मेरा लंड चूत में अन्दर जाता, उसकी चूत की गर्मी और वीर्य का गीलापन मेरे लंड को और भड़का देता. वो फिर अपने औकात से थोड़ा सा और बड़ा हुए जा रहा था. इससे उसे तकलीफ़ होने लगी. अब तक मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकराने लगा था.
उसने दर्द से कराहते हुए मुझे रुकने का इशारा किया. मैं रुक गया और थोड़ी देर मैंने उसकी दूध दबाए … उसकी गांड के छेद को सहलाया और उसे चाटा भी.
फिर वो अपने हाथ से अपनी चूत के दाने को मसलने लगी, जिससे वो अब सहज हो गई थी. अब वो धीरे धीरे अपनी गांड को आगे पीछे करके मेरे लंड को अपनी चुत में चलाने लगी थी.
‘ढप्पा ढप्प..’ की आवाजें आने लगी थीं.
मेरा लंड उसकी चूत में आगे पीछे होने लगा था. मेरे गुल्ले भी नीचे से उसकी जांघों से टकराते हुए आवाजें निकाल रहे थे. उसने मेरे लंड को सहन कर लिया था और वो चुदाई के मजे लेने लगी थी.
अब वो भी चिल्लाने लगी थी- अयायाहह मुझे चोद दो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… और ज़ोर से चोदो आहह … ऊऊहह मेरी चूत फाड़ दो … आज मेरी गांड भी मार लो आअह … उम्म्म्मा …
अब मैंने उसके दूध छोड़ कर उसकी कमर को मजबूती से पकड़ लिया और अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर वापस अन्दर डालना शुरू कर दिया. उसे भी अब बहुत मज़ा आ रहा था.
पूरा कमरा चुदाई की मदमस्त आवाजों से गूँजने लगा था. ‘फ़चक फॅक फॅक फ़च फ़च..’ की आवाजों से कमरे की रूमानियत बढ़ गई थी.
उसने अपने दोनों हाथों से चादर को पकड़ लिया था और वो जोरों से उस चादर को भींच रही थी. साथ ही वो अपनी गांड से मेरे लंड पे धक्के मार रही थी.
तभी उसे न जाने क्या सूझी. उसने ऐसे ही लंड फंसाए फंसाए ही मुझे लेटने को कहा और ऐसे ही मेरे लंड पे बैठ कर उचकने लगी.
अब मुझे सामने आदमकद आईने में से वो दिख रही थी. उसके दोनों दूध उसके झटकों की लय के साथ ऊपर नीचे उचक रहे थे. चुदाई की धप्प धप्प … की आवाज के साथ संगीत बजने लगा था.
मैं भी पीछे से उसकी गांड पे चांटे मारने लगा था. उसकी गांड दो चांटों में ही लाल हो गई.
कुछ ही पलों में वो अपनी चूत को सिकोड़ने लगी थी और पूरी तरह से मेरे लंड पर बैठ कर अपनी गांड मटकाने लगी. वो अपनी चूत से मेरे लंड को ज़ोर से दबोच कर लंड के चारों ओर घूमने लगी. मैं सामने के शीशे में देख रहा था कि वो अपने ही हाथों से अपने दोनों मम्मों को मसलने और अपने निप्पलों को काटने लगी थी. उसकी नजरें मुझसे मिलीं तो वो भी आईने में से ही मुझे देख कर नशीली मुस्कान देने लगी. वो ये सब करके मुझे और भी गर्म करने लगी.
अब हम दोनों पूरे जोश में आ गए थे. मैंने भी अब नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के देना शुरू कर दिए थे.
‘उउऊम्म्म उफ्फ़ … आह … ऊऊ … बबली … मेरी जान.’ ‘आहह ज़ानू मुझे कुछ हो रहा है … आआहह.’ ‘आह … मुझे भी कुछ होने वाला है बबली.’ ‘आअहह जानू … मेरी चूत में ही झड़ना हां … आह … उफ्फ़ कम ऑन … उईई.’ ‘यसस्स … बबली… ले.’
इन आवाजों के साथ ही उसने अपने धक्कों की स्पीड को और बढ़ा दिया. साथ ही साथ मैंने भी उसके धक्कों की स्पीड में अपने धक्कों के स्पीड को मिला दिया और उसकी गांड को ज़ोर से पकड़ कर मसल दिया- आआअहह बबलीई … आआह जान.
आख़िर हम दोनों ने अपने चरमसुख को एक साथ पा ही लिया था. हमम्म्म … उफ्फ़ … करते हुए उसने अपनी चुत में ही लंड को फंसाए हुए ही अपनी रफ्तार को एकदम से धीमे कर दी.
फिर वो थरथराते हुए रुक गई, मानो किसी गाड़ी का इंजन सरकता हुआ ठहर गया हो. हम दोनों झगड़ जरूर गए थे … मगर हम दोनों की मस्ती अभी भी कम नहीं हुई थी.
उसका अभी भी अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर अपने मम्मों को सहलाना दबाना चालू ही था. वो कभी अपने निप्पल को अपने दांतों से काट लेती … कभी चूम लेती.
फिर ऐसे ही मैंने लंड फंसाए फंसाए ही उसे अपने ऊपर गिरा लिया और उसकी बगलों को चूमने चाटने लगा.
उसकी बगलों में पसीने की बूंदें मुझे मानो ओस की बूंदें लग रही थीं.
मैंने धीरे धीरे उसकी दोनों बगलों को सूँघ और चाटा. फिर अपने हाथों से उसके निप्पलों को मसलना चालू कर दिया. मैं कभी उसके मम्मों को मसल देता. कभी उसके निप्पल उमेठ देता.
उसने बॉटल उठा कर वोड्का के दो बड़े बड़े घूंट अन्दर उतारे और मेरे बाजू में आकर लेट गई.
हम दोनों एक दूसरे के बांहों में समाए हुए ही लेट गए. मैंने उसे सिगरेट उठाने का कहा, तो उसने खुद मुझे एक सिगरेट जला कर दी. हम दोनों ने पूरी सिगरेट का मजा लिया और एक दूसरे से होंठ मिला दिए. हम दोनों न जाने कब सो गए, कुछ पता ही नहीं चला.
फिर जब रात में मेरी नींद खुली, तो देखा कि वो नींद में अपनी चूत को सहलाते हुए सिस्कार रही थी और न जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थी. उसके शब्द तो मेरी समझ में नहीं आए, पर हां इतना ज़रूर समझ आया कि वो नींद में मुझसे चुद ही रही थी.
हम दोनों को ही होश नहीं था.
अगले दिन सुबह नौ बजे मेरी नींद खुली, तो वो ऐसे ही नंगी पड़ी हुई सो रही थी. उसकी चूत और थोड़ा फूल गई थी. मुझसे रहा नहीं गया, मुझे पेशाब भी आ रही थी, मगर मेरा जाने का मन नहीं कर रहा था.
मैंने उसकी दोनों टांगें हवा में फैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. वो पूरी तरह से उठी तो नहीं थी, मगर शायद नशे में ही थी. वो धीरे धीरे तैयार हो रही थी. वो बोली- जानू मुझे सूसू आ रही है. मैंने कहा कि आ तो मुझे भी रही है … और मैं उसी का इंतज़ाम कर रहा हूँ. वो एकदम से बोली- हटो … मुझे जाने दो … वरना मुझे यहीं हो जाएगी.
पर मैं कहां सुनने वाला था … मैंने उसके ऊपर 69 में आकर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया, जिसे वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. उसके मुँह से चप्प … छप्प … गप्प … गप्प … की आवाज आने लगी. यहां नीचे से मैं उसकी चूत को जितना ज्यादा हो सकता था, फैला कर उसमें अपने जीभ और नाक डाल रहा था.
आख़िरकार उससे और मुझसे रहा ही नहीं गया … और हम दोनों ने सररर्रर की आवाज़ के साथ एक दूसरे के मुँह में सूसू कर दी.
उसकी सूसू का स्वाद बहुत टेस्टी था और सूसू बहुत गर्म भी थी. शायद उसे भी मेरी तरह सूसू पीने का शौक था, तो वो भी गट गट करके मेरी पूरी सूसू पी गई. जो सूसू चादर पे गिरी, वो तो उसे भी चाट गई.
फिर वो अपनी गांड उचका कर पलट कर सो गई. मैं पीछे से उसकी गांड में अपना लंड लगा कर सो गया.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा तो उसके हाथ मेरे लंड पर जम गए थे और उसे अपने गांड में लगा रही थी.
मैंने उसे कुतिया बनाने के लिए कहा, तो वो अपने सिर को नीचे तकिये में फंसा कर अपनी गांड उठा कर लेट गई.
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी गांड फैला दी. मैंने उसकी गांड में थूक दिया और अपनी उंगली घुसा कर चलाई, जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ. मगर फिर उसे मज़ा आने लगा. अब वो अपनी गांड चलाने लगी.
फिर मैंने अपने लंड पर वोड्का गिराई और उसके टोपे को उसकी गांड के उस भूरे छेद पे टिका दिया. मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया, तो उसकी सिसकारी निकल गई. ‘सस्स्स … उई माँ.’
उसकी गांड में से मादक सी खुशबू भी आ रही थी. मैंने अपने एक हाथ से नीचे उसकी चूत को सहलाना जारी रखा ताकि उसको दर्द भी होये, तो उसका मज़ा बना रहे.
मेरा लंड का सिरा अन्दर चला गया था और मैं रुक कर उसके दूध और चूत को सहला रहा था.
जब वो थोड़ी सहज हो गई, तो हिली-डुली और मेरे लंड को वापस अपनी गांड में अन्दर लेने लगी. मैंने अपना लंड का सिरा पूरा बाहर निकाला और वापस एक ज़ोर लगा कर अपना आधा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया.
वो कराह कर आगे को खिसकी, मगर बिस्तर के सिरहाने के आ जाने से वो आगे नहीं जा पाई. जिसकी वजह से मेरा लंड उसकी गांड में आधा फंस गया.
अब उसे फिर से दर्द होने लगा था. वो बोलने लगी- इईईईई माँ आह बचाओ … रहने दो … यार नहीं जाएगा … ये मेरी गांड फाड़ देगा … प्लीज़ … मत करो.
मगर मैं अब कहां सुनने वाला था. मैंने फिर से एक ब्रेक लिया और उसे थोड़ा सा सहलाया. फिर जब मुझे लगा कि वो रेडी हो गई है … तो वापस मैंने अपने लंड को बाहर खींच कर एक फाइनल धक्का दे मारा.
अब मेरा लंड उसकी गांड की दरार को फाड़ता हुआ अन्दर जड़ तक घुस गया.
उसके मुँह से एक करारी चीख निकली- आआईयईईई … मर गई साले … कुत्ते गांड फाड़ दी रे मेरी. … आआईयईई मम्मी … बहुत जलन हो रही है यार … निकाल ले थोड़ी देर के लिए प्लीज़ … साले बाद में मार लेना मेरी गांड … मैंने भी कहा- साली तू ही तो बोल रही थी ना कि आज कुतिया बना ले मुझे … और कुतिया को चोद ले … गांड फाड़ दे अपनी बबली कुतिया की … आआहह अब ले भोसड़ी की … उउफ्फ़ ले साली.
यह कहते हुए मैंने लंड को एक और झटका दे दिया और उसकी चोटी को पीछे से ऐसे पकड़ लिया, जैसे मैं उसकी सवारी कर रहा हूँ. मैं दबादब धक्के मारने लगा. ‘आआअहह उऊहह हमम्म..’ की आवाजों के साथ जैसे जैसे मेरे धक्के बढ़ते जा रहे थे, उसका दर्द मज़े में बदलने लगा था.
फिर वो भी मस्ती में चीखने लगी- आअहह … आजा साले कुत्ते … और अन्दर डाल आआहह … मेरी गांड को आज सज़ा दे कि साली कितने सालों से नहीं चुदी … आहह जानू ऊऊहह … मैंने अपनी एक उंगली नीचे से उसकी चुत में घुसेड़ दी. उसकी चुत में से जैसे लावा बह रहा था. मैंने नीचे से अपनी उंगली उसकी चूत में चलानी शुरू की और ऊपर से उसकी गांड की ठुकाई जारी रखी.
काफ़ी देर उसकी गांड मारने के बाद और उसकी चुत में उंगली चलाने के बाद, उसकी चूत में से एक तेज़ धार निकली, जिसमे उसकी सूसू और चुतरस मिला हुआ था. ये मिश्रण उसकी जांघों से बहते हुए पूरी चादर पर फ़ैल गया. चादर पूरी गीली हो गई.
तभी मैंने अपने धक्के ज़ोर से लगाने शुरू कर दिए और अपने लंड का सारा लावा उसकी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया.
यह हम दोनों की गुड मॉर्निंग हुई थी. मैं निढाल होकर उसकी पीठ पे लेट गया. हम दोनों एक दूसरे में घुसे हुए फिर से सो गए.
फिर हम दोपहर को दो बजे उठे.
अब तक हम दोनों का थोड़ा हैंगओवर उतर गया था. फिर हम दोनों ने बाथरूम में साथ साथ बाथटब में लेटकर एक सेशन चुदाई का और चलाया. जिसमें हम दोनों ने अपनी पेशाब और वीर्य से बाथटब को भी भर दिया. हम दोनों की घमासान चुदाई से पूरा बाथरूम पानी पानी हो गया था. साथ ही हम दोनों भी.
अब हम दोनों बहुत खुश थे. एक दूसरे के साथ तो काफी दिनों से थे ही, अब एक दूसरे के अन्दर भी हम दोनों घुस चुके थे.
इसी तरह हम दोनों ने वो पूरा हफ़्ता हवस का नंगा खेलते हुए निकाला. उसके बाद से भी जब भी उसका पति टूर पर जाता है या मेरी बीवी कभी मायके या कहीं और जाती है, तो हम दोनों अपना मिलन कर ही लेते हैं.
पर कहते हैं ना कि अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती. ऐसे ही एक दिन हम दोनों के बारे में मेरी बीवी को पता चल गया. थोड़े दिन की परेशानी हुई, मगर फिर धीरे धीरे मेरी बीवी भी नॉर्मल हो गई. अब उसे भी हम दोनों के रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है.
इसी तरह अचानक से एक दिन हम तीनों को एक साथ मौका मिल गया और हम तीनों ने मिल कर मौके पे चौका दे मारा.
उस चुदाई की कहानी मैं अगली बार बताऊंगा. आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी. आप मुझे मेल लिख सकते हैं. धन्यवाद. [email protected]
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