This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरे घर में मेरी माँ, पिता जी और एक बड़ी बहन है. हम दोनों बहनें भी अब शादीशुदा हैं. हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मामा पुलिस में सिपाही था. माँ ने बड़ी बहन बसंती को मामा के पास ही रहने को छोड़ दिया, ताकि कुछ खर्चा कम हो जाए. मामा की उम्र कुछ 38-40 साल के आस पास ही थी. मामा के घर बसंती 4-5 साल रही. वह छोटी उम्र से मामा के घर चली गई थी और जब जवानी की दहलीज पर आ गई यानि 18 बरस की हो गई, तब वो जवान और खूबसूरत हो कर वापिस आ गई. मामा ने उसकी शादी में भी मदद की. वह अब अपने ससुराल में सुखी है और कभी कभी मामा से मिलने भी आती है.
बसंती की शादी जल्दी इसलिए करनी पड़ी क्योंकि वह गर्भ से हो गई थी. यह बच्चा मामा का ही था, लेकिन ऐसा मैनेज किया गया कि किस अंजान लड़के की जिम्मेदारी आ जाए. ये तो मुझे बाद में पता चला कि मेरी माँ को सारी बात पता थी और वह अपने भाई को खुश रखने के लिए यह सब करती थी ताकि भाई उसे पैसा देता रहे.
मेरी मामी की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी, वे अकेले थे. हमारी माँ ने जानबूझ कर बसंती को मामा की प्यास बुझाने में इस्तेमाल किया. जब बदनामी होने का डर हुआ, तो उसे वापिस बुला लिया.
लेकिन मामा की जिद के सामने माँ ने फिर हथियार डाल दिए और उनकी मांग पर मुझे मामा के घर भेज दिया. मेरी उम्र भी उस समय लगभग 19 की ही रही होगी. मैंने पढ़ना देर से शुरू किया था, पहले तो गाँव में ही पढ़ी थी पर अब मामा ने मुझे शहर में दाखिल करवा दिया. मामा मेरे लिए खूब अच्छी खाने की चीजें लाने लगे. मैं बहुत मज़े में थी.
तभी एक दिन मामा ने मुझसे कहा कि उनके कमरे का पंखा ख़राब है, वे भी मेरे साथ सोएंगे. मैं कुछ असहज तो हुई क्योंकि मेरी बहन को चोद चोद कर इस साले कमीने ने ग्याभन कर दिया था और फिर ऐसे वैसे ही घर में शादी करनी पड़ी थी. पर मुझे भी पता तो था ही कि मेरे साथ ये काम कभी भी शुरू हो सकता है. इसलिए डरती हुई अपने बिस्तर में दुबकी रही.
मामा बड़े लाड़ से मेरी चादर में घुसा और चुपचाप लेट कर मुझे सिर्फ सहलाता रहा. उसने मुझे खाने को चॉकलेट दी. पर मुझसे वह खाई नहीं गई. मैं कुछ सोचती रही कि अब आगे क्या होगा. खैर कुछ ज्यादा नहीं हुआ.
मामा ने मेरी चूची सहलाई और बोले- तेरी बहन की चूची तो बहुत बड़ी थी. ऐसे ही वह कुछ कुछ करता रहा. वह रात भर नहीं सोया और मुझे भी नहीं सोने दिया.
अगली रात को फिर पंखे के बहाने आ गया और वह मेरी चूची और चूतड़ों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाता रहा. उस रात को भी उसने मेरे उभरते हुए नीम्बुओं को खूब दबा दबा कर सहलाया. हालांकि कल कुछ नहीं हुआ था, तो आज मुझे कम डर लगा. चूंकि कपड़ों के ऊपर से किया गया था, इसलिए मुझे कुछ मजा भी आया.
फिर अगले दिन यही काम मुझे पूरी नंगी करके किया. धीरे धीरे एक एक करके मेरे ना करने पर भी मेरे कपड़े उतारता गया.
ऐसे ही यह सिलसिला अब हरेक रात चलने लगा. अब वह खुद भी नंगा हो जाता था और अपना लंड मेरे हाथ में थामकर मुझे कहता था- इसे सहलाओ. मैं तुझे दुनिया की सारी खाने पीने की चीजें लाकर दूंगा.
मुझे पहले अच्छा नहीं लगा, फिर मैं भी उसकी हर बात मानने लगी. उसने मुझसे वादा किया कि वह मेरी चूत में लंड तब तक नहीं घुसाएगा, जब तक मैं ही उससे लंड की मांग न करने लगूं. मैं उससे कुछ नहीं बोली. वह बोला- मैं तुझसे ही कहलवा कर छोडूंगा और यह भी की मुझे मालूम है तेरी चूत अभी मेरे लंड को झेल नहीं पाएगी और मैं तुझे दर्द नहीं होने दूंगा.
उसकी इन सब बातों से मुझे अब कुछ ठीक लगने लगा. साथ ही उसने मुझे बसंती की निखरी जवानी और खूबसूरती को लेकर भी बताया कि तूने देखा नहीं कि तेरी बहन कितनी खूबसूरत बन कर गई. ये सब मैंने ही तो उसको चोद कर किया था.
कुछ दिन बाद उसने मुझे लंड चूसना भी सिखाया. मुझे लंड की मालिश करवाता. लंड की मुठ मरवाता. मेरे हाथ उसके माल से सन जाते तो मुझे लंड के माल को टेस्ट करने का भी कहता. मुझे भी उसके लंड के माल को खाने की आदत हो गई थी.
बस अब मैं उसके साथ सोने का पूरा आनन्द बिना डरे लेने लगी. वह मुझे अपना लंड चुसाता. मैं हँसते खेलते उसके लंड को मुँह में पेल कर ख़ुशी से चूसती रहती थी.
वह अब मेरी चूत को ऊपर से सहलाता और थोड़ी थोड़ी उंगली अन्दर को भी घुसाया करता था. बीच बीच में मुझे अपनी छाती से चिपटा लेता था
मामा रोज़ ऐसे ही मेरे बदन से खेलता और मैं भी खुश रहने लगी. मेरी चूची जल्दी ही गोल आकार लेने लगी और सारे बदन पर कुछ अजीब सा नशा रहने लगा. मामा धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगली से गहराई बढ़ाता गया. रात को वह मुझे पूरी नंगी कर देता. बल्कि अब तो वो सिर्फ ये कहता कि चल आ जा. अब सोना है. बस मैं खुद ही उसके साथ अपने शरीर को मजा दिलाने के लिए पूरी नंगी होकर उसके साथ बिस्तर में आ जाती. मामा खुद भी पूरा नंगा ही मेरे साथ आ जाता.
अब उसने मेरी गांड के छेद पर भी उंगली का जादू चलाना शुरू कर दिया था. वो मेरी गांड के छेद में ढेर सारी क्रीम भर देता और अपनी उंगली को गांड में करने लगता. पहले पहल दर्द होता था पर चिकनाई के कारण मुझे उसकी उंगली से गांड मरवाने में मजा आने लगा. उसने एक उंगली की जगह दो उंगलियों से मेरी गांड के छेद को फैला दिया था. फिर अपने लंड लायक मेरी गांड को फैला दिया था, वो मेरी गांड के छेद में चिकनाई लगा कर सुपारा धकेलता रहता. रात को इसी तरह लंड को गांड की फांक में रख कर बाहर ही झड़ जाता. उसने अब तक लंड को मेरी गांड के भीतर नहीं किया था. वह जानता था कि लौंडिया कमसिन है, इसलिए वो मेरी गांड के अन्दर लंड डालने की कोशिश भी नहीं करता. बस गांड के मुहाने पर रख कर थोड़ा सा दबाव देर तक बनाये रखता या जब तक झड़ न जाए, तब तक लंड घिसता रहता.
ऐसा ही खेल वह मेरी चूत पर लंड टिका कर करने लगा था. मुझे कोई दर्द न हो, इसका उसने पूरा ख्याल रखा. मैं भी निश्चिन्त होकर लंड का मज़ा लेती रहती.
मामा मुझे सारे बदन पर चूमता रहता. लगभग डेढ़ साल इसी तरह बीत गया. मैं भरपूर मस्त माल हो गई थी. मामा तो जैसे एक एक दिन गिन रहा था. वो रोज़ उंगली से यह भी टेस्ट करता था कि क्या अब मैं उसके लंड को झेलने लायक हो गई या नहीं.
एक दिन मामा बोला- आज तुझे बहुत नया मज़ा दूंगा. आज लंड पेलूंगा, तू डरना नहीं. एक बार को थोड़ा दर्द भी होगा, झेल लेना. ज्यादा होने लगे.. तो मैं लंड बाहर निकाल लूँगा, मेरा विश्वास कर.
मुझे विश्वास भी था और मन ही मन इस रात का इंतजार भी था. शाम से ही धड़कन बढ़ी हुई थी. जल्दी जल्दी सब निपटा कर हम दोनों बिस्तर में आ गए. मैंने मामा को नंगा किया.. मामा ने मुझे. अब मामा ने शरारत से हँसते हँसते अपना लंड मेरे मुंह में चूसने को दे दिया. मैं लंड चूसती रही. मामा मेरी चूत में क्रीम भर कर उंगली से अन्दर भरते रहे.
फिर मामा ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर चित्त लिटाया और मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर टांगें अपने कन्धों पर रख लीं. फिर मेरी चूत के मुँह पर रख कर धीरे धीरे लंड अन्दर खिसकाने लगा. मुझे एक आध इंच तक तो कुछ नहीं हुआ, पर उसके बाद लगा जैसे चूत चिर जाएगी.
मैं चिल्लाने को हुई तो मामा ने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे समझाने लगे कि इससे कोई नुकसान नहीं होता. यदि ऐसा हुआ होता तो फिर कभी कोई ब्याह नहीं करता. लड़की लंड के पीछे दीवानी नहीं होती. तू थोड़ी सी हिम्मत कर, बस फिर मज़ा देखना.
उसने मुझे हिम्मत बंधाई और फिर जो लंड चूत पर रख कर पेला, वो सटाक से चूत अन्दर घुसता चला गया. मेरी तो चीख निकल गई, आंखें फ़ैल गईं. मैं चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मामा मर गई.
बस मामा ने वहीं लंड रोक कर मेरे मुँह को अपने मुँह में भर लिया और फिर लगा चोदने. हाय हाय की आवाज़ भी गुटरगूं जैसी हो रही थी.
बस थोड़ी देर बाद, तो मुझे वो मज़ा आया कि मैं बखान नहीं कर सकती. मामा ने लगातार धक्कों की बारिश सी कर डाली. मेरी चूत में जैसे फुव्वारा लगा हो. मेरी चूत से गर्म गर्म पानी फूट पड़ा. नीचे गांड को भिगोता हुआ ये पानी पूरा बिस्तर पर आ गया.
मैंने मामा की कोली भर ली. मैं उससे छिपकली की तरह चिपट गई. उसके बाद निढाल होकर पड़ गई. वो भी बाजू में लेट गया. लेकिन उस रात में मामा ने कई कई तरह से बदल कर मुझे सारी रात चोदा. मैंने भी पूरा साथ दिया. ये मेरी पहली चुदाई थी इसके बाद तो मैं मामा की पत्नी जैसी बनकर रोज़ चुदी.
मामा ने इसके बाद मेरी गांड का उदघाटन भी कर डाला. अब वो मुझे दोनों तरफ से बजाते थे.
मुझे भी बिना चुदे चैन नहीं मिलता था. मेरी चूत लंड लंड करने लगी थी. इसके बाद जब अपने घर आई, तो मैं अपने सगे भाई से खूब चुदी, वो कहानी मैं पहले ही लिख चुकी हूँ.
आपके विचारों से मुझे अवगत कराने के लिए मुझे मेल लिखें. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000