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कॉलेज खत्म होते ही पापा ने मेरी शादी कराने की सोची, मुझे कुछ बोलने का मौका भी नहीं मिला। मुझे एक लड़का देखने आया, नितिन मुझे भी पसंद आया। बैंक ऑफीसर नितिन दिखने में हैंडसम था और बातें भी मीठी मीठी करता था। उसका पास के ही शहर में अपना घर था, उसके माँ और पापा गांव में खेती करते थे।
खुराना अंकल के साथ की मस्ती मैं मिस करने वाली थी पर वो मजा मुझे हक से मिलने वाला था. वैसे भी अंकल और मेरे सम्बन्ध नाजायज ही थे, अगर कभी किसी को पता चलता तो मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहती।
दो महीने के बाद मेरी शादी की तारीख निकली, अंकल बहुत उदास हो गए थे। पर मैंने उनको अलग तरीके से मनाया, इंगेजमेंट के दिन ‘तबियत खराब है’ बोलकर घर से निकली और सब लोग घर आने तक अंकल और हमने इंगेजमेंट की साड़ी में एक राउंड किया।
सुहागरात को मैं जानबूझकर चिल्ला रही थी, पैर पर ब्लेड से काट कर बेड पर खून भी लगाया, पैरों पर लगी लाल मेहंदी से नितिन को कुछ भी शक नहीं हुआ।
धीरे धीरे मैं अपने घर के काम में व्यस्त हो गई, सास ससुर बीच बीच में पोते पोती के लिए दबाव डालते पर मेरी उम्र बाईस साल और नितिन की उम्र पच्चीस साल तो हमें कोई जल्दी नहीं थी। हमारी शादीशुदा जिन्दगी और सेक्स लाइफ भी मजे से चल रही थी।
दीवाली के वक्त मैं आपने पति के साथ मायके गयी थी तब पता चला कि खुराना अंकल की ट्रांसफर किसी और शहर हो गयी है। अब मैं रिलैक्स हो गयी, वह चैप्टर मेरे लिए हमेशा के लिए बंद हो गया था।
मैं सुबह जल्दी उठ जाती, नितिन को टिफिन बनाकर देती। नितिन के आफिस जाने के बाद घर के काम खत्म करती, फिटनेस के लिए कुछ एक्सरसाइज और योगा करती, बाकी के टाइम आराम करती और फिर रात के खाने की तैयारी करती। आराम का सीधा परिणाम मेरी फिगर पर हुआ पर योगा और एक्सरसाइज की वजह से मैं और सेक्सी दिखने लगी।
घर पर हम दोनों ही थे इसलिये आते जाते शरारत करना, एक दूसरे को किस करना, नाजुक अंगों को सहलाना या फिर चूमा चाटी करना शुरू ही रहता. पर नितिन थोड़ा शर्मीला था और कम पहल करता। नितिन मुझे लोगों के बीच छूता भी नहीं था. पर जब हम बेडरूम में होते थे तब वो मुझे संतुष्ट करने की हर मुमकिन कोशिश करता।
नितिन का सेक्स हमेशा सिंपल और शांत ही रहता और कभी कभी बोरिंग भी हो जाता, मैं उसे बताकर ठेस नहीं पहुँचाना चाहती थी और ना ही उसे धोखा देना चाहती थी। मुझे कभी कभी खुराना अंकल की याद सताती, उनका वह जंगली सेक्स याद आता तो चुत पानी छोड़ने लगती, फिर उस रात में ही पहल कर के नितिन को उकसाती और हमारे सेक्स को मजेदार बनाती।
एक दिन नितिन को आफिस के दूसरे ब्रांच में ट्रेनिंग के लिए तीन दिन के लिए जाना था. जाने से एक दिन पहले ही मेरे पीरियड्स शुरू हुए इसलिए हमारे हैप्पी जर्नी वाला सेक्स नहीं हो पाया। नितिन वापिस आया तब मेरे पीरियड्स खत्म हो गए थे पर वह बहुत थका हुआ था इसलिए जल्दी सो गया।
अगले दिन शनिवार था तो नितिन दोपहर को ही घर आने वाला था, मैं भी अच्छे से नहाकर तैयार हो गयी थी, घर में पहनने के सब कपड़े धो दिए थे और ब्रा पैंटी पर सिर्फ गाउन पहना था। बाहर बारिश का मौसम था, आते ही बैडरूम में जाकर, सेक्सी शरारत करने के, चार पाँच दिन की कसर निकालने के सपने देखते हुए नितिन की राह देखते हुए हॉल में बैठी थी।
डोर बेल बजी तो मैंने दौड़ते हुए दरवाजा खोला, नितिन अंदर आ गया तो मैंने उसे कस कर गले लगाया।
“कितनी देर कर दी… कब से तुम्हारी राह देख रही थी.” नितिन मेरे इस व्यवहार से थोड़ा चौंक गया, मुझे दूर धकेलते हुए उसने पूरा दरवाजा खोला। बाहर देखा तो और दो लोग खड़े थे और मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे, मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।
वो दोनों नितिन के कलीग थे, नितिन ने उन दोनों की पहचान कराई वे वही पर नितिन से थोड़ा दूर खड़े थे।
“ये मेरे कलीग हैं, जहाँ पर मेरी ट्रेनिंग थी, ये वहीं पर काम करते हैं. ये अमित है और ये युवराज, ट्रेनिंग में हमारी मुलाकात हुई, दोनों आज शाम को वापिस जाने वाले थे इसलिए दोनों को आराम करने के लिए घर ले आया, बोला कुछ चाय नाश्ता कर लो, फिर तुम्हें एयरपोर्ट ड्राप कर दूंगा.”
मैंने उन्हें अंदर बुलाया, सोफे पर बिठा के उन्हें पानी दिया, दोनों लगभग नितिन की ही उम्र के थे। ” सॉरी भाबीजी … आप को खामखा तकलीफ दी.” अमित बोला। “नहीं तो … तकलीफ किस बात की!” बोलकर मैं रसोई में चली गयी, नितिन उनसे बातें करने लगा।
थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी, नितिन ने दरवाजा खोला तो सोसाइटी के लोग थे। सोसाइटी में किसी की डेथ हो गयी थी और नितिन सोसाइटी के सेक्रेटरी था तो उसे वहाँ पर रहना जरूरी था। वो अंदर आ कर मुझे बोला- मुझे अर्जेटली जाना पड़ेगा, मैं तीन चार घंटे बाद आ जाऊंगा. तब तक तुम उन दोनों को कंपनी देना.
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि सबने मिलकर मेरी रोमांटिक मूड की वाट लगा दी थी. घर में मेहमान थे तो मैं नितिन पर गुस्सा भी नहीं उतार सकती थी। मैंने उन्हें नाश्ता बनाकर दिया और रसोई में ही छोटे मोटे काम करती रही। उनसे पहचान ही नहीं थी तो क्या बातें करती! वैसे भी चुत के अंदर आग लगी थी, बाथरूम में जाकर उंगली भी नहीं कर सकती थी, आते ही उन्होंने जो देखा था उन्हें पक्का शक हो जाता।
थोड़ी देर बाद मैंने उनके लिए चाय लाकर दी, नाश्ते की प्लेट उठाने लगी तो गलती से हाथ से गिर गयी और टूट गयी। मुझे और गुस्सा आया, मैं अंदर जाकर झाड़ू ले आयी, प्लेट के सब बड़े बड़े टुकड़े इकठा किये और पौंछे से छोटे छोटे टुकड़े जमा करने लगी।
बैठकर यह सब काम करते हुए अचानक मेरा ध्यान उन दोनों पर गया, दोनों भी आँखें फाड़ कर मुझे ही देख रहे थे। तब मुझे लगा कि शायद उन्हें गाउन के गले में से मेरे स्तन दिख रहे होंगे, मैं और शर्मिंदा हुई और वहाँ से रसोई में चली गई।
तभी बादल गरजने लगे और तूफानी बारिश होने लगी, मैं सब कुछ भूल कर प्रकृति की सुंदरता को रसोई की खिड़की से देख रही थी। अचानक मुझे याद आया कि हॉल की बालकनी में कपड़े सूखने को फैलाये हैं. मैं दौड़ते हुए वहाँ पर गई, बारिश की वजह से सारे सूखे कपड़े फिर से भीग गए थे। मैंने एक एक कर के सभी कपड़े बाल्टी में समेट लिए, इस सब में मैं भी पूरी भीग गयी थी।
चेहरे पर से पानी हटाते हुए मैं हॉल के अंदर आ गई, अमित और युवराज मुझे ही देखे जा रहे थे। तब मुझे एहसास हुआ मैंने सिर्फ ब्रा और पैंटी के ऊपर गाउन पहना है,सफेद गाउन भीगने से लगभग पारदर्शी हो गया था और अंदर के कपड़े भी उन्हें आसानी से दिख रहे थे।
मैं शर्म से बैडरूम की ओर दौड़ी, एक तो नितिन घर पर नहीं … ये बारिश का मौसम … और ये दो मर्द!
मैंने बैडरूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया, भीगा हुआ गाउन उतार दिया, फिर भीगी हुई ब्रा पैंटी भी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी। मैं अपनी साड़ी और ब्लाऊज़ ढूंढ रही थी.
तभी मुझे दरवाजे पर हलचल का अहसास हुआ, दरवाजे के नीचे से आ रही रोशनी में किसी के बाहर होने की भनक लग गई। डर से मेरी धड़कन तेज हो गयी … एक तो मैं घर में नंगी और अकेली और बाहर दो मर्द!
मुझे कुछ पल डर लगा … पर मन में एक अलग ही संवेदना पैदा होने लगी। मुझे मेरा और खुराना अंकल का चोरी चोरी किया हुआ सेक्स याद आने लगा और मैं रोमांचित हो गयी। मैंने उन दोनों को उकसाने की सोची। बदन पर एक भी कपड़ा न रखते हुए मैं दरवाजे के सामने खड़ी हुई और दरवाजे की दरार से बाहर दिखाई दे इस तरह एक कामुक अंगड़ाई ली। बहुत देर तक अंगड़ाई लेते हुए मैंने अपने अपने सुडौल स्तन, सपाट पेट, योनीप्रदेश, और भरी हुई जांघों का अच्छा प्रदर्शन किया, फिर नीचे गिरा हुआ ब्लाऊज़ उठाते हुए मेरी गोल गोल गांड भी उन्हें दिखाई।
फिर मैंने एक पुराना ब्लाऊज़ पहना जो मुझे बहुत कस रहा था, ब्रा पैंटी भीगी हुई थी तो मैंने सिर्फ पेटीकोट पहना और ऊपर साड़ी लपेट ली वो भी दरवाजे की तरफ मुँह करते हुए। फिर मैं दरवाजे के पास जाकर खड़ी हुई और उनकी बातें सुनने लगी।
“क्या मस्त चुचे हैं साली के …” युवराज बोला। “चुचे क्या … पूरी ही मस्त माल है.” अमित बोला- नितिन भी नसीब वाला है … क्या मस्त आइटम मिली है.
न जाने क्यों … उनकी इन गंदी बातें सुनकर गुस्सा आने की बजाय मेरी चुत गीली होने लगी। मेरे निप्पल भी खड़े हो गए थे और स्तन भी फूल गए थे। इस वक्त नितिन घर पर होता तो शेरनी की तरह उस पर झपटती! पर क्या रे … वो काम से गया हुआ था।
मैंने निराश होकर दरवाजा खोला. पर उतना वक्त लगाया कि वह दोनों वापिस हॉल में जाकर अपनी जगह पर बैठ जाये।
मैं हॉल में गई और उन्हें पूछा- पसंद आया? “क्या?” दोनों के चेहरे पर बारह बजे थे। मैं शरारत से उनकी तरफ हँसती हुई बोली- चाय नाश्ता पसंद आया या नहीं? मैंने उनकी फिरकी ली है ये समझ में आते ही वो रिलैक्स हो गए।
“वाह … भाभी … एकदम मस्त था.” अमित हंसते हुए बोला। “और एकदम कड़क … मतलब चाय … एकदम कड़क थी.” युवराज बोला।
उनके डबल मीनिंग वाले शब्दों ने मेरे अंदर की वासना को जगा दिया था. पर मेरा मन नितिन को धोखा देने को तैयार नहीं हो रहा था।
उनकी हालत भी कुछ वैसी ही थी. एक तो मैं शादीशुदा … उनके कलीग की पत्नी, मैं कैसे रियेक्ट करूंगी, इसका अंदाजा लगाना उनको मुश्किल था इसलिए वो भी बेचैनी से बैठे थे।
मैं चाय के कप उठाने के लिए झुकी तो मेरे पल्लू ने दगा दे दिया और कंधे से नीचे सरक गया, हाथों में कप होने से और मैं जल्दी कुछ रियेक्ट नहीं कर पाई। कसे ब्लाऊज़ में मेरे आधे से ज्यादा स्तन दिख रहे थे और बाहर निकलने को बेताब थे. मैं जैसे शॉक होकर उसी अवस्था में खड़ी रही।
नितिन उस वक्त झट से आगे बढ़ा और बोला- भाबी, इन्हें मैं पकड़ता हूँ, आप… मैंने कप उसके हाथों में दिए और उनसे नजर चुराते हुए साड़ी का पल्लू ठीक किया। मुझे चाय के कप का भी ध्यान नहीं रहा और मैं वैसे ही रसोई में चली गयी, मेरी धड़कनें अब तेज हो गयी थी क्या हो रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा था।
मैं अपनी आँखें बंद किये रसोई टेबल के पास खड़ी थी, मुझे लगा पीछे से कोई रसोई के अंदर आया है. फिर चाय के कप मेज पर रखने की आवाज आई पर मुझे आँखें खोल कर देखने की हिम्मत नहीं हुई।
फिर अचानक …
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कहानी का अगला भाग: वासना के वशीभूत पति से बेवफाई-2
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