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मेरा नाम रामू है और मैं अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूँ. अभी मेरी उम्र बीस साल है. मैं एक साल से अपने भैया और भाभी के साथ रह रहा हूँ. मेरे भैया एक कंपनी में काम करते हैं।
भैया की शादी को दो साल हो चुके हैं। मेरी भाभी की उम्र 24 साल है. मेरी भाभी कंचन बहुत ही सुन्दर है। मैं उनकी बहुत इज्जत भी करता हूँ. वो भी मुझे बहुत प्यार करती हैं. हमारी दोस्ती काफी अच्छी है और अक्सर हम दोनों एक दूसरे से हंसी मजाक करते रहते हैं. इतना ही नहीं … भाभी पढ़ाई में भी मेरी सहायता करती हैं। मैं उनसे मैथ्स पढ़ता हूँ.
एक दिन की बात है जब भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे का समय हो रहा था। इतने में भैया ने आवाज दी- कंचन और कितनी देर लगेगी? जल्दी आओ न! भाभी भी मेरे पास से जाना नहीं चाहती थी लेकिन भैया के बुलाने पर उनको जाना पड़ा। भाभी उठते हुए बोली- बाकी पढ़ाई कल करेंगे क्योंकि तुम्हारे भैया आज ज्यादा ही उतावले लग रहे हैँ.
इतना कह कर भाभी वहाँ से चली गई. मुझे भाभी की बात कुछ ज्यादा समझ में नहीं आई। मैं काफी देर तक सोचता रहा कि भाभी को ऐसी क्या जल्दी थी, फिर अचानक ही मेरे दिमाग की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात कि उतावली हो रही थी। यह सोच कर रही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।
इससे पहले भाभी को मेरे दिल में लेकर कोई भी बुरे विचार नहीं आये थे लेकिन भाभी के मुंह से उतावलेपन की बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे लगा कि भाभी के मुंह से हड़बड़ी में निकल गया होगा ऐसे ही। मगर फिर जब भाभी के कमरे की लाइट बन्द हो गई तो मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैंने भी फटाक से उठ कर अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे से कान लगाकर खड़ा हो गया.
अंदर से फुसफुसाने की आवाज आ रही थी. मगर कुछ-कुछ शब्द साफ भी सुनाई दे रहे थे। “क्यों जी? आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?” ” मेरी जान … इतने दिन से तुमने दी नहीं मुझे, इतना जुल्म क्यों करती हो मुझ पर?” “चलिए भी, मैंने कब रोका है आपको? आपको ही फुरसत नहीं मिलती है। रामू का कल एग्जाम है इसलिए उसको पढ़ाना जरूरी था।”
“तो श्रीमती जी, अगर आपकी इजाजत हो तो चुदाई का उद्घाटन करूं?” “हे राम! कैसे बेशर्मी से कह रहे हो, आपको शर्म नहीं आती है क्या?” “इसमें शर्म की क्या बात है? मैं अपनी ही बीवी को चोद रहा हूँ तो फिर उसमें शर्म की क्या बात है?” “तुम बड़े खराब हो … आह्ह … आई … अम्म … आराम से करो, आह्ह्ह … धीरे करो न राजा, अभी तो सारी रात बाकी है!”
भैया और भाभी का ये कामुक संवाद सुनने के बाद मैं दरवाजे पर खड़ा न रह सका। मेरे पूरे कपड़े पसीने से भीग चुके थे। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटने के बाद मुझे नींद नहीं आई. सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा. एक पल के लिए भी आंख न लगी. जिंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड इस तरह से खड़ा हो गया था।
सुबह हुई तो भैया ऑफिस चले गये थे। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था. जबकि भाभी को पता भी नहीं था कि मैंने चुपके से भाभी की सेक्सी चुदाई की बातें सुन ली हैं. वो इस बात से बिल्कुल ही बेखबर थीं। मैंने देखा कि भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी जाकर किचन में खड़ा हो गया. उस दिन मैं भाभी के जिस्म को बड़े ही गौर से देख रहा था. बड़ा ही गोरा, भरा हुआ और गरदाया जिस्म था भाभी का। उनके बाल काले और लम्बे थे जो घुटने तक लटक रहे थे। बड़ी-बड़ी आंखें थी भाभी की. गोल-गोल आम के जैसी चूचियां जिनका साइज़ 38 से कम न होगा. पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े व भारी नितम्ब।
यह नजारा देख कर एक बार फिर से मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई थी। इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, आज मेरा एग्जाम है और आप को तो जैसे कोई चिंता ही नहीं थी मेरी. आप बिना पढ़ाई करवाये ही सोने के लिए चली गई रात को? “कैसी बातें करता है रामू? तेरी चिन्ता नहीं करूंगी तो किसकी करूंगी फिर?” “झूठ मत बोलो, अगर चिन्ता थी तो गयी क्यों?” “तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।” “भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था? मैंने बड़े ही भोल ही स्वर में पूछा।
भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गई थी और तिरछी नजर से देखते हुए बोली- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है … मुझे लगता है अब तेरी शादी कर देनी चाहिए। बता दे, अगर कोई लड़की पसंद है तो? “भाभी सच कहूँ तो मुझे आप ही बहुत अच्छी लगती हो।” “चल नालायक, भाग यहां से, जाकर अपना एग्जाम दे।”
मैं एग्जाम देने चला तो गया लेकिन एग्जाम क्या देता, सारा दिन भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैंने उस दिन पहली बार भाभी से इस तरह की बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज नहीं हुई। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी। मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था।
भाभी मुझे रोज देर रात तक पढ़ाती थी। मुझे ऐसा महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो-तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर भाभी के बारे में सोचने लगा था कि भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाये तो मैं भाभी को दिन में तीन दफा चोदूं.
दिवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा था क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी।
जब हम लोग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वहां पर काफी भीड़ थी। मैं भाभी के पीछे रिज़र्वेशन के लिए लाइन में खड़ा हुआ था. लोगों की धक्का मुक्की हो रही थी और इसलिए हर एक आदमी दूसरे से बिल्कुल सटा हुआ था। मेरा लंड बार-बार भाभी के मोटे-मोटे नितम्बों से रगड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी थी।
हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था फिर भी मैं भाभी के पीछे बिल्कुल चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और जोर से उनके चूतड़ों से रगड़ खाने लगा।
ऐसा लग रहा था कि भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता चल गया था लेकिन उन्होंने सब कुछ जानने के बाद भी कोशिश नहीं की। भीड़ के कारण सिर्फ भाभी को ही रिजर्वेशन मिला। मुझे रिजर्वेशन नहीं मिल पाया. इसलिये हम दोनों को एक ही सीट पर बैठना था।
हम दोनों ट्रेन में जाकर बैठ गये. रात को जब सोने का टाइम हुआ तो भाभी ने कहा कि मैं अपनी टांगें भाभी की तरफ कर लूं. मैंने अपनी टांगें भाभी की तरफ कर ली और भाभी ने अपनी टांगें मेरी तरफ कर लीं. इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गये.
बीच रात को मेरी आंख खुली तो ट्रेन की नाइट लाइट की हल्की-हल्की रोशनी में देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही थी। भाभी की साड़ी उनकी जांघों तक सरक गयी थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टांगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा।
उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं. मैं मन ही मन सोचने लगा था कि साड़ी अगर थोड़ी और ऊपर उठ जाये तो भाभी की चूत के दर्शन ही हो जायें।
मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया. भाभी की साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ 2 इंच ही नीचे थी लेकिन कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था कि 2 इंच ऊपर जो कालिमा सी नज़र आ रही थी वो काले रंग की कच्छी थी या भाभी की झाटें थीं।
मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की तो भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया. मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी. फिर मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा।
भाभी के मायके पहुंचने के बाद भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की। दस दिन वहाँ पर रुकने के बाद हम वापस लौट आये. वापस लौटते समय मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका ही नहीं मिला।
घर पहुंचने के बाद जब भैया ने भाभी को देखा तो बहुत खुश हो गये. मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है। उस रात को मैंने पहले की तरह भाभी के दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया. भैया कुछ ज्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ सुनाई दे रही थी।
“कंचन मेरी जान, तुमने तो मुझे बहुत सताया, देखो न, हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिये कैसे तड़प रहा है। अब तो इसका मिलन अपनी चूत से करवा दो।” “हाय राम! आज तो ये कुछ ज्यादा ही बड़ा दिख रहा है। ओह हो … ठहरिये भी, साड़ी तो उतारने दो मुझे।” “ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान … पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने का मजा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता है।” “झूठ! अगर ऐसी बात है तो आप महीने में दो-तीन बार ही …” ” दो-तीन बार ही क्या?” ” ओह हो, मेरे मुंह से, गन्दी बात क्यों बुलवाना चाहते हो?” ” बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?” “अच्छा बाबा, बोलती हूँ, महीने में दो-तीन बार ही चोदते हो। बस?” “कंचन, तुम्हारे मुंह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड, अब और इंतजार नहीं कर सकता। थोड़ा अपनी टांगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है मेरी जान।” “मुझे भी आपका बहुत … आह्ह मर गई … ओह्ह, उफ्फ … उई माँ, बहुत अच्छा लग रहा है। थोड़ा धीरे, हाँ अब ठीक है। थोड़ा जोर से …”
अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज के साथ फच-फच जैसी आवाज भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका। बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड वहीं पर खड़े हुए ही झड़ गया. पता नहीं क्या हो गया था कि इतनी उत्तेजना हो गई थी कि मेरा पानी वहीं पर निकल गया. मैं जल्दी से बिस्तर पर आकर लेट गया.
उसके बाद तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली-भांति परिचित था। मैंने इंग्लिश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म देख रखी थी और हिन्दी व इंग्लिश के कई गन्दे नॉवल भी पढ़े थे। मैं अब उन्हीं कल्पनाओं के सहारे भाभी को नंगी करने के बारे में सोचने लगा. मेरे मन में यही ख्याल आते रहते थे कि भाभी नंगी होने के बाद कैसी लगेगी।
जिस तरह भाभी के बाल लम्बे और घने थे वैसे ही काले, घने बाल भाभी की चूत पर भी होंगे। भैया मेरी भाभी को कौन-कौन सी मुद्राओं में चोदते होंगे? एकदम नंगी भाभी टांगें फैलाए हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
वैसे मैंने अभी तक आप लोगों को अपने बारे में तो बताया ही नहीं कि मैं एक लम्बा और तगड़ा लड़का हूं. मेरा कद करीब 6 फीट है। अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चैम्पियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत करता हूँ और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज है मेरा लंड। मेरा लंड ढीली अवस्था में भी आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है जैसे कोई हथौड़ा लटका हुआ हो। यदि मैं अंडरवियर न पहनूं तो पैंट के ऊपर से भी उसका आकार साफ दिखाई देता है। खड़ा होने के बाद तो उसकी लम्बाई करीब आठ इंच और मोटाई तीन इंच हो जाती है।
एक दोस्त ने मुझे बताया था कि इतना लम्बा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है। मैं अक्सर बरामदे में अपनी लुंगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूज़पेपर पढ़ने का नाटक करता था। जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती थी तो मैं अपनी टांगों को थोड़ा इस प्रकार से चौड़ा करता था कि उस लड़की को लुंगी के अंदर से झांकता हुआ लंड नजर आ जाये। मैं न्यूज़पेपर में छोटा सा छेद कर देता था। न्यूज़पेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था.
लड़कियों को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेखबर हूँ. जो भी लड़की मेरे लंड को देखती थी, वो देखती ही रह जाती थी। धीरे-धीरे फिर मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि शादीशुदा औरतों को लम्बे और मोटे का लंड का महत्व ज्यादा पता होता था.
ऐसे ही एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई- रामू ज़रा, बाहर कपड़े सूख रहे हैं, उन्हें अंदर ले आओ, बारिश आने वाली है। “अच्छा भाभी!” कहकर मैं कपड़े लेने बाहर चला गया.
घने बादल छाये हुए थे। जब एकदम से तेज हवा चलने लगी तो भाभी भी मेरी हेल्प करने के लिए आ गई। बाहर बंधी रस्सी के ऊपर से जब मैं कपड़े उतार रहा था तो मैंने देखा कि भाभी की ब्रा और कच्छी भी टंगी हुई थी। मैंने भाभी की ब्रा को उतार कर उसका साइज पढ़ लिया. भाभी का साइज 38 था।
उसके बाद मैंने भाभी की कच्छी को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कच्छी करीब-करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो। भाभी की कच्छी का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी कच्छी भाभी के विशाल नितम्बों और चूत को कैसे ढकती होगी?
मुझे लग रहा था कि शायद यह कच्छी भैया को रिझाने के लिए ही पहनती होगी भाभी। मैंने उस छोटी सी कच्छी को वहीं पर सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुशबू मैं भी ले सकूं.
तभी भाभी ऊपर आ गई और उन्होंने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोली- क्या सूंघ रहे हो रामू? और ये तुम्हारे हाथ में क्या है? मेरी चोरी पकड़ी गई थी. मैंने बहाना बनाते हुए कहा- देखो न भाभी, ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? यहां कैसे आ गई ये?
भाभी मेरे हाथ में अपनी कच्छी देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली- लाओ इधर दो। “किसकी है भाभी?” मैंने अनजान बनते हुए पूछा। “तुम्हें क्या मतलब है ये किसकी है? तुम अपना काम करो।” भाभी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला।
“बता दो न, अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लौटा दूँ?” “जी नहीं, रहने दो, लेकिन ये बताओ कि तुम इसको सूंघ कर क्या कर रहे थे?” “अरे भाभी, मैं तो इसको पहनने वाली की खुशबू सूंघ रहा था। बड़ी ही मादक खुशबू थी। बता दो न किसकी है?”
ये सुनकर भाभी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अन्दर भाग गयी.
फिर उस रात जब वो मुझे पढ़ाने के लिए आई तो मैंने देखा कि उन्होंने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे साफ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की कच्छी पहन रखी थी। झुकने की वजह से कच्छी की रूप रेखा साफ नज़र आ रही थी।
मेरा अंदाजा सही था। कच्छी इतनी छोटी थी कि भाभी के भारी नितम्बों के बीच की दरार में घुस जा रही थी। मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी। फिर मुझसे भी रहा न गया.
कहानी का अगला भाग: प्यारी भाभी के साथ मस्त सेक्स-2
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