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कहानी के इस भाग में पढ़ें कि कैसे मैंने चाची की गांड मारी. चूत चुदाई के बाद मैंने चाची को गांड मरवाने को कहा तो वे गांड मराई के दर्द से डर रही थी.
दोस्तो, मैं भास्कर एक बार फिर से अपनी पड़ोसन हेमा चाची की चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ. पिछले भाग पड़ोसन चाची को वीर्य से नहलाया में आपने अब तक पढ़ा था कि मैंने चाची की चुत चाटकर उनको फिर से चुदाई के लिए गर्म कर दिया था. इस बार मेरे मन में उनकी गांड मारने का विचार था.
अब आगे:
मैंने हेमा चाची की चूत को चाटते चाटते चौड़ा दिया और अपनी जीभ को हेमा चाची की चूत के छेद में अन्दर तक घुसाते हुए चाटा. इससे चाची ‘आह्ह्ह … आह्ह्ह्ह …’ करने लगीं.
मैंने मूड बना लिया था कि अब तो मैं हेमा चाची की गांड को ऐसा चोदूंगा कि उनकी चीखें निकलवा दूंगा. मगर चाची की मर्जी के बिना उनकी गांड मारना संभव नहीं था. मैं पहले उनकी चुत में लंड पेल कर उन्हें मस्त कर देना चाहता था.
मैंने अपने खड़े लंड को हेमा चाची की चूत के ऊपर पीटा. तो हेमा चाची कामुकता से बोलीं- जल्दी अन्दर डालो भास्कर … अब रहा नहीं जा रहा.
ये सुनकर मैंने अपने मोटे और फूले लंड को हेमा चाची की चूत के अन्दर डाल दिया और जोर जोर से लंड को चूत के अन्दर बाहर करने लगा.
मैं लंड को इतनी तेजी के साथ अन्दर बाहर कर रहा था कि मेरे मुँह से भी मादक आवाजें निकलने लगी थीं. हेमा चाची भी चीखने लगीं और मीठे दर्द से सिहरने लगीं.
मेरी तेज चुदाई से हेमा चाची की आंखों में आंसू आ गए, तो मैंने अपनी स्पीड थोड़ी कम कर दी.
फिर मैंने अपने लंड को धीरे धीरे हेमा चाची की चूत में डाला निकाला तो चाची को उस समय ऐसी चरम सुख की अनुभूति हुई कि उनकी आंखें ऊपर की ओर चढ़ने लगी थीं.
अब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपने लंड का सारा पानी हेमा चाची की चूत के भीतर ही छोड़ दिया. मेरे साथ साथ हेमा चाची भी झड़ गई थीं, तो मेरे लंड का और चाची की चूत का सफेद पानी एक साथ मिलकर चूत के बाहर रिसता हुआ बिस्तर पर टपकने लगा.
फिर मैंने अपना झड़ा हुआ और मुरझाया हुआ लंड चाची की चूत के बाहर निकाला, जो चिपचिपा हो गया था.
हेमा चाची ने सोफे से अपनी एक काली रंग की जालीदार चड्डी उठाई और अपनी चूत को पौंछा. उसके बाद चाची ने उसी चड्डी से मेरे चिपचिपे लंड को पौंछा.
झड़ने के बाद मैं हाथ पैर फैलाये चित पड़ा था लेकिन हेमा चाची अपनी चूत के ऊपर हाथ रख कर हल्का हल्का दबा रही थीं.
ये देखकर मैंने पूछ लिया- चाची क्या हुआ … चुत में ज्यादा दर्द हो रहा है क्या? हेमा चाची मुझे देखकर मुस्कुराईं और बोलीं- हां भास्कर … दर्द तो हो रहा है लेकिन ये मीठा दर्द है, जल्द ही ठीक हो जाएगा.
मैं लंड हिलाने लगा. हेमा चाची ने मेरे लंड को देखा और कहा- आज तो तुमने मेरे साथ पूरा दम लगा कर सेक्स किया है … अब इसे क्यों हिला रहे हो? मैंने कहा- हां चाची सेक्स तो फुल स्पीड में किया है, लेकिन आप सच बताना मजा आया या नहीं! हेमा चाची हंस कर बोलीं- हां भास्कर आज तो तुमने मुझे खुश कर दिया है.
इसी तरह नंगे ही लेटे लेटे हम दोनों ढेर सारी बात करते रहे. चार बजे करीब फिर से सेक्स का मन बन गया.
इस बार मेरी नजर हेमा चाची की गोल मटोल कसी हुई सेक्सी चूचियों पर थी, जिनका स्वाद मैं अच्छे से चखना चाहता था. मैंने हेमा चाची की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मुँह में हेमा चाची की चूची की निप्पल थी, जिसे मैंने बुरी तरह से काट लिया.
हेमा चाची चीख पड़ीं, तो मैंने चूचियों को छोडकर गांड पर हाथ मलना शुरू कर दिया.
गांड पर हाथ मलते मलते मेरी उंगलियां हेमा चाची की गांड की लकीर के बीच में पहुंच गईं … जिन्हें मैं अन्दर तक डाल कर रगड़ रहा था. इससे मैं अपनी उंगलियों के स्पर्श से हेमा चाची की गांड के छेद को साफ महसूस कर पा रहा था.
कुछ समय तक ऐसा करते करते मैंने हेमा चाची की गांड के छेद में अपनी बीच वाली बड़ी उंगली डाल दी. गांड में उंगली घुसते ही हेमा चाची उछल पड़ीं.
फिर मैंने हेमा चाची को पीछे से सेक्स करने के लिए पूछा. पहले तो हेमा चाची ने मेरी बात हंस कर टाल दी.
लेकिन मैंने बार बार जिद की तो हेमा चाची बोलीं- भास्कर पीछे से डालोगे … तो मुझे बहुत दर्द होगा. मैंने बोला कि चाची पहली बार तो जब आपने आगे से किया होगा, तब भी दर्द हुआ होगा न … तो क्या आप मेरे लिए इतना दर्द भी सहन नहीं कर सकती हो?
चाची कुछ नहीं बोलीं.
मैंने उन्हें चूमा और कहा- चाची, किसी कुंवारे छेद को फाड़ने का हक तो बनता है न मेरा? चाची बोलीं- हां, मेरे मन में यही चल रहा है मगर मुझे बहुत डर लग रहा है कि कहीं फट न जाए.
मैंने कहा- मैं पहले आपकी गांड को ढीला कर लूंगा फिर लंड पेलूंगा.
चाची गहरे सोच विचार में डूबी थीं वो निर्णय नहीं ले पा रही थीं कि क्या करें.
फिर मैंने कैसे भी करके हेमा चाची को उनकी गांड मारने लिए मना ही लिया.
अब हेमा चाची पेट के बल उल्टी लेट गईं और मैंने हेमा चाची के कूल्हों को इस तरह चौड़ाया, जिससे मैं हेमा चाची की गांड का छेद साफ देख पा रहा था.
मैंने उनकी ड्रेसिंग टेबल से केश तेल की शीशी उठा ली और उनकी गांड के छेद पर शीशी से तेल टपकाने लगा. तेल सीधे ही गांड के छेद में जाने लगा, जिसे मैं मैंने मलना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे मैं अपनी एक उंगली को चाची की गांड में अन्दर बाहर करने लगा. चाची को मेरी उंगली से मजा आने लगा.
मैंने दो उंगलियां अन्दर की तो चाची को दर्द होने लगा. मैंने रुक रुक कर तेल टपकाने के साथ अपनी दो उंगलियों के लिए गांड में जगह बना ली.
अब चाची का डर कम हो गया था. मैंने बार बार उनसे गांड को ढीला रखने की कह कर उंगली से गांड को रगड़ा, तो वो ये समझ गईं कि किस तरह से गांड की रगड़ाई के लिए गांड को ढीला छोड़ना पड़ता है.
अब मैंने हेमा चाची के गांड के छेद के मुँह पर अपना फूला हुआ सख्त लंड रखा, तो मैंने देखा कि चाची की गांड का छेद लंड के हिसाब से काफी छोटा था और मेरा लंड इतना मोटा था कि उसका गांड में घुसना मुश्किल लग रहा था.
मैंने कुछ सोचा और हेमा चाची को घोड़ी बनने को कहा. चाची के घोड़ी बनते ही मैंने हेमा चाची के कूल्हों को इतनी जोर से चौड़ा दिया कि उनकी गांड का छेद पहले के मुकाबले थोड़ा बड़ा दिखने लगा था.
हेमा चाची की गांड के छेद की अन्दर की गुलाबी त्वचा भी साफ दिख रही थी. मैंने गांड के छेद के मुँह पर अपने लंड की नोक रखी और चाची से कहा कि गांड ढीली रखना चाची.
चाची ने पहले उंगली जैसा मजा याद करके गांड ढीली छोड़ दी.
मैंने लंड को हाथ से पकड़कर जोर से चाची की गांड के छेद के अन्दर घुसेड़ दिया.
लंड आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था … तो मैंने हेमा चाची की चूत पर हाथ तेल मला और चूत पर लगे चिपचिपे तेल को अपने लंड पर रगड़ लिया.
इससे मेरा लंड भी चिकना हो गया. अब मैंने अपने लंड को पूरी ताकत के साथ हेमा चाची की गांड में प्रवेश करवा दिया.
जैसे ही मेरा फूला हुआ मोटा लंड हेमा चाची की गांड के अन्दर गया, तो हेमा चाची जोर से चीख पड़ीं और उन्होंने दर्द से कराहते हुए मुझसे अपना लंड गांड से बाहर निकालने के लिए कहा.
लेकिन उस वक्त मैं इतने जोश और मजे की हालत में था कि मैंने हेमा चाची की एक न सुनी और अपने लंड को अन्दर बाहर करता रहा.
हेमा चाची जोर जोर से चीख रही थीं, तो मैंने उनके मुँह पर अपना एक हाथ रख कर मुँह को बंद कर दिया और पीछे से दबादब लंड आगे पीछे करने लगा.
हालांकि चाची की गांड मारते समय मुझे भी लंड पर मीठा सा काफी दर्द हो रहा था, लेकिन उस वक्त मैं गुदासंभोग के सुख की जिस चरम सीमा में था, वो शब्दों से बयान करना मुश्किल है. मैं चाची की गांड मारता रहा.
इसी तरह कुछ टाईम तक पीछे से सेक्स करने के बाद मैं झड़ गया और मैंने अपने लंड का सारा पानी हेमा चाची की गांड के भीतर ही छोड़ दिया.
झड़ने के बाद मेरा लंड मुरझा गया और हेमा चाची की गांड से बाहर निकल आया.
अब मैं हेमा चाची से थोड़ा दूर सरककर लेट गया लेकिन हेमा चाची अभी भी अपनी गांड पर हाथ लगाए दर्द का अनुभव कर रही थीं और दर्द से कराह रही थीं. इसी अवस्था में मेरे लंड का पानी उनकी गांड के छेद से बाहर टपक रहा था.
कुछ समय बाद मैंने हेमा चाची को अपनी बांहों में जकड़ लिया और उनकी गांड को सहलाने लगा. हेमा चाची को इतना दर्द हो रहा था कि उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे.
मैंने हेमा चाची के लाल रसीले होंठों पर किस किया और सॉरी बोला. हेमा चाची मुझे देख कर दर्द की हालत में भी मुस्कुरा दीं और बोलीं- भास्कर, आज अगर तुम्हारी कोई और ख्वाहिश बची हो, तो बता दो … मैं आज वो भी पूरी कर देती हूँ.
यह सुनकर मैं हंस पड़ा और हेमा चाची को कस कर अपने जिस्म से चिपका लिया. मैंने कहा- नहीं चाची अब कुछ नहीं चाहिए मुझे … अब आप आराम करो.
फिर उस रात हमने दोबारा सेक्स नहीं किया.
हेमा चाची ने एक गीले कपड़े से अपनी गांड और चूत पर फैले चिपचिपे पानी को साफ दिया और फिर उसी कपड़े से मेरे लंड पर लगे चिपचिपे पानी को पौंछ दिया.
उसके बाद हेमा चाची ने पलंग से लगे ड्रावर में से एक गोली निकाली और खा ली. मैंने पूछा- चाची ये किस चीज की गोली थी? तो हेमा चाची बोली कि ये गर्भ निरोधक गोली थी, जिस तरह से हम सेक्स करते हैं तो उससे गर्भधारण को रोकने के लिए मैंने गोली खाई थी.
उसके बाद हम इसी तरह नंगे ही चिपक कर सो गए.
कुल मिलाकर हेमा चाची के जिस्म का कोई भी ऐसा अंग और कोई रोम नहीं बचा था, जहां तक मेरा वीर्य न पहुंचा हो.
उस रात बाथरूम से लेकर बिस्तर तक हेमा चाची पूरी तरह मेरे लंड की वीर्य में नहा चुकी थी और बचा हुआ जो गांड का छेद था, तो हेमा चाची को चोदकर मैंने उनकी गांड के भीतर भी अपना वीर्य पहुंचा दिया था.
इसी तरह समय बीतता गया और जब कभी मुझे और हेमा चाची को साथ में रात गुजारने का समय मिलता, तो हम दोनों चुदाई करके भरपूर मजा ले लेते थे.
फिर समय के साथ चाचा जी का काम भी कानपुर में ही सैट हो गया और अब वे कई दिनों तक के लिए घर से बाहर भी नहीं जाते थे.
धीरे धीरे मेरी उम्र बढ़ती गई और अपनी ग्रेजुएशन खत्म करके मैं नौकरी करने दिल्ली आ गया.
अब मेरी उम्र 26 साल है और अब हेमा चाची के 2 छोटे बच्चे भी हैं. मुझे हेमा चाची से मिले बहुत समय हो गया.
पिछली बार कानपुर गया था, तो वहां मात्र कुछ मिनटों के लिए हेमा चाची से मुलाकात हो पाई थी.
जितना मिस मैं हेमा चाची और उनके साथ बिताई कई सेक्स भरी रातों को करता हूँ; शायद हेमा चाची भी मुझे भी उतना ही मिस करती होंगी.
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी आप सभी को कैसी लगी … कृपया मेल करके जरूर बताइएगा.
धन्यवाद [email protected]
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